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गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुरेव परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥:
10/07/2025

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुरेव परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥:

21/06/2025
🌿कलौंजी🌿 हमारे भारतीय घरों में मसालों के संदूक का एक छोटा सा, काला सा मगर अत्यंत स्वास्थ्यप्रद बीज " #कलौंजी", (किरायता)...
11/03/2025

🌿कलौंजी🌿
हमारे भारतीय घरों में मसालों के संदूक का एक छोटा सा, काला सा मगर अत्यंत स्वास्थ्यप्रद बीज " #कलौंजी", (किरायता)... जिसका प्रयोग औषधि, सौन्दर्य प्रसाधन, मसाले तथा खुशबू के लिए पकवानों में किया जाता है.

“निजेला सेटाइवा” को अंग्रेजी में फेनेल फ्लावर, नटमेग फ्लावर, लव-इन-मिस्ट (क्योंकि इसका फूल लव-इन-मिस्ट के फूल जैसा होता है), रोमन कारिएंडर, काला बीज, काला केरावे और काले प्याज का बीज भी कहते हैं.

अधिकतर लोग इसे प्याज का बीज ही समझते हैं क्योंकि इसके बीज प्याज जैसे ही दिखते हैं. लेकिन प्याज और काला तिल बिल्कुल अलग पौधे हैं. उसी प्रकार ये चिरायता और चिलौंजी से भी अलग है.

इसे संस्कृत में #कृष्णजीरा, उर्दू में كلونجى कलौंजी, बांग्ला में #कालाजीरो, मलयालम में करीम जीराकम, रूसी में #चेरनुक्षा, तुर्की में çörek otu कोरेक ओतु, फारसी में शोनीज, अरबी में हब्बत-उल-सौदा, हब्बा-अल-बराकाحبه البركة, तमिल में करून जीरागम और तेलुगु में नल्ला जीरा कारा कहते हैं.

इसका स्वाद हल्का कड़वा व तीखा और गंध तेज होती है. इसका प्रयोग विभिन्न व्यंजनों नान, ब्रेड, केक और आचारों में किया जाता है. चाहे बंगाली नान हो या पेशावरी खुब्जा (ब्रेड नान या कश्मीरी) पुलाव हो कलौंजी के बीजों से जरूर सजाये जाते हैं.

कलौंजी में पोषक तत्वों का अंबार लगा है। इसमें 35% कार्बोहाइड्रेट, 21% प्रोटीन और 35-38% वसा होते है. इसमें 100 ज्यादा महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं. इसमें आवश्यक वसीय अम्ल 58% ओमेगा-6 (लिनोलिक अम्ल), 0.2% ओमेगा-3 (एल्फा- लिनोलेनिक अम्ल) और 24% ओमेगा-9 (मूफा) होते हैं. इसमें 1.5% जादुई उड़नशील तेल होते है जिनमें मुख्य निजेलोन, थाइमोक्विनोन, साइमीन, कार्बोनी, लिमोनीन आदि हैं. निजेलोन में एन्टी-हिस्टेमीन गुण हैं, यह श्वास नली की मांस पेशियों को ढीला करती है, प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करती है और खांसी, दमा, ब्रोंकाइटिस आदि को ठीक करती है.

थाइमोक्विनोन बढ़िया एंटी-आक्सीडेंट है, कैंसर रोधी, कीटाणु रोधी, फंगस रोधी है, यकृत का रक्षक है और असंतुलित प्रतिरक्षा प्रणाली को दुरूस्त करता है. तकनीकी भाषा में कहें तो इसका असर इम्यूनोमोड्यूलेट्री है. कलौंजी में केरोटीन, विटामिन ए, बी-1, बी-2, नायसिन व सी और केल्शियम, पोटेशियम, लोहा, मेग्नीशियम, सेलेनियम व जिंक आदि खनिज होते हैं. कलौंजी में 15 अमीनो अम्ल होते हैं जिनमें 8 आवश्यक अमाइनो एसिड हैं. ये प्रोटीन के घटक होते हैं और प्रोटीन का निर्माण करते हैं. ये कोशिकाओं का निर्माण व मरम्मत करते हैं. शरीर में कुल 20 अमाइनो एसिड होते हैं जिनमें से आवश्यक 9 शरीर में नहीं बन सकते अतः हमें इनको भोजन द्वारा ही ग्रहण करना होता है.

अमाइनो एसिड्स मांस पेशियों, मस्तिष्क और केंन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के लिए ऊर्जा का स्रोत हैं, एंटीबॉडीज का निर्माण कर रक्षा प्रणाली को पुख्ता करते है और कार्बनिक अम्लों व शर्करा के चयापचय में सहायक होते हैं.

जेफरसन फिलाडेल्फिया स्थित किमेल कैंसर संस्थान के शोधकर्ताओं ने चूहों पर प्रयोग कर निष्कर्ष निकाला है कि कलौंजी में विद्यमान थाइमोक्विनोन अग्नाशय कैंसर की कोशिकाओं के विकास को बाधित करता है और उन्हें नष्ट करता है. शोध की आरंभिक अवस्था में ही शोधकर्ता मानते है कि शल्यक्रिया या विकिरण चिकित्सा करवा चुके कैंसर के रोगियों में पुनः कैंसर फैलने से बचने के लिए कलौंजी का उपयोग महत्वपूर्ण होगा. थाइमोक्विनोन इंटरफेरोन की संख्या में वृद्धि करता है, कोशिकाओं को नष्ट करने वाले विषाणुओं से स्वस्थ कोशिकाओं की रक्षा करता है, कैंसर कोशिकाओं का सफाया करता है और एंटी-बॉडीज का निर्माण करने वाले बी कोशिकाओं की संख्या बढ़ाता है.

कलौंजी का सबसे ज्यादा कीटाणुरोधी प्रभाव सालमोनेला टाइफी, स्यूडोमोनास एरूजिनोसा, स्टेफाइलोकोकस ऑरियस, एस. पाइरोजन, एस. विरिडेन्स, वाइब्रियो कोलेराइ, शिगेला, ई. कोलाई आदि कीटाणुओं पर होती है. यह ग्राम-नेगेटिव और ग्राम-पोजिटिव दोनों ही तरह के कीटाणुओं पर वार करती है.

विभिन्न प्रयोगशालाओं में इसकी कीटाणुरोधी क्षमता ऐंपिसिलिन के बराबर आंकी गई. यह फंगस रोधी भी होती है.

कलौंजी में मुख्य तत्व थाइमोक्विनोन होता है. विभिन्न भेषज प्रयोगशालाओं ने चूहों पर प्रयोग करके यह निष्कर्ष निकाला है कि थाइमोक्विनोन टर्ट-ब्यूटाइल हाइड्रोपरोक्साइड के दुष्प्रभावों से यकृत की कोशिकाओं की रक्षा करता है और यकृत में एस.जी.ओ.टी व एस.जी.पी.टी. के स्राव को कम करता है.

कई शोधकर्ताओं ने वर्षों की शोध के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि कलौंजी में उपस्थित उड़नशील तेल रक्त में शर्करा की मात्रा कम करते हैं.

