Braj Madhukar

Braj Madhukar पूज्य गुरूदेव श्री ब्रजलाल जी महाराज ? www.facebook.com/Yuvacharya
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JAI GURUDEVपरम श्रद्धेय गुरुदेव स्वामी जी श्री ब्रजलाल जी महाराज के 42 वें पुण्य स्मरण दिवस पर शत शत वंदन ।*श्री ब्रज गु...
19/06/2025

JAI GURUDEV
परम श्रद्धेय गुरुदेव स्वामी जी श्री ब्रजलाल जी महाराज के 42 वें पुण्य स्मरण दिवस पर शत शत वंदन ।
*श्री ब्रज गुरुवे नमः*

समतायोगी उप-प्रवर्तक स्वामी जी श्री ब्रजलाल जी महाराज का जनम तिंवरी ग्राम में वसंत पंचमी, विक्रम संवत 1958 को हुआ । आपके पिता जी श्री अमोलकचंद जी श्रीश्रीमाल और माता जी श्री चम्पाबाई थे ।

अल्पावस्था में आपने उच्च वैराग्य के साथ वैशाख शुक्ल 12, विक्रम संवत 1971 को स्वामी जी श्री जोरावरमल जी महाराज के पास ब्यावर में दीक्षा ग्रहण की । निष्काम सेवा भावना आपका विशिष्ट गुण था । दूसरों की पीड़ा आपको स्वयं की पीड़ा लगती थी और आप तुरंत अन्य संतों की पीड़ा – वेदना दूर करने में तत्पर हो जाते थे । आपकी हस्तलिपि अतिसुन्दर थी तो आपकी कंठकला अतिमधुर थी । मधुर स्वर, निश्चल व्यवहार, सरलता और संयम पथ पर अडिगता से चलना आपके सहज गुण थे । आपने आगमों का और ज्योतिष विध्या का गहन अध्ययन किया । अनेकानेक गुणों के बावजूद आप यश – नाम - किर्ति की भावना से कोसों दूर थे ।

स्वामी जी श्री हजारीमल जी महाराज के देवलोकगमन के पश्चात श्री मधुकर मुनि जी महाराज की साहित्य साधना में आप अनन्यतम सहयोगी और प्रेरक रहे । आपका पिता तुल्य वात्सल्य, सही संतुलित निर्णय और साथी जैसा सम्पूर्ण सहयोग युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी के लिए सदा स्पृहणीय और समादरणीय रहा ।

श्रमण संघ को सुदृढ़ और मज़बूत बनाने के लिए आचार्य श्री आनंद ऋषि जी और युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी के संयुक्त चातुर्मास हेतु आपने 81 वर्ष की वृद्धावस्था में भी नासिक की ओर उग्र विहार किया । पर विधि को कुछ और ही स्वीकार था । अचानक रास्ते में धूलिया में आपका स्वास्थ्य कमजोर हो गया । आषाढ़ कृष्ण 8, विक्रम संवत 2040 को आपने समता भाव से संथारा सहित देह त्याग किया । श्रमण संघ के लिए आपने अपने प्राणों का त्याग कर दिया । जिनशासन की एक अपूर्व ज्योत अनंत में विलीन हो गयी ।

आचार्य श्री आनंद ऋषि जी महाराज ने आपको श्रमण संघ का महर्षि दधीचि उदबोधन देकर श्रद्धांजलि अर्पित की । ज्ञात रहे – आपके देवलोकगमन के पश्चात जीवन भर आपकी छाया समान रहे युवाचार्य मधुकर मुनि जी महाराज भी आचार्य आनंद ऋषि जी महाराज के साथ नासिक में ऐतिहासिक चातुर्मास पूर्ण कर 5 महीने बाद अपने गुरुभ्राता के समीप चल दिये । श्रमण संघ में आपके जैसी राम – लक्ष्मण की जोड़ी विरली ही है ।

