ASTRO VINOD

ASTRO VINOD ज्योतिष अद्भुत ज्ञान है।व्यक्ति के जीवन को नई राह दिखता है और जीवन के रहस्यों की जानकारी देता है। आज के युग मे यही 1 सच्चा चमत्कार है। जो गणित पर आधारित है

ASTRO VINOD https://t.me/Astro1Vinodकब आएंगे अच्छे दिन और अच्छा समय?🌹🌹🌹🌹🌹🌹          7737349594                          ...
11/10/2025

ASTRO VINOD
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कब आएंगे अच्छे दिन और अच्छा समय?
🌹🌹🌹🌹🌹🌹 7737349594 हर इंसान समय कब आएगा, कब आएगी ज्यादा से ज्यादा अच्छे दिन इसी आस में रहता है।अच्छे दिन से मतलब होता है हर तरह से या कुछ महत्वपूर्ण चीजो को लेकर अच्छा समय जैसे धन, रोजगार/अच्छा काम मिल जाना, कैरियर, Vinod भाग्योदय, हर स्थिति अनुकूल चलना, सब काम बनते जाना, अच्छी स्थिति जीवन की सब तरह से होते जाना आदि अच्छे दिनों की श्रेणी में आएंगे।अब जब वर्तमान समय और भविष्य में आने वाली ग्रहो की महादशाओं और साथ ही अंतर्दशाओं का समय शुभ और शक्तिशाली आ रहा है और कुंडली के ज्यादातर ग्रह और भाव बलवान और शुभVinod स्थिति में है या आपस मे ज्यादा से ज्यादा ग्रह शुभ स्थिति में सम्बन्ध बनाकर बैठे है तब उन्ही ग्रहो का समयकाल आने पर अच्छे दिन आ जाते है,7737349594 ज्यादातर कुंडली मे ग्रहो का आपसी शुभ सम्बन्ध और उनका समयकाल ही सब तरह से अच्छे दिन देगा।अब कुछ उदाहरणों से समझते है अच्छे दिन, अच्छा समय आना है तो किन लोगों का आएगा और किन किन मामलों में अच्छे दिन आएंगे?vinod
उदाहरण_ मेष लग्न कुंडली मे यहाँ ज्यादातर ग्रह जैसे कि गुरु शुक्र चन्द्र मंगल आपस मे सबन्ध बनाकर बैठे हो और दसवे भाव स्वामी शनि दसवे 11वे या 7वे भाव मे है शुभ होकर बैठे है तब इन्ही ग्रहो की महादशा अन्तर्दशाये जब आएगी वही अच्छे दिन होंगे, वही समय अच्छा जीवन करेगा सब तरह से। Vinod
उदाहरण_-सिंह लग्न कुंडली मे यहाँ दशमेश शुक्र बलवान होकर बैठा है मंगल बुध शनि सूर्य भी बलवान है तब इन्ही ग्रहो का महादशा अंतरदशा जब आएगा तब अच्छे दिन शुरू हो जायेगे, इन ग्रहो में से जिन ग्रहो के बीच ज्यादा से ज्यादा सम्बन्ध शुभ स्थिति में होगा उतना ही आने वाला समय अचसहे दिन लेकर आएगा। उदाहरण_कुम्भ_लग्न:-कुम्भ लग्न में यहाँ गुरु मंगल शुक्र बुध शनि बलवान है और यह ग्रह आपस मे सम्बन्ध बनाकर बैठे है या इनमे से कुछ ग्रह आपस मे सम्बन्ध बनाकर बैठे है तब इन्हीं ग्रहो की महादशा आएगी तब अच्छे दिन का समय शुरू हो जाएगा। कुंडली मे ज्यादा से ज्यादा ग्रहो के बीच सम्बन्ध है शुभ होकर तब उन ग्रहो का समय आते ही अच्छे दिन शुरू हो जायेगे, जबकि सम्बन्ध शुभ नही है तब उपाय करने के बाद ही समय अच्छा होगा।
Vinod
ज्योतिषाचार्य
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JYOTISH VINODव्यवसाय में सफलता का सटीक अध्ययनशिक्षा पूर्ण होने के पश्चात अक्सर युवाओं के मन में यह दुविधा रहती है कि नौक...
28/05/2025

