Naturotherapy Center, Agar - M.P.

Naturotherapy Center, Agar - M.P. A center based in Malwa where you get the treatment from Natural Therapies at very minimal charges. Feel the peace of mind at "स्वास्थ्य मंदिर".

24/10/2023
08/09/2023

प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र आगर
स्वास्थ्य मंदिर
जीवन बैरागी
Swasthya Mandir Naturopathy center Agar malwa MP
Girdhar Patel

डायबिटीज के लिए व्यायाम

कई सज्जन यह शिकायत करते पाये जाते हैं कि वे लम्बे समय से डायबिटीज की दवाएँ ले रहे हैं, पूरा परहेज भी कर रहे हैं और व्यायाम भी करते हैं, परन्तु उनका डायबिटीज ठीक नहीं हो रहा है। उनकी शिकायत गलत नहीं होती, लेकिन उनके मन में कई भ्रम होते हैं, जिनको यहाँ दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।

पहली बात तो यह है कि दवाओं से कभी डायबिटीज ठीक नहीं हो सकती। ये दवाएँ इस उद्देश्य से बनायी ही नहीं जातीं कि उनसे डायबिटीज ठीक हो जाये। दवाओं का उद्देश्य केवल शरीर में इंसूलिन बनाना या उसकी पूर्ति करना होता है, ताकि भोजन के साथ जो शर्करा हमारे शरीर में अनिवार्य रूप से चली जाती है, वह पच जाये। इसलिए दवाइयाँ अपना और डायबिटीज अपना काम करते रहते हैं। संसार का कोई डॉक्टर यह दावा नहीं कर सकता कि उसने दवाइयों से किसी रोगी का डायबिटीज ठीक किया है।

वास्तव में डायबिटीज का मूल कारण शरीर में इंसूलिन का न बनना नहीं, बल्कि पाचन शक्ति की खराबी है। पाचन शक्ति सुधारे बिना डायबिटीज कभी ठीक नहीं हो सकती। ऐलोपैथिक डॉक्टरों के पास ऐसी कोई दवा नहीं है जिससे पाचन क्रिया में सुधार होता हो। इसलिए दवाओं से डायबिटीज कभी ठीक नहीं होती। कुछ आयुर्वेदिक दवाएँ अवश्य पाचन शक्ति सुधार सकती हैं।

जहाँ तक परहेज का प्रश्न है, वह इसलिए कराया जाता है कि शरीर में अनावश्यक शुगर न जाये और अधिक इंसूलिन की आवश्यकता न पड़े। इसलिए परहेज करने से भी डायबिटीज ठीक नहीं होती।

अब आइए व्यायाम पर। जितने प्रकार के भी व्यायाम प्रचलित हैं, उनमें केवल टहलना एक ऐसा व्यायाम है जिसका पाचन शक्ति पर सीधा और सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अन्य अधिकांश व्यायामों का इस पर या तो कोई प्रभाव पड़ता ही नहीं या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए जो लोग टहलते नहीं, केवल अन्य व्यायाम करते हैं, उनकी डायबिटीज भी कभी ठीक होने में नहीं आती।

अनेक प्रकार के व्यायामों से हमारे शरीर का वजन कम हो सकता है, शरीर की शक्ति बढ़ सकती है, लेकिन पाचन शक्ति नहीं सुधर सकती। वैसे भी वजन का डायबिटीज से कोई सीधा सम्बंध नहीं होता। अत्यधिक पतले लोगों से लेकर अत्यधिक मोटे लोग भी डायबिटीज से पीड़ित पाये जाते हैं। इसलिए यदि किसी मोटे व्यक्ति को यह भ्रम है कि वजन कम होने से उसका डायबिटीज भी ठीक हो जाएगा, तो वह भ्रम उसको अपने मन से निकाल देना चाहिए।

