07/10/2025
#विस्तारक_प्रचारक....
वो जिन पर प्रश्न करना बहुत आसान हैं.....
पर वैसा बनना बहुत कठिन....
परिवार और घर से दूर .......
सदैव राष्ट्र सेवा में रत......
एक विस्तारक , प्रचारक का पत्र अपनी "माँ " के लिए ......
लगता होगा तुझको माँ मैे
तेरा बहुत निर्दयी बेटा हूँ
चिंता नहीं करता मैं तेरी
मैं ऐसा उद्दंड और हेटा हूँ
लगता होगा तुझको ऐसा
मैं दूर सदा तुझसे रहता
महीनो-महीनो दिनों -दिनों तक मैं
बात नहीं हैं तुझसे करता
पर.....माँ.......
मेरा मन भी करता है माँ
मैं पास तेरे रह पाऊँ
मन मेरा कहता है मुझसे
मैं समय तुझे दे पाऊँ
मैं भी खाऊ हाथ की रोटी
चटनी तेरे हाथो की
प्यार से तू जो डाँटे मुझको
सुनु झिड़की तेरी बातों की
मन व्यथित होता जब मेरा
तब आचंल याद बहुत आता
पास जो तू होती मेरे तो माँ
सच गोद में सिर अपना छिपाता
क्रोध कभी जब आता है खुदपर
तब भी तो तू ध्यान में है आती
डांट रही है मुझको कहकर
क्रोध नहीं है तेरा संगी साथी
कभी बहुत मन होता मेरा
बस पास बैठकर तुझे निहारूं
न कुछ तू बोले न मैं ही बोलूं
बिन कहे व्यथा अपनी सुनालूं
पर.........
कर्त्तव्य मेरे प्रण मेरे मुझको
तत्क्षण ये अहसास दिलाते
मार्ग चुना जो मैया मैंने
उसका कर्तव्यबोध मुझे कराते
अपनी इक्छा और तेरे आशीष से
कर्तव्यपथ जो मैंने अपनाया
तेरे संस्कारों तेरे सपनो को माँ
आचरण में मैंने है बसाया
याद बहुत जब आती तेरी
सत्रों-पत्रों में खो जाता हूँ
मिलने का जब मन होता मेरा ,तो
संघ-स्थान पहुँच मैं जाता हूँ
पत्रक ,कार्ययोजना में माँ तेरा
जब चेहरा नजर में आता है
तो योजना सार्थक पूर्णरूपेण होगी
ये स्वतः ही तय हो जाता है
अपने बड़ों का स्नेही हाथ
जब शीश पर मेरे होता है
तो लगता तेरा आँचल मुझको
अन्तश् में अपने भर लेता है
भोजन के लिए परिवारों में जाता
तो अपना परिवार पाता हूँ
सपना तेरा एक छोटे घर का, माँ
मैं विशाल भारत जीता हूँ
शाखा ,वर्गों में व्यस्त जब होता
तो साथ सदा तेरा ही लगता
ध्वज भगवा जब लहराता है तो
माँ आशीष उसमे तेरा ही झलकता
तो चेहरा तेरा सौम्य सा माँ
मुझमे जीवंतता भर देता है
जुट जाता प्राण प्रण से संघ कार्य में मैं
मुझमे इतनी ऊर्जा भर देता है
तो....मत मेरी तू चिंता करना
मैं दूर भले ही तुझसे हूँ
पर तेरे ही सपनो को पूरा करने
तन ,मन और ह्रदय से सलंग्न हूँ। संघ स्थापना दिवस के गौरवपूर्ण शताब्दी वर्ष की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐💐💐
योगेश बागड़ी (जिला सेवा प्रमुख) हाथरस