05/09/2025
ध्यान से पढ़ें और विचार करें....
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मान लीजिए आप एक काल्पनिक दुनिया में हैं जहां सिर्फ 100 या 200 परिवार ही हैं। कुछ परिवार के लगभग सभी लोग सर्विस सेक्टर में नौकरी करते हैं। कुछ प्राइवेट सर्विस में हैं अधिकांश सरकारी सर्विस में हैं।
इन्हीं परिवारों में एक उद्यमी परिवार ऐसा है जिसमें एक दो लोगों ने ही नौकरी की बाकी कोई खेती करके अनाज उगा रहा है किसी ने अपना कोई मैनुफैक्चरिंग स्टार्टअप शुरू किया, कोई इलेक्ट्रॉनिक सामान बना रहा, कोई कुछ और जरूरत का सामान बना रहा। कुल मिलाकर परिवार की लगभग सभी जरूरतों का सामान ये लोग घर पे ही बनाते हैं और अपनी जरूरत पूरा करने के बाद जो बचता है दूसरे परिवारों को बेंच कर पैसा कमाते हैं।
जिन परिवारों में सभी लोग नौकरी में हैं उनकी भी अच्छी आमदनी है, जरूरत का सारा सामान ये लोग पैसा देकर उस उद्यमी परिवार से खरीद लेते हैं जो सिर्फ मैनुफैक्चरिंग करके जीवन यापन कर रहा है। जो नौकरी वाले परिवार हैं उनकी फिक्स्ड आमदनी है हर सप्ताह एक या दो दिन की छुट्टी भी मिलती है सब लोग एंजॉय करते हैं। नौकरी भी सबने ऐसी चुनी है जिसमें काम कम आराम ज्यादा और सैलरी बढ़िया मिलती है।
वहीं दूसरी तरफ उद्यमी परिवार के सभी लोग अपनी फैक्ट्रियों में रात दिन मेहनत करते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा सामान बना सकें जिससे ज्यादा आमदनी हो और अपने सामान की गुणवत्ता बढ़ाने पर भी मेहनत करते हैं ताकि और अधिक पैदावार की जा सके। कभी कभी महीनों तक कोई छुट्टी भी नहीं मिलती।
सभी परिवारों में सब बढ़िया चल रहा था अचानक एक दिन उद्यमी परिवार ने पड़ोस वाले परिवार की जिसमें सभी लोग नौकरी पेशा थे, एक दीवाल तोड़ दी। परिवार के मुखिया ने उद्यमी परिवार से शिकायत की तो उद्यमी परिवार के कुछ लोगों ने मिलकर मुखिया की पिटाई कर दी। उसी दिन से दोनों परिवारों में दुश्मनी हो गई। पहले परिवार ने कहा कुछ हथियार घर में रखना जरूरी है क्या पता कब ये लोग फिर लड़ाई झगड़े पे उतर आएं। सलाह मशविरा करने के बाद तय हुआ कि एक बंदूक खरीदकर रख ली जाय, पैसे की कमी थी नहीं सब लोग नौकरी करते थे। ये लोग मार्केट में बंदूक खरीदने पहुंच गए लेकिन पूरी मार्केट में बंदूक बनाकर बेचने वाला एक ही परिवार था और वो था पड़ोस का ही उद्यमी परिवार जिससे झगड़ा था। उद्यमी परिवार ने किसी भी दाम पर बंदूक बेचने से मना कर दिया। उद्यमी परिवार ने कहा हमारी मर्जी हमे नहीं बेचना है।
कुछ दिन बाद फिर उद्यमी परिवार ने अपने पड़ोसी की दूसरी दीवाल तोड़ दी और इस बार दीवाल ही नहीं तोड़ी बल्कि थोड़ी सी इनकी जमीन भी कब्जा कर ली। दोनों में खूब लड़ाई झगड़ा हुआ, पड़ोसी के पास ढंग का कोई हथियार तो था नहीं लाठी डंडे से ही जितना लड़ पाए लड़े फिर थक कर शांत हो गए करते भी क्या उद्यमी परिवार के पास घर में ही बना हुआ आधुनिक असलहा था, मजबूरी में सुलह समझौता करना ही पड़ा।
अगली बार उद्यमी परिवार ने एक कदम और आगे जाते हुए कह दिया अब पड़ोसी को हम इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे टीवी, फ्रिज, मोबाइल और गैस चूल्हे का सिलेंडर भी नहीं बेचेंगे हमारी मर्जी हमें इनको नहीं बेचना हम दूसरे परिवारों को बेंच देंगे लेकिन इनको नहीं बेचेंगे।
