Shrijani Garbhsanskar & Antenatal Care

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महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्र्वरी ।हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ।।शुभम करोति कल्याणम, अरोग्यम धन...
20/10/2025

महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्र्वरी ।
हरिप्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ।।

शुभम करोति कल्याणम,
अरोग्यम धन संपदा,
शत्रु-बुद्धि विनाशायः,
दीपःज्योति नमोस्तुते !

सुख,शान्ति एवम समृद्धि की मंगलमयी कामनाओं के साथ
आप एव आप के परिवार-जनों को दीपावली की हार्दिक मंगल-कामनाएं ।
*।।दीपावली ।।*
की
*।।हार्दिक शुभकामनाएं।।*

🕉🚩

Wish the divine lights of Diwali bring peace, prosperity, health, and love to your life.

All the lights of the world cannot be compared to the to the beauty of the enlightened inner soul. Be healthy, happy and prosperous.

Happy Diwali

Dr KAJAL SINGH
Dr Y K SINGH

*श्रीजनी गर्भ संस्कार ऐंड ऐंटिनेटल केयर*
Shrijani Garbhsanskar & Antenatal Care
Chandrawati hospital Chandrawati hospital
*www.shrijanigarbhsanskar.com*

    21 August 2025 Pushya NakshatraReference of Swarnaprashan:सुवर्णप्राशनं हि एतत् मेधाग्नि बल वर्धनम् । आयुष्यं मंगलं ...
20/08/2025


21 August 2025
Pushya Nakshatra

Reference of Swarnaprashan:
सुवर्णप्राशनं हि एतत् मेधाग्नि बल वर्धनम् । आयुष्यं मंगलं पुण्यं वृष्यं ग्रहापहम् ॥

मासात् परम मेधावी व्याधिभिर्न च दृश्यते । षड्भि मासेः श्रुतधर सुवर्ण प्राशनात् भवेत् ॥ (काश्यप संहिता. सूत्रस्थानम् 18/4-5)
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*21 August 2025- अपने बच्चों को स्वर्ण प्राशन अवश्य दें*
*स्वर्ण प्राशन* है ----
*बच्चों के उज्जवल भविष्य निर्माण में आयुर्वेद का वरदान*।
बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बढ़ाने में लाभदायक

जन्म के छ महीने से 16 वर्ष तक की आयु के बच्चो के लिए।
🔸आयुर्वेद के ऋषि मुनियों द्वारा वर्णित अद्भुत योग जो बच्चो की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढाता है साथ ही सर्वांगीण विकास करता है।
🔸बच्चो में सुनने,समझने,बोलने आदि शक्तियों का विकास करता है।
🔸बच्चो को सर्दी,झुखाम,मोसमी बीमारियों से बचाता है।
🔸बच्चों की पाचन क्रिया को सम्यक करने में सहायक।
🔸एंटीबायोटिक्स से होने वाले दुष्परिणाम से भी बचाता है।
🔸बच्चो की स्मरण शक्ति तथा बुद्धि के विकास को गति प्रदान करता है।
🔸बच्चे को श्रुत्धर (सुनकर याद रखने वाला) बनाता है।
🔸शुद्ध स्वर्ण के साथ गोघृत, शहद, अश्वगंधा, ब्राह्मी, वचा, गिलोय, शंखपुष्पी आदि जैसी अद्भुत औषधियों से निर्मित होती है।

*चिकित्सकीय परामर्श लेकर स्वर्ण प्राशन शुरू कराएं*।
Consult your Ayurvedic Physician to know the dose required for your child .

डॉ काजल सिंह

Swarnaprashan Drops
available at
Drug Shop
Chandrawati hospital
Agra road,Vikas Nagar, Aligarh

www.shrijanigarbhsanskar.com
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17/08/2025
16/08/2025

🙏 श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

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Shrijani Garbhsanskar
Kajal Singh

#श्रीकृष्ण
#जन्माष्टमी
#गर्भसंस्कार
#गर्भसंगीत
#शिशुसंस्कार

 #स्वाधीनता दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनाएंHappy   2025The feeling of patriotism must be pass on to our next generation....
14/08/2025

#स्वाधीनता दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनाएं

Happy 2025

The feeling of patriotism must be pass on to our next generation.
Share some interesting short stories and songs about our Nation, Army and the freedom fighters with the kids.

