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Ayurved  is part of nature... The medicine used is from nature.. so its benificial in all the diseases and all the  pati...
15/02/2024

Ayurved is part of nature... The medicine used is from nature.. so its benificial in all the diseases and all the patients

Free Ayurvedic Medical Camp@ Vahelal"પ્રસાદી નુ ગામ" વહેલાલ ખાતે ફ્રી આયુર્વેદ કેમ્પડૉ. આશાબેન જે. પટેલ MD. (Ayu.) દ્વાર...
20/06/2017

Free Ayurvedic Medical Camp@ Vahelal
"પ્રસાદી નુ ગામ" વહેલાલ ખાતે ફ્રી આયુર્વેદ કેમ્પ
ડૉ. આશાબેન જે. પટેલ MD. (Ayu.) દ્વારા....

હિમાલય ભ્રમણ અને ઔષધિદર્શન- "કસ્તુરીમૃગ" વિશેની જાણવાની જીજ્ઞાસા નાનપણથી જ, એમાય આયુર્વેદનો જીવ પરંતુ તેના રેખાચિત્ર થી ...
10/06/2017

હિમાલય ભ્રમણ અને ઔષધિદર્શન- "કસ્તુરીમૃગ" વિશેની જાણવાની જીજ્ઞાસા નાનપણથી જ, એમાય આયુર્વેદનો જીવ પરંતુ તેના રેખાચિત્ર થી વધુ કાંઇ જોયુ નહોતુ.હિમાલય ની પહાડીઓમા ઘણી જગ્યાઓ પર સંરક્ષીત પ્રાણીઓના બોર્ડ મા પણ નામ વાંચવા મળ્યુ પણ ઘણી પૂછપરછ દોડધામ છતા કસ્તુરી મૃગ જોયુ હોય તેવી કોઇ વ્યકિત ન મળી.સાવ છેલ્લે એક જગ્યાએ આ મળ્યુ...
માલિક ના કહેવા મુજબ આ હરણ કસ્તુરી મૃગ છે અને આશરે એંશી થી વધુ વર્ષ જૂના છે.
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संस्कृत :- रुद्राक्ष = रुद्र + अक्षिन (नेत्र),रुधिर(रक्त) English/letin-Utrasum Bead, हिन्दी- रुद्राक्ष , ગુજરાતી- રુદ્ર...
21/02/2017

संस्कृत :- रुद्राक्ष = रुद्र + अक्षिन (नेत्र),रुधिर(रक्त)
English/letin-Utrasum Bead,
हिन्दी- रुद्राक्ष , ગુજરાતી- રુદ્રાક્ષ

रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु से हुई है।

रुद्राक्ष के फायदे :-
हर व्यक्ति को रुद्राक्ष क्यों धारण करना चाहिए?

> परिचय :-

रुद्राक्ष एक जंगली फल है जिसकी पैदावार समुद्र तल से लगभग 2000 मीटर तक की ऊँचाइवाले पवँतिय क्षेत्रो मे होती है,
इसका फल सूखकर स्वतः पृथ्वी पर पडता है जिसे विशेष प्रक्रिया से पानी मे गलाकर साफ करके उसमे से एक मजबूत गुठली निकाली जाती है जिसे रुद्राक्ष कहते है,
पूरे संसार मे यही एक ऍसा फल है जिसे खाया नही जाता बल्के गुद्दे को निकालकर उसके बीज को घारण किया जाता है,
असली रुद्राक्ष पानी मे डूब जाता है जो यह दशाँता है कि इसका अपेक्षित घनत्व अघिक है क्योंकि उसमे लोहा, जस्ता, निकल, मेंगनीज, ऐल्युमीनियम, फोस्फोरस, कैल्शियम, कोबाल्ट, सिलिका, गँघक आदि तत्व होते है,

> रुद्राक्ष एक दिव्य औषघिय एवं आघ्यात्मिक वृक्ष है,
रुद्राक्ष प्रायः 3 रंगो मे पाया जाता है- लाल, मिश्रित लाल व काला,

रुद्राक्ष ही एक मात्र ऐसा फल है जो अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष प्रदान करने में कारगर माना जाता है। शिवपुराण, पद्मपुराण, रुद्राक्षकल्प, रुद्राक्ष महात्म्य आदि ग्रंथों में रुद्राक्ष की अपार महिमा बतायी गई है।

रुद्राक्ष यूं तो कोई भी हो वह लाभकारी होता है लेकिन मुख के अनुसार इसका महत्व अलग-अगल बताया गया है। प्रत्येक रुद्राक्ष के ऊपर धारियां बनी रहती हैं, इन धारियों को रुद्राक्ष का मुख कहते हैं।

