18/08/2025
🍎 सेब और प्रकृति के अनुसार प्रभाव
1. वात प्रकृति वाले
सेब (विशेषकर खट्टा या अधपका) वात को बढ़ाता है → गैस, कब्ज, पेट में मरोड़, जोड़ों में दर्द हो सकता है।
कच्चा सेब या रात को खाना वात वालों के लिए अच्छा नहीं है।
इन्हें मीठा, पका हुआ, भाप में पकाया या सेब का चटनी/सेब उबालकर खाना अधिक हितकारी है।
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2. पित्त प्रकृति वाले
हरे या खट्टे सेब पित्त बढ़ा सकते हैं → जलन, एसिडिटी, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन।
पित्त वालों के लिए मीठे लाल सेब (पके हुए) उत्तम माने जाते हैं।
पित्त वाले को खाली पेट खट्टा सेब नहीं खाना चाहिए।
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3. कफ प्रकृति वाले
मीठे, भारी और अधिक मात्रा में सेब खाने से कफ बढ़ सकता है → बलगम, आलस्य, वजन बढ़ना।
कफ वालों को सेब कच्चा या सलाद में (कम मात्रा में) ठीक है, पर मीठा और ज्यादा मात्रा में नहीं।
खासकर रात में कफ वालों को सेब नहीं खाना चाहिए।
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🔑 निष्कर्ष
वात प्रकृति → कच्चा/खट्टा सेब न खाएँ।
पित्त प्रकृति → हरा/खट्टा सेब न खाएँ।
कफ प्रकृति → मीठा और ज्यादा मात्रा में सेब न खाएँ।
👉 यानी, हर प्रकृति वाला सेब खा सकता है, लेकिन रूप और मात्रा अलग-अलग होनी चाहिए।
ठीक है 🙏
मैं आपको सेब खाने का सही समय और संयोजन (किसके साथ न खाना चाहिए) विस्तार से बता देता हूँ:
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🍎 सेब खाने का सही समय
1. सुबह नाश्ते में (सबसे उत्तम समय)
सुबह पका हुआ मीठा सेब खाना सबसे ज़्यादा लाभकारी है।
इसमें फाइबर और प्राकृतिक शुगर होती है जो दिनभर ऊर्जा देती है।
वात, पित्त, कफ – सभी प्रकृति वालों के लिए सुबह सबसे अच्छा समय है।
2. भोजन से 1–2 घंटे पहले
फल हमेशा भोजन से पहले या बीच-बीच में लेना अच्छा है।
खाने के तुरंत बाद फल खाना पाचन में बाधा डालता है।
3. रात को सेब नहीं
रात को सेब खाने से गैस, पेट भारीपन, कफ और नींद में बाधा आ सकती है।
खासकर वात और कफ वालों को रात को बिल्कुल नहीं लेना चाहिए।
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🍏 सेब किसके साथ नहीं खाना चाहिए (Wrong Combinations)
1. दूध के साथ नहीं
दूध + सेब = पाचन खराब, गैस, कब्ज और त्वचा रोग की संभावना।
आयुर्वेद में फल और दूध को विपरीत आहार माना गया है।
2. भोजन के तुरंत बाद नहीं
इससे पाचन धीमा होता है और भोजन सड़ने लगता है।
3. नमक के साथ नहीं
सेब में नमक डालकर खाना वात और पित्त को बढ़ा सकता है।
4. खट्टे फल या दही के साथ नहीं
इससे पेट में फर्मेंटेशन (खमीर उठना), गैस और एसिडिटी हो सकती है।