Let them learn about the glory of Bharat..

Vande Matram
Jai Hind

Shrijani Garbhsanskar
shrijanigarbhsanskar.com

12/08/2025

Dr Kajal Singh

Chandrawati hospital
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🙏💮रक्षाबंधन की शुभकामनाएं और बधाई। 🙏💮                Happy RakshabandhanRakshaSutra shloka येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्र...
09/08/2025

🙏💮रक्षाबंधन की शुभकामनाएं और बधाई। 🙏💮
Happy Rakshabandhan

RakshaSutra shloka

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल।

"I tie you with the same Raksha thread which tied the most powerful, the king of courage, the king of demons, Bali. O Raksha (Raksha Sutra), please don't move and keep fixed throughout the year."

जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बाँधती हूँ। हे रक्षे (राखी)! तुम अडिग रहना (तू अपने संकल्प से कभी भी विचलित न हो।)यह डोर तुम्हारी रक्षा करेगी |

A small piece of Thread has more Power then Everything.... As it is the bond of Love and prayers of wellness
That's RAKHI..
May the Almighty bless this wonderful bond between Every brother and sister ....

HAPPY

Regards
Shrijani Garbhsanskar
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Aligarh

World Breastfeeding Week is more than a celebration —it’s a powerful call to action.🤱 Breastfeeding is a shared responsi...
04/08/2025

World Breastfeeding Week is more than a celebration —
it’s a powerful call to action.

🤱 Breastfeeding is a shared responsibility that demands collective support from families, workplaces, healthcare systems, and communities.

By coming together, we can:

Empower every mother

Ensure every child has the best start in life

Build a healthier, more sustainable future for all

Let’s unite to protect, promote, and support breastfeeding —
today and every day.



SHARING KNOWLEDGE...

Dr.Kajal Singh
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 #चरकजयंती 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻महर्षि चरक - आयुर्वेद के प्रणेताशत् शत् नमन ।💐💐💐💐💐💐💐💐नाग पंचमी के ही दिन आयुर्वेद के ग्रंथ भावप्र...
29/07/2025

#चरकजयंती 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
महर्षि चरक - आयुर्वेद के प्रणेता

शत् शत् नमन ।
💐💐💐💐💐💐💐💐
नाग पंचमी के ही दिन आयुर्वेद के ग्रंथ भावप्रकाश के अनुसार आयुर्वेद के महान आचार्य चरक का भी जन्म हुआ था।

चरक ऐसे पहले चिकित्सक थे जिन्होंने पाचन, चयापचय (भोजन – पाचन से सम्बंधित प्रक्रिया) और शरीर प्रतिरक्षा की अवधारणा दी थी. उनके अनुसार शरीर में पित्त, कफ और वायु के कारण दोष उत्पन्न हो जाते है. यह दोष तब उत्पन्न होते है जब रक्त, मांस और मज्जा खाए हुए भोजन पर प्रतिक्रिया करती है.

चरक ने यहाँ पर यह भी स्पष्ट किया है की समान मात्रा में खाया गया भोजन अलग – अलग शरीरो में भिन्न दोष पैदा करता है अर्थात एक शरीर दूसरे शरीर से भिन्न होता है. उनका कहना था कि बीमारी तब उत्पन्न होती है जब शरीर के तीनो दोष असंतुलित हो जाते है. इनके संतुलन के लिए इन्होने कई दवाईयाँ बनायीं.

कहा जाता है की चरक को शरीर में जीवाणुओं की उपस्थिति का ज्ञान था. परन्तु इस विषय पर उन्होंने अपना कोई मत व्यक्त नहीं किया है. चरक को आनुवंशिकी के मूल सिद्धांतो की भी जानकारी थी. चरक ने अपने समय में यह मान्यता दी थी कि बच्चो में आनुवंशिक दोष जैसे- अंधापन, लंगड़ापन जैसी विकलांगता माता या पिता के किसी कमी के कारण नहीं बल्कि डीम्बाणु या शुक्राणु की त्रुटी के कारण होती थी. यह मान्यता आज एक स्वीकृत तथ्य है.