इन धारियों की संख्या 1 से लेकर 21 तक हो सकती है्, इन्हीं धारियों को गिनकर रुद्राक्ष का वर्गीकरण 1 से 21 मुखी तक किया जाता है। यानी रुद्राक्ष में जितनी धारियां होंगी, वह उतना ही मुखी रुद्राक्ष कहलाता है।

> धार्मिक दृष्टि से रुद्राक्ष के फायदे :-

धार्मिक मान्यता के अनुसार जिस घर में रुद्राक्ष की नियमित पूजा होती है वहां अन्न, वस्त्र, धन-धान्य की कभी कमी नहीं रहती है। ऐसे घर में लक्ष्मी का सैदव वास रहता है। माना जाता है कि रुद्राक्ष को हमेशा धारण करने वाला और इसकी पूजा करने वाला अंत काल में शरीर को त्यागकर शिवलोक में स्थान प्राप्त करता है।

पैराणिक कथाओं में उल्लेख है कि सती के देह त्याग पर शिव जी को बहुत दुःख हुआ और उनके आंसू अनेक स्थानों पर गिरे जिससे रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ है। इसलिए रुद्राक्ष धारण करने वाले के सभी कष्ट भगवान हर लेते हैं।

एकमुखी रुद्राक्ष भगवान शिव, द्विमुखी श्री गौरी-शंकर, त्रिमुखी तेजोमय अग्नि, चतुर्थमुखी श्री पंचदेव, पन्चमुखी सर्वदेव्मयी, षष्ठमुखी भगवान कार्तिकेय, सप्तमुखी प्रभु अनंत, अष्टमुखी भगवान श्री गेणश, नवममुखी भगवती देवी दुर्गा, दसमुखी श्री हरि विष्णु, तेरहमुखी श्री इंद्र तथा चौदहमुखी स्वयं हनुमानजी का रूप माना जाता है। इसके अलावा श्री गणेश व गौरी-शंकर नाम के रुद्राक्ष भी होते हैं।

ज्योतिषीय दृष्टि से भी रुद्राक्ष धारण करने के बड़े फायदे बताए गए हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मनुष्य के बीमार होने का बड़ा कारण ग्रहों की प्रतिकूलता होती है। रुद्राक्ष धारण करने से ग्रहों की प्रतिकूलता दूर होती है। चाहे व्यक्ति शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित हो या शनि ने चन्द्रमा को पीड़ित करके आपके जीवन में कष्ट भर दिया हो रुद्राक्ष हर हाल आपके लिए फायदेमंद होता है।

कालसर्प के कारण जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है तब भी रुद्राक्ष धारण करने से अनुकूल फल की प्राप्ति होती है। अगर आप किसी शुभ दिन पर गंगा स्नान करने की चाहत रखते हैं और गंगा तट पर नहीं पहुंच पाते हैं तब रुद्राक्ष को सिर पर रखकर भगवान शिव का ध्यान करें तो गंगा स्नान का फल प्राप्त हो जाता है।

> हर व्यक्ति को रुद्राक्ष क्यों धारण करना चाहिए?

रुद्राक्ष का मानव-शरीर से स्पशँ महान गुणकारी बताया गया है, चिकित्सा क्षेत्र मे भी उसका काफी वणँन मिलता है,
रुद्राक्ष के वैज्ञानिक परीक्षण से प्रमाणित होता है कि यह रक्तचाप संतुलित रखने में बहुत ही कारगर होता है यानी बल्ड प्रेशर संबंधी परेशानियों में रुद्राक्ष धारण करना बहुत ही फायदेमंद होता है।

रुद्राक्ष बौद्घिक क्षमता और स्मरण शक्ति को बेहतर बनाने में भी कारगर माना जाता है।
आज के समय में अक्सर लोग तनाव और चिंता में डूबे रहते हैं, जिससे कई तरह की बीमारियों से लोग पीड़ित हो जाते हैं। रुद्राक्ष धारण करने से चिंता और तनाव से संबंधी परेशानियां में कमी आती है, उत्साह और उर्जा में वृद्घि होती है।

रुद्राक्ष को दाहिनी भूजा पर बाँघने से बल व वीयँशक्ति बढती है, वात रोगो का प्रकोप कम होता है,
उसको कंठ मे घारण करने से गले के सभी रोग मिटते है, टोन्सिल नही बढता तथा स्वर का भारीपन मिटता है,
रद्राक्ष को कमर पर बांघने से कमरददँ मे लाभ होता है,
रुद्राक्ष के पानी के प्रयोग से बैचेनी, घबराहट व आँखो की जलन मिटती है,
दो बूँद रुद्राक्ष का जल कानो मे डालने से सिरददँ मिटता है, ये जल ह्रदय के रोगो मे भी लाभकारी है,
रुद्राक्ष घारण करने से दिल की घडकने तथा रक्तचाप नियंत्रण मे रहता है,
ऐसा भी माना जाता है की रुद्राक्ष घारण करनेवालो को देर से बुढापा आता है, उससे ऐकाग्रता, स्मरण शक्ति मजबूत होती है तथा सभी प्रकार के मानसिक रोगो मे लाभ मिलता है,
रुद्राक्ष को गौ के दूघ मे उबालकर पीने से भी मानसिक रोग मिटते है,