कलौंजी दमा, अस्थिसंधि शोथ आदि रोगों में शोथ (इन्फ्लेमेशन) दूर करती है. कलौंजी में थाइमोक्विनोन और निजेलोन नामक उड़नशील तेल श्वेत रक्त कणों में शोथ कारक आइकोसेनोयड्स के निर्माण में अवरोध पैदा करते हैं, सूजन कम करते हैं ओर दर्द निवारण करते हैं। कलौंजी में विद्यमान निजेलोन मास्ट कोशिकाओं में हिस्टेमीन का स्राव कम करती है, श्वास नली की मांस पेशियों को ढीला कर दमा के रोगी को राहत देती हैं.

शोधकर्ता कलौंजी को पेट के कीड़ो (जैसे टेप कृमि आदि) के उपचार में पिपरेजीन दवा के समकक्ष मानते हैं. पेट के कीड़ो को मारने के लिए आधी छोटी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच सिरके के साथ दस दिन तक दिन में तीन बार पिलाते हैं. मीठे से परहेज जरूरी है.

मिस्र के वैज्ञानिक डॉ॰ अहमद अल-कागी ने कलौंजी पर अमेरीका जाकर बहुत शोध कार्य किया, कलौंजी के इतिहास को जानने के लिए उन्होंने इस्लाम के सारे ग्रंथों का अध्ययन किया. उन्होंने माना कि कलौंजी, जो मौत के सिवा हर मर्ज को ठीक करती है, का बीमारियों से लड़ने के लिए अल्ला ताला द्वारा हमें दी गई प्रति रक्षा प्रणाली से गहरा नाता होना चाहिये. उन्होंने एड्स के रोगियों पर इस बीज और हमारी प्रति रक्षा प्रणाली के संबन्धों का अध्ययन करने के लिए प्रयोग किये. उन्होंने सिद्ध किया कि एड्स के रोगी को नियमित कलौंजी, लहसुन और शहद के केप्स्यूल (जिन्हें वे कोनीगार कहते थे) देने से शरीर की रक्षा करने वाली टी-4 और टी-8 लिंफेटिक कोशिकाओं की संख्या में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है. अमेरीकी संस्थाओं ने उन्हें सीमित मात्रा में यह दवा बनाने की अनुमति दे दी थी.

मिस्र, जोर्डन, जर्मनी, अमेरीका, भारत, पाकिस्तान आदि देशों के 200 से ज्यादा विश्वविद्यालयों में 1959 के बाद कलौंजी पर बहुत शोध कार्य हुआ है. 1996 में अमेरीका की एफ.डी.ए. ने कैंसर के उपचार, घातक कैंसर रोधी दवाओं के दुष्प्रभावों के उपचार और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सुदृढ़ करने के लिए कलौंजी से बनी दवा को पेटेंट पारित किया था.

कलौंजी दूग्ध वर्धक और मूत्र वर्धक होती है. कलौंजी जुकाम ठीक करती है और कलौंजी का तेल गंजापन भी दूर करता है. कलौंजी के नियमित सेवन से पागल कुत्ते के काटे जाने पर भी लाभ होता है.

लकवा, माइग्रेन, खांसी, बुखार, फेशियल पाल्सी के इलाज में यह फायदा पहुंचाती हैं. दूध के साथ लेने पर यह पीलिया में लाभदायक पाई गई है. यह बवासीर, पाइल्स, मोतिया बिंद की आरंभिक अवस्था, कान के दर्द व सफेद दाग में भी फायदेमंद है. कलौंजी को विभिन्न बीमारियों में इस प्रकार प्रयोग किया जाता है.

कैंसर के उपचार में कलौंजी के तेल की आधी बड़ी चम्मच को एक गिलास अंगूर के रस में मिलाकर दिन में तीन बार लें. लहसुन भी खुब खाएं. 2 किलो गेहूँ और 1 किलो जौ के मिश्रित आटे की रोटी 40 दिन तक खिलाएं. आलू, अरबी और बैंगन से परहेज़ करें.

खाँसी व दमा छाती और पीठ पर कलौंजी के तेल की मालिश करें, तीन बड़ी चम्मच तेल रोज पीयें और पानी में तेल डाल कर उसकी भाप लें.

अवसाद और सुस्ती में एक गिलास संतरे के रस में एक बड़ी चम्मच तेल डाल कर 10 दिन तक सेवन करें. आप को बहुत फर्क महसूस होगा.

स्मरणशक्ति और मानसिक चेतना के लिए एक छोटी चम्मच तेल 100 ग्राम उबले हुए पुदीने के साथ सेवन करें.

मधुमेह में एक कप कलौंजी के बीज, एक कप राई, आधा कप अनार के छिलके और आधा कप पित्तपापड़ा को पीस कर चूर्ण बना लें. आधी छोटी चम्मच कलौंजी के तेल के साथ रोज नाश्ते के पहले एक महीने तक लें.

गुर्दे की पथरी और मूत्राशय की पथरी में पाव भर कलौंजी को महीन पीस कर पाव भर शहद में अच्छी तरह मिला कर रख दें. इस मिश्रण की दो बड़ी चम्मच को एक कप गर्म पानी में एक छोटी चम्मच तेल के साथ अच्छी तरह मिला कर रोज नाश्ते के पहले पियें.

उल्टी और उबकाई एक छोटी चम्मच कार्नेशन और एक बड़ी चम्मच तेल को उबले पुदीने के साथ दिन में तीन बार लें.

हृदय रोग, रक्त चाप और हृदय की धमनियों का अवरोध के लिए जब भी कोई गर्म पेय लें, उसमें एक छोटी चम्मच तेल मिला कर लें, रोज सुबह लहसुन की दो कलियां नाश्ते के पहले लें और तीन दिन में एक बार पूरे शरीर पर तेल की मालिश करके आधा घंटा धूप का सेवन करें। यह उपचार एक महीने तक लें.

सफेद दाग और कुष्ठ रोग 15 दिन तक रोज पहले सेब का सिरका मलें, फिर कलौंजी का तेल मलें.

कमर दर्द और गठिया हल्का गर्म करके जहां दर्द हो वहां मालिश करें और एक बड़ी चम्मच तेल दिन में तीन बार लें. 15 दिन में बहुत आराम मिलेगा.

सिर दर्द में माथे और सिर के दोनों तरफ कनपटी के आस-पास कलौंजी का तेल लगायें और नाश्ते के पहले एक चम्मच तेल तीन बार लें कुछ सप्ताह बाद सर दर्द पूर्णतः खत्म हो जायेगा.

अम्लता और आमाशय शोथ एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल एक प्याला दूध में मिलाकर रोज पांच दिन तक सेवन करने से आमाशय की सब तकलीफें दूर हो जाती है.

बाल झड़ना बालों में नीबू का रस अच्छी तरह लगाये, 15 मिनट बाद बालों को शैंपू कर लें व अच्छी तरह धोकर सुखा लें, सूखे बालों में कलौंजी का तेल लगायें एक सप्ताह के उपचार के बाद बालों का झड़ना बन्द हो जायेगा.

