Dilbag Singh

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आपकी "आर्थिक स्थिति" चाहे कितनी भी अच्छी क्यों ना हो... मगर जिंदगी जीने के लिये "मानसिक स्थिति" का अच्छा होना भी बहुत जरूरी है।
डॉ. दिलबाग सिंह
(जवाहर नवोदय विद्यालय, मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता)

एक महिला इंसान को मनोरोगी विशेषज्ञ से मनोरोगी तक बना सकती है।
07/06/2025

एक महिला इंसान को मनोरोगी विशेषज्ञ से मनोरोगी तक बना सकती है।

युवा पीढ़ी की वर्तमान चुनौतियाँ: ऑनलाइन जुआ व पढ़ाई का दबावआज की युवा पीढ़ी ऑनलाइन जुए की लत और पढ़ाई के दबाव जैसी गंभीर...
24/05/2025

युवा पीढ़ी की वर्तमान चुनौतियाँ: ऑनलाइन जुआ व पढ़ाई का दबाव
आज की युवा पीढ़ी ऑनलाइन जुए की लत और पढ़ाई के दबाव जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रही है। स्मार्टफोन व इंटरनेट की आसान उपलब्धता के कारण छात्र ऑनलाइन जुए में फंस रहे हैं, जिससे समय, पैसा और मानसिक संतुलन तीनों पर असर पड़ता है।
वहीं, प्रतियोगी परीक्षाओं और कोचिंग संस्थानों का अत्यधिक दबाव, असफलता का भय, और पारिवारिक अपेक्षाएँ छात्रों को मानसिक रूप से कमजोर कर रही हैं, जिससे आत्महत्या की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
मुख्य कारण:
* त्वरित सफलता की चाह
* मानसिक दबाव और असफलता का डर
* संवाद की कमी और काउंसलिंग का अभाव
समाधान:
* मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता
* माता-पिता व शिक्षकों द्वारा सहानुभूतिपूर्ण संवाद
* समय प्रबंधन व डिजिटल डिटॉक्स
* नियमित काउंसलिंग व योग-ध्यान
निष्कर्ष:
समस्या का समाधान संवाद, समझ और सहयोग में है। सही मार्गदर्शन से युवा नई ऊँचाइयों तक पहुँच सकते हैं।

आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन हर व्यक्ति की ज़रूरत बन गया है, खासकर युवाओं के लिए। लेकिन यह सुविधा कब लत बन जाती है, प...
05/05/2025

आज के डिजिटल युग में मोबाइल फोन हर व्यक्ति की ज़रूरत बन गया है, खासकर युवाओं के लिए। लेकिन यह सुविधा कब लत बन जाती है, पता ही नहीं चलता। सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक, और स्नैपचैट पर घंटों बिताना अब सामान्य हो चला है। युवा खुद को दूसरों की जिंदगी से तुलना करने लगते हैं, जिससे मानसिक तनाव, अकेलापन और आत्म-संदेह बढ़ता है।
इसका सबसे भयावह परिणाम आत्महत्या जैसे गंभीर मामलों में देखने को मिल रहा है। जब लाइक्स, फॉलोअर्स और वर्चुअल लोकप्रियता जीवन का पैमाना बन जाए, तो वास्तविकता से जुड़ाव टूटने लगता है। नकारात्मक टिप्पणियाँ, साइबर बुलिंग और सोशल अस्वीकार्यता युवाओं के आत्मसम्मान को बुरी तरह प्रभावित करती हैं।
समाज, अभिभावकों और शिक्षकों की जिम्मेदारी है कि वे इस विषय को गंभीरता से लें। युवाओं को डिजिटल डिटॉक्स, सकारात्मक संवाद, और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। सोशल मीडिया का संतुलित उपयोग ही आज की पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य दे सकता है।
जनहित में जारी—एक विचार।
✍️ डॉ. दिलबाग सिंह
( )

