स्वास्थ्य मंदिर

स्वास्थ्य मंदिर यह केन्द्र मध्यप्रदेश के आगर मालवा मे

25/09/2025
सेवा भारती सेवा न्यास द्वारा  विश्व प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के अवसर पर शासकीय मॉडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आगर के छात्र...
18/11/2024

सेवा भारती सेवा न्यास द्वारा विश्व प्राकृतिक चिकित्सा दिवस के अवसर पर शासकीय मॉडल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय आगर के छात्र-छात्राओं से परिचर्चा की गई। स्वास्थ्य मंदिर प्राकृतिक चिकित्सा योग एवं अनुसंधान केंद्र के चिकित्सक डॉक्टर गिरधर पटेल ने प्राकृतिक चिकित्सा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान समय में प्राकृतिक चिकित्सा का विशेष महत्व है प्राकृतिक चिकित्सा जीवन जीने की पद्धति है । मिट्टी पानी धूप हवा सब रोगों की एक दवा । वर्तमान में हम प्रकृति से जैसे-जैसे दूर हो रहे हैं वैसे-वैसे रोग हमको पकड़ रहे हैं । तथा स्वस्थ रहने के लिए योग प्राणायाम व प्राकृतिक चिकित्सा को जीवन का अंग बनाने का अनुरोध किया इस अवसर पर प्राचार्य श्री संजय जी उपाध्याय उपस्थित थे।

शुभ दीपावली
31/10/2024

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31/10/2024

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Agar, Agar Malwa : आगर: आगर के स्वास्थ्य मंदिर सेवा भारती में धन्वंतरि पूजन का आयोजन, भगवान धन्वंतरी और कामधेनु का पूजन किया ग.....

आगर: आगर के स्वास्थ्य मंदिर सेवा भारती में धन्वंतरि पूजन का आयोजन, भगवान धन्वंतरी और कामधेनु का पूजन किया गया https://pu...
31/10/2024

आगर: आगर के स्वास्थ्य मंदिर सेवा भारती में धन्वंतरि पूजन का आयोजन, भगवान धन्वंतरी और कामधेनु का पूजन किया गया https://public.app/video/sp_evf6bhil048ka?utm_medium=android&utm_source=share

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Agar, Agar Malwa : आगर: आगर के स्वास्थ्य मंदिर सेवा भारती में धन्वंतरि पूजन का आयोजन, भगवान धन्वंतरी और कामधेनु का पूजन किया ग.....

आज सेवा भारती सेवा न्यास द्वारा संचालित भाग्यवंती देवी सरदारमल भंडारी स्वास्थ्य मंदिर प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग केंद्र ...
30/10/2024

आज सेवा भारती सेवा न्यास द्वारा संचालित भाग्यवंती देवी सरदारमल भंडारी स्वास्थ्य मंदिर प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग केंद्र में भगवान धन्वंतरी एवं कामधेनु का पूजन किया गया। इस अवसर पर श्री गोपाल जी देराडी, न्यास के अध्यक्ष श्री मोहन जी आर्य, उपाध्यक्ष श्री प्रकाश जी चौधरी, सचिव श्री जगदीश जी सोनी, कोषाध्यक्ष श्री कैलाश जी कुंभकार, न्यासी श्री दशरथ की उमठ, एवं न्यासी श्री शैलेंद्र जी तोमर द्वारा स्वास्थ्य मंदिर के सभी उपचारकों को दीपावली की भेंट दी गई।

17/10/2024
08/09/2023

प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र आगर
स्वास्थ्य मंदिर
जीवन बैरागी
Swasthya Mandir Naturopathy center Agar malwa MP
Girdhar Patel

डायबिटीज के लिए व्यायाम

कई सज्जन यह शिकायत करते पाये जाते हैं कि वे लम्बे समय से डायबिटीज की दवाएँ ले रहे हैं, पूरा परहेज भी कर रहे हैं और व्यायाम भी करते हैं, परन्तु उनका डायबिटीज ठीक नहीं हो रहा है। उनकी शिकायत गलत नहीं होती, लेकिन उनके मन में कई भ्रम होते हैं, जिनको यहाँ दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।

पहली बात तो यह है कि दवाओं से कभी डायबिटीज ठीक नहीं हो सकती। ये दवाएँ इस उद्देश्य से बनायी ही नहीं जातीं कि उनसे डायबिटीज ठीक हो जाये। दवाओं का उद्देश्य केवल शरीर में इंसूलिन बनाना या उसकी पूर्ति करना होता है, ताकि भोजन के साथ जो शर्करा हमारे शरीर में अनिवार्य रूप से चली जाती है, वह पच जाये। इसलिए दवाइयाँ अपना और डायबिटीज अपना काम करते रहते हैं। संसार का कोई डॉक्टर यह दावा नहीं कर सकता कि उसने दवाइयों से किसी रोगी का डायबिटीज ठीक किया है।