JYOTISH VINOD
व्यवसाय में सफलता का सटीक अध्ययन

शिक्षा पूर्ण होने के पश्चात अक्सर युवाओं के मन में यह दुविधा रहती है कि नौकरी या व्यवसाय में से उनके लिए उचित क्या होगा। इस संबंध में जन्मकुंडली का सटीक अध्ययन सही दिशा चुनने में सहायक हो सकता है।
नौकरी या व्यवसाय देखने के लिए सर्वप्रथम कुंडली में दशम, लग्न और सप्तम स्थान के अधिपति तथा उन भावों में स्थित ग्रहों को देखा जाता है। * लग्न या सप्तम स्थान बलवान होने पर स्वतंत्र व्यवसाय में सफलता का योग बनता है।
प्रायः लग्न राशि, चंद्र राशि और दशम भाव में स्थित ग्रहों के बल के तुलनात्मक अध्ययन द्वारा व्यवसाय का निर्धारण करना उचित रहता है। प्रायः अग्नि तत्व वाली राशि (मेष, सिंह, धनु) के जातकों को बुद्धि और मानसिक कौशल संबंधी व्यवसाय जैसे कोचिंग कक्षाएँ, कन्सल्टेंसी लेखन, ज्योतिष आदि में सफलता मिलती है।https://linktr.ee/JYOTISHVINOD
पृथ्वी तत्व वाली राशि (वृष, कन्या, मकर) के जातकों को शारीरिक क्षमता वाले व्यवसाय जैसे कृषि भवन निर्माण, राजनीति आदि में सफलता मिलती है। जल तत्व वाली राशि (कर्क, वृश्चिक, मीन) के जातक प्रायः व्यवसाय बदलते रहते हैं। इन्हें द्रव, स्प्रिंट, तेल, जहाज से भ्रमण, दुग्ध व्यवसाय आदि में सफलता मिल सकती है। 077373 49594
वायु तत्व (मिथुन, तुला, कुंभ) प्रधान व्यक्ति साहित्य, परामर्शदाता, कलाविद, प्रकाशन, लेखन, रिपोर्टर, मार्केटिंग आदि के कामों में अपना हुनर दिखा सकते हैं। * दशम स्थान में सूर्य हो पैतृक व्यवसाय (औषधि, ठेकेदारी, सोने का व्यवसाय, वस्त्रों का क्रय-विक्रय आदि) से उन्नति होती है। ये जातक प्रायः सरकारी नौकरी में

अच्छे पद पर जाते हैं। चन्द्र होने पर जातक मातृ कुल का व्यवसाय या माता के धन से (आभूषण, मोती, खेती, वस्त्र आदि) व्यवसाय करता है।
9529989909 विनोद वैष्णव
• मंगल होने पर भाइयों के साथ पार्टनरशिप (बिजली के उपकरण, अस्त्र-शस्त्र आतिशबाजी वकालत, फौजदारी) में व्यवसाय लाभ देता है। ये व्यक्ति सेना, पुलिस में भी सफल होते हैं।https://linktr.ee/JYOTISHVINOD

* बुध होने पर मित्रों के साथ व्यवसाय लाभ देता है। लेखक, कवि, ज्योतिषी, पुरोहित, चित्रकला, भाषणकला संबंधी कार्य में लाभ होता है।

बृहस्पति होने पर भाई-बहनों के साथ व्यवसाय में लाभ, इतिहासकार, प्रोफेसर, धर्मोपदेशक, जज, व्याख्यानकर्ता आदि कार्यों में लाभ होता है। • शुक्र होने पर पत्नी से धन लाभ, व्यवसाय में सहयोग जौहरी का कार्य, भोजन, होटल संबंधी कार्य, आभूषण, पुष्प विक्रय आदि कामों में लाभ होता है। शनि: शनि अगर दसवें भाव में स्वग्रही पानी अपनी ही राशि का हो तो 36वें साल के बाद फायदा होता है। ऐसे जातक अधिकांश नौकरी ही करते हैं। अधिकतर सिविल या मैकेनिकल इंजीनियरिंग में जाते है। लेकिन अगर दूसरी राशि या शत्रु राशि का हो तो बेहद तकलीफों के बाद सफलता मिलती है। अधिकांश मामलों में कम स्तर के मशीनरी कामकाज से व्यक्ति जुदा हो जाता है। राहू :- अचानक लॉटरी से, सट्टे से या शेयर से व्यक्ति को लाभ मिलता है। ऐसे जातक राजनीति में विशेष रूप सफल रहते हैं।
केतु की दशम में स्थिति संदिग्ध मानी जाती है किंतु अगर साथ में अच्छे ग्रह हो तो उसी ग्रह के अनुसार फल मिलता है लेकिन अकेला होने या पाप प्रभाव में होने पर केतु व्यक्ति को करियर के क्षेत्र में डूबो देता है। आइये जाने धन प्राप्ति / शिक्षा / रोजगार के कुछ खास महत्वपूर्ण करक योग-- इंजीनियरिंग शिक्षा के कुछ योग
जन्म, नवांश या चन्द्रलग्न से मंगल चतुर्थ स्थान में हो या चतुर्थेश मंगल की राशि मेंस्थित हो ।
मंगल की चर्तुथ भाव या चतुर्थेश पर दृष्टि हो अथवा चतुर्थेश के साथ पुति हो । मंगल और बुध का पारस्परिक परिवर्तन योग हो अर्थात मंगल बुध की राशि में हो अथवा बुध मंगल की राशि में हो
चिकित्सक डाक्टर ) शिक्षा के कुछ योग जैमिनि सूत्र के अनुसार चिकित्सा से सम्बन्धित कार्यों में बुध और शुक्र का विशेष महत्व हैं। "शुक्रन्दी शुक्रदृष्टो रसवादी (1/2/86)"