नेत्र रोग और कमजोर नजर रोज सोने के पहले पलकों ओर आँखो के आस-पास कलौंजी का तेल लगायें और एक बड़ी चम्मच तेल को एक प्याला गाजर के रस के साथ एक महीने तक लें.

दस्त या पेचिश में एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक चम्मच दही के साथ दिन में तीन बार लें दस्त ठीक हो जायेगा.

रूसी 10 ग्राम कलौंजी का तेल, 30 ग्राम जैतून का तेल और 30 ग्राम पिसी मेहंदी को मिला कर गर्म करें. ठंडा होने पर बालों में लगाएं और एक घंटे बाद बालों को धो कर शैंपू कर लें.

मानसिक तनाव एक चाय की प्याली में एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल डाल कर लेने से मन शांत हो जाता है और तनाव के सारे लक्षण ठीक हो जाते हैं.

इसके अतिरिक्त सुन्दर व आकर्षक चेहरे के लिए, एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच जैतून के तेल में मिला कर चेहरे पर मलें और एक घंटे बाद चेहरे को धोलें. कुछ ही दिनों में आपका चेहरा चमक उठेगा.

एक बड़ी चम्मच तेल को एक बड़ी चम्मच शहद के साथ रोज सुबह लें, आप तंदुरूस्त रहेंगे और कभी बीमार नहीं होंगे.

कलौंजी के बारे में कई प्राचीन ग्रन्थों में बताया गया है कि कलौंजी एक महान औषधि है जिसमें हर रोग से लड़ने की अपार, असिमित और अचूक क्षमता है.

अन्त में #कलौंजी की महिमा इस एक शेर में..

"खुदा ने क्या खूब ये कलौंजी बनाई है.
जो मौत के सिवा हर मर्ज की दवाई है.."

कलौंजी के बीज कहते है कि ..."हम काले है तो क्या हुआ, गुण वाले हैं.."
🌿जोशी आयुर्वेदा अमरगढ़🌿
9914141638
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🌿घरेलू दंतमंजन🌿बादाम का छिलका जलाकर उसमें चौथाई हिस्सा फिटकरी मिलाकर बारीक पीस लें। इसका प्रतिदिन मंजन करना चाहिए। इससे ...
09/03/2025

🌿घरेलू दंतमंजन🌿

बादाम का छिलका जलाकर उसमें चौथाई हिस्सा फिटकरी मिलाकर बारीक पीस लें। इसका प्रतिदिन मंजन करना चाहिए। इससे दांतों के सभी रोग दूर हो जाते हैं तथा दांत निरोग रहता है।

🌿🌿🌿
5 ग्राम सेंकी हुई फिटकरी, 60 ग्राम त्रिफला चूर्ण, 15 लौंग, 8 ग्राम सेंधा नमक, 10 ग्राम माजूफल को एक साथ पीसकर मैदा की छलनी से छान लेते हैं। इसे प्रतिदिन भोजन करने के बाद सुबह-शाम दांतों की जड़ों व मसूढ़ों पर लेप करें और 15 मिनट तक लगा रहने दें और लार को टपकाते रहें। इससे दांतों का दर्द दूर हो जाता है तथा दांत मजबूत हो जाते हैं।

🌿🌿🌿
लगभग 125 ग्राम लाल फिटकरी को सेंककर राख बनाकर इसमें 25-25 दाने कालीमिर्च, लौंग तथा 30 ग्राम सेंधा नमक को बहुत बारीक पीसकर सुबह-शाम 2 बार रोजाना मंजन करें। मंजन दांतों के बाहर भीतर दोनों ओर करें तथा 10 मिनट बाद कुल्ला करें। इससे पायरिया, रक्तस्राव तथा दांत दर्द में लाभ मिलता है। इस मंजन को एक सप्ताह तक लगातार करने से बहुत लाभ मिलता है।

🌿🌿🌿
100 ग्राम भुनी हुई फिटकरी, 20 ग्राम पिसी हुई लौंग, 100 ग्राम पिसी हुई हल्दी, 100 ग्राम पिसा हुआ सेंधा नमक, 100 ग्राम नीम के पिसे हुए पत्ते या छाल या बबूल की छाल इन सभी को मिलाकर बारीक पीसकर पाउडर बना लें। इससे प्रतिदिन मंजन करने से दांतों के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं।

🌿🌿🌿
फिटकरी 8 ग्राम तथा सेंधा नमक 4 ग्राम को बारीक पीसकर मंजन बना लें। इस मंजन को प्रतिदिन दांतों पर मलने से दांतों के दर्द में आराम मिलता है तथा दांत मजबूत होते हैं।
🌿जोशी आयुर्वेदा अमरगढ़🌿
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🌿शंखपुष्पी की सही पहचान🌿    #नाम - संस्कृत - शंखपुष्पी.हिन्दी - शंखाहुलीबंगला - शंखाहुलीमराठी - शंखावलीगुजराती - शंखावली...
08/03/2025

🌿शंखपुष्पी की सही पहचान🌿

#नाम -
संस्कृत - शंखपुष्पी.
हिन्दी - शंखाहुली
बंगला - शंखाहुली
मराठी - शंखावली
गुजराती - शंखावली.
कर्णाटकी - शंखपुष्पी
लैटिन - Evolvulus Ereeta

#गुण- शंखपुष्पी दस्तावर, मेधा को हितकारी, वीर्यवर्द्धक, मानसिक रोगों को नष्ट करनेवाली, रसायन, कसैली, गरम, स्मृति, कान्ति, बल तथा अग्नि को बढ़ानेवाली और दोष, अपस्मार, भूत, अलक्ष्मी, कोढ़, कृमि तथा विष को नष्ट करने वाली हैं ॥२७२-२७३ भावप्रकाश निघंटु

#शंखपुष्पी_के_प्रकार - पुष्प भेद से शंखपुष्पी ३ प्रकार की है। यथा १- श्वेतपुष्पी,२ रक्तपुष्पी,३ नीलपुष्पी । किन्तु शंखपुष्पी कहने पर श्वेतपुष्पी का ही ग्रहण होता ह । शुक्लपुष्पी को शंखपुष्पी के भेदों से से अलग समझाने के लिए महर्षि धन्वन्तरि ने उसके चिह्न कुछ इस प्रकार कहते हैं।

शुक्लपुष्पी भूमिलग्ना ह्रस्वा सा शंखपुष्पिका" अर्थात् शुक्लपुष्पी शंखपुष्पी के क्षुप अन्यापेक्षा ह्रस्वतरा तथा इसके पुष्प शंख की तरह आवर्तान्वित होते हैं। रक्तपुष्पी के लिए लिखा है "सूक्ष्मपत्रांतरा ज्ञेया, सर्पाक्षी रक्तपुष्पिका" जिसका पत्र अन्यात सूक्ष्मतर हो उसे रक्तपुष्पी शंखपुष्पी कहते हैं। सर्पाक्षी इसका नामन्तर है अथवा सर्प के आँख की तरह रक्त पुष्पवाली छोटे-छोटे पत्र युक्त रक्तपुष्पी शंखपुष्पी है।