इसलिए डायबिटीज ठीक करने के लिए टहलना ही सर्वश्रेष्ठ व्यायाम है। मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को प्रतिदिन 45 मिनट से लेकर 1 घंटे तक नियमित टहलना चाहिए। अधिक और निश्चित लाभ लेने के लिए उनको टहलने से पहले अपने पेड़ू को दो-तीन मिनट तक ठंडे पानी या बर्फ से पोंछा लगाकर ठंडा कर लेना चाहिए। इससे पाचन शक्ति में चमत्कारी सुधार होता है। मैंने इस उपाय से कई लोगों का डायबिटीज जड़ से ठीक किया है, यहाँ तक कि इंसूलिन लेने वालों को भी ठीक किया है।

टहलने के अतिरिक्त कुछ यौगिक क्रियायें भी पाचन शक्ति सुधारने में हमारी बड़ी सहायता कर सकती हैं। ये क्रियायें हैं- नौली, अग्निसार, त्रिबन्ध, कपालभाति और अनुलोग-विलोम प्राणायाम। यदि टहलने के साथ इनको भी जोड़ लिया जाए, तो बहुत शीघ्र डायबिटीज से छुटकारा मिल सकता है।

-- डॉ. विजय कुमार सिंघल

📢  #दलिया छोड़ दिए हो, इसलिए  #रोग पकड़े हुए हो  स्कूल में मिलने वाला मिड डे मील हमेशा दलिया ही होता था। अक्सर मैं सोचा कर...
10/08/2023

📢 #दलिया छोड़ दिए हो, इसलिए #रोग पकड़े हुए हो
स्कूल में मिलने वाला मिड डे मील हमेशा दलिया ही होता था। अक्सर मैं सोचा करता था कि हमें दलिया ही क्यों देते हैं? ढेर भर के आइटम्स छोड़ छाड़ के सिर्फ दलिया ही क्यों परोस देते हैं? खैर, वक्त बीतता गया और दलिया हमारे रोज के खानपान से दूर होता गया थोड़ी पढ़ाई लिखाई किये और फिर जंगलों की तरफ रुख किया। आदिवासियों के साथ रहने लगा और देखते ही देखते मेरे खानपान में दलिया एक बार फिर लौट आया और जब दलिया से जुड़ी जानकारियां गाँव देहात के जानकारों से मिलने लगी तो समझ आया कि दलिया तो जन्नत है। शुक्रिया है उन पॉलिसी मेकर्स का जिन्होंने मिड डे मील में दलिया इनकॉरपोरेट करवाया होगा

दलिया बेहद पौष्टिक आहार है। 100 ग्राम दलिया खा लेंगे तो दिन भर के लिए आवश्यक फाइबर्स का 75% हिस्सा आपको मिल जाएगा। मैग्नेशियम भी खूब होता है इसमें जो हार्ट के लिए जरूरी है। इसमें आयरन और विटामिन B6 भी अच्छा खासा मिल जाता है। हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए भी दलिया हमारे शरीर में ताबड़तोड़ मेहनत करता है। इतने सारे गुण है इस दलिये में तो फिर हमारी रसोई से क्यों नदारद है ये? मुझे याद आ रही है एक घटना, उस वक्त मेरी उम्र करीबन 16 साल रही होगी। क्रिकेट खेलने का चस्का लग चुका था। मेरे दोस्त के पिताजी बड़े सरकारी ओहदे पर थे, सरकारी बंगला मिला हुआ था उन्हेँ, घर में एकाध दो नौकर चाकर भी थे। अक्सर उनके घर पर मैं और मेरे कुछ दोस्त क्रिकेट खेला करते थे। एक दिन उनके कुक ने दलिया परोसकर हमें खाने के लिए बुलाया। मैं दलिया पाते ही खुश हो गया, स्कूल वाला मिड डे मील याद आ रहा था। दोस्त के पिताजी ने हमें दलिया खाते हुए देख नौकर को अच्छी खासी फटकार लगा दी, 'ये भी कोई चीज है जो बच्चों को दे रहे हो? कोई ढंग की चीज बना लेते'...मैं बड़ा एन्जॉय कर रहा था दलिया को लेकिन प्लेट हाथों से ले ली गयी और हमें नूडल्स खाने के लिए दिया गया। बस ऐसे ही सत्यानाश हुआ होगा हमारे पारंपरिक भोज दलिया का। नूडल्स ने निगल लिया दलिया..