टीवी, फ्रिज, मोबाइल के बिना तो जैसे तैसे काम चल भी जाता लेकिन बिना सिलेंडर के कैसे काम चलता, पैसा होते हुए भी भुखमरी की नौबत आ गई। परिवार के मुखिया जिसकी पिटाई हुई थी मजबूरी में आकर उद्यमी परिवार से जाकर पब्लिकली माफी मांगी और पब्लिकली ये भी कहा कि हमारी दीवाल तो ऐसे ही गिर गई थी हमने फिर से बनवा ली है, इस बार थोड़ा पीछे करके इसलिए बनवाई है क्योंकि आगे की हमारी जमीन ठीक नहीं थी, बंजर थी।
अब तो उद्यमी परिवार हर उस फैमिली को तंग करने लगा जो अपनी जरूरत का सामान उनसे ही खरीदने को मजबूर था क्योंकि कुछ जरूरी सामान ऐसे थे जो पूरी मार्केट में उद्यमी परिवार ही बनाता था। उद्यमी परिवार के लोग अब मनमानी भी करने लगे, जब चाहते सामान की सप्लाई रोक देते, जब चाहते दाम बढ़ा देते, जब जिसको चाहते सारेआम पीट देते, जब चाहते जिसकी चाहते जमीन कब्जा कर लेते लेकिन मजाल है कोई इनके खिलाफ एक शब्द बोलता। बोलता भी कैसे बिना इनके सहयोग के किसी का काम भी तो नहीं चलता था। पैसा भले ही किसी के पास कितना ही हो लेकिन जरूरत का सारा सामान तो पूरी मार्केट में उद्यमी परिवार ही बेचता था।
अब काल्पनिक दुनिया से बाहर आते हैं।
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वास्तविक दुनिया में वो उद्यमी परिवार चीन है और पड़ोसी परिवार ताइवान, जापान, भारत कोई भी हो सकता है। आज बड़े से बड़े और अमीर से अमीर देश की हिम्मत नहीं होती कि चीन से सीधे सीधे टक्कर ले सके। रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीददार होते हुए भी चीन पर अमेरिका ने उतने प्रतिबंध नहीं लगाए जितने भारत पर लगाए हैं कारण साफ है भारत से आने वाले सामान पर अमेरिका आसानी से प्रतिबंध लगा सकता है क्योंकि भारत से आने वाला सामान तो अमेरिका कहीं और से भी ले लेगा, भारत ऐसा कुछ खास बनाता भी तो नहीं है लेकिन अगर चीन से आने वाले सामानों पर प्रतिबंध लगाया तो उसके यहां खुद ही हाहाकार मच जाएगा क्योंकि बहुत से सामान सिर्फ चीन ही बनाता है या फिर जिस दाम पर बनाकर बेचता है उतने में कोई और दे ही नहीं पाएगा। अमेरिका का बहुत सारा काम ही ठप्प हो जाएगा, महंगाई आसमान छूने लगेगी, अमेरिकी स्टॉक मार्केट चरमरा जाएगा। चाहते हुए भी अमेरिका चीन का कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।
अब सवाल यह है कि हम चीन जैसे क्यों नहीं बन पाए???
हम इतने मजबूर कैसे हो गए कि अमेरिका मनमाने प्रतिबंध लगा रहा है और जवाब में हम इतना ही कर पा रहे हैं कि उसी पड़ोसी से गले मिलने को मजबूर हैं जिसने हाल ही में खुलेआम पाकिस्तान की ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मदद की है, गलवान में हमारे कई सैनिकों को मारा है, अरुणाचल और सियाचिन में कई किलोमीटर जमीन कब्जा कर रखी है।
और वहीं चीन जो जम्मू काश्मीर और अरुणाचल को भारत का हिस्सा ही नहीं मानता उसी के द्वारा अवैध रूप से कब्जाए हुए तिब्बत को हम चीन का हिस्सा मानने को विवश हैं यहां तक कि खुलेतौर पर हम ताइवान को भी एक अलग देश नहीं मानते हैं कि कहीं चीन नाराज न हो जाए।
सवाल का जवाब आप लोग कमेंट में दीजिए।
समस्या का समाधान भी कमेंट में बताएं।
हमसे कहां गलती हुई है???
~Alok Pandey ~