यदि कारकांश में चन्द्रमा हो और उस पर शुक्र की दृष्टि हो तो रसायनशास्त्र को जानने वाला होता हैं। " बुध दृष्टे भिषक* (1/2/87) यदि कारकांश में चन्द्रमा हो और उस पर बुध की दृष्टि हो तो वैद्य होता हैं। जातक परिजात (अ.15/44) के अनुसार यदि लग्न या चन्द्र से दशम स्थान का स्वामी सूर्य के नवांश में हो तो जातक औषध या दवा से धन कमाता हैं।

(अ.15/58) के अनुसार यदि चन्द्रमा से दशम में शुक्र शनि हो तो वैद्य होता हैं।https://whatsapp.com/channel/0029Vb9g4G460eBmHVsghJ1x
वृहज्जातक (अ.10/2) के अनुसार लग्न, चन्द्र और सूर्य से दशम स्थान का स्वामी जिस नवांश में हो उसका स्वामी सूर्य हो तो जातक को औषध से धनप्राप्ति होती हैं। उत्तर कालामृत (अ. 5 श्लो. 6 व 18 ) से भी इसकी पुष्टि होती हैं। फलदीपिका (5/2) के अनुसार सूर्य औषधि या औषधि सम्बन्धी कार्यों से आजीविका का सूचक हैं। यदि दशम भाव में हो तो जातक लक्ष्मीवान, बुद्धिमान और यशस्वी होता हैं (8/4) ज्योतिष के आधुनिक ग्रन्थों में अधिकांश ने चिकित्सा को सूर्य के अधिकार क्षेत्र में माना हैं और अन्य ग्रहों के योग से चिकित्सा - शिक्षा अथवा व्यवसाय के ग्रहयोग इस प्रकार बतलाए हैं।https://linktr.ee/JYOTISHVINOD https://whatsapp.com/channel/0029Vb9g4G460eBmHVsghJ1x
सूर्य एवं गुरू- फिजीशियन सूर्य एवं बुध परामर्श देने वाला फिजीशियन सूर्य एवं मंगल फिजीशियन
सूर्य एवं शुक्र एवं गुरू मेटेर्निटी सूर्य, शुक्र, मंगल, शनि--- वेनेरल सूर्य एवं शनि हड्डी / दांत सम्बन्धी
सूर्य एवंशुक्र, बुध -कान, नाक, गला सूर्य एवं शुक्र $ राहु यूरेनस- एक्सरे सूर्य एवं युरेनस - शोध चिकित्सा
सूर्य एवं चन्द्र बुध उदर चिकित्सा, पाचनतन्त्र
सूर्य एवंचन्द्र गुरु हर्निया, एपेण्डिक्स सूर्य एवं शनि (चतुर्थ कारक) - टी० बी०, अस्थमा।
Astrologer Vinod 9529989909, 7737349594
सूर्य एवं शनि (पंचम कारक) फिजीशियनज्योतिष अनुसार शिक्षा के योग दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करते ही कौन-सा विषय चुनें यह यक्ष प्रश्न बच्चों के सामने आ खड़ा होता है। माता-पिता को अपनी महत्वाकांक्षाओं को परे रखकर एक नजर कुंडली पर भी मार लेनी चाहिए। बच्चे किस विषय में सिद्धहस्त होंगे, यह ग्रह स्थिति स्पष्ट बताती है। आज जीवन के हर मोड़ पर आम आदमी स्वयं को खोया हुआ महसूस करता है। विशेष रूप से वह विद्यार्थी जिसने हाल ही में दसवीं या बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है, उसके सामने सबसे बड़ा संकट यह रहता है कि वह कौन से विषय का चयन करे जो उसके लिए लाभदायक हो। एक अनुभवी ज्योतिषी आपकी अच्छी मदद कर सकता है। जन्मपत्रिका में पंचम भाव से शिक्षा तथा नवम भाव