महासती डॉ श्री सुप्रभा जी म. सा. “सुधा”
साभार – अर्चना अभिनंदन ग्रंथ

गुरुदेव श्री हजारी – ब्रज जन्म जयंती (वसंत पंचमी) 2 फरवरी 2025*समता योगी, श्रमण संघीय प्रवर्तक, मरुधरा प्रांत मंत्री स्व...
02/02/2025

गुरुदेव श्री हजारी – ब्रज जन्म जयंती (वसंत पंचमी) 2 फरवरी 2025
*समता योगी, श्रमण संघीय प्रवर्तक, मरुधरा प्रांत मंत्री स्वामी जी श्री हजारीमल जी महाराज के 138 वें और सेवाभावी, उप-प्रवर्तक स्वामी जी श्री ब्रजलाल जी महाराज के 123 वें जन्मोत्सव ( वसंत पंचमी ) पर दोनों महापुरुषों को कोटी कोटी वंदन – नमन ।*
राजस्थान प्रवर्तिनी महासती डॉ श्री सुप्रभा जी म. सा. “सुधा” द्वारा संपादित – अर्चना अभिनंदन ग्रंथ में दोनों महान मुनिराजों के जीवन का सहज और सुंदर वर्णन किया गया है, जो इस प्रकार है --
स्वामी जी श्री हजारीमल जी महाराज वास्तव में एक सतयुगी संत थे । आपका जनम विक्रम संवत 1943 में वसंत पंचमी के दिन डांसरिया ग्राम (मेवाड़) निवासी श्रीमान मोतीलाल जी मुणोत की धर्मशीला तेजस्विनी धर्मपत्नी श्री नंदुबाई की पावन कुक्षि से हुआ । माता पिता की सतप्रेरणा से आप साधु – संतों की संगति में पहुंचे और धीरे धीरे पूर्व जन्म के संस्कारों से प्रेरित होकर आपने विक्रम संवत 1954, ज्येष्ठ कृष्ण दशमी के दिन नागौर में पूज्य स्वामी जी श्री जोरावरमल जी महाराज के श्रीचरणों में संयम अंगीकार किया ।
श्रमण संघ के संगठन में आपका योगदान अन्यतम कहा जा सकता है । आपकी सूझबूझ, उदारता व प्रतिष्ठा की भावना से निर्लिप्तता और सभी मुनिवरों के साथ मिलनसारिता ने श्रमण संघ की ऐतिहासिक एकता का मार्ग प्रशस्त किया ।
उत्कृष्ट सहिष्णुता आपका इष्ट गुण था । आप बोलने में एकदम खरे थे, किन्तु खारे नहीं थे । पीड़ा सहने में आप व्रज के समान कठोर थे किन्तु आपका हृदय फूल के समान कोमल था । सत्य और अहिंसा की साधना से आप अभय हो गए थे । आप महान त्यागी मुनिराज थे ।
नोखा चंदावतों का में चेत्र कृष्ण दशमी, विक्रम संवत 2018 को रात्रि में आपने समाधि पूर्वक देह त्याग किया । समता, सत्य निष्ठा और सहिष्णुता का एक जीवन प्रतीक इस धरा से चला गया । आप जैसे उज्ज्वल और सरल संत को सादर नमन – वंदन !!
समतायोगी, श्रमण संघीय उप-प्रवर्तक स्वामी जी श्री ब्रजलाल जी महाराज का जनम तिंवरी ग्राम में वसंत पंचमी, विक्रम संवत 1958 को हुआ । आपके पिता जी श्री अमोलकचंद जी श्रीश्रीमाल और माता जी श्री चम्पाबाई थे ।
अल्पावस्था में आपने उच्च वैराग्य के साथ वैशाख शुक्ल 12, विक्रम संवत 1971 को स्वामी जी श्री जोरावरमल जी महाराज के पास ब्यावर में दीक्षा ग्रहण की । निष्काम सेवा भावना आपका विशिष्ट गुण था । दूसरों की पीड़ा आपको स्वयं की पीड़ा लगती थी और आप तुरंत अन्य संतों की पीड़ा – वेदना दूर करने में तत्पर हो जाते थे । आपकी हस्तलिपि अतिसुन्दर थी तो आपकी कंठकला अतिमधुर थी । मधुर स्वर, निश्चल व्यवहार, सरलता और संयम पथ पर अडिगता से चलना आपके सहज गुण थे । आपने आगमों का और ज्योतिष विध्या का गहन अध्ययन किया । अनेकानेक गुणों के बावजूद आप यश – नाम - किर्ति की भावना से कोसों दूर थे ।
स्वामी जी श्री हजारीमल जी महाराज के देवलोकगमन के पश्चात श्री मधुकर मुनि जी महाराज की साहित्य साधना में आप अनन्यतम सहयोगी और प्रेरक रहे । आपका पिता तुल्य वात्सल्य, सही संतुलित निर्णय और साथी जैसा सम्पूर्ण सहयोग युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी के लिए सदा स्पृहणीय और समादरणीय रहा ।
श्रमण संघ को सुदृढ़ और मज़बूत बनाने के लिए आचार्य श्री आनंद ऋषि जी और युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी के संयुक्त चातुर्मास हेतु आपने 81 वर्ष की वृद्धावस्था में भी नासिक की ओर उग्र विहार किया । पर विधि को कुछ और ही स्वीकार था । अचानक रास्ते में धूलिया में आपका स्वास्थ्य कमजोर हो गया । आषाढ़ कृष्ण 8, विक्रम संवत 2040 को आपने समता भाव से संथारा सहित देह त्याग किया । श्रमण संघ के लिए आपने अपने प्राणों का त्याग कर दिया । जिनशासन की एक अपूर्व ज्योत अनंत में विलीन हो गयी ।
आचार्य श्री आनंद ऋषि जी महाराज ने आपको श्रमण संघ का महर्षि दधीचि उदबोधन देकर श्रद्धांजलि अर्पित की । ज्ञात रहे – आपके देवलोकगमन के पश्चात जीवन भर आपकी छाया समान रहे युवाचार्य मधुकर मुनि जी महाराज भी आचार्य आनंद ऋषि जी महाराज के साथ नासिक में ऐतिहासिक चातुर्मास पूर्ण कर 5 महीने बाद अपने गुरुभ्राता के समीप चल दिये । श्रमण संघ में आपके जैसी राम – लक्ष्मण की जोड़ी विरली ही है ।
आप दोनों महापुरुषों को सादर वंदन – नमन ।
जैन संजीव नाहटा, अहमदाबाद