#वर्णन- शंखपुष्पी के क्षुप(पौधे) आर्द्र वा जलासन्न भूमि में अधिक पैदा होते हैं क्षुप कांड बहुत ऊँचा होने पर १ हाथ ऊँचा होता है। कांड चतुष्कोण होता है, जोकि पंख की तरह निकला हुआ तथा बहुशाखान्वित होता है। पत्र -- पतले, लम्बे, तीन सिराओं से युक्त, अवृन्तक एवं नाना आकृति के होते हैं।

#फल- शाखाग्र व पाश्र्वाग्र भूमि में लगे होते हैं। विशेषता यह है कि शाखाग्र के पुष्प तीन पर्दे से युक्त होते हैं जो प्रत्येक श्वेत होते हैं। यह वर्षाऋतु में पुष्पित होती है। एक तरह का एक और क्षुप ऐसे ही होता है, किन्तु उसके पुष्प शंख की तरह आवर्तित न होकर घंटाकार होते हैं। कली की अवस्था रहने पर इनकी आकृति शंख की तरह होती है। बहुत से वैद्य इसे ही शंखाहुली कह कर प्रयोग में लाते हैं। यह भी उपर्युक्त गुणवाली है ।

शंखपुष्पी के बेल को बहुत ही गुणकारी बताया गया हैं। शंखपुष्पी का प्रयोग महिला, पुरुष बच्चों और बुजुर्गो के रोगों के उपचार के लिए बहुत ही फायदेमंद होता हैं, शंखपुष्पी का देवी-देवताओं के पूजा के साथ-साथ तांत्रिक प्रयोग मे उपयोग की जाती हैं, आइये इसके औषधीय गुणों के बारे मे जाने...

#सिरदर्द_माइग्रेन
शंखपुष्पी चूर्ण 50 ग्राम, ब्राह्मी चूर्ण 50 ग्राम, शतावरी चूर्ण 50 ग्राम, यष्टिमधु चूर्ण 50 ग्राम, अश्वगंधा चूर्ण 50 ग्राम
निर्माण विधि - सबको बराबर मिलाकर कांच के बर्तन में रखें।
सेवन विधि - 1-1 ग्राम की मात्रा में औषधि दूध से सुबह सूर्योदय से पूर्व एवं शाम को सूर्यास्त के समय लें।

#स्मरण_शक्ति_बढ़ाने_के_लिए -
गुडूच्यपामार्गविडङ्गशङ्खिनी वचाभयाशुण्ठिशतावरी समम् ।
घृतेन लीढं प्रकरोति मानवं त्रिभिर्दिनैः श्लोकसहस्रधारिणम् ।।
गिलोय, चिरचिटा, बायबिडंग, शंखाहोली (शंखपुष्पी), बच, हर्र, सोंठ और शतावर समान भाग लेकर चूर्ण करें। इसे घृत में मिलाकर चाटने से ३ दिनमें ही स्मरण शक्ति इतनी हो जाती है कि प्रतिदिन १ सहस्र श्लोक कण्ठ किए जा सकते हैं ।
#सेवन_विधि - 3 ग्राम चूर्ण 10 ग्राम घृत में मिलाकर प्रातः सायं चाट कर ऊपर से मिश्री युक्त दूध पीना चाहिए ।

#बालों_के_लिए_केश_तेल :- भांगरा रस 2 किलो और तिल का तेल 750 ग्राम में नीचे लिखी दवाओं को कूट-पीस कर मिलायें - हल्दी, आंवला, हरड़, बहेड़ा, नागरमोथा, चन्दन सफेद, मुलहठी, सुगन्ध बाला, जटामांसी, मेंहदी, 10-10ग्राम तथा ब्राह्मी 20 ग्राम एवं शंखपुष्पी 20 ग्राम। अब इसी में 1 किलो दूध डालकर पकाएं। जब मात्र तेल बाकी बचे तो उतार छानकर रख लें। चाहें तो इसमें कोई सुगन्ध मिला सकते हैं। यों यह तेल स्वतः सुगन्धित रहता है। यदि इसमें डाली जाने वाली कोई वनस्पति न मिले तो उसे छोड़ सकते हैं। इसमें मुख्य औषधि भांगरे का रस ही है। इस तेल को प्रतिदिन सिर में लगायें। इससे असमय में बाल सफेद होना, झड़ना, पतले पड़ जाना, गंजापन आदि में बहुत लाभ होता है। इससे सिर दर्द भी मिटता है एवं शान्त निद्रा आती है। प्रतिदिन 3-4 बूंद इसका नस्य भी लेते रहना चाहिए ।
🌿जोशी आयुर्वेदा अमरगढ़ 🌿
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🌹मधुमेह (डायबिटीज) का आयुर्वेदिक इलाज :-----जीवनशैली, आहार और औषधियों के संतुलन पर आधारित होता है। आयुर्वेद में इसे "प्र...
03/03/2025

🌹मधुमेह (डायबिटीज) का आयुर्वेदिक इलाज :-----

जीवनशैली, आहार और औषधियों के संतुलन पर आधारित होता है। आयुर्वेद में इसे "प्रमेह" कहा जाता है। नीचे कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियाँ और घरेलू उपाय दिए गए हैं जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।

🌺 1. प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियाँ:---

(1) विजय सार (Pterocarpus Marsupium) – "मधुमेह कंट्रोल करने की प्राकृतिक दवा"--

विजय सार की लकड़ी को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट पीना लाभदायक होता है।

यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने और अग्न्याशय (Pancreas) की कार्यक्षमता बढ़ाने में सहायक है।

(2) गुड़मार (Gymnema Sylvestre) – "शुगर नष्ट करने वाली जड़ी-बूटी"--

इसे "मधुनाशिनी" भी कहा जाता है क्योंकि यह शरीर में शुगर के अवशोषण को कम करता है।

रोज़ाना 1-2 ग्राम गुड़मार पाउडर गर्म पानी के साथ लेने से फायदा होता है।

(3) करेला (Bitter Gourd) – "ब्लड शुगर कम करने वाला प्राकृतिक उपाय" ---

करेला में "चारांटिन" नामक तत्व होता है जो इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है।

रोज़ाना खाली पेट 30-50ml करेले का रस पीने से लाभ होता है।

(4) जामुन (Black Plum) – "मधुमेह के लिए शक्तिशाली फल"

जामुन के बीज में जंबोलिन और जंबोसिन नामक तत्व होते हैं जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करते हैं।

1-2 ग्राम जामुन के बीज का चूर्ण रोज़ाना पानी के साथ लें।

(5) मेथी (Fenugreek) – "इंसुलिन बढ़ाने में मददगार"

रातभर पानी में भिगोई हुई 1 चम्मच मेथी के दाने सुबह खाली पेट चबाकर खाएं।

मेथी का पाउडर भी भोजन के साथ लिया जा सकता है।

(6) अश्वगंधा (Withania Somnifera) – "तनाव और ब्लड शुगर नियंत्रक"--

तनाव और थकान मधुमेह को बढ़ा सकते हैं।

अश्वगंधा पाउडर या कैप्सूल लेने से तनाव कम होता है और ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है।

2. घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय

🌺गिलोय (Tinospora Cordifolia) – 1 चम्मच गिलोय का रस या पाउडर रोज़ाना लें।
🌺दालचीनी (Cinnamon) – आधा चम्मच दालचीनी पाउडर गर्म पानी के साथ लें।
🌺अलसी (Flax Seeds) – रोज़ाना 1-2 चम्मच अलसी के बीज का सेवन करें।
🌺आंवला (Amla) – आंवला में विटामिन C होता है, जो इंसुलिन उत्पादन में मदद करता है।

3. आयुर्वेदिक नियम और दिनचर्या

👁️ संतुलित आहार – कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ खाएं।
👁️ योग और प्राणायाम – कपालभाति, अनुलोम-विलोम और मंडूकासन करें।
👁️पैदल चलें – हर रोज़ 30 मिनट टहलना फायदेमंद है।
👁️ तनाव कम करें – ध्यान (Meditation) करें।
निष्कर्ष :==
अगर आप नियमित रूप से इन आयुर्वेदिक औषधियों और घरेलू उपायों को अपनाते हैं तो मधुमेह को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। फिर भी, किसी भी आयुर्वेदिक औषधि को अपनाने से पहले डॉक्टर या वैद्य से परामर्श अवश्य लें। पोस्ट यदि अच्छा लगे तो लाइक करें, शेयर करें। 🙏🙏🙏

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गिलोय काढ़ा बनाने का सही तरीका 👇गिलोय काढ़े के लिए योग्य बेल 👇गिलोय की वयस्क बेल (लता) जिसका रंग हरा न हो, व उस पर भूरे ...
02/03/2025

गिलोय काढ़ा बनाने का सही तरीका 👇
गिलोय काढ़े के लिए योग्य बेल 👇
गिलोय की वयस्क बेल (लता) जिसका रंग हरा न हो, व उस पर भूरे रंग की पतली परत बन चुकी हो, उसी का उपयोग किया जाना ज्यादा फायदेमंद साबित होता है।

गिलोय काढ़ा 👇

सामग्री !👇

पीने का पानी 3 कप
गिलोय लता के दो दो इंच के 6 टुकड़े
पिसी हल्दी आधा चम्मच
अदरक का टुकड़ा 1 इंच
तुलसी के पत्ते 8 या 10
गुड - 10 ग्राम मात्र (कड़वा पन कम करने के लिए)

बनाने का तरीका 👇

सबसे पहले एक पैन में 3 कप पानी को मीडियम आंच पर उबलने के लिए रख दें।
अब इसमें बाकी सभी सामग्री को डालें और साथ गिलोय भी डाल दें, अब धीमी आंच पर इसे पकने दें।
जब पानी 1 कप जितना रह जाए और सभी चीजें अच्छे से पक जाएं तब गैस बंद कर दें।
किसी साफ सूती कपड़े या छन्नी से इसे छानकर कप में डालें और चाय की तरह पीएं।
गिलोय काढ़ा की पीने योग्य मात्रा 👇
गिलोय का काढ़ा प्रतिदिन एक कप या आधा कप से ज्यादा नहीं पीना चाहिए।

एक कप से ज्यादा मात्रा में काढ़ा पीने से आपको नुकसान भी हो सकते हैं।
गिलोय बेल पाचन तंत्र के सारे कामों को भली भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद करती है इससे व्यक्ति कब्ज और पेट की दूसरी गड़बड़ियों से बचा रहता है।

गर्भवती महिलाएं, नवजात बच्चों को काढ़ा देने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लें। 🙏

🌿जोशी आयुर्वेदा अमरगढ़ 🌿
9914141638
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■ " 🌿चूना अमृत है🌿 " ..■〰〰〰〰〰〰〰चूना जो आप पान में खाते है वो सत्तर बीमारी ठीक करदेते है ।जैसे किसी को पीलिया हो जाये मान...
02/03/2025

■ " 🌿चूना अमृत है🌿 " ..■
〰〰〰〰〰〰〰
चूना जो आप पान में खाते है वो सत्तर बीमारी ठीक कर
देते है ।

जैसे किसी को पीलिया हो जाये माने जॉन्डिस
उसकी सबसे अच्छी दवा है चूना ;
गेहूँ के दाने के बराबर चूना गन्ने के रस में मिलाकर पिलाने से बहुत जल्दी पीलिया ठीक कर देता है ।
और ये ही चूना नपुंसकता की सबसे अच्छी दवा है -

■ अगर किसी के शुक्राणु नही बनता उसको अगर गन्ने के रस के साथ चूना पिलाया जाये तो
साल डेढ़ साल में भरपूर शुक्राणु बनने लगेंगे; और
जिन माताओं के शरीर में अन्डे नही बनते उनकी बहुत अच्छी दवा है ये चूना ।

■ बिद्यार्थीओ के लिए चूना बहुत अच्छा है जो लम्बाई बढाता है -

■ गेहूँ के दाने के बराबर चूना रोज दही में मिला के खाना चाहिए,
दही नही है तो दाल में मिला के खाओ,
दाल नही है तो पानी में मिला के पियो - इससे लम्बाई बढने के साथ स्मरण शक्ति भी बहुत अच्छा होता है ।

■ जिन बच्चों की बुद्धि कम काम करती है मतिमंद बच्चे
उनकी सबसे अच्छी दवा है चूना

■ जो बच्चे बुद्धि से कम है, दिमाग देर में काम करते है, देर में सोचते है हर चीज
उनकी स्लो है उन सभी बच्चे को चूना खिलाने से अच्छे
हो जायेंगे ।

■ बहनों को अपने मासिक धर्म के समय अगर कुछ भी तकलीफ होती हो तो उसका सबसे अच्छी दवा है चूना ।
हमारे घर में जो माताएं है जिनकी उम्र पचास वर्ष हो गयी और उनका मासिक धर्म बंध हुआ उनकी सबसे अच्छी दवा है चूना; गेहूँ के दाने के बराबर चूना हर दिन खाना दाल में, लस्सी में, नही तो पानी में घोल के पीना । जब कोई माँ गर्भावस्था में है तो चूना रोज खाना चाहिए क्योंकि गर्भवती माँ को सबसे ज्यादा केल्शियम की जरुरत होती है और चूना केल्शियम का सबसे बड़ा भंडार है ।

■ गर्भवती माँ को चूना खिलाना चाहिए
अनार के रस में - अनार का रस एक कप और चूना गेहूँ के दाने के बराबर ये मिलाके रोज पिलाइए नौ महीने तक लगातार दीजिये
तो चार फायदे होंगे -

■ पहला फायदा :-
माँ को बच्चे के जनम के समय कोई तकलीफ नही होगी और नॉर्मल डीलिवरी होगा,

■ दूसरा :-
बच्चा जो पैदा होगा वो बहुत हृष्ट पुष्ट और तंदुरुस्त
होगा ,

■ तीसरा फ़ायदा :-
बच्चा जिन्दगी में जल्दी बीमार नही पड़ता जिसकी माँ ने चूना खाया ,

■ चौथा सबसे बड़ा लाभ :-
बच्चा बहुत होशियार होता है बहुत Intelligent और Brilliant होता है उसका IQ बहुत अच्छा होता है ।
चूना घुटने का दर्द ठीक करता है , ■ कमर का दर्द ठीक करता है ,

