30/10/2024
31 अक्टूबर को दीवाली पूजा के मुख्य 9 शास्त्रीय कारण
कारण नं 1:- 31 अक्टूबर को पूरी रात अमावस्या रजनी युक्त व अर्धरात्रि व्यापनी मिलेगी । रजनी युक्त अमावस्या में ही लक्ष्मी जी का आगमन होता है ।
कारण नं 2:- 31 अक्टूबर को पूर्ण प्रदोष काल प्राप्त होगा और अमावस्या युक्त प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा शास्त्र सम्मत व सर्वश्रेष्ठ होती है ।
कारण नं 3:- 31 अक्टूबर को प्रदोषकाल में शाम सूर्यास्त के बाद 5:36 से 7:14 PM लाभ की चौघड़िया सर्वोत्तम मुहूर्त को प्रशस्त करती है । जोकि धन लाभ के उत्तम मुहूर्त होता है ।
कारण नं 4:-31 अक्टूबर को प्रदोषकाल में शाम सूर्यास्त के बाद 6:24 से 7:59 PM वृष स्थिर लग्न और लाभ की चौघड़िया सर्वोत्तम मुहूर्त को प्रशस्त करती है । जोकि धन लाभ के उत्तम मुहूर्त होता है ।
कारण नं 5:-31 अक्टूबर को प्रदोषकाल में शाम सूर्यास्त के बाद 7:14 से 8:51 PM वृष स्थिर लग्न और चर की चौघड़िया सर्वोत्तम मुहूर्त को प्रशस्त करती है । जोकि धन लाभ के उत्तम मुहूर्त होता है ।
कारण नं 6:- रजनी युक्त निशीथकाल 2:24 घंटे पूर्ण रूप से प्राप्त होगा जो कि लक्ष्मी आने का समय होता है ।
कारण नं 7:- रजनी युक्त महानिशीथकाल 2:24 घंटे पूर्ण रूप से प्राप्त होगा जो कि लक्ष्मी जी का रजनी युक्त अमावस्या में भ्रमण का समय होता है ।
कारण नं 8:- पित्र पूजा व व्यापारिक प्रतिष्ठानों की पूजा 3 :53 अमावस्या प्रारंभ होने बाद शुभ की चौघड़िया 4:16 से 5:36 बजे कर सकते हैं ।
कारण नं 9:- 1 नवंबर को उदयकालीन अमावस्या में प्रातःकाल गंगा स्नान , ब्राह्मणों को दान व वस्त्र गौ आदि दान देना उत्तम होता है ।
ज्योतिषाचार्य डॉ एच एस रावत धर्मगुरु