10/06/2023
#ईलायची - हरी ईलायची न तो टहनियों पर लगती हैं ना ही भूमि के अंदर बल्कि इसकी जड़ से एक नया तना निकलकर #भूमि पर फैल जाता हैं जिस पर इलाइची लगती हैं। ईलाइची को #संस्कृत में सूक्ष्मैला, एला, उपकुन्चिका, तुत्त्था, कोरंगी, द्राविड़ी आदि नामों से जाना जाता है।
इसकी खेती #केरल, #कर्नाटक व #तमिलनाडु में मुख्य रूप से की जाती है, वही जंगलों में भी इसके पौधे पनप जाते हैं। ईलायची का पौधा 2 से 3 वर्ष में उत्पादन देने लगता हैं जो लगभग 10 से 12 वर्षों तक चलता है।
केरल के माइलाडुंपारा में स्थित "भारतीय_इलाइची_अनुसंधान_केंद्र" इलाइची की पारम्परिक #खेती को बढ़ावा दे रहा है। ईलायची #रसोई घर का एक महत्वपूर्ण सदस्य है। हम #भारतीय इसके गुणों से परिचित हैं।
अलग अलग रोगों में इसका उपयोग आज भी गृहणियां स्वयं कर लेती हैं। इसकी तासीर ठंडी होती हैं और यह भूख को बढ़ाती है तथा #पाचन_तंत्र की कई आम बीमारियों के लिए #घरेलू_उपचार की तरह प्रभावी है।
इलाइची का सेवन #गैस को दूर करता है और यह #वात को दूर करने में भी बहुत सहायक है।