रुद्राक्ष के विषय में यह भी पाया गया है कि यह किडनी के लिए भी लाभकारी होता है। इसके अलावा महुमेह और दिल के मामले में रुद्राक्ष धारण करना फायदेमंद होता है।
इस प्रकार रुद्राक्ष घारण करने से शरीर सभी तरह से स्वस्थ रहता है........

एक जादुई औषधी - कौंचचेतावनी : कुशल वैद्य की निगरानी के तहत उपयोग करे...इस का वानस्पतिक नाम मुकुना प्रूरिएंस है और यह फाब...
18/02/2017

एक जादुई औषधी - कौंच
चेतावनी : कुशल वैद्य की निगरानी के तहत उपयोग करे...

इस का वानस्पतिक नाम मुकुना प्रूरिएंस है और यह फाबेसी परिवार का पौधा है. बात हो रही है कौंच की जो भारत के लोकप्रिय औषधीय पौधों में से एक है. यह भारत के मैदानी इलाकों में झाडि़यों के रूप में फैली हुई होती है. इस झाड़ीय पौधे की पत्तियां नीचे की ओर झुकी होती हैं. इस के भूरे रेशमी डंठल 6.3 से 11.3 सेंटीमीटर लंबे होते हैं. इस में झुके हुए गहरे बैगनी रंग के फूलों के गुच्छे निकलते हैं, जिस में करीब 6 से 30 तक फूल होते हैं. इस पौधे में सेम जैसी फलियां लगती हैं. कौंच के पौधे के सभी भागों में औषधीय गुण होते हैं. इस की पत्तियों, बीजों व शाखाओं का इस्तेमाल दवा के तौर पर किया जाता है. ज्यादातर कौंच का इस्तेमाल लंबे समय तक सेक्स की कूवत बरकरार रखने के लिए किया जता है.

जिन खिलाडि़यों की मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता?है, उन के लिए भी कौंच का इस्तेमाल मुफीद होता है. इस के बीजों के इस्तेमाल से याद रखने की कूवत बढ़ती है. वजन बढ़ाने में भी कौंच का इस्तेमाल कारगर साबित होता है. इस के अलावा गैस, दस्त, खांसी, गठिया दर्द, मधुमेह, टीबी व मासिकधर्म की तकलीफों के इलाज के लिए भी कौंच के बीजों का इस्तेमाल किया जाता है.

कौंच के बीजों में निम्न रोगों को दूर करने की कूवत होती है:

* दर्द व पेट की तकलीफें * मधुमेह

* बुखार * खांसी, * सूजन

* गुर्दे की पत्थरी * गैस की समस्या

* नपुंसकता * नसों की कमजोरी

यौन संबंधी परेशानियां

कौंच को कपिकच्छू और कैवांच वगैरह नामों से भी जाना जाता है. आयुर्वेद में इसे यौन कूवत बढ़ाने वाली दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. सेक्स कूवत बढ़ाने के लिए इस के बीज बेहद कारगर होते हैं. कौंच का इस्तेमाल मर्दों व औरतों की हमबिस्तरी की ख्वाहिश में इजाफा करता है. यह नपुंसकता दूर करने में मदद करती है.

कौंच के बीजों का इस्तेमाल

कौंच के बीजों का इस्तेमाल करने के लिए उन को दूध या पानी में उबाल कर उन के ऊपर का छिलका हटा देना चाहिए. इस के बाद बीजों को सुखा कर बारीक चूर्ण बना लेना चाहिए. इस चूर्ण की 5 ग्राम मात्रा को मिश्री व दूध में मिला कर रोज सुबहशाम इस्तेमाल करने से मर्दों के अंग का ढीलापन और शीघ्रपतन का रोग दूर होता है. कौंच के बीजों के साथ सफेदमूसली और अश्वगंधा के बीजों को बराबर मात्रा में मिश्री के साथ मिला कर बारीक चूर्ण तैयार कर के सुबहशाम 1 चम्मच मात्रा दूध के साथ लेने से मर्दों की तमाम सेक्स संबंधी दिक्कतों को दूर किया जा सकता है. कौंच के बीजों के साथ शतावरी, गोखरू, तालमखाना, अतिबला और नागबला को एकसाथ बराबर मात्रा में मिला कर बारीक चूर्ण तैयार कर के इस चूर्ण को मिश्री मिला कर 2-2 चम्मच चूर्ण सुबह और शाम के वक्त दूध के साथ रोज लेने से मर्द के अंग की कूवत बढ़ती है. सोने से 1 घंटा पहले इस चूर्ण को कुनकुने दूध के साथ लेने से जिस्मानी संबंध बेहतर होते हैं.