■ कंधे का दर्द ठीक करता है,

■ एक खतरनाक बीमारी है Spondylitis वो चुने से ठीक होता है ।
कई बार हमारे रीढ़की हड्डी में जो मनके होते है उसमे दुरी बढ़ जाती है Gap आ जाता है - ये चूना ही ठीक करता है
उसको; रीड़ की हड्डी की सब बीमारिया चूने से ठीक होता है ।
अगर आपकी हड्डी टूट जाये तो टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की ताकत सबसे ज्यादा चूने में है ।
चूना खाइए सुबह को खाली पेट ।

■ मुंह में ठंडा गरम पानी लगता है तो चूना खाओ बिलकुल ठीक हो जाता है ,

■ मुंह में अगर छाले हो गए है
तो चूने का पानी पियो तुरन्त ठीक हो जाता है ।

■ शरीर में जब खून कम हो जाये तो चूना जरुर लेना चाहिए ,

■ एनीमिया है खून की कमी है उसकी सबसे अच्छी दवा है ये चूना ,
चूना पीते रहो गन्ने के रस में , या संतरे के रस में नही तो सबसे अच्छा है अनार के रस में - अनार के रस में चूना पिए खून बहुत बढता है ,
बहुत जल्दी खून बनता है -

एक कप अनार का रस गेहूँ के दाने के बराबर चूना सुबह
खाली पेट ।

भारत के जो लोग चूने से पान खाते है, बहुत होशियार लोग
है पर तम्बाकू नही खाना, तम्बाकू ज़हर है और चूना अमृत है ..
तो चूना खाइए तम्बाकू मत खाइए और पान खाइए चूने का उसमे कत्था मत लगाइए, कत्था केन्सर करता है,

● पान में सुपारी मत डालिए ● सोंट डालिए उसमे ,
● इलाइची डालिए ,
● लौंग डालिए.
● केशर डालिए ;
ये सब डालिए पान में चूना लगा के पर तम्बाकू नही , सुपारी नही और कत्था नही ।
■ घुटने में घिसाव आ गया और डॉक्टर कहे के घुटना बदल दो तो भी जरुरत नही चूना खाते रहिये
🌿जोशी आयुर्वेदा अमरगढ़🌿
9914141638
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🌹मधुमेह (डायबिटीज) का आयुर्वेदिक इलाज :-----जीवनशैली, आहार और औषधियों के संतुलन पर आधारित होता है। आयुर्वेद में इसे "प्र...
28/02/2025

🌹मधुमेह (डायबिटीज) का आयुर्वेदिक इलाज :-----

जीवनशैली, आहार और औषधियों के संतुलन पर आधारित होता है। आयुर्वेद में इसे "प्रमेह" कहा जाता है। नीचे कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियाँ और घरेलू उपाय दिए गए हैं जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।

🌺 1. प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियाँ:---

(1) विजय सार (Pterocarpus Marsupium) – "मधुमेह कंट्रोल करने की प्राकृतिक दवा"--

विजय सार की लकड़ी को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट पीना लाभदायक होता है।

यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने और अग्न्याशय (Pancreas) की कार्यक्षमता बढ़ाने में सहायक है।

(2) गुड़मार (Gymnema Sylvestre) – "शुगर नष्ट करने वाली जड़ी-बूटी"--

इसे "मधुनाशिनी" भी कहा जाता है क्योंकि यह शरीर में शुगर के अवशोषण को कम करता है।

रोज़ाना 1-2 ग्राम गुड़मार पाउडर गर्म पानी के साथ लेने से फायदा होता है।

(3) करेला (Bitter Gourd) – "ब्लड शुगर कम करने वाला प्राकृतिक उपाय" ---

करेला में "चारांटिन" नामक तत्व होता है जो इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है।

रोज़ाना खाली पेट 30-50ml करेले का रस पीने से लाभ होता है।

(4) जामुन (Black Plum) – "मधुमेह के लिए शक्तिशाली फल"

जामुन के बीज में जंबोलिन और जंबोसिन नामक तत्व होते हैं जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करते हैं।

1-2 ग्राम जामुन के बीज का चूर्ण रोज़ाना पानी के साथ लें।

(5) मेथी (Fenugreek) – "इंसुलिन बढ़ाने में मददगार"

रातभर पानी में भिगोई हुई 1 चम्मच मेथी के दाने सुबह खाली पेट चबाकर खाएं।

मेथी का पाउडर भी भोजन के साथ लिया जा सकता है।

(6) अश्वगंधा (Withania Somnifera) – "तनाव और ब्लड शुगर नियंत्रक"--

तनाव और थकान मधुमेह को बढ़ा सकते हैं।

अश्वगंधा पाउडर या कैप्सूल लेने से तनाव कम होता है और ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है।

2. घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय

🌺गिलोय (Tinospora Cordifolia) – 1 चम्मच गिलोय का रस या पाउडर रोज़ाना लें।
🌺दालचीनी (Cinnamon) – आधा चम्मच दालचीनी पाउडर गर्म पानी के साथ लें।
🌺अलसी (Flax Seeds) – रोज़ाना 1-2 चम्मच अलसी के बीज का सेवन करें।
🌺आंवला (Amla) – आंवला में विटामिन C होता है, जो इंसुलिन उत्पादन में मदद करता है।

3. आयुर्वेदिक नियम और दिनचर्या

👁️ संतुलित आहार – कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ खाएं।
👁️ योग और प्राणायाम – कपालभाति, अनुलोम-विलोम और मंडूकासन करें।
👁️पैदल चलें – हर रोज़ 30 मिनट टहलना फायदेमंद है।
👁️ तनाव कम करें – ध्यान (Meditation) करें।
निष्कर्ष :==
अगर आप नियमित रूप से इन आयुर्वेदिक औषधियों और घरेलू उपायों को अपनाते हैं तो मधुमेह को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। फिर भी, किसी भी आयुर्वेदिक औषधि को अपनाने से पहले डॉक्टर या वैद्य से परामर्श अवश्य लें। पोस्ट यदि अच्छा लगे तो लाइक करें, शेयर करें। 🙏🙏🙏

🌿जोशी आयुर्वेदा अमरगढ़🌿
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🌿कलौंजी🌿"मौत को छोड कर हर मर्ज की दवाई है कलौंजी"कलयुग में धरती पर संजीवनी है कलौंजी, अनगिनत रोगों को चुटकियों में ठीक क...
18/02/2025

🌿कलौंजी🌿

"मौत को छोड कर हर मर्ज की दवाई है कलौंजी"

कलयुग में धरती पर संजीवनी है कलौंजी, अनगिनत रोगों को चुटकियों में ठीक करती है।

[A] कैसे करें इसका सेवन?

कलौंजी के बीजों का सीधा सेवन किया जा सकता है।
एक छोटा चम्मच कलौंजी को शहद में मिश्रित करके इसका सेवन करें।
पानी में कलौंजी उबालकर छान लें और इसे पिएँ।
दूध में कलौंजी उबालें। ठंडा होने दें फिर इस मिश्रण को पिएँ।
कलौंजी को ग्राइंड करें व पानी तथा दूध के साथ इसका सेवन करें।
कलौंजी को ब्रैड, पनीर तथा पेस्ट्रियों पर छिड़क कर इसका सेवन करें।

[B] ये किन-किन रोगों में सहायक है?