वास्तव में डायबिटीज का मूल कारण शरीर में इंसूलिन का न बनना नहीं, बल्कि पाचन शक्ति की खराबी है। पाचन शक्ति सुधारे बिना डायबिटीज कभी ठीक नहीं हो सकती। ऐलोपैथिक डॉक्टरों के पास ऐसी कोई दवा नहीं है जिससे पाचन क्रिया में सुधार होता हो। इसलिए दवाओं से डायबिटीज कभी ठीक नहीं होती। कुछ आयुर्वेदिक दवाएँ अवश्य पाचन शक्ति सुधार सकती हैं।

जहाँ तक परहेज का प्रश्न है, वह इसलिए कराया जाता है कि शरीर में अनावश्यक शुगर न जाये और अधिक इंसूलिन की आवश्यकता न पड़े। इसलिए परहेज करने से भी डायबिटीज ठीक नहीं होती।

अब आइए व्यायाम पर। जितने प्रकार के भी व्यायाम प्रचलित हैं, उनमें केवल टहलना एक ऐसा व्यायाम है जिसका पाचन शक्ति पर सीधा और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अन्य अधिकांश व्यायामों का इस पर या तो कोई प्रभाव पड़ता ही नहीं या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए जो लोग टहलते नहीं, केवल अन्य व्यायाम करते हैं, उनकी डायबिटीज भी कभी ठीक होने में नहीं आती।

अनेक प्रकार के व्यायामों से हमारे शरीर का वजन कम हो सकता है, शरीर की शक्ति बढ़ सकती है, लेकिन पाचन शक्ति नहीं सुधर सकती। वैसे भी वजन का डायबिटीज से कोई सीधा सम्बंध नहीं होता। अत्यधिक पतले लोगों से लेकर अत्यधिक मोटे लोग भी डायबिटीज से पीड़ित पाये जाते हैं। इसलिए यदि किसी मोटे व्यक्ति को यह भ्रम है कि वजन कम होने से उसका डायबिटीज भी ठीक हो जाएगा, तो वह भ्रम उसको अपने मन से निकाल देना चाहिए।

इसलिए डायबिटीज ठीक करने के लिए टहलना ही सर्वश्रेष्ठ व्यायाम है। मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को प्रतिदिन 45 मिनट से लेकर 1 घंटे तक नियमित टहलना चाहिए। अधिक और निश्चित लाभ लेने के लिए उनको टहलने से पहले अपने पेड़ू को दो-तीन मिनट तक ठंडे पानी या बर्फ से पोंछा लगाकर ठंडा कर लेना चाहिए। इससे पाचन शक्ति में चमत्कारी सुधार होता है। मैंने इस उपाय से कई लोगों का डायबिटीज जड़ से ठीक किया है, यहाँ तक कि इंसूलिन लेने वालों को भी ठीक किया है।

टहलने के अतिरिक्त कुछ यौगिक क्रियायें भी पाचन शक्ति सुधारने में हमारी बड़ी सहायता कर सकती हैं। ये क्रियायें हैं- नौली, अग्निसार, त्रिबन्ध, कपालभाति और अनुलोग-विलोम प्राणायाम। यदि टहलने के साथ इनको भी जोड़ लिया जाए, तो बहुत शीघ्र डायबिटीज से छुटकारा मिल सकता है।

-- डॉ. विजय कुमार सिंघल

📢  #दलिया छोड़ दिए हो, इसलिए  #रोग पकड़े हुए हो  स्कूल में मिलने वाला मिड डे मील हमेशा दलिया ही होता था। अक्सर मैं सोचा कर...
10/08/2023

📢 #दलिया छोड़ दिए हो, इसलिए #रोग पकड़े हुए हो
स्कूल में मिलने वाला मिड डे मील हमेशा दलिया ही होता था। अक्सर मैं सोचा करता था कि हमें दलिया ही क्यों देते हैं? ढेर भर के आइटम्स छोड़ छाड़ के सिर्फ दलिया ही क्यों परोस देते हैं? खैर, वक्त बीतता गया और दलिया हमारे रोज के खानपान से दूर होता गया थोड़ी पढ़ाई लिखाई किये और फिर जंगलों की तरफ रुख किया। आदिवासियों के साथ रहने लगा और देखते ही देखते मेरे खानपान में दलिया एक बार फिर लौट आया और जब दलिया से जुड़ी जानकारियां गाँव देहात के जानकारों से मिलने लगी तो समझ आया कि दलिया तो जन्नत है। शुक्रिया है उन पॉलिसी मेकर्स का जिन्होंने मिड डे मील में दलिया इनकॉरपोरेट करवाया होगा