10-10 ग्राम धाय के फूल, नागबला, शतावरी, तुलसी के बीज, आंवला, तालमखाना व बोलबीज, 5-5 ग्राम अश्वगंधा, जायफल व रुद्रंतीफल, 20-20 ग्राम सफेदमूसली, कौंच के बीज व त्रिफला और 15-15 ग्राम त्रिकुट व गोखरू को एकसाथ मिला कर चूर्ण बना लें. इस के बाद इस मिश्रण को 16 गुना पानी में मिला कर उबालने पर जब पानी सूख जाए तो उस में 10 ग्राम भांगरे का रस मिला कर दोबारा उबालें और जब मिश्रण गाढ़ा हो जाए तो इसे आंच से उतारें और ठंडा कर के कपड़े से अच्छी तरह मसल कर छान लें और सुखा कर व पीस कर चूर्ण बनाएं. इस चूर्ण में 20 ग्राम शोधी हुई शिलाजीत, 1 ग्राम बसंतकुसूमार रस और 5 ग्राम स्वर्ण बंग मिलाएं. इस मिश्रण की आधा ग्राम मात्रा शहद के साथ मिला कर सुबहशाम चाट कर उस के बाद दूध पीना बेहद फायदेमंद होता है. इस औषधि के सेवन से मर्द के बल में इजाफा होता है. इस औषधि को लेने के दौरान तेज मिर्चमसाले वाली, तली हुई व खट्टी चीजें नहीं खानी चाहिए.

कौंच के बीजों के साथ उड़द, गेहूं, चावल, शक्कर, तालमखाना और विदारीकंद को बराबर मात्रा में ले कर बारीक पीस कर दूध मिला कर आटे की तरह गूंध कर इस की छोटीछोटी पूडि़यां बना कर गाय के घी में तलें. इन पूडि़यों को दूध के साथ खाने से भी काफी फायदा होता है. 100-100 ग्राम कौंच के बीज, शतावरी, उड़द, खजूर, मुनक्का, दाख व सिंघाड़ा को मोटा पीस कर 1 लीटर दूध व 1 लीटर पानी मिला कर हलकी आग में पकाएं. गाढ़ा होने पर आंच से उतारें और ठंडा होने पर छानें. इस में 300-300 ग्राम चीनी, वंशलोचन का बारीक चूर्ण और घी मिलाएं. इस मिश्रण की 50 ग्राम मात्रा में शहद मिला कर रोजाना सुबहशाम खाने से बल बढ़ता है

कौंच के अन्य लाभ

कौंच तनाव और चिंता को दूर करती है. यह खासतौर पर यौन ग्रंथियों को मजबूती प्रदान करती है. यह तंत्रिकातंत्र के लिए एक खास पोषक तत्त्व के रूप में काम करती है.

तंत्रिकातंत्र संबंधी परेशानियां : कौंच तंत्रिकातंत्र संबंधी परेशानियों के लिए एक खास दवा के रूप में इस्तेमाल की जाती है. यह पार्किसंस रोग में भी इस्तेमाल की जाती है.

कोलेस्ट्राल और ब्लडशुगर : कौंच कोलेस्ट्राल कम करने की एक खास दवा है, साथ ही यह ब्लडशुगर के स्तर को सही करने के लिए फायदेमंद दवा है. इस के अलावा यह एक मानसिक टानिक के रूप में भी कारगर होती है.

13/09/2016

विरेचन पेट की बिमारी जैसे की गैस एसिडिटी कब्ज,, स्किन डिसीज जैसे की सोरायसिस , खुजली सफेद दाग ,,
सरदर्द , और बहोत सारी बिमारीयो में प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट के रूप में फायदेमंद है

13/09/2016

when the varsha ritu ends and sharad starts pittaa prakopa stars..
and to balance the prakupit pitta virechan is the best therapy.
best time for virechan (panchkarma) therapy is september to december..

20/04/2016

shirodhara the best way to stay relax ..
just come to AYUTIRTH AYURVED
ENJOY

RELAX

20/04/2016

in summer we face many problems like acidity excessive sweating skin problems itching tans and dehydration vertigo diarrohea vomiting etc...
opt pure ayurvedic treatment @ ayutirth ayurved
NO SIDE EFFECT
COST EFFECTIVE
NATURAL
just say bye bye to summer problems

09/02/2016

panchkarma season once again about to start..
patients and healthy ones both can opt for panchkarma..
if you can not change your life style and still you want to stay healthy..
dont wait ..
just go for panchkarma

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07/01/2016

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