आदिवासी तबकों में अलग-अलग प्रकार के दलिया बनते हैं। कहीं दरदरे गेंहू का दलिया, कहीं चावल या किनकी का दलिया और कहीं कुटकी का दलिया। दक्षिण गुजरात में आदिवासी नागली (रागी) का दलिया भी बनाते हैं। औषधीय गुणों की खान होता है दलिया लेकिन भागती दौड़ती ज़िंदगी में हम शहरी लोग इस कदर भागे कि देहाती खानपान को तुच्छ समझने लगे। हम गबदू और आलसखोर हो गए और जल्दबाज़ी के चक्कर में फास्टफूड की तरफ रीझने लगे। हमारा फ़ूड तो बेशक फास्ट हुआ लेकिन बॉडी का सिस्टम स्लो हो गया। हम बीमार होने लगे, शारीरिक और मानसिक रूप से। यहाँ मानसिक बीमार इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि कुछ खानपान को हमने निम्नस्तर का या गरीबों का खानपान मान लिया, बस वहीं गलती हो गई।

सन 1990 के बाद से हिंदुस्तान में लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर्स की भरमार होने लगी। डायबिटीज, आर्थराइटिस, कैंसर, हार्ट डिसीसेस, मोटापा और तरह तरह के टीमटाम वाले रोग हर परिवार में पैर पसारने लगे, क्यों? बताइये क्यों? आज भी ग्रामीण तबकों में ये सब समस्याएं काफी कम हैं या ना के बराबर हैं, क्यों? बताइये क्यों? क्योंकि ये लोग आज भी पारंपरिक खानपान को अपनाए हुए हैं। इनका गरीब होना या भीड़भाड़ और भागते दौड़ते वाले समाज से दूरी होना, इनके लिए 'ब्लेसिंग इन डिस्गाइज़' है। अगर हमारे गांव देहात लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर्स से काफी हद तक दूर हैं, उनके जीवन में तनाव कम है और उनके नसीब में पिज़्ज़ा, बर्गर, चाउमीन और अट्टरम सट्टरम चीजें नहीं हैं, तो ये उनके विकसित होने का प्रमाण है, फिर हम लोग लाख कहते रहें कि वो देहाती हैं, आदिवासी हैं या गरीब हैं लेकिन सच्चाई ये है कि वे हमसे लाख गुना बेहतर हैं.. गाँव देहातों में आज भी दलिया और दलिया जैसे कई पौष्टिक व्यंजन अक्सर बनते हैं, इन्हें बड़े शौक से खाया जाता है। बाज़ारवाद ने दलिया को ओट मील बना दिया और आपकी पॉकेट ढीली करवा दी। आप घर में ही दलिया तैयार करें या पता कीजिये आसपास में आटा चक्की कहाँ है, और दलिया बनवा लाइये। अब ये ना पूछना कि आटा चक्की क्या होती है? दलिया बनता कैसे है? इतना भी तेज ना भागो कि लौटने की गुंजाइश खत्म हो जाए...अपने घर परिवार के बुजुर्गों से पूछिये, सब समझा देंगे, गूगल के दादा परदादी सब आपके घर में ही हैं, उनसे बात कीजिये, सीखिये, इसी बहाने उनका मान भी बढ़ेगा और उन्हें अच्छा लगेगा। भागती दौड़ती लाइफ में हम दलिया तो भूल ही चुके हैं, बुजुर्गों से संवाद भी तो नदारद है पता नहीं किधर भागे जा रही है दुनिया, वापसी करो उस पगडंडी की तरफ जो आपको फार्मेसी और अस्पताल नहीं, अच्छी सेहत की ओर पहुंचाए। भटको, सारे चक्कर एक तरफ फेंक मारो... #दलिया खाना शुरू करें, कम से कम दस दिन में एक बार ही सही
साभार फेसबुक

शुद्ध प्राकृतिक लोकी साधकों हेतु
08/08/2023

शुद्ध प्राकृतिक लोकी साधकों हेतु

*मुंह की लार – सेहत का भंडार!* *मुंह की लार के फायदे* मुंह की लार के विषय में आज हम जो बताने जा रहे हैं, उसे जानकर आप है...
07/08/2023

*मुंह की लार – सेहत का भंडार!*


*मुंह की लार के फायदे*
मुंह की लार के विषय में आज हम जो बताने जा रहे हैं, उसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे कि मुंह की लार आपके जीवन को संवारने में कितना महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.