1/. टाइप-2 डायबिटीज:
प्रतिदिन 2 ग्राम कलौंजी के सेवन के परिणामस्वरूप तेज हो रहा ग्लूकोज कम होता है। इंसुलिन रैजिस्टैंस घटती है,बीटा सैल की कार्यप्रणाली में वृद्धि होती है तथा ग्लाइकोसिलेटिड हीमोग्लोबिन में कमी आती है।

2/. मिर्गी:
2007 में हुए एक अध्ययन के अनुसार मिर्गी से पीड़ित बच्चों में कलौंजी के सत्व का सेवन दौरे को कम करता है।

3/. उच्च रक्तचाप:
100 या 200 मि.ग्रा. कलौंजी के सत्व के दिन में दो बार सेवन से हाइपरटैंशन के मरीजों में ब्लड प्रैशर कम होता है।
रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) में एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से रक्तचाप सामान्य बना रहता है। तथा 28 मि.ली. जैतुन का तेल और एक चम्मच
कलौंजी का तेल मिलाकर पूर शरीर पर मालिश आधे घंटे तक धूप में रहने से रक्तचाप में लाभ मिलता है। यह क्रिया हर तीसरे दिन एक महीने तक करना चाहिए।

4/. गंजापन:
जली हुई कलौंजी को हेयर ऑइल में मिलाकर नियमित रूप से सिर पर मालिश करने से गंजापन दूर होकर बाल उग आते हैं।

5/. त्वचा के विकार:
कलौंजी के चूर्ण को नारियल के तेल में मिलाकर त्वचा पर मालिश करने से त्वचा के विकार नष्ट होते हैं।

6/. लकवा:
कलौंजी का तेल एक चौथाई चम्मच की मात्रा में एक कप दूध के साथ कुछ महीने तक प्रतिदिन पीने और रोगग्रस्त अंगों पर कलौंजी के तेल से मालिश करने से लकवा रोग ठीक होता है।

7/. कान की सूजन, बहरापन:
कलौंजी का तेल कान में डालने से कान की सूजन दूर होती है। इससे बहरापन में भी लाभ होता है।

8/. सर्दी-जुकाम:
कलौंजी के बीजों को सेंककर और कपड़े में लपेटकर सूंघने से और कलौंजी का तेल और जैतून का तेल बराबर की मात्रा में नाक में टपकाने से सर्दी-जुकाम समाप्त होता है। आधा कप पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल व चौथाई चम्मच जैतून का तेल मिलाकर इतना उबालें कि पानी खत्म हो जाए और केवल तेल ही रह जाए। इसके बाद इसे छानकर 2 बूंद नाक में डालें। इससे सर्दी-जुकाम
ठीक होता है। यह पुराने जुकाम भी लाभकारी होता है।

9/. कलौंजी को पानी में उबालकर इसका सत्व पीने से अस्थमा में काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है।

10/. छींके:
कलौंजी और सूखे चने को एक साथ अच्छी तरह मसलकर किसी कपड़े में बांधकर सूंघने से छींके आनी बंद हो जाती है।

11/. पेट के कीडे़:
दस ग्राम कलौंजी को पीसकर 3 चम्मच शहद के साथ रात सोते समय कुछ दिन तक नियमित रूप से सेवन करने से पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।

12/. प्रसव की पीड़ा:
कलौंजी का काढ़ा बनाकर सेवन करने से प्रसव की पीड़ा दूर होती है।

13/. पोलियों का रोग:
आधे कप गर्म पानी में एक चम्मच शहद व आधे चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय लें। इससे पोलियों का रोग ठीक होता है।

14/. मुँहासे:
सिरके में कलौंजी को पीसकर रात को सोते समय पूरे चेहरे पर लगाएं और सुबह पानी से चेहरे को साफ करने से मुंहासे कुछ दिनों में ही ठीक हो जाते हैं।

15/. स्फूर्ति:
स्फूर्ति (रीवायटल) के लिए नांरगी के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सेवन करने से आलस्य और थकान दूर होती है।

16/. गठिया:
कलौंजी को रीठा के पत्तों के साथ काढ़ा बनाकर पीने से गठिया रोग समाप्त होता है।

17/. जोड़ों का दर्द:
एक चम्मच सिरका, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट और रात को सोते समय पीने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है।

18/. आँखों के सभी रोग:
आँखों की लाली, मोतियाबिन्द, आँखों से पानी का आना, आँखों की रोशनी कम होना आदि। इस तरह के आँखों के रोगों में एक कप गाजर का रस, आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में 2बार सेवन करें। इससे आँखों के सभी रोग ठीक होते हैं। आँखों के चारों और तथा पलकों पर कलौंजी का तेल रात को सोते समय लगाएं। इससे आँखों के रोग समाप्त होते हैं। रोगी को अचार, बैंगन, अंडा व मछली नहीं खाना चाहिए।

19/. स्नायुविक व मानसिक तनाव:
एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल डालकर रात को सोते समय पीने से स्नायुविक व मानसिक तनाव दूर होता है।

20/. गांठ:
कलौंजी के तेल को गांठो पर लगाने और एक चम्मच कलौंजी का तेल गर्म दूध में डालकर पीने से गांठ नष्ट होती है।

21/. मलेरिया का बुखार:
पिसी हुई कलौंजी आधा चम्मच और एक चम्मच शहद मिलाकर चाटने से मलेरिया का बुखार ठीक होता है।

22/. स्वप्नदोष:
यदि रात को नींद में वीर्य अपने आप निकल जाता हो तो एक कप सेब के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। इससे स्वप्नदोष दूर होता है। प्रतिदिन कलौंजी के तेल की चार बूंद एक चम्मच नारियल तेल में मिलाकर सोते समय सिर में लगाने स्वप्न दोष का रोग ठीक होता है। उपचार करते समय नींबू का सेवन न करें।

23/. कब्ज:
चीनी 5 ग्राम, सोनामुखी 4 ग्राम, 1 गिलास हल्का गर्म दूध और आधा चम्मच कलौंजी का तेल। इन सभी को एक साथ मिलाकर रात को सोते समय पीने से कब्ज नष्ट होती है।

24/. खून की कमी:
एक कप पानी में 50 ग्राम हरा पुदीना उबाल लें और इस पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय सेवन करें। इससे 21 दिनों में खून की कमी दूर होती है। रोगी को खाने में खट्टी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।

25/. पेट दर्द:
किसी भी कारण से पेट दर्द हो एक गिलास नींबू पानी में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीएं। उपचार करते समय रोगी को बेसन की चीजे नहीं खानी चाहिए। या चुटकी भर नमक और आधे चम्मच कलौंजी के तेल को आधा गिलास हल्का गर्म
पानी मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक होता है। या फिर 1 गिलास मौसमी के रस में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 2 बार पीने से पेट का दर्द समाप्त होता है।

