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29/09/2025
13/09/2025
पातालगरुड़ी एक जादुई पौधा जो शराब क्या हर नशा छुड़ा देगा पातालगरुड़ी नाम सुनकर अजीब लग रहा होगा न! हिन्दी में यह जलजमनी,...
13/09/2025

पातालगरुड़ी एक जादुई पौधा जो शराब क्या हर नशा छुड़ा देगा पातालगरुड़ी नाम सुनकर अजीब लग रहा होगा न! हिन्दी में यह जलजमनी, छिरहटा, छिरेटा, फरीदबूटी, चिरिहिंटा, पातालगरुड़ी ऐसे अनेक नामों से जाना जाता है। असल में घरों के आस-पास, नम छायादार जगहों में इस तरह के बेल नजर में आते हैं।

इन बेलों के कारण जल जम जाता हैं वहां इसलिए इन्हें जलजमनी भी कहा जाता है। आयुर्वेद में लेकिन इस बेल के अनेक औषधीय गुण का परिचय भी मिलता है। चलिये इसके बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।

पातालगरुड़ी क्या है : पातालगरुड़ी बेल बरसात के दिनों में सब जगह उत्पन्न होती है, इसके पत्तों को पीसकर पानी में डालने से पानी जम जाता है, इसलिए इसको जलजमनी कहते हैं। इसकी जड़ के अन्त में जो कन्द या बल्ब होता है, उसे जल में घिसकर पिलाने से उल्टी करवाकर सांप का विष निकालने में मदद मिलती है, अत: इसे पातालगरूड़ी कहते हैं। पाठा मूल के स्थान पर इसकी जड़ों को बेचा जाता है या पाठा मूल के साथ इसकी जड़ों की मिलावट की जाती है।

पाठा के जैसी किन्तु अधिक मोटी तथा दृढ़ लता होती है। नई बेल धागा जैसी पतली तथा पुरानी बेल अधिक मोटी होती है। इसके फल छोटे, गोल, चने के बराबर, चिकने, झुर्रीदार, बैंगनी काले रंग के, मटर आकार के, कच्ची अवस्था में हरे तथा पकने पर काले या बैंगनी रंग के होते हैं। इसकी जड़ टेढ़ी, स्निग्ध, हलकी भूरी अथवा पीले रंग की, जमीन में गहराई तक गई हुई, सख्त तथा अन्त में कन्द से युक्त व स्वाद में कड़वी होती है।

पातालगरुड़ी के औषधीय गुण : सिरदर्द - हर दिन तनाव से सर फटने लगता है तो पातालगरुड़ी का इस्तेमाल इस तरह से करने पर जल्दी आराम मिल सकता है। इसके लिए पातालगरुड़ी जड़ तथा पत्ते को पीसकर सिर पर लगाने से सिरदर्द से आराम मिलने में मदद मिलती है।

रतौंधी - पातालगरुड़ी का औषधीय गुण पातालगरुड़ी के पत्तों को पकाकर सेवन करने से रात्र्यान्धता (रतौंधी) में लाभ होता है।

आँखों के रोग पातालगरुड़ी पत्ते के रस का अंजन करने से अभिष्यंद (आँखों का आना) तथा आँखों में दर्द में लाभ होता है।

दांतों का दर्द - दांत दर्द से परेशान रहते हैं तो पातालगरुड़ी के औषधीय गुणों का इस्तेमाल इस तरह से करने से जल्दी आराम मिलता है। पातालगरुड़ी पत्ते के पेस्ट को दाँतों पर मलने से दांत दर्द से आराम मिलता है।

अजीर्ण या बदहजमी - खाने-पीने में गड़बड़ी होने के वजह से बदहजमी की समस्या से परेशान रहते हैं तो 1-2 ग्राम पातालगरुड़ी जड़ चूर्ण में समान भाग में अदरक तथा शर्करा मिलाकर सेवन करने से अजीर्ण से आराम मिलता है।

अतिसार_या_दस्त_dysentry - खान-पान में असंतुलन होने से अक्सर दस्त जैसी समस्या होती है। 5 मिली पातालगरुड़ी जड़ के रस का सेवन करने से अतिसार में लाभ होता है।

श्वेतप्रदर_या_ल्यूकोरिया - पातालगरुड़ी के नये पत्तों का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली काढ़े में शर्करा मिलाकर सेवन करने से श्वेतप्रदर में लाभ होता है।

पूयमेह या_गोनोरिया - 5 मिली पातालगरुड़ी पत्ते के रस को जल में जैली की तरह जमाकर और दही के साथ सेवन करने से पूयमेह या शुक्रमेह (गोनोरिया) में लाभ होता है। इसके अलावा 5 मिली पातालगरुड़ी पत्ते के रस को पिलाने से सूजाक में लाभ होता है।

स्वप्नदोष - 10 ग्राम छाया में सुखाया हुआ जलजमनी पत्ते के चूर्ण में घी में भुनी हुई हरड़ का चूर्ण मिलाकर, इसके समान मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें। प्रतिदिन सुबह शाम 2 ग्राम की मात्रा में गाय दूध के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष में लाभ होता है। औषध सेवन काल में पथ्य पालन आवश्यक है।

आमवात_या_गठिया के दर्द से दिलाये राहत - गठिया के दर्द से परेशान रहते हैं तो पिप्पली तथा बकरी के दूध से सिद्ध जलजमनी के 10-20 मिली काढ़े का सेवन करने से जीर्ण आमवात (गठिया) अथवा रतिज रोगों के कारण उत्पन्न दर्द में लाभ होता है। इसके अलावा 5 ग्राम जलजमनी की जड़ को 50 मिली बकरी के दूध में उबालकर छानकर, उसमें 500 मिग्रा पिप्पली, 500 मिग्रा सोंठ तथा 500 मिग्रा मरिच डालकर पिलाने से आमवात, त्वचा संबंधी बीमारियों तथा उपदंश (Syphilis) की वजह से होने वाले संधिवात में लाभ होता है। जलजमनी पत्ते को पीसकर लगाने से संधिवात या अर्थराइटिस में लाभ होता है।