15/03/2025

जवाहर नवोदय विद्यालय रेवाड़ी की होली

26/01/2025

रेवाड़ी में गणतंत्रता दिवस कार्यक्रम

26/01/2025

भारतीय सेना के कमांडो

26/01/2025

गणतंत्रता दिवस
#रेवाडी (हरियाणा) स्टेडियम

24/01/2025

गणतंत्रता दिवस हेतु राव तुलाराम स्टेडियम रेवाड़ी (हरियाणा) में परेड अभ्यास में नवोदयन शामिल हुए।

जीवन अनमोल है, उसकी उपयोगिता समझे.. मानसिक पीड़ा को दूर करने हेतु परामर्शदाता से उचित परामर्श प्राप्त करें, क्योंकि जीवन...
21/01/2025

जीवन अनमोल है, उसकी उपयोगिता समझे.. मानसिक पीड़ा को दूर करने हेतु परामर्शदाता से उचित परामर्श प्राप्त करें, क्योंकि जीवन खत्म करना ही किसी समस्या का अंतिम समाधान नहीं है उसके अलावा भी बहुत से समाधान होते हैं जो समाधान उस समय आपके पास नहीं होते मगर किसी अनुभवी व्यक्ति या प्रोफेशनल परामर्शदाता के पास जरूर होते हैं। अगर आप अपनी भावनाओं को किसी मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता से समय पर साझा करते हो तो निश्चित ही आपको जीने का एक आसान मार्ग/उद्देश्य मिल जायेगा।
सबसे पहला उद्देश्य इंसान को जिंदा रखना होना चाहिए उसके बाद मानसिक रूप से स्वस्थ्य होना सुनिश्चित हो.. इन सबके बाद जाकर फिर इंसान का उद्देश्य अध्यापक, न्यायधीश, डॉक्टर, इंजीनियर, कलेक्टर बनना तय किया जाना चाहिए ।
इसलिए समय समय पर अपने बच्चों की काउंसलिंग करना सुनिश्चित करें जिससे की बच्चा अपने उद्देश्यों को सरलता से प्राप्त कर सकें।
बड़े दुख की बात है कि आज पढ़ें लिखे लोग भी अपने अधूरे सपने पूरे करने के लिये या फिर अपने पडोसियों व रिश्तेदारों को मात्र दिखाने भर के लिये या अपना रूतबा समाज के सामने पेश करने के लिये पूरे दबाव के साथ अपने बच्चों को माध्यम बनाते हैं जिसका परिणाम आपके सामने ये कोटा वाली भावी डॉक्टर मृत छात्रा भी और सोशल मीडिया पर तेजी से घूम रहा IIT वाला जो कि मानसिक रूप से क्षतिग्रस्त होने से ही बाबा बना वो सामने है, और आज इस MNIT करने वाली बच्ची की खबर मिली है जो कि अति दुःखद है।
अतः अपने बच्चों को समय-समय पर मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता से सहायता प्रदान करायें।

✍️ डॉ. दिलबाग सिंह मोरोडियां "बास पहाड़ी"
मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता (जवाहर नवोदय विद्यालय समिति)

कृपया अपने बच्चों की मनोस्थिति समझों और उनका जीवन बचाओं।अपने सपनों को नन्हों बालकों के कोमल मानसिकता पर मत थोपो, स्वयं क...
20/01/2025

कृपया अपने बच्चों की मनोस्थिति समझों और उनका जीवन बचाओं।
अपने सपनों को नन्हों बालकों के कोमल मानसिकता पर मत थोपो, स्वयं को अपना निर्णय लेने दो.. उनका साथ दो... काउंसलर की मदद लो।

 #कोटा_में_आत्महत्या करने वाली छात्रा कृति ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि ,"मैं भारत सरकार और मानव संसाधन मंत्रालय से...
20/01/2025

