28/11/2025
🔱 **अखण्ड ‘भा’-रत अभियान** :
‘संसार’ से ‘स्व–प्रकाश’ और ‘स्व–प्रकाश’ से ‘सार्वभौम प्रकाश’ की दैवीय अन्तर्यात्रा**
✍️ सद्गुरु नरेन्द्र सत्यानन्द की प्रेरणा से
सत्यानन्द रिसर्च इंस्टीट्यूट (SRI)
जीवन एक साधारण यात्रा नहीं है—
यह एक अन्तर्यात्रा है।
यह यात्रा बाहर की दुनिया (संसार) से शुरू होती है,
पर इसका असली लक्ष्य भीतर का *स्व–प्रकाश* है,
और वही *स्व–प्रकाश* आगे चलकर
पूरी मानवता के लिए *सार्वभौम प्रकाश* बन जाता है।
*अखण्ड ‘भा’-रत अभियान (ABHA)* इसी अन्तर्ज्ञानयात्रा का दिव्य रूपांतरण है—
एक ऐसा अभियान जहाँ गुरु कृपा
हमें बाहर की उलझनों से उठाकर
भीतर के प्रकाश तक ले जाती है
और फिर भीतर के प्रकाश को
विश्व–मानवता तक पहुँचाने का संकल्प देती है।
🌺 *संसार से स्व–प्रकाश की यात्रा*
हम सब अपनी दिनचर्या, परिवार, संबंधों, संघर्षों,
अभीष्ट लक्ष्यों और जीवन की चुनौतियों में जी रहे हैं।
संसार से भागना नहीं है—
संसार को प्रकाशपूर्ण बनाना है।
यही सभी महान सिद्धों, गुरुजनों का उपदेश है—
कि साधक अपने जीवन की प्रत्येक भूमिका में सफल होकर भी
अपने भीतर की दिव्य ज्योति को जाग्रत रखे।
शक्तिपात दीक्षा, कुण्डलिनी जागरण, चक्र एक्टिवेशन,
और सत्यानन्द रिसर्च इंस्टीट्यूट के अन्य सभी साधना सत्र
साधक को धीरे–धीरे बाहर की अंधकारमय परतों से निकालकर
अपने सच्चे स्वरूप—स्व–प्रकाश—की ओर ले जाते हैं।
जब साधक भीतर प्रकाशित होता है,
तो उसका संसार स्वयं बदलने लगता है।
🌟 *स्व–प्रकाश से सार्वभौम प्रकाश*
जब भीतर का प्रकाश प्रबल होता है,
तो साधक स्वार्थ से ऊपर उठकर
सेवा, दान, करुणा और गुरु मिशन की साधना में लग जाता है।
जिससे यही प्रकाश आगे चलकर
दूसरों के जीवन को प्रकाशित करता है, अन्य चेतना दीप जलाता है।
इसी दिव्य उद्देश्य से
*सत्यानन्द रिसर्च इंस्टीट्यूट (SRI)*
*अखण्ड ‘भा’-रत अभियान (ABHA)* चला रहा है—
एक ऐसा अभियान जो
साधक के भीतर की ज्योति को जगाकर
उसे समाज, राष्ट्र और मानवता तक फैलाता है।
> “जब एक साधक स्वयं प्रकाशित होता है,
तब वह अनगिनत लोगों के जीवन में प्रकाश फैला सकता है।”
— सदगुरु नरेन्द्र सत्यानन्द
🔱 **ABHA क्यों?
क्योंकि संसार और अध्यात्म दोनों में एक साथ उन्नति का मार्ग यहीं से खुलता है।**
जो साधक—
संसार में सफलता,
परिवार में सौहार्द,
मन में शांति,
और आत्मा में जागरण चाहता है—
उसे यह यात्रा अवश्य अपनानी चाहिए।
ABHA वह सेतु है जो
साधक को “जीवन–संघर्ष” से निकालकर
“जीवन–उत्कर्ष” की ओर ले जाता है।
🌼 सभी श्रद्धालुओं, जिज्ञासुओं और साधकों के लिए आह्वान
आत्मीय दिव्यात्माओ,
यदि आप
जीवन की समस्याओं से ऊपर उठना चाहते हैं,
भावनात्मक और मानसिक स्थिरता चाहते हैं,
साधना में उच्च अनुभव चाहते हैं,
और मानवता के उत्थान में योगदान देना चाहते हैं—
तो *अखण्ड ‘भा’-रत अभियान*
आपके लिए ही है।
आइए—
सदगुरु नरेन्द्र सत्यानन्द के गुरु मिशन में
अपने तन–मन–धन से हिस्सा लें।
अपने भीतर की रोशनी को जगाएँ,
और फिर उस रोशनी को
पूरी मानवता तक पहुँचाने का संकल्प लें।
यही आपकी साधना है।
यही आपकी सेवा है।
यही आपका पुण्य है।
और यही इस जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य है।
~ सत्याननद रिसर्च इंस्टीट्यूट
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