दलिया बेहद पौष्टिक आहार है। 100 ग्राम दलिया खा लेंगे तो दिन भर के लिए आवश्यक फाइबर्स का 75% हिस्सा आपको मिल जाएगा। मैग्नेशियम भी खूब होता है इसमें जो हार्ट के लिए जरूरी है। इसमें आयरन और विटामिन B6 भी अच्छा खासा मिल जाता है। हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए भी दलिया हमारे शरीर में ताबड़तोड़ मेहनत करता है। इतने सारे गुण है इस दलिये में तो फिर हमारी रसोई से क्यों नदारद है ये? मुझे याद आ रही है एक घटना, उस वक्त मेरी उम्र करीबन 16 साल रही होगी। क्रिकेट खेलने का चस्का लग चुका था। मेरे दोस्त के पिताजी बड़े सरकारी ओहदे पर थे, सरकारी बंगला मिला हुआ था उन्हेँ, घर में एकाध दो नौकर चाकर भी थे। अक्सर उनके घर पर मैं और मेरे कुछ दोस्त क्रिकेट खेला करते थे। एक दिन उनके कुक ने दलिया परोसकर हमें खाने के लिए बुलाया। मैं दलिया पाते ही खुश हो गया, स्कूल वाला मिड डे मील याद आ रहा था। दोस्त के पिताजी ने हमें दलिया खाते हुए देख नौकर को अच्छी खासी फटकार लगा दी, 'ये भी कोई चीज है जो बच्चों को दे रहे हो? कोई ढंग की चीज बना लेते'...मैं बड़ा एन्जॉय कर रहा था दलिया को लेकिन प्लेट हाथों से ले ली गयी और हमें नूडल्स खाने के लिए दिया गया। बस ऐसे ही सत्यानाश हुआ होगा हमारे पारंपरिक भोज दलिया का। नूडल्स ने निगल लिया दलिया..

आदिवासी तबकों में अलग-अलग प्रकार के दलिया बनते हैं। कहीं दरदरे गेंहू का दलिया, कहीं चावल या किनकी का दलिया और कहीं कुटकी का दलिया। दक्षिण गुजरात में आदिवासी नागली (रागी) का दलिया भी बनाते हैं। औषधीय गुणों की खान होता है दलिया लेकिन भागती दौड़ती ज़िंदगी में हम शहरी लोग इस कदर भागे कि देहाती खानपान को तुच्छ समझने लगे। हम गबदू और आलसखोर हो गए और जल्दबाज़ी के चक्कर में फास्टफूड की तरफ रीझने लगे। हमारा फ़ूड तो बेशक फास्ट हुआ लेकिन बॉडी का सिस्टम स्लो हो गया। हम बीमार होने लगे, शारीरिक और मानसिक रूप से। यहाँ मानसिक बीमार इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि कुछ खानपान को हमने निम्नस्तर का या गरीबों का खानपान मान लिया, बस वहीं गलती हो गई।

सन 1990 के बाद से हिंदुस्तान में लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर्स की भरमार होने लगी। डायबिटीज, आर्थराइटिस, कैंसर, हार्ट डिसीसेस, मोटापा और तरह तरह के टीमटाम वाले रोग हर परिवार में पैर पसारने लगे, क्यों? बताइये क्यों? आज भी ग्रामीण तबकों में ये सब समस्याएं काफी कम हैं या ना के बराबर हैं, क्यों? बताइये क्यों? क्योंकि ये लोग आज भी पारंपरिक खानपान को अपनाए हुए हैं। इनका गरीब होना या भीड़भाड़ और भागते दौड़ते वाले समाज से दूरी होना, इनके लिए 'ब्लेसिंग इन डिस्गाइज़' है। अगर हमारे गांव देहात लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर्स से काफी हद तक दूर हैं, उनके जीवन में तनाव कम है और उनके नसीब में पिज़्ज़ा, बर्गर, चाउमीन और अट्टरम सट्टरम चीजें नहीं हैं, तो ये उनके विकसित होने का प्रमाण है, फिर हम लोग लाख कहते रहें कि वो देहाती हैं, आदिवासी हैं या गरीब हैं लेकिन सच्चाई ये है कि वे हमसे लाख गुना बेहतर हैं.. गाँव देहातों में आज भी दलिया और दलिया जैसे कई पौष्टिक व्यंजन अक्सर बनते हैं, इन्हें बड़े शौक से खाया जाता है। बाज़ारवाद ने दलिया को ओट मील बना दिया और आपकी पॉकेट ढीली करवा दी। आप घर में ही दलिया तैयार करें या पता कीजिये आसपास में आटा चक्की कहाँ है, और दलिया बनवा लाइये। अब ये ना पूछना कि आटा चक्की क्या होती है? दलिया बनता कैसे है? इतना भी तेज ना भागो कि लौटने की गुंजाइश खत्म हो जाए...अपने घर परिवार के बुजुर्गों से पूछिये, सब समझा देंगे, गूगल के दादा परदादी सब आपके घर में ही हैं, उनसे बात कीजिये, सीखिये, इसी बहाने उनका मान भी बढ़ेगा और उन्हें अच्छा लगेगा। भागती दौड़ती लाइफ में हम दलिया तो भूल ही चुके हैं, बुजुर्गों से संवाद भी तो नदारद है पता नहीं किधर भागे जा रही है दुनिया, वापसी करो उस पगडंडी की तरफ जो आपको फार्मेसी और अस्पताल नहीं, अच्छी सेहत की ओर पहुंचाए। भटको, सारे चक्कर एक तरफ फेंक मारो... #दलिया खाना शुरू करें, कम से कम दस दिन में एक बार ही सही
साभार फेसबुक

शुद्ध प्राकृतिक लोकी साधकों हेतु
08/08/2023

शुद्ध प्राकृतिक लोकी साधकों हेतु

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