28/10/2022
#डेंगू: सीरीज 3
विश्व के लगभग 128 देश इस बीमारी WHO के अनुसार प्रतिवर्ष इस बीमारी से लगभग 390 मिलियन ( एक मिलियन=10 लाख) लोग प्रभावित होते हैं जिनमें से अधिकांश लोगों में इस बीमारी के लक्षण प्रकट नहीं होते। लगभग 96 मिलियन में इस बीमारी के लक्षण प्रकट होते हैं,उनमें से भी अधिकांश लोगों में बहुत हल्के फुल्के यथा फ्लू जैसे लक्षण प्रकट होते हैं, जो स्वचिकित्सा या बिना किसी चिकित्सा के ठीक हो जाते हैं। इन मरीजों को हो सकता है कि गंभीर बीमारी न हो लेकिन यह डेंगू फैलाने में सहायक होते हैं।
डेंगू के मच्छर काटने के लगभग एक सप्ताह बाद इसके लक्षण प्रकट होते हैं, इस अवधि को मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इनक्यूबेशन पीरियड कहते हैं।
इस बीमारी से शिशु, बच्चे, युवा सभी प्रभावित होते हैं।
जैसा कि पूर्व लेख में बताया गया है कि डेंगू वायरस चार प्रकार का होता है, और एक प्रकार के डेंगू से पीड़ित होने के उपरांत हमारे शरीर में उस प्रकार के वायरस के प्रति इम्यूनिटी विकसित हो जाती है, परंतु अन्य तीन प्रकार के वायरस से आप फिर भी ग्रसित हो सकते हैं। और दुबारा ग्रसित हुए व्यक्तियों में रोग अधिक गंभीर हो जाता है। डेंगू के बुखार का समयकाल 2 से सात दिन तक का होता है।
WHO ने डेंगू को दो श्रेणियों में बांट रखा है।
1. Dengu with/ without warning signs
2. Severe Dengu अर्थात गंभीर डेंगू
डेंगू के लक्षण:
तेज बुखार के साथ, बदन में अत्यधिक पीड़ा, जोड़ों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द, उबकाई, उल्टी, ग्रंथियों में सोथ, शरीर में बहुत महीन चकत्ते ( rash) जैसे पिन चुभोने पर चमड़ी में लालिमा आ जाती है।
गंभीर डेंगू: बीमारी के लक्षण प्रकट होने के बाद 3 से 7 दिन का समयकाल क्रिटिकल पीरियड या अवस्था कहलाती है। इस समयकाल में कुछ मरीज 24 से 48 घंटे के लिए गंभीर स्थित में जा सकते हैं, और बीमारी के वार्निंग लक्षण प्रकट हो सकते हैं। इस दौरान शरीर का तापमान गिर जाता है, और शॉक जैसे लक्षण, या फिर हेम्मोरहेज ( रक्तस्राव) के लक्षण दिख सकते हैं। यह अवस्था प्राणघातक सिद्ध हो सकती है।
सावधान होने के लक्षण: ( Warning Signs) पेट में तेज दर्द लगातार उल्टी का होनासांस तेज चलनामसूड़ों या नाक से रक्तस्राव होनाबेचैनीउल्टी या पाखाने में रक्त आना।
ऐसी स्थिति में मरीज को भर्ती कराने की आवश्यकता होती है।
रोगियों में प्राणघात के दो मुख्य कारण हैं। रक्त कणिकाओं विशेष कर प्लेटलेट की कमी और अन्य शारीरिक परिवर्तनों के कारण रक्तस्राव का होना।
दूसरा डेंगू शॉक सिंड्रोम।
दूसरा कारण होता है रक्त की धमनियों से fluid अर्थात रिसाव होना, जिसके कारण शरीर के अंग काम करना बंद कर सकते हैं। यह मृत्यु का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारण है जिसका कोई इलाज नहीं है सिवा रोगी के vitals को मेंटेन करने के मेडिकल उपायों के।
इलाज: इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, जैसा कि प्रायः सभी वायरल इन्फेक्शन के साथ है। अभी corona virus के आतंक से हम जूझ चुके हैं। इसलिए मात्र symptomatic treatment ही इसका एकमात्र इलाज है। यदि अस्पताल में भर्ती नहीं है तो आराम, बुखार को कम करने के लिए पैरासिटामोल ( Dolo 😀) और पर्याप्त मात्रा में लिक्विड डाइट।
असली खेल जो चल रहा है वह है प्लेटलेट का जिसके लिए यह लेख लिखा जा रहा है।
करेंट मेडिकल डायग्नोसिस और ट्रीटमेंट 2022 की पुस्तक बोल रही है कि प्लेटलेट कणिकाओं को तभी चढ़ाया जाना चाहिए जब उनकी संख्या 10,000 से कम हो जाय, या फिर उपरोक्त वर्णित रक्तस्राव का कोई लक्षण न हो। पुस्तक यह भी वार्निंग दे रही है कि यदि अनावश्यक रूप से प्लेटलेट चढ़ाया जाता है तो शरीर में स्वत: प्लेटलेट निर्मित होने वाली प्रक्रिया धीमी हो सकती है।
स्नैप शॉट यहां देखिए और स्वयं पढ़ लीजिए।