से उच्च शिक्षा तथा भाग्य के बारे में विचार किया जाता है। सबसे पहले जातक की कुंडली में पंचम भाव तथा उसका स्वामी कौन है तथा पंचम भाव पर किन-किन ग्रहों की दृष्टि है, ये ग्रह शुभ-अशुभ है अथवा मित्र-शत्रु, अधिमित्र हैं विचार करना चाहिए। दूसरी बात नवम भाव एवं उसका स्वामी, नवम भाव स्थित ग्रह, नवम भाव पर ग्रह दृष्टि आदि शुभाशुभ का जानना। तीसरी बात जातक का सुदर्शन चंद्र स्थित श्रेष्ठ लग्न के दशम भाव का स्वामी नवांश कुंडली में किस राशि में किन परिस्थितियों में स्थित है।
ज्ञात करना, तीसरी स्थिति से जातक की आय एवं आय के स्त्रोत का ज्ञान होगा।https://t.me/AstroVinod 7734349594
जन्मकुंडली में जो सर्वाधिक प्रभावी ग्रह होता है सामान्यतः व्यक्ति उसी ग्रह से संबंधित कार्य व्यवसाय करता है। यदि हमें कार्य व्यवसाय के बारे में जानकारी मिल जाती है तो शिक्षा भी उसी से संबंधित होगी जैसे यदि जन्म कुंडली में गुरु सर्वाधिक प्रभावी है तो जातक को चिकित्सा, लेखन, शिक्षा, खाद्य पदार्थ के द्वारा आय होगी। यदि जातक को चिकित्सक योग है तो जातक जीव विज्ञान विषय लेकर चिकित्सक बनेगा। यदि पत्रिका में गुरु कमजोर है तो जातक आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, रैकी या इनके समकक्ष ज्ञान प्राप्त करेगा श्रेष्ठ गुरु होने पर एमबीबीएस की पढ़ाई करेगा। यदि गुरु के साथ मंगल का श्रेष्ठ योग बन रहा है तो शल्य चिकित्सक, यदि सूर्य से योग बन रहा है तो नेत्र चिकित्सा या सोनोग्राफी या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से संबंधित विषय की शिक्षा, यदि शुक्र है तो महिला रोग विशेषज्ञ, बुध है तो मनोरोग तथा राहु है तो हड्डी रोग विशेषज्ञ बनेगा चंद्र की श्रेष्ठ बनेगा स्थिति में किसी विषय पर गहन अध्ययन करेगा। लेखक, कवि, श्रेष्ठ विचारक तथा बीए, एमए कर श्रेष्ठ चिंतनशील, योजनाकार होगा। सूर्य के प्रबल होने पर
इलेक्ट्रॉनिक से संबंधित शिक्षा ग्रहण करेगा। यदि मंगल अनुकूल है तो ऐसा जातक कला, भूमि, भवन निर्माण, खदान, केमिकल आदि से संबंधित विषय शिक्षा ग्रहण करेगा। बुध प्रधान कुंडली वाले जातक बैंक, बीमा, कमीशन, वित्तीय संस्थान, वाणी से संबंधित कार्य, ज्योतिष वैद्य, शिक्षक, वकील, सलाहकार, चार्टड अकाउंटेंट,इंजीनियर, लेखपाल आदि का कार्य करते हैं। अत: ऐसे जातक को साइंस, मैथ्स की शिक्षा ग्रहण करना चाहिए किंतु यदि बुध कमजोर हो तो वाणिज्य विषय लेना चाहिए। बुध की श्रेष्ठ स्थिति में चार्टड अकाउंटेंट की शिक्षा ग्रहण करना चाहिए।https://linktr.ee/JYOTISHVINOD