#कोटा_में_आत्महत्या करने वाली छात्रा कृति ने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि ,"मैं भारत सरकार और मानव संसाधन मंत्रालय से कहना चाहती हूं कि अगर वो चाहते हैं कि कोई बच्चा न मरे तो जितनी जल्दी हो सके इन कोचिंग संस्थानों को बंद करवा दें,
ये कोचिंग छात्रों को खोखला कर देते हैं।
पढ़ने का इतना दबाव होता है कि बच्चे बोझ तले दब जाते हैं।
कृति ने लिखा है कि वो कोटा में कई छात्रों को डिप्रेशन और स्ट्रेस से बाहर निकालकर सुसाईड करने से रोकने में सफल हुई लेकिन खुद को नहीं रोक सकी।

बहुत लोगों को विश्वास नहीं होगा कि मेरे जैसी लड़की जिसके 90+ मार्क्स हो वो सुसाइड भी कर सकती है,
लेकिन मैं आपलोगों को समझा नहीं सकती कि मेरे दिमाग और दिल में कितनी नफरत भरी है।

अपनी मां के लिए उसने लिखा- "आपने मेरे बचपन और बच्चा होने का फायदा उठाया और मुझे विज्ञान पसंद करने के लिए मजबूर करती रहीं।
मैं भी विज्ञान पढ़ती रहीं ताकि आपको खुश रख सकूं।

मैं क्वांटम फिजिक्स और एस्ट्रोफिजिक्स जैसे विषयों को पसंद करने लगी और उसमें ही बीएससी करना चाहती थी लेकिन मैं आपको बता दूं कि मुझे आज भी अंग्रेजी साहित्य और इतिहास बहुत अच्छा लगता है क्योंकि ये मुझे मेरे अंधकार के वक्त में मुझे बाहर निकालते हैं।"

कृति अपनी मां को चेतावनी देती है कि- ‘इस तरह की चालाकी और मजबूर करनेवाली हरकत 11 वीं क्लास में पढ़नेवाली छोटी बहन से मत करना,
वो जो बनना चाहती है और जो पढ़ना चाहती है उसे वो करने देना क्योंकि वो उस काम में सबसे अच्छा कर सकती है जिससे वो प्यार करती है।

इसको पढ़कर मन विचलित हो जाता है कि इस होड़ में हम अपने बच्चों के सपनो को छीन रहे है।
आज हम लोग अपने परिवारों से प्रतिस्पर्धा करने लगे है कि फलां का बेटा-बेटी डॉक्टर बन गया,
हमें भी डॉक्टर बनाना है।

फलां की बेटी-बेटा सीकर/कोटा हॉस्टल में है तो हम भी वही पढ़ाएंगे,चाहे उस बच्चे के सपने कुछ भी हो...हम उन्हें अपने सपने थोंप रहे है।
आज हमारे स्कूल(कोचिंग संस्थान) बच्चों को परिवारिक रिश्तों का महत्व नही सीखा पा रहे,उन्हें असफलताओं या समस्याओं से लड़ना नही सीखा पा रहे।

उनके जहन में सिर्फ एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा के भाव भरे जा रहे है जो जहर बनकर उनकी जिंदगियां लील रहा है।
जो कमजोर है वो आत्महत्या कर रहा है व थोड़ा मजबूत है वो नशे की ओर बढ़ रहा है।

जब हमारे बच्चे असफलताओ से टूट जाते है तो उन्हें ये पता ही नही है कि इससे कैसे निपटा जाएं।
उनका कोमल हदय इस नाकामी से टूट जाता है इसी वजह से आत्महत्या बढ़ रही हैं 😔

मानसिक स्वास्थ्य का रखें ख्याल... जीवन में रहे हमेशा खुशहाल।डॉ. दिलबाग सिंह ( #मनोवैज्ञानिक_परामर्शदाता,  #जवाहर_नवोदय_व...
07/01/2025

मानसिक स्वास्थ्य का रखें ख्याल... जीवन में रहे हमेशा खुशहाल।
डॉ. दिलबाग सिंह
( #मनोवैज्ञानिक_परामर्शदाता, #जवाहर_नवोदय_विद्यालय_समिति)

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