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Health with Ayurveda सर्वे भवन्तु: सुखिना
सर्वे सन्तु निरामया:
जीवन का विज्ञान है आयुर्वेद... इसे अपनाएं और निरोगी रहें �

18/04/2025

सफ़ेद दाग, श्वेत कुष्ठ की अनुभूत दवा
(यह दवा सैंकड़ो लोगो पर आजमाई हुई है। यह नुस्खा उदासीन सम्प्रदाय के एक साधू शिवानन्द प्रवासी का है।)
खाने की दवा - बावची 250 ग्राम, मेहँदी के बीज 60 ग्राम, चित्रक के जङ की छाल 12ग्राम तीनों को कूट के कपङछान करें। इसे 3 ग्राम सुबह और 3 ग्राम शाम को खाली पेट ताजा जल के साथ लेना है।
Dr.D.K.Sharma
090242 37817
#लगाने_की_दवा :-
जायफल , गेरू , बावचीचूर्ण 12-12 ग्राम, काली मिर्च 3 ग्राम...
चारों को कूट छान के पान के चूने के निथरे पानी में तीन घंटे घोट कर बेर के समान गोली बना कर रख लें छाया में सुखा कर। इस सूखी गोली को बछिया के मूत्र में घिस कर सफ़ेद दागों पर प्रात: नहाने के बाद और रात को सोने से पहले लगाना है।
सेवन के 15-20 दिन बाद ही ईश्वर की कृपा से लाभ होना शुरू हो जाता है।
ठीक होने पर गौशाला में दान- पुन्य अवश्य करें।
Dr.D.K.Sharma
9024237817

20/02/2025

हड्डियों से चूस लेती है सारा कैल्शियम खाने से लेकर पीने वाली ये 5 चीजें, शरीर में छोड़ देंगी बस चूरा ही चूरा..·.

Facts About Bones: कैल्शियम हमारे शरीर के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण खनिज है, जो हड्डियों और दांतों को मजबूत रखने के साथ-साथ हमारे रक्तचाप, मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र के सही संचालन में भी मदद करता है।

यदि शरीर में कैल्शियम की कमी हो, तो हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ ऐसे फूड्स भी हैं जो शरीर से कैल्शियम को खत्म कर सकते हैं और हड्डियों को कमजोर बना सकते हैं? आइए जानते हैं, वो कौन से फूड्स हैं जिनसे आपको बचना चाहिए।

1. कोल्ड ड्रिंक (Soda)

कोल्ड ड्रिंक, खासकर सॉफ्ट ड्रिंक्स, हर पार्टी या समारोह का हिस्सा बन जाते हैं। हालांकि, इन्हें ज्यादा मात्रा में पीने से शरीर में कैल्शियम की कमी हो सकती है। इन ड्रिंक्स में फॉस्फोरिक एसिड पाया जाता है, जो शरीर से कैल्शियम के अवशोषण को रोकता है। इसके परिणामस्वरूप हड्डियों का कैल्शियम धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसलिए अगर आप हड्डियों को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो कोल्ड ड्रिंक का सेवन कम से कम करें।

2. रेड और प्रोसेस्ड मीट

रेड मीट (जैसे मांसपेशी वाले मांस) और प्रोसेस्ड मीट (जैसे सॉसेज, बेकन, हॉट डॉग्स) का सेवन अत्यधिक करने से यूरिक एसिड की समस्या हो सकती है, जो हड्डियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। यह पदार्थ शरीर के भीतर कैल्शियम के अवशोषण को प्रभावित कर सकते हैं और हड्डियों को कमजोर कर सकते हैं। इसलिए, अगर हड्डियों की सेहत का ख्याल रखना है, तो इन फूड्स का सेवन सीमित करना चाहिए।

3. केक, कैंडी और कुकीज

केक, कैंडी और कुकीज जैसे मीठे और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में अत्यधिक शक्कर और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो कैल्शियम के अवशोषण में रुकावट डालते हैं। इसके अतिरिक्त, ये फूड्स शरीर में सूजन का कारण बन सकते हैं, जिससे हड्डियां और भी कमजोर हो सकती हैं। इसलिए, इन अत्यधिक मीठे पदार्थों को नियमित रूप से खाने से बचें और स्वस्थ स्नैक्स का चयन करें।

4. चाय (Tea)

