Dr. Gulshan kumar

Dr. Gulshan kumar Wellness products and health care services

14/05/2024
16/05/2023

1. गरीबी का सिंद्धात : -
व्यक्ति x काम का समय = आय
1 व्यक्ति x 1 घंटे काम = ₹100/=
1 व्यक्ति × 8 घंटे काम = *₹800/=
₹800/= × 30 दिन = ₹24,000/=
यदि यह 1 व्यक्ति किसी कारण काम करने लायक न रहे तो इस व्यक्ति की आय बंद हो जाएगी......
🙏🙏🙏🙏🙏
#क्योंकि ........
इसने ऐसा कोई टीम नहीं बनाया कि खुद काम न कर पाए फिर भी पैसा आता रहे।
यह है मिडिल क्लास की जिंदगी
(हार्ड वर्क)
🙏🙏🙏🙏🙏
2. अमीरी का सिंद्धात : -
व्यक्ति x काम का समय = आय
1 व्यक्ति x 1 घंटे काम = ₹100/=
10,000 व्यक्ति x 1 घंटे काम = ₹10,00,000/=
10,000 व्यक्ति x 8 घंटे काम = ₹80,00,000/=
₹80,00,000/= × 30 दिन = ₹24,00,00,000/=
🙏🙏🙏🙏🙏
इसको कहते हैं - टीम वक॔ = स्मार्ट वर्क और जीवन मे लोगों को टीम जरूर बनानी चाहिए।
🙏🙏🙏🙏🙏
"जो टीम नहीं बनायेगा ! वह कभी अमीर नहीं बन पायेगा..."
🌳🌳क्योंकि कोई अकेले कितना भी कठिन परिश्रम कर ले, लेकिन सिर्फ अपनी जरूरतें ही पूरी कर सकता है, अपने सपनो को नही। 🌳🌳 good morning healthy day 🌅 Dr.GKUMAR

13/01/2023

ਖੁਸ਼ੀਆਂ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਹੈ ਲੋਹੜੀ, ਰੀਝਾਂ ਦਾ ਸ਼ਿੰਗਾਰ ਹੈ ਲੋਹੜੀ, ਨਵ ਜੰਮੇ ਇੱਕ ਬੱਚੇ ਦੇ ਲਈ ਇਕ ਸੁੰਦਰ ਉਪਹਾਰ ਹੈ ਲੋਹੜੀ, ਖੁਸ਼ਹਾਲੀ ਦੇ ਵਿਹੜੇ ਅੰਦਰ ਦੇਸ਼ੀ ਫਸਲਾਂ ਦਾ ਸਤਿਕਾਰ ਹੈ ਲੋਹੜੀ, ਪੰਜਾਬੀਅਤ ਦੇ ਗਹਿਣੇ ਚ ਇੱਕ ਸੁੱਚਾ ਕਿਰਦਾਰ ਹੈ ਲੋਹੜੀ ਰਸਮਾਂ ਰੀਤਾਂ ਵਿੱਚ ਨਗੀਨਾ, ਸੁੰਦਰ ਸੱਭਿਆਚਾਰ ਹੈ ਲੋਹੜੀ ਖਿੜੀਆਂ ਫਸਲਾਂ ਦੇ ਗਲ ਪਾਇਆ, ਹਰਿਆਲੀ ਦਾ ਹਾਰ ਹੈ ਲੋਹੜੀ ਇਹ ਸੱਜਣਾ ਨਾਲ ਹੈ ਫੱਬਦੀ, ਸੱਜਣਾ ਬਿਨ ਬੇਕਾਰ ਹੈ ਲੋਹੜੀ

ਆਪ ਸਭ ਨੂੰ ਲੋਹੜੀ ਦੀ ਵਧਾਈ ਹੋਵੇ
Dr.Gulshan Kumar 🍫🍭

21/07/2022

Today is *COUPLE'S DAY*

Always Respect, Care n Love this *Relationship*.
This is a *Beautiful Gift* Given By *God*

*पति-पत्नी*

एक बनाया गया *रिश्ता*...

पहले कभी एक दूसरे को *देखा* भी नहीं था...
अब सारी *जिंदगी* एक दूसरे के साथ | पहले *अपरिचित*, फिर धीरे धीरे होता *परिचय* |
धीरे-धीरे होने वाला *स्पर्श*,
फिर *नोकझोंक*....*झगड़े*...बोलचाल *बंद* |
कभी *जिद*, कभी *अहम का भाव*..........

फिर धीरे धीरे बनती जाती *प्रेम पुष्पों* की *माला*
फिर *एकजीवता*, *तृप्तता* |

वैवाहिक जीवन को *परिपक्व* होने में *समय* लगता है |
धीरे धीरे जीवन में *स्वाद और मिठास* आती है...
ठीक वैसे ही जैसे *अचार* जैसे जैसे *पुराना* होता जाता है, उसका *स्वाद* बढ़ता जाता है.......

