21/02/2017
संस्कृत :- रुद्राक्ष = रुद्र + अक्षिन (नेत्र),रुधिर(रक्त)
English/letin-Utrasum Bead,
हिन्दी- रुद्राक्ष , ગુજરાતી- રુદ્રાક્ષ
रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु से हुई है।
रुद्राक्ष के फायदे :-
हर व्यक्ति को रुद्राक्ष क्यों धारण करना चाहिए?
> परिचय :-
रुद्राक्ष एक जंगली फल है जिसकी पैदावार समुद्र तल से लगभग 2000 मीटर तक की ऊँचाइवाले पवँतिय क्षेत्रो मे होती है,
इसका फल सूखकर स्वतः पृथ्वी पर पडता है जिसे विशेष प्रक्रिया से पानी मे गलाकर साफ करके उसमे से एक मजबूत गुठली निकाली जाती है जिसे रुद्राक्ष कहते है,
पूरे संसार मे यही एक ऍसा फल है जिसे खाया नही जाता बल्के गुद्दे को निकालकर उसके बीज को घारण किया जाता है,
असली रुद्राक्ष पानी मे डूब जाता है जो यह दशाँता है कि इसका अपेक्षित घनत्व अघिक है क्योंकि उसमे लोहा, जस्ता, निकल, मेंगनीज, ऐल्युमीनियम, फोस्फोरस, कैल्शियम, कोबाल्ट, सिलिका, गँघक आदि तत्व होते है,
> रुद्राक्ष एक दिव्य औषघिय एवं आघ्यात्मिक वृक्ष है,
रुद्राक्ष प्रायः 3 रंगो मे पाया जाता है- लाल, मिश्रित लाल व काला,
रुद्राक्ष ही एक मात्र ऐसा फल है जो अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष प्रदान करने में कारगर माना जाता है। शिवपुराण, पद्मपुराण, रुद्राक्षकल्प, रुद्राक्ष महात्म्य आदि ग्रंथों में रुद्राक्ष की अपार महिमा बतायी गई है।
रुद्राक्ष यूं तो कोई भी हो वह लाभकारी होता है लेकिन मुख के अनुसार इसका महत्व अलग-अगल बताया गया है। प्रत्येक रुद्राक्ष के ऊपर धारियां बनी रहती हैं, इन धारियों को रुद्राक्ष का मुख कहते हैं।
इन धारियों की संख्या 1 से लेकर 21 तक हो सकती है्, इन्हीं धारियों को गिनकर रुद्राक्ष का वर्गीकरण 1 से 21 मुखी तक किया जाता है। यानी रुद्राक्ष में जितनी धारियां होंगी, वह उतना ही मुखी रुद्राक्ष कहलाता है।
> धार्मिक दृष्टि से रुद्राक्ष के फायदे :-
धार्मिक मान्यता के अनुसार जिस घर में रुद्राक्ष की नियमित पूजा होती है वहां अन्न, वस्त्र, धन-धान्य की कभी कमी नहीं रहती है। ऐसे घर में लक्ष्मी का सैदव वास रहता है। माना जाता है कि रुद्राक्ष को हमेशा धारण करने वाला और इसकी पूजा करने वाला अंत काल में शरीर को त्यागकर शिवलोक में स्थान प्राप्त करता है।
पैराणिक कथाओं में उल्लेख है कि सती के देह त्याग पर शिव जी को बहुत दुःख हुआ और उनके आंसू अनेक स्थानों पर गिरे जिससे रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ है। इसलिए रुद्राक्ष धारण करने वाले के सभी कष्ट भगवान हर लेते हैं।
एकमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव, द्विमुखी श्री गौरी-शंकर, त्रिमुखी तेजोमय अग्नि, चतुर्थमुखी श्री पंचदेव, पन्चमुखी सर्वदेव्मयी, षष्ठमुखी भगवान कार्तिकेय, सप्तमुखी प्रभु अनंत, अष्टमुखी भगवान श्री गेणश, नवममुखी भगवती देवी दुर्गा, दसमुखी श्री हरि विष्णु, तेरहमुखी श्री इंद्र तथा चौदहमुखी स्वयं हनुमानजी का रूप माना जाता है। इसके अलावा श्री गणेश व गौरी-शंकर नाम के रुद्राक्ष भी होते हैं।
