YAGYA PUJAN

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10/09/2022

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05/09/2022

काशी में श्राद्ध कर्म, तीर्थ श्राद्ध, त्रिपिंडी, नारायण बाली अथवा किसी भी कार्य हेतु www.yagyapujan.com पर या +91 92190 02772 पर हमसे सम्पर्क करें।

30/08/2022

गणेश उपासना से ही विष्णु ने मधुकैटभ का वध किया। गणेश के वर से त्रिपुरासुर बली हुआ और गणेशजी की आराधना से ही शिव ने त्रिपुरासुर पर विजय प्राप्त की । भगवती ने भी गणेश वंदना करके महिषासुर का वध किया । गणेशजी ने ही जंभासुर का वधकर ब्रह्म, विष्णु, महेश की सहायता की। माता अदिति के यहां "महोत्कट" नाम से अवतीर्ण होकर नरान्तक्, देवान्तक का वध कर काशी में दण्डिराज कहलाये । सिन्दुरासुर ने जब पार्वती का हरण कर लिया तो "मयरेश गणपति" ने अवतार लेकर संकट हरा तथा असुर का वध किया । ऐसी अनेकानेक लीलायें करने वाले श्रीगणेशजी को प्रथम स्मरण करना चाहिये

26/08/2022

'वक्रतुण्डावतार " धनुर्धर एवं सिंहवाहन वाला है इन्होंने "मत्सरासुर" का संहार किया।“एकदंतावतार" मूषक वाहन वाला है और "मदासुर" का संहार किया। “महोदरावतार" मोहासुर का नाश करने हेतु, इनका वाहन मूषक है "गजाननावतार' 'लोभासुर" का मारक है और आपका प्रिय वाहन मूषक है 'लंबोदरावतार" में मूषक पर सवार होकर "क्रोधासुर" का नाश किया है। "विकटावतार" मयूर वाहन वाला है इन्होंने कामासुर का संहार किया । "विघ्नराजावतार" शेषनाग वाहन वाला है जिसने ममतासुर का वध किया । 'धूम्रवर्णावतार" गणपति ने अभिमानासुर का वध किया तथा मूषक वाहन है। परब्रह्म स्वरूप गणेशजी की इन अवतारों में अलग अलग ब्रह्म संज्ञा है । " वक्रतुण्ड - देहब्रह्म । एकदंत - देहिब्रह्म । महोदर - ज्ञानब्रह्म। गजानन - सांख्यब्रह्म | लंबोदर शक्तिब्रह्म । विकटावतार सौरब्रह्म विघ्नराज विष्णुब्रह्म। धूम्रवर्णा - शिवब्रह्म।

24/08/2022

पराक्रम में बाधक है और अंततः विनाश की ओर ले जाते हैं इनके संतुलित व शमन होने पर व्यक्ति बल एवं बुद्धि के सहारे उत्तरोत्तर उन्नति करता रहता है। भगवान गजानन के असंख्य अवतार है, मुद्गल पुराण में आठ मुख्य अवतारों का वर्णन है । यथा ए. वक्रतुण्ड 2. एकदंत 3. महोदर 4. गजानन 5. लम्बोदर 6. विकट 7. विघ्नराज 8. धूम्रवर्णा

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