*मुंह की लार के फायदे*
जो हम आपको बताने जा रहे हैं, जिसे अपना कर आप कई बीमारियों को खुद से दूर रख सकते हैं.

1. *दिन की शुरुआत पानी से करें*

सुबह उठते ही सबसे पहले उम्र के हिसाब से अगर छोटे बच्चे हैं तो एक क्लास बड़े हैं तो दो से तीन ग्लास पानी पी लें. याद रखें सुबह का पानी कुल्ला करने से भी पहले पीना चाहिए. और साथ हीं यह भी याद रखें की पानी कभी भी घूट – घूट कर धीरे-धीरे और बैठकर हीं पीना चाहिए.

2. *सुबह का लार है अनमोल*

कहते हैं सुबह का लार पेट के लिए बेहद लाभदायक होता है. जब आप पानी पीते हैं तो रात भर मुंह में जमा लार पानी के साथ आपके पेट के अंदर जाता है. जो पेट के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है. अगर आपका पेट अच्छा रहेगा तो और सब भी अच्छा, इसलिए सुबह की लार बेहद कीमती है. इसे यूं ही बर्बाद ना करें.

3. *किडनी का दोस्त*

सुबह की लार ही नहीं पूरे दिवस व जीवन पर्यंत जब हम पानी को मुँह में घुमा घूमा कर पीते हैं जिसके कारण पानी में लार घुल कर पेट में जाता है और पेट से अन्य उपांगों में उन सभी उपांगों को स्वस्थ रहने में मदद करता है अमेरिका के डॉक्टर ने 12 वर्ष शोध करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुँचे की घुट घुट पानी पीने वाले किडनी रोगी का डायलसिस की प्रक्रिया में कमी आती है और अंत में किडनी पूणतः स्वस्थ हो जाती है।

4. *चश्मा उतारने में मददगार*

सुबह की लार काजल की तरह आंखों में लगाने से, आंखों की रोशनी बढ़ती है. और चश्मा तक उतर जाता है.

5. *आंख आना (कंजक्टिवाइटिस)*

इसमें आंखें लाल हो जाती है. आंखों में काफी दर्द होता है. जलन के साथ खुजलाहट भी रहता है. आंखों से पानी आता रहता है. और आंखों में कीचड़ भी जमा होता रहता है. अगर सुबह की लार आप अपनी आंखों में लगाएंगे तो कहते हैं 24 घंटे के भीतर आंख ठीक हो जाता है.

6. *नयन के सभी रोग*
जो इंसान सुबह की बासी लार काजल की तरहः आंखों में लगता है उसे जीवन भर नयन के कोई रोग नही होता है संक्षेप में कंहुँ तो लगभग आँखों के 22- 23 रोग इसके नियमित सेवन से नस्ट होता है

7. *जलने के दाग*

यहां तक की सुबह – सुबह की लार जले हुए दाग पर रोज़ लगाने से 6 – 8 महीने में दाग मिटने लगते हैं.

