17/08/2025
अमलतास का पेड़ (Cassia fistula), जिसे गोल्डन शावर ट्री, इंडियन लेबर्नम या पर्जिंग कैसिया भी कहा जाता है, एक सुंदर और औषधीय गुणों से भरपूर वृक्ष है। यह आमतौर पर पूरे भारत में सड़कों के किनारे, बगीचों तथा गाँवों में पाया जाता है। गर्मियों में इसमें पीले रंग के लटकते फूलों के गुच्छे निकलते हैं, जो देखने में बेहद आकर्षक होते हैं।
पहचान और विशेषताएँ
यह पर्णपाती (deciduous) वृक्ष 5 से 15 मीटर तक ऊँचा हो सकता है।
फूल: इसके पीले, सुगंधित फूल लटकती माला के जैसे होते हैं और अप्रैल–मई में खिलते हैं।
फल: इसके लंबे, बेलनाकार फल (फली) काले या गहरे भूरे रंग के और लगभग 25–50 सेमी लंबे होते हैं।
पत्तियाँ व शाखा: शाखाएँ छीलने पर लाल रस निकलता है, जो बाद में गोंद बन जाता है।
औषधीय उपयोग और लाभ
इस पेड़ के पत्ते, फूल, फल, छाल, जड़—हर भाग का इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधियों में होता है।
कब्ज, पेट संबंधी रोगों, बुखार, पीलिया, सफेद दाग, त्वचा रोग, गठिया (जोड़ों का दर्द), थायराइड, डायबिटीज, प्रतिरक्षा बढ़ाने इत्यादि में लाभकारी है।
फली और उसके गूदे का उपयोग विरेचक (मल साफ करने वाली), पित्तनाशक और कफनाशक औषधि के रूप में किया जाता है।
पत्तियों का लेप एड़ी फटना और घाव ठीक करने में, जबकि फूलों का प्रयोग कब्ज में राहत के लिए किया जाता है।
अन्य जानकारी
अमलतास के फूल खिलने के बाद 40–45 दिन में वर्षा आने का अनुमान भी कई जगह माना जाता है, इसलिए इसे 'रेन इंडिकेटर ट्री' भी कहते हैं।
यह पौधा थाईलैंड का राष्ट्रीय वृक्ष और केरल राज्य का राजकीय वृक्ष भी है।
अमलतास न केवल सुंदरता और छाँव देने वाला वृक्ष है, बल्कि प्राकृतिक औषधीय गुणों के कारण भारतीय जीवन, संस्कृति और आयुर्वेद का महत्वपूर्ण भाग भी है