शुक्र की अनुकूलता से जातक साइंस की शिक्षा ग्रहण करेगा। शुक्र की अधिक अनुकूलता होने से जातक फैशन, सुगंधित व्यवसाय, श्रेष्ठ कलाकार तथा रत्नों से।संबंधित विषय को चुनता है शनि ग्रह प्रबंध, लौह तत्व, तेल, मशीनरी आदि विषय का कारक है। अत: ऐसे जातकों की शिक्षा में व्यवधान के साथ पूर्ण होती हैं। शनि के साथ बुध होने पर जातक एमबीए फाइनेंस में करेगा। यदि शनि के साथ मंगल भी कारक है तो सेना पुलिस अथवा शौर्य से संबंधित विभाग में अधिकारी बनेगा। राहु की प्रधानता कुटिल ज्ञान को दर्शाती है। केतु-तेजी मंदी तथा अचानक आय।देने वाले कार्य शेयर, तेजी मंदी के बाजार सट्टा, प्रतियोगी क्वीज, लॉटरी आदि। कभी-कभी एक ही ग्रह विभिन्न विषयों के सूचक होते हैं तो ऐसी स्थिति में जातक एवं ज्योतिषी दोनों ही अनिर्णय की स्थिति में आ जाते हैं उसका सही अनुमान लगाना ज्योतिषी का कार्य है। ऐसी स्थिति में देश, काल एवं पात्र को देखकर निर्णय लेना उचित रहेगा। जैसे नवांश में बुध का स्वराशि होना ज्योतिष, वैद्य, वकील, सलाहकार का सूचक है। अब यहां जातक के पिता का व्यवसाय (स्वयं की रुचि) जिस विषय की होगी, वह उसी विषय का अध्ययन कर धनार्जन करेगा। सामान्यतः वैदिक ग्रंथों के अनुसार सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु और शनि इन सात ग्रहों का अपना अलग-अलग क्षेत्र और प्रभाव है। लेकिन जब इन ग्रहों का आपसी योग बनता है तो क्षेत्र और प्रभाव बदल जाते हैं। इन ग्रहों के साथ राहु और केतु मिल जाये, तो कार्य में बाधा उत्पन्न करते हैं। व्यवहारिक भाशा में कहें तो टांग अड़ाते हैं। जन्मकुंडली के मुख्य कारक ग्रह ही कुंडली के प्रेसिडेंट होते हैं। यानी जो भी कुछ होगा वह उन ग्रहों की देखरेख में होगा, अतः यह ध्यान में जरूर रखें कि इस कुंडली में कारक ग्रह कौन से हैं अगर कारक ग्रह कमजोर हैं या अस्त है, वृद्धावस्था में हैं तो उसके बाद वाले ग्रहों का असर आरंभ हो जायेगा। मंगल, शुक्र और सूर्य, शनि करियर की दशा तय करते हैं। बुध और गुरु उस क्षेत्र की बुद्धि और शिक्षा प्रदान करते हैं। यद्यपि क्षेत्र इनका भी निश्चित है, लेकिन इन पर जिम्मेदारियां ज्यादा रहती हैं। इसलिये कुंडली में इनकी शक्ति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आज हम किसी एक या दो ग्रहों के करियर पर प्रभाव की चर्चा करेंगे।9529989909 जन्मकुंडली में वैसे तो सभी बारह भाव एक दूसरे को पूरक हैं, किंतु पराक्रम, ज्ञान, कर्म और लाभ इनमें महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही इन सभी भावों का प्रभाव नवम भाग्य भाव से तय होता है।
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JYOTISH VINODसंतान प्राप्ति में बाधायदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में नीच राशिगत हो और पंचम भाव पर पाप ग्रहों का ज्या...
14/05/2025