JAI GURUDEVपरम श्रद्धेय गुरुदेव स्वामी जी श्री ब्रजलाल जी महाराज के 41 वें पुण्य स्मरण दिवस पर शत शत वंदन ।समतायोगी उप-प...
29/06/2024

JAI GURUDEV
परम श्रद्धेय गुरुदेव स्वामी जी श्री ब्रजलाल जी महाराज के 41 वें पुण्य स्मरण दिवस पर शत शत वंदन ।

समतायोगी उप-प्रवर्तक स्वामी जी श्री ब्रजलाल जी महाराज का जनम तिंवरी ग्राम में वसंत पंचमी, विक्रम संवत 1958 को हुआ । आपके पिता जी श्री अमोलकचंद जी श्रीश्रीमाल और माता जी श्री चम्पाबाई थे ।

अल्पावस्था में आपने उच्च वैराग्य के साथ वैशाख शुक्ल 12, विक्रम संवत 1971 को स्वामी जी श्री जोरावरमल जी महाराज के पास ब्यावर में दीक्षा ग्रहण की । निष्काम सेवा भावना आपका विशिष्ट गुण था । दूसरों की पीड़ा आपको स्वयं की पीड़ा लगती थी और आप तुरंत अन्य संतों की पीड़ा – वेदना दूर करने में तत्पर हो जाते थे । आपकी हस्तलिपि अतिसुन्दर थी तो आपकी कंठकला अतिमधुर थी । मधुर स्वर, निश्चल व्यवहार, सरलता और संयम पथ पर अडिगता से चलना आपके सहज गुण थे । आपने आगमों का और ज्योतिष विध्या का गहन अध्ययन किया । अनेकानेक गुणों के बावजूद आप यश – नाम - किर्ति की भावना से कोसों दूर थे ।

