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गणतंत्र दिवस की बधाई
26/01/2022

गणतंत्र दिवस की बधाई

श्रीतुलसीपीठाधीश्वर, पदम् विभूषित, परम पूज्यनीय जगद्गुरु श्री स्वामी रामभद्राचार्य जी को अवतरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाए...
14/01/2022

श्रीतुलसीपीठाधीश्वर, पदम् विभूषित, परम पूज्यनीय जगद्गुरु श्री स्वामी रामभद्राचार्य जी को अवतरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर प्रणाम।

महाप्रभु श्री जगन्नाथ जी आपको उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घायु जीवन प्रदान करें।

आपका आशीर्वाद एवं प्रेम सदैव हम सभी को प्राप्त होता रहे।

अंग्रेजी नए वर्ष की शुभकामनाएं आप सभी को व आपके परिवार को। बाबा महाकाल और माँ हरसिद्धि का आशीर्वाद सदा बना रहे 🙏🏼
01/01/2022

अंग्रेजी नए वर्ष की शुभकामनाएं आप सभी को व आपके परिवार को। बाबा महाकाल और माँ हरसिद्धि का आशीर्वाद सदा बना रहे 🙏🏼

वैदिक ज्योतिष में शनि की शान्ति के लिए उपाय।शनि की शान्ति के लिए उपाय- शनि देव यदि जन्म कुण्डली में अशुभ फल दे रहे हों त...
04/12/2021

वैदिक ज्योतिष में शनि की शान्ति के लिए उपाय।

शनि की शान्ति के लिए उपाय- शनि देव यदि जन्म कुण्डली में अशुभ फल दे रहे हों तो निम्न उपायों से शुभ लाभ लिया जा सकता है।

वैदिक मंत्र- ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शंय्यो रभिस्त्रवन्तु नः।

पौराणिक मंत्र- ॐ नीलाजंन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

शनि का तंत्रोक्त मंत्र- ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

जप संख्या- 23000।

शनि गायत्री- ॐ भग्भवाय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नो सौरी:प्रचोदयात।

शनि के दान की वस्तुएं- लोहा, तिल, उड़द, सरसों का तेल, काला वस्त्र, काली गाय, कुल्थी, लौह निर्मित पात्र, जूता, भैंस, कस्तूरी, सुवर्ण, नारियल, काले अथवा नीले पुष्प।

रत्न- शनि के शुभत्व में वृद्धि हेतु नीलम रत्न धारण किया जाता है।

अन्य उपाय- शनिवार का व्रत रखना चाहिए। शिव स्तोत्र व शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शनि यंत्र धारण करना चाहिए। हनुमान जी की उपासना से भी लाभ होता है। पक्षियों व मछलियों को आटा डालना व मांसादि का परहेज करना चाहिए।

बृहस्पति को संस्कृत में 'गुरु' कहा जाता है, और चांडाल (मलेच्छ) का अर्थ है- 'खलनायक या दानव' इसलिए इसे गुरु चांडाल दोष कह...
03/12/2021

बृहस्पति को संस्कृत में 'गुरु' कहा जाता है, और चांडाल (मलेच्छ) का अर्थ है- 'खलनायक या दानव' इसलिए इसे गुरु चांडाल दोष कहा जाता है।

इस योग को जन्मकुण्डली में बनाने में बृहस्पति की अहम भूमिका होती है। बृहस्पति (गुरु) ग्रह के किसी भी भाव में राहु और केतु ग्रहों के साथ मिलने को गुरु चांडाल योग कहा जाता है।

कुछ मामलों में, गुरु और केतु का संयोजन आशाजनक होने के कारण भरोसेमंद या लाभदायक होता है, जिसे गणेश योग के रूप में जाना जाता है।
ग्रहों के अशुभ योग से व्यक्ति को जीवन भर दुख भोगने पड़ जाते हैं। ऐसी भी योग के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। जिसके कुंडली में आने के प्रभाव से व्यक्ति का जीवन संकट में हो जाता है। जिसका जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है, आइए जानते हैं ऐसा कौन सा योग है जिस के भाव से कुंडली प्रभावित होती है। चांडाल योग कुंडी को प्रभावित करता है, जिसमें गुरु और राहु के संयोग होने की वजह से जातक की कुंडली इतनी प्रभावित होती है कि वह गलत काम करने पर उतर जाता है। जी हां, चांडाल योग के दुष्प्रभाव यही है कि वह जातक को इस प्रकार से प्रभावित करता है। कि उसका चरित्र भ्रष्ट होने लगता है. वह बड़ों का आदर-सम्मान भूल जाता है। यहां तक कि पराई स्त्रियों की तरफ ध्यान आकर्षित कर देता है। गुरु ग्रह बड़े ही शुभचिंतक होते हैं लेकिन जब इनके केंद्र में राहु आ जाता है तो चांडाल योग का रूप ले लेता है यानी कि यह योग अच्छा नहीं माना जाता।