JYOTISH VINOD
संतान प्राप्ति में बाधा
यदि पंचम भाव का स्वामी अष्टम भाव में नीच राशिगत हो और पंचम भाव पर पाप ग्रहों का ज्यादा प्रभाव हो तो संतान प्राप्ति में समस्या आती है। 9529989909 https://whatsapp.com/channel/0029Vb9g4G460eBmHVsghJ1x
यदि पंचम भाव और छठे भाव के स्वामियों के मध्य राशि परिवर्तन हो तो कई बार गर्भपात की संभावना हो सकती है।
पंचम भाव पर राहु और शनि की संयुक्त दृष्टि होने से संतान सुख की कमी होती है या फिर मृत संतान हो सकती है।
पंचम भाव में सूर्य का प्रभाव होना या सूर्य का स्थित होना संतान सुख में कमी करता है। हालांकि सूर्य ग्रह के उपाय करने के बाद एक संतान की प्राप्ति संभव हो सकती है।
यदि पंचम भाव में शनि और राहु एक साथ विराजमान हों तो श्रापित दोष का निर्माण होता है, जो पूर्व जन्म के कर्मों के कारण संतानहीनता देता है। यदि कुंडली के पंचम भाव में शनि और मंगल विराजमान हों तो संतान प्राप्ति में बाधा होती है।
यदि कुंडली के लग्न भाव, पंचम भाव व सप्तम भाव से सूर्य, बुध और शनि का संबंध हो तो संतान बाधा उत्पन्न होती है।
यदि मंगल की दृष्टि पंचम भाव पर हो तो संतान की हानि या फिर कष्ट पूर्ण संतान मिलती है। अधिकांश स्थिति में ऑपरेशन के बाद ही संतान का जन्म होता है। यदि मंगल उस कुंडली के लिए शुभ है तो संतान प्राप्ति हो जाती है, अन्यथा संतान होने में समस्या आती है। vinod
यदि कुंडली के द्वादश भाव में पंचम भाव का स्वामी और देव गुरु बृहस्पति युति कर रहे हों तथा कुंडली के अष्टम भाव का स्वामी और मंगल पंचम भाव में विराजमान हो तो संतान सुख की कमी होती है।
यदि कुंडली के पंचम भाव पर राहु और मंगल का संयुक्त प्रभाव हो तो सर्प दोष बन जाता है और संतान होने में बाधा उत्पन्न होती है।
यदि पंचम भाव का संबंध सूर्य और शनि से हो जाए अथवा राहु या केतु से दृष्टि संबंध हो तो संतान प्राप्ति में बाधा आ जाती है।
यदि अष्टकवर्ग पद्धति में बृहस्पति के अष्टक वर्ग में बृहस्पति से पंचम भाव शुभ बिंदुओं से रहित हो तो संतान होने में बाधा उत्पन्न होती है और संतान सुख की कमी होती है।
यदि कुंडली में शुक्र ग्रह, बुध, शनि या राहु के साथ स्थित हो और पंचम भाव तथा सप्तम भाव में अशुभ ग्रहों का प्रभाव अधिक हो तो शुक्र की पीड़ित अवस्था से वीर्य दोष उत्पन्न हो जाता है और पुरुष संतानोत्पत्ति में सक्षम नहीं हो पाता है।
यदि कुंडली के सप्तम भाव का स्वामी पीड़ित अवस्था में हो और कमजोर हो तथा पंचम भाव में विराजमान हो तो भी संतान सुख में कमी हो सकती है।
कारकोभावनाशाय सिद्धांत के अनुसार यदि संतान कारक बृहस्पति पंचम भाव में ही स्थित हों और उन पर अशुभ ग्रहों का अधिक प्रभाव हो तो भी संतान प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती है।
यदि कुंडली का लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश और देव गुरु बृहस्पति, ये सभी ग्रह कमजोर और बल हीन अवस्था में हों तो संतान सुख में कमी करते हैं।
कुंडली के लग्न भाव और चंद्रमा से पंचम भाव तथा बृहस्पति से भी पंचम भाव यदि पीड़ित अवस्था में हों या पाप कर्तरी में हों तो संतान बाधा आती है।
यदि वृषभ, सिंह, कन्या अथवा वृश्चिक राशियों में से कोई राशि पंचम भाव में हो और कोई अशुभ योग बन रहा हो तो संतान प्राप्ति में विलंब होता है या समस्या आती है क्योंकि ये अल्पसुत राशियां कहलाती हैं।
यदि कुंडली के लग्न भाव, चंद्र राशि और गुरु अधिष्ठित राशि से पंचम भाव पर पाप ग्रहों का अधिक प्रभाव होने पर भी संतानहीनता हो सकती है।
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13/05/2025

