अगम आश्रम, मोठसरा

अगम आश्रम, मोठसरा ॐ नमोः सत्य भगवान

07/06/2025
15/02/2025

Comfort yourself with prayers, not people around you.

14/02/2025

आपका शरीर कितना भी सुन्दर क्यों न हो, यदि आपका चरित्र कुरूप है तो शरीर की सुन्दरता भी कुरूपता में गिनी जायेगी।

Hugs are a symbol of support and a language of love that goes beyond simple physical contact. One embrace can heal the g...
12/02/2025

Hugs are a symbol of support and a language of love that goes beyond simple physical contact. One embrace can heal the gap between hearts, dissolve misunderstandings, and make the bonds even stronger.

Best wishes of Guru Ravidas Jayanti.The teachings of Saint Shiromani Guru Ravidas ji inspire us to walk on the path of t...
12/02/2025

Best wishes of Guru Ravidas Jayanti.

The teachings of Saint Shiromani Guru Ravidas ji inspire us to walk on the path of truth, equality and brotherhood.
Let's pledge to spread harmony and harmony in society.

रैदास प्रेम नहिं छिप सकई, लाख छिपाए कोय।प्रेम न मुख खोलै कभऊँ, नैन देत हैं रोय॥~ संत शिरोमणी गुरु रविदास जी।
11/02/2025

रैदास प्रेम नहिं छिप सकई, लाख छिपाए कोय।
प्रेम न मुख खोलै कभऊँ, नैन देत हैं रोय॥

~ संत शिरोमणी गुरु रविदास जी।

10/02/2025

जो इतना क्षमतावान है, वह तुमसे छोटे- मोटे अभ्यास (साधना) क्यों करवाएगा..?

09/02/2025

कबीर का बड़ा प्रसिद्ध वचन है--
"दो पाटन के बीच में साबित बचा न कोय।'
कबीर ने एक चक्की चलते देखी। कोई चक्की चला रही है औरत सुबह-सुबह, कबीर लौटते होंगे सुबह कहीं भ्रमण के बाद, देखा सब पिसा जा रहा है। लौटकर घर उन्होंने यह पद रचा। उनका बेटा कमाल बैठा सुन रहा था। उसने कहा कि रुको, ठीक कहते हो कि पाट के बीच कोई भी साबित नहीं बचा, लेकिन बीच में एक कील है, कभी उसका खयाल किया? उसके सहारे जो गेहूं के दाने लग जाते हैं, वे नहीं पिसते।
चक्की चलायी तुमने कभी? अब चक्की खो गयी है, इसलिए शायद तुम्हें खयाल भी न हो, लेकिन बीच की कील के सहारे जो दाने लग जाते हैं, वे फिर पिस नहीं पाते। उनको फिर दुबारा डालना पड़ता है। जिसने कील का सहारा लिया, वह बच गया।
संसार दो पाटों की तरह पीस रहा है। लेकिन इसमें मेरु की कील भी है। शरीर और मन के दो पाट तुम्हें पीस रहे हैं, पर इसके बीच में आत्मा की कील भी है। उसे पकड़ो। उसे गहो। उसका साथ लो। उसके सहारे हो जाओ। फिर तुम्हें कोई भी पीस न पायेगा। जन्म आये, जन्म; मौत आये, मौत; दुख, सुख, जो आये, आये; तुम अछूते, पार, दूर बने रहोगे। तुम्हें कुछ भी छू न पायेगा।
उस अतिक्रमण करनेवाली कील को पकड़ना। साधु की सारी चेष्टा यही है। ध्यान में, समाधि में यही तो चेष्टा है कि किसी तरह अपनी कील को पकड़ ले।

09/02/2025

लिख दिया जाता है मुकद्दर में पहले से ही, यह प्रेम अचानक होने वाली घटना नहीं है..!!

"Moon is alone too, but it still shines"
09/02/2025

"Moon is alone too, but it still shines"

Address

अगम आश्रम मोठसरा Agam Aashram Mothsara
Adampur
125052

Opening Hours

9am - 5pm

Telephone

+919992145933

Website

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