8. *सभी चर्म रोग*

सुबह की लार से नियमित मालिश से सभी चर्म रोग नष्ट होते हैं

9. *सभी प्रकार के जख्म*

सुबह की बासी लार को मलहम की तरहः नियमित उपयोग कर सभी प्रकार के जख्म को भरा जा सकता है अनमोल औषधि है(यँहा तक मधुमेह रोगी के जख्म को भी जल्द से जल्द भरती है)

10. *बालो की समस्या (झड़ना व सफेद व गंजापन)*

सुबह की बासी लार की नियमित मालिश से बालो की समस्या नष्ट होती है

11. *चेहरे की समस्या*

त्वचा के सभी रोग इसके नियमित मालिस से नष्ट होता है कील मुँहासे रूखापन दाग धब्बे

ये है मुंह की लार के फायदे इतना ही नहीं मुंह की लार और भी बहुत सारी बीमारियां, जैसे एक्जिमा, सोरायसिस, और भेंगापन जैसी बीमारियों मे भी काफी फायदेमंद साबित होता है. तो क्यों ना आज से हीं हम अपना यह रूटीन बना लें, कि सुबह उठते हीं सबसे पहले भरपूर मात्रा में पानी पीएं, और बीमारियों को अलविदा कहें

कैंसर रोगी या अन्य रोग के कारण जब उनके लार बनने की प्रक्रिया बन्द हो जाती है तो यही लार 10ml लगभग 10 से 15 हजार में मिलती है वो भी किसी और का जुठा

जब आपके लार बनने की क्षमता कम हो जाए तो उसकी अचूक औषधि है अपनी रसोई में हर कड़वी व कसैली जैसे मेथी,आवला,त्रिफला,व सभी प्रकृति के द्वारा प्रदान किये गए दातुन व उनके पत्ते जैसे निम करंज बबूल महुआ जामुन कदम्ब आम अमरूद बेल पीपल अपामार्ग बांस इत्यादि

जो इंसान अप्राकृतिक मंजन (आर्थत पेस्ट केमिकल युक्त) का, नशीली वस्तुयों का, सेवन करते है या किसी रोग के उपचार में उपयोग एलोपैथी दवा का दुष्प्रभाव उनकी लार बनने की क्षमता कम होती है।

प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग केंद्र आगर मालवा

 #पैकिंग  #आटा में कीड़े क्यों नही पड़ते ??आंखें खोल देने वाला सच ----------:एक प्रयोग करके देखें । गेहूं का आटा पिसवा कर ...
07/08/2023

#पैकिंग #आटा में कीड़े क्यों नही पड़ते ??

आंखें खोल देने वाला सच ----------:

एक प्रयोग करके देखें । गेहूं का आटा पिसवा कर उसे 2 महीने स्टोर करने का प्रयास करें।,आटे में कीड़े पड़ जाना स्वाभाविक हैं, *आप आटा स्टोर नहीं कर पाएंगे।*
फिर ये बड़े बड़े ब्रांड आटा कैसे स्टोर कर पा रहे हैं? यह सोचने वाली बात है।

एक केमिकल है- बेंजोयलपर ऑक्साइड, जिसे ' फ्लौर इम्प्रूवर ' भी कहा जाता है।* इसकी पेरमिसीबल लिमिट 4 मिलीग्राम है, लेकिन आटा बनाने वाली फर्में 400 मिलीग्राम तक ठोक देती हैं। कारण क्या है? आटा खराब होने से लम्बे समय तक बचा रहे। *बेशक़ उपभोक्ता की किडनी का बैंड बज जाए।

कोशिश कीजिये खुद सीधे गेहूं खरीदकर अपना आटा पिसवाकर खाएं।

नियमानुसार आटे का समय..
ठंडके दिनों में 30 दिन
गरमी के दिनों में 20 दिन
बारिस के दिनों में 15 दिन का बताया गया है।

ताजा आटा खाइये, स्वस्थ रहिये...समझदार बनें, अपने लिए पुरुषार्थी बन सभी गेंहू पिसवा कर काम ले। न कोई रेडीमेड थैली का........

केवल 3 बदलाव कर के देखे

1.) नमक सेंधा प्रयोग करे,
2.) आटा चक्की से पिसवा कर लाये,
3.) पानी मटके का पिये,सुबह गर्म पानी पिये...

आधी बीमारियों से छुटकारा पाएंगे ........!!

-- स्वास्थ्य मंदिर प्राकृतिक चिकित्सा एवं अनुसंधान केंद्र आगर मालवा

Address

Sewa Bharti Sarangpur Rod Agar Dist. Agarmalwa 465441
Agar Malwa
465441

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