*पति पत्नी* एक दूसरे को अच्छी प्रकार *जानने समझने* लगते हैं,
*वृक्ष* बढ़ता जाता है,*
*बेलें फूटती* जातीं हैं,
*फूल*आते हैं, *फल* आते हैं,
रिश्ता और *मजबूत* होता जाता है, धीरे-धीरे बिना एक दूसरे के *अच्छा* ही नहीं लगता |

*उम्र* बढ़ती जाती है, दोनों एक दूसरे पर अधिक *आश्रित* होते जाते हैं, एक दूसरे के बगैर *खालीपन* महसूस होने लगता है |

फिर धीरे-धीरे मन में एक *भय का निर्माण* होने लगता है,

"ये चली गईं तो मैं कैसे जिऊँगा"........??
"ये चले गए तो मैं कैसे जीऊँगी"..........??

अपने मन में *घुमड़ते इन सवालों* के बीच जैसे, खुद का *स्वतंत्र अस्तित्व* दोनों भूल जाते हैं |

कैसा अनोखा *रिश्ता*...
कौन कहाँ का और एक बनाया गया रिश्ता |

*"पति-पत्नी"*

"Happy Couples Day" सभी शादीशुदा जोड़ो को समर्पित

*विवाह एक भरोसा है,*
*समर्पण है |*
*तारीफ उस स्त्री की*
*जिसने खुद का घर* *छोड़ दिया*
और*
*धन्य है वो पुरुष,*
जिसने अंजान स्त्री को
घर सौंप दिया ..........* *Dedicated to all Couples*🙏🙏🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏

17/07/2022

✍️
आखिर अंतर फिर भी रह ही गया.!
😒 🤔

1) बचपन में जब हम रेल की यात्रा करते थे तो माँ घर से खाना बनाकर साथ ले जाती थी, पर रेल में कुछ अमीर लोगों को जब खाना खरीद कर खाते हुए देखते, तब बड़ा मन करता था कि काश ! हम भी खरीद कर खा पाते.!

पिताजी ने समझाया, ये हमारे बस का नहीं.! ये तो बड़े व अमीर लोग हैं जो इस तरह पैसे खर्च कर सकते हैं, हम नहीं कर सकते.!

बड़े होकर देखा कि हम भी रेल का खाना खरीद सकते हैं। अब जब हम खाना खरीद कर खा रहे हैं, तो "स्वास्थ्य सचेतन के लिए," वो बड़े लोग घर का भोजन साथ लेकर जा रहे हैं.!

आखिर अंतर रह ही गया.! 😒 🤔

🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐🧐

2) हम अपने बचपन में जब सूती कपड़े पहनते थे, तब अमीर लोग टेरीलिन पहनते थे.! बड़ा मन करता था कि हम भी टेरीलिन के कपड़े पहनें, पर पिताजी कहते- हम इतना खर्च नहीं कर सकते.!

बड़े होकर जब हम टेरीलिन पहनने लगे, तब वो लोग सूती कपड़े पहनने लगे हैं.! अब सूती कपड़े महँगे हो गए ! हम अब उतना खर्च नहीं कर सकते.!
आखिर अंतर रह ही गया..!!! 😒 🤔

⚖⚖⚖⚖⚖⚖⚖

3) बचपन में जब खेलते-खेलते हमारा पतलून घुटनों के पास से फट जाता तो बड़ी लज्जा का अनुभव होता था। माँ बड़ी कारीगरी से उसे रफू कर देती, और हम खुश हो जाते थे। बस उठते-बैठते अपने हाथों से घुटनों के पास का वो रफू वाला हिस्सा जरूर ढँक लेते थे !

बड़े होकर अपने पास कई पतलून हो गए और फटा पतलून पहनने की ज़रूरत नहीं रही। किंतु अब वे लोग घुटनों के पास फटे पतलून महँगे दामों में बड़े दुकानों से खरीद कर पहन रहे हैं.!

आखिर अंतर रह ही गया..!! 🤔 😒

⚖⚖⚖⚖⚖⚖⚖⚖

4) बचपन में हम साईकिल बड़ी मुश्किल से खरीद पाए, तब वे स्कूटर पर जाते थे ! जब हमने स्कूटर खरीदा तो वो कार की सवारी करने लगे और जब तक हम मारुति खरीद पाए, वो बड़ी वाली कार पर जाते दिखे.!

और हम जब रिटायरमेन्ट का पैसा लगाकर अंतर को मिटाने के लिए अच्छी कार खरीद लाए, तो वो साईकिलिंग करते नज़र आए, स्वास्थ्य के लिए।

आखिर अंतर फिर भी रह ही गया..!!! 🤔 😒

हर हाल में हर समय दो विभिन्न लोगों में "अंतर" रह ही जाता है।
"अंतर" सतत है, सनातन है, अतः सदा सर्वदा रहेगा।
कभी भी दो भिन्न व्यक्ति और दो विभिन्न परिस्थितियां एक जैसी नहीं होतीं।
कहीं ऐसा न हो कि, कल की सोचते-सोचते और तुलना करते-करते हम अपने आज को ही खो दें और फिर कल इसी आज को याद करें।

👍 इसलिए जिस हाल में हैं... जैसे हैं... प्रसन्न रहें।😊😊

😊 आप मुस्कुराइए, जिंदगी मुस्कुराएगी। हँसते रहिये 😊🙏😄

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