26/. सिर दर्द:
कलौंजी के तेल को ललाट से कानों तक अच्छी तरह मलनें और आधा चम्मच कलौंजी के तेल को 1 चम्मच शहद में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से सिर दर्द ठीक होता है। कलौंजी खाने के साथ सिर पर कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर मालिश करें। इससे सिर दर्द में आराम मिलता है और सिर से सम्बंधित अन्य रोगों भी दूर होते हैं।
कलौंजी के बीजों को गर्म करके पीस लें और कपड़े में बांधकर सूंघें। इससे सिर का दर्द दूर होता है।
कलौंजी और काला जीरा बराबर मात्रा में लेकर पानी में पीस लें और माथे पर लेप करें। इससे सर्दी के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर होता है।

27/. उल्टी:
आधा चम्मच कलौंजी का तेल और आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर सुबह-शाम पीने से उल्टी बंद होती है।

28/. हार्निया:
तीन चम्मच करेले का रस और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर सुबह खाली पेट एवं रात को सोते समय पीने से हार्निया रोग ठीक होता है।

29/. मिर्गी के दौरें:
एक कप गर्म पानी में 2 चम्मच शहद और आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से मिर्गी के दौरें ठीक होते हैं। मिर्गी के रोगी को ठंडी चीजे जैसे- अमरूद, केला, सीताफल आदि नहीं देना चाहिए।

30/. पीलिया:
एक कप दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर प्रतिदिन 2 बार सुबह खाली पेट और रात को सोते समय 1 सप्ताह तक लेने से पीलिया रोग समाप्त होता है। पीलिया से पीड़ित रोगी को खाने में मसालेदार व खट्टी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।

31/. कैंसर का रोग:
एक गिलास अंगूर के रस में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर दिन में 3 बार पीने से कैंसर का रोग ठीक होता है। इससे आंतों का कैंसर, ब्लड कैंसर व गले का कैंसर आदि में भी लाभ मिलता है। इस रोग में रोगी को औषधि देने के साथ ही एक किलो जौ के आटे में 2 किलो गेहूं का आटा मिलाकर इसकी रोटी, दलिया बनाकर रोगी को देना चाहिए। इस रोग में आलू, अरबी और बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। कैंसर के रोगी को कलौंजी डालकर हलवा बनाकर खाना चाहिए।

32/. दांत:
कलौंजी का तेल और लौंग का तेल 1-1 बूंद मिलाकर दांत व मसूढ़ों पर लगाने से दर्द ठीक होता है। आग में सेंधानमक जलाकर बारीक पीस लें और इसमें 2-4 बूंदे कलौंजी का तेल डालकर दांत साफ करें। इससे साफ व स्वस्थ रहते हैं।
दांतों में कीड़े लगना व खोखलापन: रात को सोते समय कलौंजी के तेल में रुई को भिगोकर खोखले दांतों में रखने से कीड़े नष्ट होते हैं।

33/. नींद:
रात में सोने से पहले आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से नींद अच्छी आती है।

34/. मासिकधर्म:
कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से मासिकधर्म शुरू होता है। इससे गर्भपात होने की संभावना नहीं रहती है।
जिन माताओं बहनों को मासिकधर्म कष्ट से आता है उनके लिए कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मासिकस्राव का कष्ट दूर होता है और बंद मासिकस्राव शुरू हो जाता है।
कलौंजी का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में शहद मिलाकर चाटने से ऋतुस्राव की पीड़ा नष्ट होती है।
मासिकधर्म की अनियमितता में लगभग आधा से डेढ़ ग्राम की मात्रा में कलौंजी के चूर्ण का सेवन करने से मासिकधर्म नियमित समय पर आने लगता है।
यदि मासिकस्राव बंद हो गया हो और पेट में दर्द रहता हो तो एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और दो चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीना चाहिए। इससे बंद मासिकस्राव शुरू हो जाता है।
कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन 2-3 बार सेवन करने से मासिकस्राव शुरू होता है।

35/. गर्भवती महिलाओं को वर्जित:
*गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं कराना चाहिए क्योंकि इससे गर्भपात हो सकता है।*

36/. स्तनों का आकार:
कलौंजी आधे से एक ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से स्तनों का आकार बढ़ता है और स्तन सुडौल बनता है।

37/. स्तनों में दूध:
कलौंजी को आधे से 1 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से स्तनों में दूध बढ़ता है।

38/. स्त्रियों के चेहरे व हाथ-पैरों की सूजन:
कलौंजी पीसकर लेप करने से हाथ पैरों की सूजन दूर होती है।

39/. बाल लम्बे व घने:
50 ग्राम कलौंजी 1 लीटर पानी में उबाल लें और इस पानी से बालों को धोएं इससे बाल लम्बे व घने होते हैं।

40/. बेरी-बेरी रोग:
बेरी-बेरी रोग में कलौंजी को पीसकर हाथ-पैरों की सूजन पर लगाने से सूजन मिटती है।

41/. भूख का अधिक लगना:
50 ग्राम कलौंजी को सिरके में रात को भिगो दें और सूबह पीसकर शहद में मिलाकर 4-5 ग्राम की मात्रा सेवन करें। इससे भूख का अधिक लगना कम होता है।

42/. नपुंसकता:
कलौंजी का तेल और जैतून का तेल मिलाकर पीने से नपुंसकता दूर होती है।

43/. खाज-खुजली:
50 ग्राम कलौंजी के बीजों को पीस लें और इसमें 10 ग्राम बिल्व के पत्तों का रस व 10 ग्राम हल्दी मिलाकर लेप बना लें। यह लेप खाज-खुजली में प्रतिदिन लगाने से रोग ठीक होता है।

44/. नाड़ी का छूटना:
नाड़ी का छूटना के लिए आधे से 1 ग्राम कालौंजी को पीसकर रोगी को देने से शरीर का ठंडापन दूर होता है और नाड़ी की गति भी तेज होती है। इस रोग में आधे से 1 ग्राम कालौंजी हर 6 घंटे पर लें और ठीक होने पर इसका प्रयोग बंद कर दें। कलौंजी को पीसकर लेप करने से नाड़ी की जलन व सूजन दूर होती है।

45/. हिचकी:
एक ग्राम पिसी कलौंजी शहद में मिलाकर चाटने से हिचकी आनी बंद हो जाती है। तथा कलौंजी आधा से एक ग्राम की मात्रा में मठ्ठे के साथ प्रतिदिन 3-4 बार सेवन से हिचकी दूर होती है। या फिर कलौंजी का चूर्ण 3 ग्राम मक्खन के साथ खाने से हिचकी दूर होती है। और यदि
3 ग्राम कलौंजी पीसकर दही के पानी में मिलाकर खाने से हिचकी ठीक होती है।

46/. स्मरण शक्ति:
लगभग 2 ग्राम की मात्रा में कलौंजी को पीसकर 2 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।

47/. पेट की गैस:
कलौंजी, जीरा और अजवाइन को बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद लेने से पेट की गैस नष्ट होता है।

48/. पेशाब की जलन:
250 मिलीलीटर दूध में आधा चम्मच कलौंजी का तेल और एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से पेशाब की जलन दूर होती है।कलौंजी
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