02/07/2025
कुंदरकी में अगर किसी को बुखार हो, बदन में दर्द हो, बच्चों को सर्दी-जुकाम हो या बुजुर्गों को कमजोरी – तो सबसे पहले लोग डॉ. कल्लू पाशा का नाम लेते हैं। पिछले 30 साल से लगातार वो लोगों की सेवा में लगे हुए हैं। उनके हाथ में ऐसा तजुर्बा है कि एक नज़र में ही मर्ज़ पहचान लेते हैं और दवा भी वैसी ही देते हैं – जो असर करे।
डॉ. साहब का मिजाज थोड़ा तेज़ है, सीधी बात करते हैं और गलत चीज़ें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते। अगर कोई मरीज लापरवाही करे, दवा छोड़ दे, या परहेज़ न माने, तो फिर डांट भी पड़ती है। मगर यह गुस्सा सिर्फ बाहर से होता है – अंदर से उनका दिल बहुत साफ और नरम है।
अब बात करें मुसलमानी (सुन्नत) की – तो डॉ. कल्लू पाशा इस काम में भी बेहद माहिर और तजुर्बेकार हैं। बच्चों की सुन्नत बहुत ही साफ-सुथरे, आरामदेह और बेहतर तरीके से करते हैं। कोई टाँका नहीं, कोई ज़्यादा तकलीफ़ नहीं। जो भी माँ-बाप अपने बच्चों को लेकर आते हैं, उन्हें तसल्ली मिलती है कि उनका बच्चा सही हाथों में है।
डॉ. साहब ने अब तक सैकड़ों बच्चों की मुसलमानी की है। और हर बार लोगों ने उनके काम की तारीफ की है। ना शोर, ना डर – सब सलीके और शराफ़त से होता है। यही वजह है कि अब लोग दूर-दूर से उनके पास मुसलमानी कराने आते हैं।
डॉ. कल्लू पाशा इलाज को सिर्फ रोज़गार नहीं मानते, उसे सेवा और नेक काम मानते हैं। चाहे गरीब हो या अमीर – सबका इलाज बराबरी से करते हैं। और अगर किसी के पास पैसे नहीं हों, तो भी दवा और सेवा देने से पीछे नहीं हटते।
उनका एक ही उसूल है –
"इलाज में भरोसा, सेवा में समर्पण!"
और यही बात उन्हें एक सच्चा हकीम और नेक इंसान बनाती है। चाहे इलाज हो या मुसलमानी – लोग आंख बंद करके उन पर भरोसा करते हैं।