चाय में कैफीन पाया जाता है, जो शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को कम करता है। अगर आप अधिक चाय पीते हैं, तो यह आपकी हड्डियों के लिए खतरनाक हो सकता है। विशेष रूप से अधिक कैफीन वाले चाय या कॉफी का सेवन हड्डियों से कैल्शियम को निकाल सकता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। इसलिए, चाय का सेवन सीमित करें और अधिक पानी या कैल्शियम से भरपूर अन्य पेय पदार्थों का सेवन करें।

5. शराब (Alcohol)

शराब का अत्यधिक सेवन हड्डियों की सेहत पर गहरा असर डालता है। शराब शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को कम करती है और हड्डियों को कमजोर कर सकती है। यह हड्डियों को चूने के समान बना सकती है और हड्डी के फ्रैक्चर (हड्डी टूटने) का खतरा बढ़ा सकती है। अगर आप हड्डियों को मजबूत रखना चाहते हैं तो शराब का सेवन बहुत सीमित करें।

6. ऑयली फूड्स (Oily Foods)

ऑयली फूड्स जैसे समोसा, फ्राइड चिकन, पकोड़ी, आदि हड्डियों के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं। ये अत्यधिक वसा और असंतुलित फैट्स से भरपूर होते हैं, जो शरीर में सूजन पैदा कर सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, कैल्शियम का अवशोषण प्रभावित हो सकता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इन फूड्स को सीमित मात्रा में ही खाएं और स्वस्थ, हल्का भोजन करें।

कैल्शियम हड्डियों के लिए महत्वपूर्ण है और इसके सही अवशोषण के लिए संतुलित आहार की आवश्यकता होती है। अगर आप अपने हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो इन फूड्स का सेवन सीमित करें या पूरी तरह से बचें:

कोल्ड ड्रिंक

रेड और प्रोसेस्ड मीट

केक, कैंडी, कुकीज

ज्यादा चाय और कॉफी

अत्यधिक शराब

ऑयली और फ्राइड फूड्स

इसके बजाय, कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे दूध, दही, हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल, नट्स और बीज आदि का सेवन करें। नियमित रूप से व्यायाम और हड्डियों को मजबूत करने वाली आदतों को अपनाने से भी आप अपनी हड्डियों को स्वस्थ रख सकते हैं।

03/02/2025
🍁   * #आदत...*  🌸एक  महिला हैं, वो जयपुर में एक PG (पेइंग गेस्ट) रखती हैं। उनका अपना पुश्तैनी घर है, उसमे बड़े बड़े 10-12 ...
17/10/2024

🍁 * #आदत...* 🌸

एक महिला हैं, वो जयपुर में एक PG (पेइंग गेस्ट) रखती हैं। उनका अपना पुश्तैनी घर है, उसमे बड़े बड़े 10-12 कमरे हैं। उन्हीं कमरों में हर एक मे 3 bed लगा रखे हैं। उनके PG में *भोजन* भी मिलता है।

खाने खिलाने की शौकीन हैं। बड़े मन से बनाती खिलाती हैं।

उनके यहां इतना शानदार भोजन मिलता है कि अच्छे से अच्छा Chef नही बना सकता। आपकी माँ भी इतने प्यार से नही खिलाएगी जितना वो खिलाती हैं। उनके PG में ज़्यादातर नौकरी पेशा लोग और छात्र रहते हैं।

सुबह Breakfast और रात का भोजन तो सब लोग करते ही हैं, जिसे आवश्यकता हो उसे दोपहर का भोजन pack करके भी देती हैं।

पर उनके यहां एक बड़ा अजीबोगरीब नियम है, हर महीने में सिर्फ 28 दिन ही भोजन पकेगा।

शेष 2 या 3 दिन होटल में खाओ, ये भी नही कि PG की रसोई में बना लो।

रसोई सिर्फ 28 दिन खुलेगी। शेष 2 या 3 दिन Kitchen Locked रहेगी।

हर महीने के आखिरी तीन दिन Mess बंद। Hotel में खाओ, चाय भी बाहर जा के पी के आओ।

मैंने उनसे पूछा कि ये क्यों? ये क्या अजीबोगरीब नियम है। आपकी kitchen सिर्फ 28 दिन ही क्यों चलती है ?

बोली, हमारा Rule है। हम भोजन के पैसे ही 28 दिन के लेते हैं। इसलिये kitchen सिर्फ 28 दिन चलती है।

मैंने कहा ये क्या अजीबोगरीब नियम है? और ये नियम भी कोई भगवान का बनाया तो है नही आखिर आदमी का बनाया ही तो है बदल दीजिये इस नियम को।

उन्होंने कहा No, Rule is Rule ...