स्वामी जी श्री हजारीमल जी महाराज के देवलोकगमन के पश्चात श्री मधुकर मुनि जी महाराज की साहित्य साधना में आप अनन्यतम सहयोगी और प्रेरक रहे । आपका पिता तुल्य वात्सल्य, सही संतुलित निर्णय और साथी जैसा सम्पूर्ण सहयोग युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी के लिए सदा स्पृहणीय और समादरणीय रहा ।

श्रमण संघ को सुदृढ़ और मज़बूत बनाने के लिए आचार्य श्री आनंद ऋषि जी और युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी के संयुक्त चातुर्मास हेतु आपने 81 वर्ष की वृद्धावस्था में भी नासिक की ओर उग्र विहार किया । पर विधि को कुछ और ही स्वीकार था । अचानक रास्ते में धूलिया में आपका स्वास्थ्य कमजोर हो गया । आषाढ़ कृष्ण 8, विक्रम संवत 2040 को आपने समता भाव से संथारा सहित देह त्याग किया । श्रमण संघ के लिए आपने अपने प्राणों का त्याग कर दिया । जिनशासन की एक अपूर्व ज्योत अनंत में विलीन हो गयी ।

आचार्य श्री आनंद ऋषि जी महाराज ने आपको श्रमण संघ का महर्षि दधीचि उदबोधन देकर श्रद्धांजलि अर्पित की । ज्ञात रहे – आपके देवलोकगमन के पश्चात जीवन भर आपकी छाया समान रहे युवाचार्य मधुकर मुनि जी महाराज भी आचार्य आनंद ऋषि जी महाराज के साथ नासिक में ऐतिहासिक चातुर्मास पूर्ण कर 5 महीने बाद अपने गुरुभ्राता के समीप चल दिये । श्रमण संघ में आपके जैसी राम – लक्ष्मण की जोड़ी विरली ही है ।

महासती डॉ श्री सुप्रभा जी म. सा. “सुधा”
साभार – अर्चना अभिनंदन ग्रंथ

पूज्य गुरुदेव श्री जोरावरमल जी महाराज़ क़ी निश्राय मे अल्पवय मे दीक्षा ग्रहण करते मुनि श्री मिश्रीमल जी वैशाख सुदी 10, वि ...
18/05/2024

पूज्य गुरुदेव श्री जोरावरमल जी महाराज़ क़ी निश्राय मे अल्पवय मे दीक्षा ग्रहण करते मुनि श्री मिश्रीमल जी
वैशाख सुदी 10, वि स.1980, भिणाय, अजमेर
गुरु मिश्री मधुकर की 101 वीं दीक्षा जयंती पर शत शत वंदन 🙏🙏🙏

गुरुदेव श्री हजारी – ब्रज जन्म जयंती (वसंत पंचमी) 14 फरवरी 2024समता योगी, श्रमण संघीय प्रवर्तक, मरुधरा प्रांत मंत्री स्व...
14/02/2024