ज्योतिषीय दृष्टि से भी रुद्राक्ष धारण करने के बड़े फायदे बताए गए हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मनुष्य के बीमार होने का बड़ा कारण ग्रहों की प्रतिकूलता होती है। रुद्राक्ष धारण करने से ग्रहों की प्रतिकूलता दूर होती है। चाहे व्यक्ति शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित हो या शनि ने चन्द्रमा को पीड़ित करके आपके जीवन में कष्ट भर दिया हो रुद्राक्ष हर हाल आपके लिए फायदेमंद होता है।
कालसर्प के कारण जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है तब भी रुद्राक्ष धारण करने से अनुकूल फल की प्राप्ति होती है। अगर आप किसी शुभ दिन पर गंगा स्नान करने की चाहत रखते हैं और गंगा तट पर नहीं पहुंच पाते हैं तब रुद्राक्ष को सिर पर रखकर भगवान शिव का ध्यान करें तो गंगा स्नान का फल प्राप्त हो जाता है।
> हर व्यक्ति को रुद्राक्ष क्यों धारण करना चाहिए?
रुद्राक्ष का मानव-शरीर से स्पशँ महान गुणकारी बताया गया है, चिकित्सा क्षेत्र मे भी उसका काफी वणँन मिलता है,
रुद्राक्ष के वैज्ञानिक परीक्षण से प्रमाणित होता है कि यह रक्तचाप संतुलित रखने में बहुत ही कारगर होता है यानी बल्ड प्रेशर संबंधी परेशानियों में रुद्राक्ष धारण करना बहुत ही फायदेमंद होता है।
रुद्राक्ष बौद्घिक क्षमता और स्मरण शक्ति को बेहतर बनाने में भी कारगर माना जाता है।
आज के समय में अक्सर लोग तनाव और चिंता में डूबे रहते हैं, जिससे कई तरह की बीमारियों से लोग पीड़ित हो जाते हैं। रुद्राक्ष धारण करने से चिंता और तनाव से संबंधी परेशानियां में कमी आती है, उत्साह और उर्जा में वृद्घि होती है।
रुद्राक्ष को दाहिनी भूजा पर बाँघने से बल व वीयँशक्ति बढती है, वात रोगो का प्रकोप कम होता है,
उसको कंठ मे घारण करने से गले के सभी रोग मिटते है, टोन्सिल नही बढता तथा स्वर का भारीपन मिटता है,
रद्राक्ष को कमर पर बांघने से कमरददँ मे लाभ होता है,
रुद्राक्ष के पानी के प्रयोग से बैचेनी, घबराहट व आँखो की जलन मिटती है,
दो बूँद रुद्राक्ष का जल कानो मे डालने से सिरददँ मिटता है, ये जल ह्रदय के रोगो मे भी लाभकारी है,
रुद्राक्ष घारण करने से दिल की घडकने तथा रक्तचाप नियंत्रण मे रहता है,
ऐसा भी माना जाता है की रुद्राक्ष घारण करनेवालो को देर से बुढापा आता है, उससे ऐकाग्रता, स्मरण शक्ति मजबूत होती है तथा सभी प्रकार के मानसिक रोगो मे लाभ मिलता है,
रुद्राक्ष को गौ के दूघ मे उबालकर पीने से भी मानसिक रोग मिटते है,
रुद्राक्ष के विषय में यह भी पाया गया है कि यह किडनी के लिए भी लाभकारी होता है। इसके अलावा महुमेह और दिल के मामले में रुद्राक्ष धारण करना फायदेमंद होता है।
इस प्रकार रुद्राक्ष घारण करने से शरीर सभी तरह से स्वस्थ रहता है........