खैर साहब अब नियम है तो है। उनसे अक्सर मुलाक़ात होती थी।

एक दिन मैंने बस यूं ही फिर छेड़ दिया उनको, उस 28 दिन वाले अजीबोगरीब नियम पे।

उस दिन वो खुल गईं बोलीं, तुम नही समझोगे, शुरू में ये नियम नही था। मैं इसी तरह, इतने ही प्यार से बनाती खिलाती थी। पर इनकी शिकायतें खत्म ही न होती थीं कभी ये कमी, कभी वो कमी चिर असंतुष्ट always Criticizing...

सो तंग आ के ये 28 दिन वाला नियम बना दिया। 28 दिन प्यार से खिलाओ और बाकी 2 - 3 दिन बोल दो कि जाओ, बाहर खाओ।

उस 3 दिन में नानी याद आ जाती है।

आटे दाल का भाव पता चल जाता है। ये पता चल जाता है कि बाहर कितना महंगा और कितना घटिया खाना मिलता है। दो घूंट चाय भी 15 - 20 रु की मिलती है।

मेरी Value ही उनको इन 3 दिन में पता चलती है सो बाकी 28 दिन बहुत कायदे में रहते हैं।

अत्यधिक सुख सुविधा की आदत व्यक्ति को असंतुष्ट और आलसी बना देती है......🤓🤓

22/09/2024

हम आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा कही जा रही बातें यहाँ उपस्थित अधिकांश वैसे लोगों को तो बुरी अवश्य ही लगेगी जो किसी भी प्रकार की पोस्ट को देखते ही उससे प्रेरित हो कर तुरंत अपनी शारीरिक एवं मानसिक अस्वस्थता का उपचार पूछना अपना अधिकार मान कर अती शीघ्र कोई न कोई प्रश्न का गोला दाग देते हैं।

परंतु ऐसे लोग बहुत सी बातों से अज्ञानी होने कंजूसी होने और अपने को जरुरत से ज्यादा बुद्धिमान मान कर चलते है।

समय, पैसा बचाने तथा चिकित्सक का विकल्प बनने का जोखिम बिना कोई आगा-पीछा सोचे उठाते हैं,

समय व्यतीत हो जाने पर इन्हें इसके लिए कितने भयंकर परिणामो को भुगतने को वाध्य होना पड़ता है।

ऐसे व्यक्ति इन बातों को न तो जानते है और न विचार करते हैं।

आइये जरा इस विषय पर चर्चा करें।

लक्षण बता कर दवा विक्रेता अथवा अन्य किसी भी माध्यम से दवा खरीद कर भले ही आप चिकित्सकों के चक्कर लगाने, उनको दी जाने वाली फ़ीस, अस्पतालों के चक्कर से तो एक बार अवश्य ही बच सकते हैं,

पर साथ ही किस प्रकार की एक नई मुसीबत को गोद ले लेते हैं। यह आप पहले उस समय नही समझ पाते है।

आइये इसे समझें

कुछ समय पूर्व एक मित्र अपने पांच वर्षीय पुत्र के साथ आये तथा बताया, कि उनके पुत्र को खांसी के साथ बुखार भी था पिछले पांच-छः दिनों से।

पांच-छः दिनों से बच्चा परेशान है तो आप अभी तक क्या कर रहे थे जो आज ले कर आये हैं, पूछे जाने मित्र ने कहा।

अरे भाई इतना व्यस्त रहता हूँ की दुकान से रात 9-10 से पहले समय निकाल कर बच्चे को दिखाना और दवाइयों की व्यवस्था करना ही मुमकिन नही था।

अतः पड़ोस की दवाइयों की दुकान से लक्षण बता कर दवाइयां लेकर बच्चे को खिलाई थी पहले तो चार-पांच दिनों तक कुछ-कुछ फायदा दिखाई दिया परंतु पिछले चार-पांच दिनों से बच्चे को बुखार भी आ गया और बदल कर दी गयी दवाइयों से भी आराम न आकार तकलीफ भी बढ़ गयी तो लाचार हो कर इसको लेकर आना पड़ा।

बच्चे की जाँच करने पर पाया गया कि बच्चे को निमोनिया हो गया है,

जो बीमारी मामूली सर्दी-खांसी से शुरू हुई वह उचित इलाज के आभाव में बढ़ कर अब निमोनिया के रूप में परिवर्तित हो गयी।