आपको बता दें कि जन्म कुंडली में गुरु लग्न पंचम, सप्तम, नवम और दशम भाव का स्वामी चांडाल योग बनाता है तो व्यक्ति को जीवन में बड़ा ही संघर्ष करना पड़ता है। बार-बार गलतियां कर नुकसान उठाना पड़ता है। यहां तक कि पद-प्रतिष्ठा भी खतरे में आ जाती है। यदि कुंडली में गुरु चांडाल योग प्रवेश करता है तो कुछ विशेष प्रभाव देखने को मिलते हैं। बताते हैं कि वह कौन-से प्रभाव है। जिससे कुंडली प्रभावित हो जाती है।
1. आप कुछ भी कर रहे होते हैं तो उसमें आपको नकारात्मक भाव देखने को मिलता है।

2. जब गुरु और राहु एक साथ बैठकर गुरु चांडाल योग बना रहे होते हैं तो व्यक्ति चरित्र वाला हो जाता है।

3. वहीं द्वितीय भाव बन रहा हो और जिसमें गुरु बलवान हो तो व्यक्ति धनवान होता है। वहीं यदि गुरु ग्रह कमजोर पड़ जाए तो जातक नशे का भी आदी हो जाता है।

4. चांडाल योग में राहु के बलवान होने पर व्यक्ति गलत कार्यों में लग जाता है। इसमें शराब पीना, जुआ खेलना आदि सम्मलित है।

5. जीवन में सुख शांति का अभाव होने लगता है।

• व्यक्तियों के लिए, शिक्षा और करियर में पूर्ण रुप से श्रेष्ठता प्राप्त करना कठिन होता जाता है।

• मीडियाकर्मी, अत्यधिक संख्या में अपनी नौकरियां खो सकते हैं।

• स्वतंत्रतापूर्वक निर्णय लेना कठिन हो जाता है।

• परिवार पर हमेशा आर्थिक संकट और पारिवारिक विवाद बना रह सकता है तथा पिता-पुत्र में भी अनबन हो सकती है।

• लीवर के खराब होने से अस्थमा, पीलिया, उच्च रक्तचाप, कैंसर, पुरानी कब्ज और यकृत से संबंधित समस्याएं जैसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं संकटदायक हो सकती हैं।

• व्यक्तियों द्वारा लिए गए आवेशपूर्ण निर्णय हानि का कारण बन सकते हैं।

• व्यक्ति इतना स्वतंत्र और जिद्दी हो जाता है कि कभी-कभी उसका, अन्य व्यक्तियों के साथ काम करना भी मुश्किल हो जाता है।

• घोटालों का सामना करने के कारण जेल में रहना पड़ सकता है।

• पैतृक संपत्ति प्राप्त करना कठिन हो सकता है।

• निपुणता के बाद भी, इच्छित परिणामों की प्राप्ति नहीं होती है।

• व्यक्ति स्वेच्छापूर्वक बेईमानी और अनैतिकता की ओर जाता है।

जन्म कुंडली के प्रथम भाव यानी लग्न में गुरु और राहु एक साथ बैठकर गुरु चांडाल योग बना रहे हों तो व्यक्ति संदिग्ध चरित्र वाला होता है। ऐसा व्यक्ति न केवल अनैतिक संबंधों में रुचि लेता है बल्कि हर सच्चे-झूठे कार्य करके धन अर्जित करता है। ऐसा व्यक्ति धर्म को ज्यादा महत्व नहीं देता।
द्वितीय भाव धन स्थान में गुरु चांडाल योग बन रहा हो और गुरु बलवान हो तो व्यक्ति धनवान तो होता है, लेकिन यह पैसों का बुरी तरह अपव्यय करता है। यदि गुरु कमजोर हो तो जातक नशे का आदी होता है। ऐसे व्यक्ति की अपने परिवार से नहीं बनती है।
तृतीय भाव में गुरु व राहु के होने से जातक साहसी व पराक्रमी होता है। गुरु के बलवान होने पर जातक लेखन कार्य में प्रसिद्ध पाता है और राहु के बलवान होने पर व्यक्ति गलत कार्यों में कुख्यात हो जाता है। वह जुएं जैसे कार्यों में धन गंवाता है।
कुंडली के चौथे भाव में गुरु चांडाल योग बनने से व्यक्ति बुद्धिमान व समझदार होता है। लेकिन यदि गुरु कमजोर हो तो व्यक्ति पारिवारिक कार्यों में रुचि नहीं लेता। सुख शांति अभाव होता है और व्यक्ति मानसिक रूप से विचलित रहता है।