उन्होंने शरीर में दांतों सहित 360 हड्डियों का होना बताया था. चरक का विश्वास था की ह्रदय शरीर का नियन्त्रण केंद्र है. चरक ने शरीर रचना और भिन्न अंगो का अध्ययन किया था. उनका कहना था की ह्रदय पूरे शरीर के 13 मुख्य धमनियों से जुड़ा हुआ है. इसके अतिरिक्त सैकड़ो छोटी – बड़ी धमनियां है जो सारे ऊतको को भोजन रस पहुंचती है और मल व व्यर्थ पदार्थ बाहर ले आती है. इन धमनियों में किसी प्रकार का विकार आ जाने से व्यक्ति बीमार हो जाता है.

प्राचीन चिकित्सक आत्रेय के निर्देशन में अग्निवेश ने एक वृहत संहिता ईसा से 800 वर्ष पूर्व लिखी थी. इस वृहत संहिता को चरक ने संशोधित किया था जो चरक संहिता के नाम से प्रसिद्ध हुई. इस पुस्तक का कई भाषाओ में अनुवाद हुआ है. आज भी चरक संहिता की उपलब्धि इस बात का स्पष्ट प्रमाण है की ये अपने – अपने विषय के सर्वोतम ग्रन्थ है.

ऐसे ही प्राचीन चिकित्सको की खोज रुपी नीव पर आज का चिकित्सा विज्ञान सुदृढ़ रूप से खड़ा है. इस संहिता ने नवीन चिकित्सा विज्ञान को कई क्षेत्रो में उल्लेखनीय मार्गदर्शन दिया है.

श्रीजनी गर्भ संस्कार
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 #गुरुपर्व  #गुरुपूर्णिमा  आज तक के जीवन में प्रथम-गुरु 'माँ' से लेकर हर उस गुरु के चरणों में सादर-साष्टांग प्रणाम निवेद...
10/07/2025

#गुरुपर्व #गुरुपूर्णिमा
आज तक के जीवन में प्रथम-गुरु 'माँ' से लेकर हर उस गुरु के चरणों में सादर-साष्टांग प्रणाम निवेदन है जिन की कृपा से मनुष्यता की यात्रा सहज-सुगम हो सकी !
सभी 'गुरुओं' के सतत् आशीष की अपेक्षा में ...
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।

गुरुरेव परंब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥

ध्यान मूलं गुरु मूर्ति पूजा मूलं गुरु पद्म ।

मंत्र मूलं गुरु वाक्यं मोक्ष मूलं गुरु कृपा ।।

ब्रह्मानंदं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम् ।

द्वंद्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादिलक्ष्यम् ।

एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षीभूतम् ।

भवातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि ॥

अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् ।

तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥

स्थावरं जंगमं व्याप्तं यत्किंचित्सचराचरम् ।

तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥

मन्नाथः श्रीजगन्नाथो मद्गुरुस्त्रिजगद्गुरुः ।

ममात्मा सर्वभूतात्मा तस्मै श्रीगुरवे नमः ।।

न गुरोरधिकं तत्त्वं न गुरोरधिकं तपः ।

तत्त्वज्ञानात्परं नास्ति तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥

******

त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।

त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव ॥

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ॐ भद्रड् कर्णेभि: शृणुयाम देवा: । भद्रम् पश्येमाक्षभिर्यजत्रा: । स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभि: व्यशेम देवहितं यदायु: ।। ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृध्दश्रवा: । स्वस्ति न: पूषा विश्ववेदा: । स्वस्ति नस्तार्क्ष्योऽअरिष्टनेमि: स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ।। ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ।।