*JYOTISH VINOD*
संविदा पर नौकरी कर रहे तो सरकारी कब होगी?
🌹🌹🌹🌹🌹🌹 VINOD https://t.me/AstroVinod आज कई जातक या जातिका सरकारी विभागो में संविदा पर नौकरी करते है और वह संविदा पर लगी नौकरी में पूर्ण रूप से सरकारी होना चाहते है/सरकारी रुप से स्थाई(Permanent) होना चाहते हैं आज इसी बारे में बात करेंगे कि सविंदा पर नौकरी किनकी लगेगी और संविदा पर नौकरी लगी हुई है तब पूर्ण सरकारी नौकरी हो पाएगी मतलब संविदा से हटकर पूर्ण तरह से सरकारी नौकरी हो पाएगी तो कब तक या संविदा पर ही रहेंगी और पूर्ण सरकारी नौकरी होने की स्थिति बनी हुई है तो क्या उपाय करें जिससे संविदा पर नौकरी हैं तो पूरी तरह से स्थाई सरकारी नौकरी हो जाये और कब तक हो जाएगी आदि आज इसी विषय पर अब बात करते है।। vinod https://whatsapp.com/channel/0029Vb9g4G460eBmHVsghJ1x सरकारी विभाग के कारक ग्रह सूर्य मंगल और गुरु होते है जब जन्मकुंडली या दशमांश कुंडली मे सूर्य मंगल या गुरु का अच्छा सहयोग न मिल रहा हो या यह ग्रह कमजोर हो तब संविदा पर रहकर नोकरी करनी पड़ती है।यदि यह ग्रह बलवान भी हो लेकिन यदि इसके अलावा यदि कुंडली का दसवाँ भाव या दसवे भाव का स्वामी कमजोर हुआ तब भी पूर्ण सरकारी नोकरी होने में रूकाबटे रहती है।लेकिन जब सूर्य मंगल गुरु बलवान हो या केवल सूर्य ही बलवान होगा और दसवे भाव या दसवे भाव के स्वामी से सूर्य या मंगल या सूर्य गुरु या मंगल गुरु का संबंध होगा तब तब अनुकूल ग्रह दशा आने पर देर सबेर जातक या जातिका संविदा से हटकर पूर्ण रूप से सरकारी पदाधिकारी हो जाते है। यदि सरकारी नोकरी के ग्रहयोग है लेकिन कमजोर या पीड़ित है तब भी संविदा पर नोकरी रहती है ऐसी स्थिति में पीड़ित करने वाले ग्रहों की शांति उपाय करके पूर्ण रूप से सरकारी पद भी प्राप्त हो जाएगा।कुछ स्थितियों में ग्रह दशा अनुकूल न होने पर भी जातक को पहले संविदा पर नोकरी करनी पड़ जाती है और जैसे ही ग्रहों की महादशा-अंतरदशा अनुकूल होती है उसी समय जातक को पूर्ण सरकारी पद के अधिकार मिल जाते हैं।अब कुछ उदाहरणों से समझते है कब संविदा पर ही कार्य करना पड़ेगा और किन जातक/जातिकाओ को संविदा से मुक्ति मिलकर पूर्ण सरकारी अधिकार और पूर्ण सरकारी पद मिल जाता है? उदाहरण_वृष_लग्न- वृषलग्न जन्मकुंडली या दशमांश कुंडली मे जैसे शनि दसवे भाव का स्वामी बनता है अब शनि बलवान होकर यहाँ बलवान सूर्य के साथ बैठा हो जैसे सूर्य शनि दोनों 5वे भाव मे कन्या राशि के हो तब लेकिन यहाँ शनि अस्त हो जाये या राहु की दृष्टि सूर्य शनि पर आ जाये आदि तब जातक को यहां संविदा पर रहकर नोकरी करनी पड़ेगी क्योंकि पूर्ण सरकारी नौकरी के लिये शनि अस्त या राहु पीड़ित कर रहा है, ऐसी स्थिति में अस्त शनि के उपाय करके और राहु भी शनि को पीड़ित कर रहा है तो राहु शांति के उपाय करके, जातक को पूर्ण रूप से सरकारी पद और पूर्ण सरकारी अधिकार मिल जायेंगे।। उदाहरण_सिंह लग्न _ यहां दसवे भाव का स्वामी शुक्र होता है अब शुक्र सूर्य के साथ बैठा हो लेकिन शुक्र सूर्य के साथ शनि राहु भी साथ आकर बैठ जाये तब ऐसे जातक या जातिका को संविदा पर नोकरी मिलेगी ,पूर्ण सरकारी नौकरी होने के लिए यहाँ कार्यक्षेत्र स्वामी और सरकारी नौकरी कारक सूर्य को थोड़ा बलवान करने से और राहु शनि की शांति के उपाय करने से राहु शनि यहाँ पूर्ण सरकारी होने में जो दिक्कत कर रहे है वह दूर होकर पूर्ण सरकारी पाधिकारी जातक या जातिका हो जायेगे।। vinod https://whatsapp.com/channel/0029Vb9g4G460eBmHVsghJ1x ुछ_उदाहरणो_से समझते है कैसे स्वयम कुछ समय बाद संविदा पर लगने के बाद, संविदा से हटकर जातक/जातिका स्थाई रूप से पूर्ण_सरकारी हो जाते है और कब? उदाहरण_कन्या_लग्न_ कन्या लग्न कुंडकी में दसवे भाव(कर्यक्षेत्र/रोजगार) का स्वामी बुध होता है अब बुध यहाँ सूर्य+शनि के साथ संबंध में हो और राहु का भी प्रभाव बुध पर हो तब यहाँ संविदा पर नौकरी रहेगी, लेकिन यही यदि बुध वर्गोत्तम हो बलवान हो और सरकारी नोकरी कारक सूर्य भी बलवान हो साथ ही अन्य सरकारी नोकरी के कारक मंगल गुरु भी दसवे भाव स्वामी बुध या दसवे भाव को शुभ स्थिति में सम्बन्ध तब ऐसा जातक या जातिका कुछ समय बाद ही अनुकूल ग्रह दशा आने पर पूर्ण रूप से सरकारी पाधिकारी हो जायेगे क्योंकि यहाँ तीनो सरकारी नोकरी के कारक सूर्य मंगल गुरु का पूर्ण प्रभाव रोजगार पर है।।