यदि पंचम भाव में गुरु चांडाल योग बन रहा हो और बृहस्पति नीच का है तो संतान को कष्ट होता है। ऐसे व्यक्ति की संतानें पथभ्रष्ट होकर अनैतिक कार्यों में संलग्न हो जाती है। उनकी शिक्षा में रूकावटें आती हैं। राहु यदि गुरु से अधिक बलवान है तो व्यक्ति अस्थिर विचारों वाला होता है।
षष्ठम भाव में यह योग बन रहा हो और गुरु प्रबल हो तो व्यक्ति उत्तम स्वास्थ्य का मालिक होता है। छठा भाव स्वास्थ्य का स्थान होता है। यदि राहु बलवान है तो व्यक्ति कई तरह की शारीरिक परेशानियों से जूझता रहता है। उसे कमर के नीचे के रोग परेशान करते हैं।
सातवां भाव दांपत्य सुख का स्थान होता है। यदि इस भाव में गुरु चांडाल योग बना हुआ है और गुरु पर अन्य शत्रु ग्रहों की दृष्टि है तो व्यक्ति का वैवाहिक जीवन कष्टकर होता है। यदि इस योग में राहु बलवान है तो जीवनसाथी से तालमेल का अभाव रहता है।
यदि अष्टम भाव में गुरु चांडाल योग बन रहा हो और गुरु कमजोर है तो जीवनभर दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। बार-बार चोट लगती है और इलाज में खर्च अधिक होता है। राहु अत्यंत प्रबल हो तो ऐसा व्यक्ति आत्महत्या तक का कदम उठा सकता है।

अपमानजनक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है
व्यक्ति नास्तिक किस्म का होता है
यदि नवम भाव में गुरु चांडाल योग बन रहा हो और गुरु कमजोर हो तो व्यक्ति नास्तिक किस्म का होता है। अपने माता-पिता से इसका विवाद बना रहता है। ऐसे व्यक्ति को सामाजिक जीवन में अपमानजनक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
दशम भाव कर्म स्थान होता है। यदि इस भाव में गुरु चांडाल योग बन रहा हो तो व्यक्ति में नैतिक साहस की कमी होती है और इसे पद, प्रतिष्ठा पाने में बाधाएं आती हैं। बिजनेस और जॉब में बार-बार बदलाव होता है। गुरु बलवान होने पर परेशानियों से कुछ हद तक राहत मिल जाती है।
एकादश भाव में गुरु चांडाल योग बने और राहु बलवान हो तो व्यक्ति गलत तरीके से धन अर्जित करता है। धन पाने के लिए ऐसा व्यक्ति कुछ भी करने के लिए तैयार रहता है। ऐसे व्यक्ति के मित्रों की संगत अच्छी नहीं रहती और खुद भी गलत कार्य करने लगता है।
द्वादश भाव में बनने वाला गुरु चांडाल योग व्यक्ति को धोखेबाज बनाता है। ऐसा व्यक्ति धर्म की आड़ में लोगों को धोखा देता है। खर्च करने की प्रवृत्ति अधिक रहती है। गुरु के बलवान होने पर व्यक्ति अति कंजूस प्रकृति का होता है।
गुरु चांडाल योग में राहु के कारण गुरु अपना शुभ प्रभाव नहीं दिखा पाता
इन सबसे बचने के लिए कुछ उपाय बताए जाते हैं। जिन्हें जान लेना बेहद जरूरी है क्योंकि चांडाल योग जीवन को तहस-नहस कर देता है ।
गुरु चांडाल योग में राहु के कारण गुरु अपना शुभ प्रभाव नहीं दिखा पाता है। यदि चांडाल योग गुरु या इसके मित्र ग्रह की राशि में बन रहा हो तो राहु को शांत करने के उपाय करना होते हैं ताकि राहु का बुरा प्रभाव कम हो और गुरु का शुभ प्रभाव बढ़े। इसके लिए राहु के वैदिक मंत्रों का जाप करवाया जाता है। इसके बाद कुल मंत्र संख्या का दशांश हवन करवाना होता है। यदि यह दोष गुरु की शत्रु राशि में बन रहा हो तो राहु और गुरु दोनों की शांति के उपाय किए जाते हैं।
इसके लिए नियमित रूप से गाय को चारा खिलाना और हनुमान आराधना जैसे उपाय भी किए जाते हैं।

भगवान विष्णु की आराधना करने से, गुरु चांडाल योग के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं।

- "दो मुखी रुद्राक्ष" (दो मुखी रुद्राक्ष) को पीसने से राहु, केतु और गुरु की नकारात्मकता को प्रभावहीन किया जा सकता है।

- बृहस्पति का हवन से हानिकारक प्रभावों को निष्प्रभावी किया जा सकता है।

- गुरु चांडाल दोष के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए, नियमित रूप से, भगवान गणेश का पूजन किया जा सकता है।