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

06/07/2025

♦️♦️♦️रैबीज ♦️♦️♦️
विस्तृत जानकारी

रेबीज का नाम आपने सुना ही होगा।
✔️यह उष्ण रक्त जानवरों के काटने से होने वाली एक बीमारी है जिसके होने पर मृत्यु की सम्भावना लगभग 100% है।
भारत में हर साल 1 करोड़ 70 लाख लोगों को जानवरों (कुत्ते, बिल्ली, गीदड़, लोमड़ी, भेड़िया, चमगादड़ आदि) के द्वारा काटा जाता है और लगभग 18 से 20 हजार लोगों को रेबीज की बीमारी हो कर उनकी मृत्यु हो जाती है। इसमें सबसे ज्यादा अफ़सोसजनक बात ये है कि इन सभी मौतों को रोका जा सकता है लेकिन ये रुक नहीं पा रही हैं।

✔️इससे कैसे बचा जा सकता है?
इसके लिये सबसे पहले हम रेबीज के बारे में थोड़ी सी बेसिक जानकारी हासिल करेंगे।

सबसे पहले तो यही कि रेबीज क्या है?

यह एक वायरल इन्फेक्शन जनित रोग है जो♦️ Lyssavirus ♦️नामक एक वायरस से होता है। यह वायरस ♦️संक्रमित जानवरों की लार में ♦️पाया जाता है। इन जानवरों, विशेषकर कुत्ते के द्वारा काटने या खरोंच मारने पर यह वायरस उसकी लार के द्वारा व्यक्ति के शरीर में प्रविष्ट कर जाता है। अब इसके बाद अगर समय रहते इसका मुकम्मल इलाज न किया जाये तो यह शर्तिया मृत्यु का कारण बनता है। भारत में 95% केस संक्रमित कुत्ते के काटने से होते हैं।

इस संक्रमण की विशेषता होती है कि यह काटे जाने के बाद जब हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो यह हमारे ♦️रक्त में नहीं जाता बल्कि तंत्रिकाओं के माध्यम से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र यानी मस्तिष्क तक पहुँचता है।♦️ काटे गये अंग से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तक इसके पहुँचने की गति बहुत ही कम होती है और टांग या हाथ पर काटने के बाद मस्तिष्क तक पहुंचने में इसे लगभग 20 से अधिक दिन लग जाते हैं। हाँ अगर पीड़ित व्यक्ति बच्चा है या फिर चेहरे, सर या गर्दन पर काटा है तो 4 से 7 दिन में भी पहुँच सकता है। सामान्यतः काटने के बाद मस्तिष्क तक पहुंच कर बीमारी होने में 1 से 3 महीने लगते हैं। कुछ दुर्लभ केसों में 1 वर्ष भी लग जाता है। यह निर्भर करता है कि कहाँ पर काटा है (चेहरा या हाथ-पैर), कितना बड़ा घाव है, कितना वायरस अंदर गया है और व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर।

♦️लेकिन एक बार यह मस्तिष्क तक पहुंच गया तो इसके लक्षण शुरू हो जाते हैं। फिर इसका कोई इलाज नहीं है♦️।

✔️तो इसके लक्षण क्या हैं?

सबसे पहले तो प्रारंभिक लक्षण आएंगे।
➕बुखार, थकान, काटे गये स्थान पर जलन, सनसनाहट, खुजली आदि।
➕फिर इसका उग्र यानी Furious रूप आयेगा। जिसमें पानी से डर लगना, हवा से डर लगना, रोशनी से डर लगना, घबराहट, भ्रम, चिल्लाना, अत्यधिक लार बनना आदि होने लगेंगे।
➕फिर मांसपेशियों में कमजोरी और उसके बाद पक्षाघात यानी लकवा आना शुरू हो जायेगा। अंत में मृत्यु।

✔️इलाज क्या है?
♦️बीमारी होने के बाद कोई मुकम्मल इलाज नहीं है♦️।
निदान सामान्यतः लक्षणों के आधार पर किया जाता है।

✔️तो इससे बचाव कैसे करें?