इस मामले में लक्षण जानकार दवाई बेचने वाले दवा दुकानदार को कोई दोष नही दिया जा सकता है,

क्योंकि उसने अपनी समझ से ठीक दवा दी थी जो, उस बच्चे की खांसी को कुछ हद तक कंट्रोल में रखा,

परंतु रोगानुसार उचित पथ्य-परहेज और रोगी प्रकृति अनुसार उचित दवाइयों के आभाव में इतने समय में रोग ने अपनी जड़ जमा लिया।

जो सज्जन एकाध घंटे का समय तथा चिकित्सकों की थोड़ी सी फ़ीस बचाने के चक्कर में थे।

अंत में उन्हें लाचारी वश महीनों उस बच्चे को स्वस्थ बनाने के लिए लगाने पड़े तथा बड़ी मोटी आर्थिक हानि भी उठानी पड़ी।

अतः सदा याद रखें कि किसी दवाई के बारे में बताने वाला अथवा दवा विक्रेता कोई आपका चिकित्सक नही है, सबसे बड़ी बात कि उसने शरीर क्रिया विज्ञान को नहीं समझा होता,

न वह आपकी प्रकृति के बारे में कुछ जानता है,

और न ही आपकी आदतों और पथ्य-परहेजों के बारे में और

न ही वह कभी किसी चिकित्सक का विकल्प हो सकता है।

उसे दवाइयों की बनावट के बारे में, उनके नामों के बारे में, उनके दामों के बारे में, कोन सी दवाई किस बीमारी में काम में ली जानी चाहिए, यह सब ज्ञात हो सकता है।

पर वह इससे आगे कुछ नही जानता है।

किस दवाई के सेवन के लिए शरीर की कौन सी विशेष परिस्थिति की आवश्यकता है,

तथा किस दवाई से कौन-कौन सी हानियां होने की संभावना है,

कौन-कौन सी दवाइयों के साथ कौन-कौन सावधानियां बरतनी चाहिए,

कौन सी दवाई किस परिस्थिति में कितनी मात्रा में और कब ली जानी चाहिए

अथवा किस खास लक्षण के पीछे कौन सा भयानक रोग छिपा बैठा है

इन सबसे दवाई विक्रेता सर्वथा अनभिज्ञ है।

और एक सबसे बडी बात जो है, वह है कि वह आपको सर्वदा एक खरीदार के रूप में ही देखता है।

परंतु आपके निजी चिकित्सक में ऐसी बात देखने को नही मिलेगी।

वह आपकी प्रकृति, आदतों आदि की पूरी जानकारी रखते हुए सदा आपको एक रोगी के रूप में ही देखेगा।

तथा आपके रोग का उचित कारण खोज कर आपका उचित इलाज करेगा।

आपका अपना चिकित्सक आपको जो दवा देगा उस पर उसको पूरा भरोसा होगा,

क्योंकि आपसे पूर्व भी वह उस दवाई को अनेक रोगियों को दे चुका होता है।

तथा उसे उस दवाई के गुण-दोषों, क्रियाओं तथा किस उम्र के किस व्यक्ति को किस दशा में कितनी मात्रा में दवाई का सेवन करना है आदि बातों से पूर्ण परिचित होता है।

अतः मेरा विशेष आग्रह है कि लेखों, और पोस्ट के द्वारा स्वास्थ्य सम्बंधित जानकारियां देने वालों से प्रभावित हो कर चिकित्सक की फीस बचने और समय और परेशानी से बचने का सार्टकट रास्ता अपनाना बंद कर दें।

इस चक्कर में कभी भी भूल कर भी न पड़ें तथा अपने भविष्य को और ज्यादा अंधकारमय बना कर अपने तथा परिवार के बीच दुःखमय वातावरण का सृजन कदापि न करें

आप यदि स्वाभाविक रूप से जीवन जीने की कला में निपुर्ण होते तो बीमार ही न होते

अतः चिकित्सक का कार्य चिकित्सक को ही करने दें।

और चिकित्सा सर्वदा रोगी स्वयं चिकित्सक सम्पर्क करके ही करवाएं।

आशा करूँगा कि मै जिस दृष्टिकोण की और इशारा कर आपको स्वास्थ्य जागरूक करने के लिए प्रयत्न शील हूँ

आप भी उसी नजरिये से इस लेख को लेंगे और अपने विचारों और स्वास्थ्य के बारे में अपने नजरिये में आवश्यक परिवर्तन करेंगें।

21/09/2024
16/09/2024

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