गुरुदेव श्री हजारी – ब्रज जन्म जयंती (वसंत पंचमी) 14 फरवरी 2024
समता योगी, श्रमण संघीय प्रवर्तक, मरुधरा प्रांत मंत्री स्वामी जी श्री हजारीमल जी महाराज के 137 वें और सेवाभावी, उप-प्रवर्तक स्वामी जी श्री ब्रजलाल जी महाराज के 122 वें जन्मोत्सव ( वसंत पंचमी ) पर दोनों महापुरुषों को कोटी कोटी वंदन – नमन । राजस्थान प्रवर्तिनी महासती डॉ श्री सुप्रभा जी म. सा. “सुधा” द्वारा संपादित – अर्चना अभिनंदन ग्रंथ में दोनों महान मुनिराजों के जीवन का सहज और सुंदर वर्णन किया गया है, जो इस प्रकार है --
स्वामी जी श्री हजारीमल जी महाराज वास्तव में एक सतयुगी संत थे । आपका जनम विक्रम संवत 1943 में वसंत पंचमी के दिन डांसरिया ग्राम (मेवाड़) निवासी श्रीमान मोतीलाल जी मुणोत की धर्मशीला तेजस्विनी धर्मपत्नी श्री नंदुबाई की पावन कुक्षि से हुआ । माता पिता की सतप्रेरणा से आप साधु – संतों की संगति में पहुंचे और धीरे धीरे पूर्व जन्म के संस्कारों से प्रेरित होकर आपने विक्रम संवत 1954, ज्येष्ठ कृष्ण दशमी के दिन नागौर में पूज्य स्वामी जी श्री जोरावरमल जी महाराज के श्रीचरणों में संयम अंगीकार किया ।
श्रमण संघ के संगठन में आपका योगदान अन्यतम कहा जा सकता है । आपकी सूझबूझ, उदारता व प्रतिष्ठा की भावना से निर्लिप्तता और सभी मुनिवरों के साथ मिलनसारिता ने श्रमण संघ की ऐतिहासिक एकता का मार्ग प्रशस्त किया ।
उत्कृष्ट सहिष्णुता आपका इष्ट गुण था । आप बोलने में एकदम खरे थे, किन्तु खारे नहीं थे । पीड़ा सहने में आप व्रज के समान कठोर थे किन्तु आपका हृदय फूल के समान कोमल था । सत्य और अहिंसा की साधना से आप अभय हो गए थे । आप महान त्यागी मुनिराज थे ।
नोखा चंदावतों का में चेत्र कृष्ण दशमी, विक्रम संवत 2018 को रात्रि में आपने समाधि पूर्वक देह त्याग किया । समता, सत्य निष्ठा और सहिष्णुता का एक जीवन प्रतीक इस धरा से चला गया । आप जैसे उज्ज्वल और सरल संत को सादर नमन – वंदन !!
समतायोगी, श्रमण संघीय उप-प्रवर्तक स्वामी जी श्री ब्रजलाल जी महाराज का जनम तिंवरी ग्राम में वसंत पंचमी, विक्रम संवत 1958 को हुआ । आपके पिता जी श्री अमोलकचंद जी श्रीश्रीमाल और माता जी श्री चम्पाबाई थे ।
अल्पावस्था में आपने उच्च वैराग्य के साथ वैशाख शुक्ल 12, विक्रम संवत 1971 को स्वामी जी श्री जोरावरमल जी महाराज के पास ब्यावर में दीक्षा ग्रहण की । निष्काम सेवा भावना आपका विशिष्ट गुण था । दूसरों की पीड़ा आपको स्वयं की पीड़ा लगती थी और आप तुरंत अन्य संतों की पीड़ा – वेदना दूर करने में तत्पर हो जाते थे । आपकी हस्तलिपि अतिसुन्दर थी तो आपकी कंठकला अतिमधुर थी । मधुर स्वर, निश्चल व्यवहार, सरलता और संयम पथ पर अडिगता से चलना आपके सहज गुण थे । आपने आगमों का और ज्योतिष विध्या का गहन अध्ययन किया । अनेकानेक गुणों के बावजूद आप यश – नाम - किर्ति की भावना से कोसों दूर थे ।
स्वामी जी श्री हजारीमल जी महाराज के देवलोकगमन के पश्चात श्री मधुकर मुनि जी महाराज की साहित्य साधना में आप अनन्यतम सहयोगी और प्रेरक रहे । आपका पिता तुल्य वात्सल्य, सही संतुलित निर्णय और साथी जैसा सम्पूर्ण सहयोग युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी के लिए सदा स्पृहणीय और समादरणीय रहा ।
श्रमण संघ को सुदृढ़ और मज़बूत बनाने के लिए आचार्य श्री आनंद ऋषि जी और युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी के संयुक्त चातुर्मास हेतु आपने 81 वर्ष की वृद्धावस्था में भी नासिक की ओर उग्र विहार किया । पर विधि को कुछ और ही स्वीकार था । अचानक रास्ते में धूलिया में आपका स्वास्थ्य कमजोर हो गया । आषाढ़ कृष्ण 8, विक्रम संवत 2040 को आपने समता भाव से संथारा सहित देह त्याग किया । श्रमण संघ के लिए आपने अपने प्राणों का त्याग कर दिया । जिनशासन की एक अपूर्व ज्योत अनंत में विलीन हो गयी ।
आचार्य श्री आनंद ऋषि जी महाराज ने आपको श्रमण संघ का महर्षि दधीचि उदबोधन देकर श्रद्धांजलि अर्पित की । ज्ञात रहे – आपके देवलोकगमन के पश्चात जीवन भर आपकी छाया समान रहे युवाचार्य मधुकर मुनि जी महाराज भी आचार्य आनंद ऋषि जी महाराज के साथ नासिक में ऐतिहासिक चातुर्मास पूर्ण कर 5 महीने बाद अपने गुरुभ्राता के समीप चल दिये । श्रमण संघ में आपके जैसी राम – लक्ष्मण की जोड़ी विरली ही है ।
आप दोनों महापुरुषों को सादर वंदन – नमन ।
संकलन - संजीव कुमार नाहटा जैन, अहमदाबाद