यह सबसे जरूरी बात है जो हम सबको पता होनी चाहिये।

अगर आपको कुत्ते या किसी जानवर ने काट लिया है तो सबसे पहले आप अपने घाव को नल चला कर पानी और साबुन के साथ लगातार 15 से 20 मिनट तक धोयें। 15 मिनट से कम नहीं। इससे ज्यादातर वायरस धुल कर निकल जायेगा। यह स्टेप बहुत महत्वपूर्ण है। इसको बिलकुल भी इग्नोर न करें। धो कर इसपर कोई एंटीसेप्टिक जैसे povidone iodine लगाएं।

घाव पर पट्टी बिलकुल भी न करें। इसको खुला रखें। अगर बहुत बड़ा घाव है तो स्वास्थ्य कर्मी ढीले टांके लगा सकता है।

घाव को जलाएं नहीं।

घाव पर कोई घरेलु टोटके जैसे मिर्च आदि नही बाँधने चाहिये। यह नुकसान ही करेगा।

टेटनस का टीका लगवाएं।

डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक्स का कोर्स शुरू करें।

अब बारी आती है PEP यानी post exopsure prophylaxix यानी वायरस के संपर्क में आने के बाद दिये जाने वाले बचाव की।
♦️किसी भी वैक्सीन से बचाव योग्य बीमारी के लिये वैक्सीन हम उस बीमारी के सम्पर्क से पहले दी जाती है ताकि हमारा शरीर पहले ही उसके विरुद्ध एंटीबॉडीज बना ले। लेकिन रेबीज में हम यह सम्पर्क के बाद देते हैं।
♦️क्यों? क्योंकि इस केस में संपर्क में आने के बाद बीमारी शुरू होने बीच का समय काफ़ी लम्बा होता है। इस दौरान वैक्सीन का कोर्स करवा कर हम इस बीमारी के खतरे को लगभग 99.9% तक खत्म कर सकते हैं।

✔️किसी भी जानवर के काटे के घाव के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 3 Exposure Categories बनायी गयी हैं:

सबसे पहले Category I : इसमें आता है छूना या चाटना। त्वचा बिलकुल दुरुस्त है। कोई खरोंच तक नहीं है। इसमें कुछ भी इलाज या बचाव करने की आवश्यकता नहीं है।

फिर है Category II : इसमें खरोंच है लेकिन खून नहीं निकला है। इस केस में वैक्सीन का पूरा कोर्स जरूरी है।

फिर है Category III : इसमें जानवर द्वारा काटा गया है, खून निकला है, घाव बना है। इसमें वैक्सीन के पूरे कोर्स के साथ RIG (Rabies Immunoglobulin) घाव के अंदर लगवाना जरूरी है।

✔️वैक्सीन कैसे देते हैं?
वैक्सीन या तो हम IM यानी कंधे की deltoid मांसपेशी में दे सकते हैं या फिर ID यानी त्वचा की परतों के बीच में दे सकते हैं। ध्यान रहे कि जिस तरीके से पहली डोज़ दी गयी है उसी तरीके से बाकी डोज़ भी दी जायें। जिस ब्रांड की और प्रकार की वैक्सीन पहली डोज़ में दी गयी है उसी से पूरा कोर्स किया जाये।

मान लें आपने आज यानी 04.07.2025 को पहली डोज़ मांसपेशी में लगवायी है तो आपका शेड्यूल बनेगा :-

Day 0 : पहली डोज 04.07.2025
Day 3 : दूसरी डोज 07.07.2025
Day 7 : तीसरी डोज 11.07.2025
Day 14 : चौथी डोज 18.07.2025
Day 28 : पाँचवीं डोज 01.08.2025

अगर आप ID यानी त्वचा की परतों के बीच लगवा रहे हैं तो आपका शेड्यूल बनेगा :-

Day 0 : पहली डोज 04.07.2025
Day 3 : दूसरी डोज 07.07.2025
Day 7 : तीसरी डोज 11.07.2025
Day 28 : चौथी डोज 01.08.2025

यानी ID शेड्यूल में आपको 4 ही डोज़ लेनी हैं।

यह शेड्यूल Category II और Category III घावों के लिये है। साथ ही Category III घावों के लिये RIG Rabies Immunoglobulin भी घाव के अंदर और उसके आसपास इंजेक्शन द्वारा दिया जाता है।