संविदा पर नौकरी तब ही करनी पड़ेगी जब सरकारी नौकरी के ग्रह कमजोर हो या नौकरी सम्बंधित ग्रह कमजोर/पीड़ित हो या दसवे भाव दसवे भाव स्वामी(नौकरी के स्वामी ग्रहों)पर शनि और राहु का कुछ दूषित प्रभाव पड़ता हो, ऐसी स्थिति में पूर्ण सरकारी होने के लिए उपाय करने से पूर्ण सरकारी पद की जा सकती है।
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*JYOTISH VINOD* संविदा पर नौकरी कर रहे तो सरकारी कब होगी?🌹🌹🌹🌹🌹🌹           VINOD           https://t.me/AstroVinod       ...
13/05/2025

*JYOTISH VINOD*
संविदा पर नौकरी कर रहे तो सरकारी कब होगी?
🌹🌹🌹🌹🌹🌹 VINOD https://t.me/AstroVinod आज कई जातक या जातिका सरकारी विभागो में संविदा पर नौकरी करते है और वह संविदा पर लगी नौकरी में पूर्ण रूप से सरकारी होना चाहते है/सरकारी रुप से स्थाई(Permanent) होना चाहते हैं आज इसी बारे में बात करेंगे कि सविंदा पर नौकरी किनकी लगेगी और संविदा पर नौकरी लगी हुई है तब पूर्ण सरकारी नौकरी हो पाएगी मतलब संविदा से हटकर पूर्ण तरह से सरकारी नौकरी हो पाएगी तो कब तक या संविदा पर ही रहेंगी और पूर्ण सरकारी नौकरी होने की स्थिति बनी हुई है तो क्या उपाय करें जिससे संविदा पर नौकरी हैं तो पूरी तरह से स्थाई सरकारी नौकरी हो जाये और कब तक हो जाएगी आदि आज इसी विषय पर अब बात करते है।। vinod https://whatsapp.com/channel/0029Vb9g4G460eBmHVsghJ1x सरकारी विभाग के कारक ग्रह सूर्य मंगल और गुरु होते है जब जन्मकुंडली या दशमांश कुंडली मे सूर्य मंगल या गुरु का अच्छा सहयोग न मिल रहा हो या यह ग्रह कमजोर हो तब संविदा पर रहकर नोकरी करनी पड़ती है।यदि यह ग्रह बलवान भी हो लेकिन यदि इसके अलावा यदि कुंडली का दसवाँ भाव या दसवे भाव का स्वामी कमजोर हुआ तब भी पूर्ण सरकारी नोकरी होने में रूकाबटे रहती है।लेकिन जब सूर्य मंगल गुरु बलवान हो या केवल सूर्य ही बलवान होगा और दसवे भाव या दसवे भाव के स्वामी से सूर्य या मंगल या सूर्य गुरु या मंगल गुरु का संबंध होगा तब तब अनुकूल ग्रह दशा आने पर देर सबेर जातक या जातिका संविदा से हटकर पूर्ण रूप से सरकारी पदाधिकारी हो जाते है। यदि सरकारी नोकरी के ग्रहयोग है लेकिन कमजोर या पीड़ित है तब भी संविदा पर नोकरी रहती है ऐसी स्थिति में पीड़ित करने वाले ग्रहों की शांति उपाय करके पूर्ण रूप से सरकारी पद भी प्राप्त हो जाएगा।कुछ स्थितियों में ग्रह दशा अनुकूल न होने पर भी जातक को पहले संविदा पर नोकरी करनी पड़ जाती है और जैसे ही ग्रहों की महादशा-अंतरदशा अनुकूल होती है उसी समय जातक को पूर्ण सरकारी पद के अधिकार मिल जाते हैं।अब कुछ उदाहरणों से समझते है कब संविदा पर ही कार्य करना पड़ेगा और किन जातक/जातिकाओ को संविदा से मुक्ति मिलकर पूर्ण सरकारी अधिकार और पूर्ण सरकारी पद मिल जाता है? उदाहरण_वृष_लग्न- वृषलग्न जन्मकुंडली या दशमांश कुंडली मे जैसे शनि दसवे भाव का स्वामी बनता है अब शनि बलवान होकर यहाँ बलवान सूर्य के साथ बैठा ह

श्रीराम नवमी (जन्मोत्सव) की हार्दिक शुभकामनाएं 💐
06/04/2025

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भारतीय नव-सम्वत् 2082 (सिद्धार्थी) आप सभी के लिए मंगलमय हो 💐-------------------------------चैत्रशुक्ल प्रतिपदा, दिनाक 30...
30/03/2025

भारतीय नव-सम्वत् 2082 (सिद्धार्थी) आप सभी के लिए मंगलमय हो 💐
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चैत्रशुक्ल प्रतिपदा, दिनाक 30 मार्च 2025, ​रविवार को 2082वें सिद्धार्थी विक्रम् संवत् का प्रारंभ होगा।

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