*शासन सेवी, समता योगी, निष्काम साधक परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री ब्रजलाल जी महाराज साहब के दीक्षा दिवस पर शत शत वंदन*🙏🙏🙏ग...
02/05/2023

*शासन सेवी, समता योगी, निष्काम साधक परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री ब्रजलाल जी महाराज साहब के दीक्षा दिवस पर शत शत वंदन*
🙏🙏🙏
गुरु कृपा बरसती रहे

26/01/2023
06/12/2022

*श्री संभवनाथ प्रभु जन्म कल्याणक*
*युवाचार्य श्री मिश्री मधुकर गुरु एवं उम्मेद गुरुणी जन्म जयंती पर शत शत वंदन*
🙏🙏🙏

21/07/2022

श्रमण संघीय प्रथम युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी महाराज की अंतेवासिनी शिष्या काश्मीर प्रचारिका राजगुरूमाता श्री .....

Today Updateश्रमण संघीय प्रथम *युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी* के प्रधान शिष्य उप प्रवर्तक *श्री विनय मुनि जी म.सा. "भीम" ...
18/07/2022

Today Update

श्रमण संघीय प्रथम *युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी* के प्रधान शिष्य उप प्रवर्तक *श्री विनय मुनि जी म.सा. "भीम" अहमदाबाद* के Zydus Hospital में रूम नंबर 1419 में *स्वास्थ्य लाभ* ले रहे हैं।
पूज्य गुरु भगवंतो की कृपा से एवं सभी गुरुभक्तों की शुभकामनाओं से *गुरुजी के स्वास्थ्य में काफी सुधार है।*
गुरुजी का *पेट एवं किडनी सम्बन्धी इलाज चल रहा है।*
आज *जोधपुर से प्रकाश जी सिंघवी, सुरेश जी पारेख, हीरालाल जी कोठारी, सूरत से रमेश जी चोरडीया, अहमदाबाद से सिद्धार्थ जी सिंघवी, संजीव नाहटा, दीपक जी सेठिया, शाहीबाग से पारसमल जी कोठारी, नरेन्द्र जी मेहता आदि अनेक गुरुभक्तों* ने दर्शन, सेवा का लाभ लिया।
*श्री साहिल मुनि जी ने फरमाया है कि गुरुजी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हेतु सभी गुरुभक्त रोजाना रात्रि 9.00 से 9.15 सपरिवार सामूहिक नवकार मंत्र का जाप करें।*

*तपाचार्य श्री जयमाला जी म.सा. की सुशिष्या श्री चंद्रप्रभा ने का हार्ट का ऑपरेशन सफलता पूर्वक* हो गया है। महासती जी अहमदाबाद के Epic hospital में रूम नंबर 108 में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। *श्री चंचल जी म.सा* आदि ठाणा 2 सेवा में साथ में हैं।

