07/10/2024
आजकल लोग बीपी और शुगर को इतना हल्के में लेने लगे हैं कि डॉक्टर की दी हुई सलाह छोड़ कर सबकी बात मानेंगे, दवाई नहीं खायेंगे। तर्क ऐसे देंगे कि आप अपना सिर पकड़ने लगो। हमें तो पता चल जाता है कि कब बीपी बढ़ गया कब कम हो गया। भाई आपके अंदर बीपी नापने की मशीन लगा दी है किसी ने?!!
150-160 बीपी को तो ये लोग नॉर्मल मानते हैं, " इतना तो डॉक्टर साब हमारा हर समय रहता है।" ये तो नॉर्मल है, दवा मत लिखना।।
लगातार बढ़े हुए बीपी के बहुत नुकसान हैं, शरीर के हर अंग को ये प्रभावित करता रहता है। दिल, दिमाग और किडनी पर बहुत ही गंभीर असर होता है जो रिवर्स नही हो सकता।ऐसे लोग जीवन में एक बार किसी बड़े अस्पताल के आईसीयू में ज़रूर सफर करके आते हैं और वहां जा कर, अपनी सारी गाढ़ी कमाई खर्च करने के बाद ये समझ आता है कि बीपी और शुगर की दवाई लेते रहते तो ये नौबत न आती, दिल का दौरा न पड़ता, स्ट्रोक न होता, फालिज न मारती।
कुछ लोगो की समझ की तो दाद देनी पड़ेगी। ये वो लोग हैं जो कहते हैं कि बीपी की दवा नहीं खायेंगे, उससे किडनी खराब हो जायेगी। और यही लोग रोज शाम को जाम छलकाने के बाद चौराहों पर मलाई चाप, तंदूरी चिकन , मोमोज़ इत्यादि हाई कैलोरी, हाई सोडियम कंटेंट वाले खाध्य पदार्थों का सेवन करते नजर आएंगे।
कुछ कैटेगरी के लोग दवा तो लेंगे पर जो डॉक्टर ने लिखी है वो नही।दादाजी , फूफी, खाला वाली Amlokind AT ले लेते हैं। ये वो दवा है जो zinetac, combiflam की तरह हर घर में पाई जाती है। ये बीपी की वो दवा है जो किसी डॉक्टर के पर्चे पर ढूंढे नहीं मिलेगी पर बिकती सबसे ज़्यादा है।
ऐसे सभी लोगों से विनम्र निवेदन है कि बीपी शुगर की दवाओं में लापरवाही न बरतें।
धन्यवाद।