अगर आप जानवर द्वारा काटे जाने के बाद उपरोक्त सभी स्टेप्स को फॉलो करते हुए डॉक्टर या स्वास्थ्य केंद्र से वैक्सीन व RIG की सही व समय पर पूरी खुराक लेते हैं तो आपको रेबीज होने की सम्भावना लगभग नगण्य हो जाती है।
ध्यान रहे कि काटे जाने के बाद तुरंत घाव को चलते पानी में साबुन व पानी से धोकर जितना जल्दी हो सके वैक्सीन का कोर्स शुरू कर लें।

✔️अब बात कुछ गलत धारणाओं पर कर लेते हैं।

♦️एक धारणा है कि अगर खून नहीं निकला तो कोई खतरा नहीं है। जबकि सच्चाई यह है कि खरोंच से भी वायरस फैल सकता है अगर लार का संपर्क हुआ हो तो। पंजा मारने से रेबीज नहीं होगा लेकिन अगर दाँत लगा है तो चाहे खून आया है या नहीं, वैक्सीन जरूर लगवाएं। अगर आपको सन्देह है कि पंजा लगा है या दाँत तो उसे दाँत मान कर वैक्सीन लगवाएं। अगर पंजे के साथ लार का सम्पर्क है तो भी वैक्सीन लगवाएं।

♦️दूसरी धारणा है कि पालतू कुत्ते के काटने से कुछ नहीं होता। सच्चाई यह है कि पालतू जानवर के काटने के बाद भी रेबीज के केस मिले हैं। इसलिये हर काटने को गंभीर मानें।

♦️कुछ लोग सोचते हैं कि झाड़-फूंक और देसी इलाज से रेबीज ठीक हो जाएगा। जबकि सच्चाई यह है कि एक बार लक्षण आने पर कोई इलाज संभव नहीं है।

♦️एक गलत धारणा है रेबीज वैक्सीन से कमजोरी होती है या गंभीर साइड इफेक्ट्स होते हैं। सच्चाई यह है एंटी रेबीज वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। मौत और जिंदगी के बीच में यह एकमात्र दीवार है।

♦️एक चीज का और ध्यान रखें। WHO और भारत की राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण गाइडलाइन्स के अनुसार काटने या खरोंचने वाला जानवर अगर पालतू हो, वैक्सीनेटेड हो, 10 दिनों से अधिक समय तक जीवित हो और स्वस्थ दिखाई दे रहा हो तो उस स्थिति में Post-Exposure Prophylaxis (PEP) यानी वैक्सीन की जरूरत नहीं होती। लेकिन हमें इसके लिये 10 दिन इंतज़ार नहीं करना है। पहले दिन ही वैक्सीन व जरूरत हो तो RIG का कोर्स शुरू कर दें। तीन डोज़ 0,3 और 7 दिन वाली तो जरूर लें। अगर 14वें या 28वें दिन तक जानवर जीवित और स्वस्थ है तो फिर आप बंद कर सकते हैं।

✔️RIG यानी immunoglobulin पहली डोज़ के साथ day 0 पर एक ही बार दी जाती है। उस समय उपलब्ध न हो तो पहली डोज़ के बाद 7 दिन होने से पहले ही लगवा लें। 7 दिन के बाद लगवाने की जरूरत नहीं है।

♦️याद रखें। रेबीज एक 100 % जानलेवा रोग है लेकिन इसे 100% रोका भी जा सकता है। किसी भी प्रकार की लापरवाही घातक हो सकती है। ♦️

अपना व अपने स्नेहीजनों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सचेत रहें और समय रहते चिकित्सकीय सहायता अवश्य लें।

आशा है कि यह जानकारी आपको स्वास्थ्य- सजगता प्रदान करने में सहायक होगी
🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿
धन्यवाद

डॉ वाई के सिंह
चंद्रवती हास्पिटल
आगरा रोड
अलीगढ़

(www.shrijanigarbhsanskar.com)

Address

Aligarh
202001

Opening Hours

Monday 9am - 5pm
Tuesday 9am - 5pm
Wednesday 9am - 5pm
Thursday 9am - 5pm
Friday 9am - 5pm
Saturday 9am - 5pm
Sunday 9am - 2pm

Telephone

8279696357

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