✍️ संजीव नाहटा, अहमदाबाद
17-07-2022

https://youtu.be/9OeC2LxpMik*दिन की शुरुवात**गुरु पच्चीसी के साथ*✨✨✨🎼🎼🎼*मधुकर मीठो नाम है, जो बोले सुख पाय**विजय मिले हर...
19/05/2022

https://youtu.be/9OeC2LxpMik

*दिन की शुरुवात*
*गुरु पच्चीसी के साथ*
✨✨✨🎼🎼🎼
*मधुकर मीठो नाम है, जो बोले सुख पाय*
*विजय मिले हर काम में, सुयश जग में छाय*

Dedicated to Poojya Gurudev Shri Brajlal Ji Maharaj and Yuvacharya Shri Madhukar Muni Ji Maharaaj.. ---------------Lyr...

*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री ब्रज लाल जी महाराज के संयम दिवस पर गुरु चरणों में शत शत नमन – वंदन*🙏🙏🙏 https://youtu.be/9Oe...
13/05/2022

*परम श्रद्धेय स्वामी जी श्री ब्रज लाल जी महाराज के संयम दिवस पर गुरु चरणों में शत शत नमन – वंदन*
🙏🙏🙏

https://youtu.be/9OeC2LxpMik

समतायोगी उप-प्रवर्तक स्वामी जी श्री ब्रजलाल जी महाराज अनेक सद्गुणों के धारक थे । *निष्काम सेवा भावना* आपका विशिष्ट गुण था । दूसरों की पीड़ा आपको स्वयं की पीड़ा लगती थी और आप तुरंत अन्य संतों की पीड़ा – वेदना दूर करने में तत्पर हो जाते थे । आपकी *हस्तलिपि* अतिसुन्दर थी तो आपकी *कंठकला अतिमधुर* थी । मधुर स्वर, निश्चल व्यवहार, सरलता और संयम पथ पर अडिगता से चलना आपके सहज गुण थे । आपने *आगमों का और ज्योतिष विध्या का* गहन अध्ययन किया । अनेकानेक गुणों के बावजूद आप *यश – नाम - किर्ति की भावना* से कोसों दूर थे ।
स्वामी जी *श्री हजारीमल जी महाराज* के देवलोकगमन के पश्चात *श्री मधुकर मुनि जी महाराज* की साहित्य साधना में आप अनन्यतम सहयोगी और प्रेरक रहे । आपका पिता तुल्य वात्सल्य, सही संतुलित निर्णय और साथी जैसा सम्पूर्ण सहयोग युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी के लिए सदा स्पृहणीय और समादरणीय रहा ।
*श्रमण संघ* को सुदृढ़ और मज़बूत बनाने के लिए *आचार्य श्री आनंद ऋषि जी और युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी* के संयुक्त चातुर्मास हेतु आपने 81 वर्ष की वृद्धावस्था में भी नासिक की ओर उग्र विहार किया । पर विधि को कुछ और ही स्वीकार था । अचानक रास्ते में धूलिया में आपका स्वास्थ्य कमजोर हो गया । आषाढ़ कृष्ण 8, विक्रम संवत 2040 को आपने समता भाव से संथारा सहित देह त्याग किया । श्रमण संघ के लिए आपने अपने *प्राणों का त्याग* कर दिया । जिनशासन की एक अपूर्व ज्योत अनंत में विलीन हो गयी ।
आचार्य श्री आनंद ऋषि जी महाराज ने आपको *श्रमण संघ का महर्षि दधीचि* उदबोधन देकर श्रद्धांजलि अर्पित की । ज्ञात रहे – आपके देवलोकगमन के पश्चात जीवन भर आपकी छाया समान रहे युवाचार्य मधुकर मुनि जी महाराज भी आचार्य आनंद ऋषि जी महाराज के साथ नासिक में ऐतिहासिक चातुर्मास पूर्ण कर 5 महीने बाद अपने गुरुभ्राता के समीप चल दिये । श्रमण संघ में आपके जैसी *राम – लक्ष्मण* की जोड़ी विरली ही है ।

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