- सोने में जड़ित पुखराज धारण किया जा सकता है। हालांकि, पुखराज धारण करने से पहले किसी ज्योतिषी से सलाह ले लेनी चाहिए।

- माता-पिता, सास, बुजुर्गों, शिक्षकों, संतों और गुरुओं का सम्मान करना चाहिए।

- गुरु, राहु और केतु के नकारात्मक प्रभावों को निष्प्रभावी करने के लिए, शिक्षक और ब्राह्मण को शहद, हल्दी और पीले वस्त्र देने चाहिए।

- पक्षियों और जानवरों का भरण-पोषण करने की आवश्यकता होती है।

- नियमित रूप से देवी बगलामुखी की पूजा-अर्चना की जा सकती है।

जीवन मे आने वालीं सभी प्रकार बाधाये, कष्ट, रोग, दोष, व्यापार में रुकावट,आर्थिक तंगी, मानसिक तनाव, सभी प्रकार की बाधाओं स...
21/04/2021

जीवन मे आने वालीं सभी प्रकार बाधाये, कष्ट, रोग, दोष, व्यापार में रुकावट,आर्थिक तंगी, मानसिक तनाव, सभी प्रकार की बाधाओं से रक्षा होने के लिये।
मंगलवार ओर शनिवार किसी भी हनुमान जी के मंदिर में चमेली के तेल का दीपक लगावे।
दीपक लगाकर भगवान से प्राथना करे।
ओर 10 मिनिट आसान पर बैठकर श्रद्धा , विश्वास पूर्वक मन्त्र का जाप करे।

ॐ आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम्‌ ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्‌ ॥

जय श्री महाकाल
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सूर्यभारतीय ज्योतिष में सूर्य को राजा  माना गया है।सूर्य आत्मा, आत्म संम्मान, यश, ख्याति, नेत्र, पिता,कार्य की सफलता,उच्...
20/04/2021

सूर्य

भारतीय ज्योतिष में सूर्य को राजा माना गया है।

सूर्य आत्मा, आत्म संम्मान, यश, ख्याति, नेत्र, पिता,कार्य की सफलता,उच्च अधिकारी, लक्ष्य,गोवरमेन्ट सुविधा, राजनीति,राजनैतिक कार्य, प्रधान सेवक, नगरपालिका अध्य्क्ष, IS, IPS, डॉक्टर, आदि का कारक है।

जन्मपत्रिका में सूर्य लग्न, द्वितीय , षष्ठ, दसम, एकादश , भाव मे , बलवान होकर विराजमान होने पर अत्यंत शुभ फल प्रदान करता है।

सूर्य -
हड्डी ,नेत्र,मोटा कपड़ा , मोटा अनाज, आदि का भी कारक है।

सूर्य के कमजोर होने पर
हड्डी सम्भन्धित विकार, नेत्र विकार, बालो का झड़ना, सरकारी नोकरी में रुकावट आना, राजनीतिक केरियर में असफल होना, प्रमोशन में रुकावट आना, बार बार कार्य मे असफल होना, पिता से वैचारिक मतभेद होना, आदि।

सूर्य को बलवान करने के लिये
प्रातः काल स्नानादि से निवृत होकर भगवान सूर्य को जल अर्पित करे।
जल चढ़ाने के उपरांत लाल आसान पर बैठकर नियमित रूप से 3 बार आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करे।
भगवान सूर्य से पार्थना करे।

रविवार को लाल वस्तु का दान करे।
जेसे, लाल मसूर, गेंहू, ताँबा, गुड़, लाल कपड़ा, सोना, मोटा अनाज, मोटा कपड़ा,

ॐ सूर्याय नमः मन्त्र का जाप करे।

जय श्री महाकाल
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मंगल दोष विचारजन्मपत्रिका में मंगल लग्न,द्वितीय,चतुर्थ,सप्तम,अष्ठम,द्वादश, स्थान पर मंगल के होने पर जन्म पत्रिका मांगलिक...
18/04/2021

मंगल दोष विचार
जन्मपत्रिका में मंगल लग्न,द्वितीय,चतुर्थ,सप्तम,अष्ठम,द्वादश, स्थान पर मंगल के होने पर जन्म पत्रिका मांगलिक मानी जाती है।

मंगल के प्रकार
पाग मंगल
पगड़ी मंगल
चूड़ा मंगल
चुनरी मंगल
सामान्य मंगल

जन्म पत्रिका में विभिन्न प्रकार से मंगल का विचार
वैदिक ज्योतिष में मंगल का विचार अनेक प्रकार से किया जाता है।
लग्न से मंगल
चन्द्र से मंगल
शुक्र से मंगल
सप्तमेश से मंगल
का विचार किया जाता है।
मंगल का विचार विशेषतया मिलान प्रक्रिया के अंतर्गत अधिक महत्वपूर्ण होता है।
जय श्री महाकाल

16/04/2021

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