त्वचा_संबंधी_समस्याओं में फायदेमंद पातालगरुड़ी - जलजमनी पत्ते के रस का लेप करने से छाजन, खुजली, घाव तथा जलन से राहत मिलने में आसानी होती है।

राजयक्ष्मा या #तपेदिक के इलाज में लाभकारी पातालगरुड़ी - 5 मिली जलजमनी पत्ते के रस को 50 मिली तिल तेल में मिलाकर, पकाकर, छानकर तेल प्रयोग करने से क्षय रोग में लाभ होता है।

शराब व #भांग की लत छुड़ाने में लाभकारी पातालगरुड़ी - जलजमनी के 2-4 ग्राम चूर्ण को प्रतिदिन 1 माह तक सेवन करने से शराब तथा भांग की आदत छूट जाती है। इसका प्रयोग करते समय यदि उल्टी हो तो इसकी मात्रा कम कर देनी चाहिए।

पेटदर्द से दिलाये आराम पातालगरुड़ी - लता करंज के बीजचूर्ण तथा जलजमनी जड़ के चूर्ण को मिलाकर 1-2 ग्राम मात्रा में सेवन कराने से बच्चों के पेट के दर्द से आराम मिलता है।

सांप के विष के असर को कम करने में फायदेमंद पातालगरुड़ी पातालगरुड़ी जड़ को पीसकर पानी में घिसकर 1-2 बूँद नाक लेने से तथा इसके 5 मिली पत्ते के रस में 5 मिली नीम पत्ते के रस में मिलाकर पीने से सांप के काटने से जो विष का असर होता है उसको कम करने में मदद मिलता है।

जलजमनी मधुर, कफ, पित्तशामक, दाहशामक होती हैं |

जलजमनी पत्र का क्वाथ पुराने से पुराने श्वेत प्रदर के समस्या को आसानी से ठीक कर देती हैं |

जलजमनी पत्र का चूर्ण 10gm (छाया में सुखाया )एवं घी से भुनी हरड़ 10gm एवं मिश्री 20gm मिला कर लेने से स्वप्न दोष दूर हो जाती हैं| मात्रा 02gm पथ्य सेवन अनिवार्य हैं |

अपने दाहशामक एवं पित्तशामक गुणों के कारण यह शरीर में होने वाली दाह(जलन) को भी ही दूर करता हैं।

श्वेत प्रदर दूर करे: श्‍वेत प्रदर या रक्‍त प्रदर में इसकी पत्तियों को को पीसकर 5-7 ग्राम रस निकाल लें और एक कप पानी में मिला लें, उसमें थोड़ी मिश्री व काली मिर्च डालकर दिन में दो बार सेवन करें। दो-तीन दिन में ही यह औषधि अपना रंग दिखाने लगती है।

यौन समस्याओं का हल: यदि महिलाओं को माहवारी जल्‍दी-जल्‍दी आ रही है, ज़्यादा ब्‍लीडिंग हो रही है, पेशाब में जलन हो रही है या पुरुषों में स्‍वप्‍नदोष, शीघ्रपतन या धातुक्षीणता की समस्‍या है तो जलजमनी के रस का 15 दिन तक सेवन करना चाहिए। ताज़ा रस ज़्यादा लाभकारी है। यदि यह रोज़ संभव न हो तो इसकी टहनियों सहित इसे सुखा लें और कूटकर पाउडर बना लें। दो-दो ग्राम पाउडर मिश्री व दूध के साथ सेवन करें।

नक़सीर का इलाज: नाक से ख़ून गिरता हो या जलन होती हो तो इसकी पत्तियों का रस या सूखा पाउडर एक-एक चम्‍म्‍च पानी के साथ लेने से लाभ मिलता है। यदि रोगी शीत प्रकृति का है तो इसका ज़्यादा सेवन नहीं करना चाहिए।

यह औषधि गोनोरिया रोग में भी काफ़ी लाभप्रद है।

नोट इसके पत्ते में पानी को दही के जैसा जमा देने का गुण पाया जाता हैं| तस्वीर देखे

पातालगरुड़ी के उपयोगी भाग : पत्ता और जड़

पातालगरुड़ी का उपयोग: यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए पातालगरुड़ी का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें। चिकित्सक के सलाह के अनुसार 2-4 ग्राम चूर्ण ले सकते हैं।

 # # **गर्भाशय की गाँठ (Uterine Fibroid): कारण, लक्षण, बचाव एवं होम्योपैथिक उपचार** # # # **परिचय**गर्भाशय की गाँठ या **...
04/09/2025

# # **गर्भाशय की गाँठ (Uterine Fibroid): कारण, लक्षण, बचाव एवं होम्योपैथिक उपचार**

# # # **परिचय**

गर्भाशय की गाँठ या **Uterine Fibroid** महिलाओं में पाई जाने वाली एक सामान्य समस्या है। यह गर्भाशय में बनने वाली **गाँठ (non-cancerous growth)** होती है, जो प्रायः मांसपेशियों और फाइबरस ऊतकों से बनी होती है। ये गाँठें आकार में छोटी से लेकर बहुत बड़ी हो सकती हैं। अधिकांश मामलों में यह गंभीर नहीं होती, लेकिन कभी-कभी अत्यधिक रक्तस्राव, दर्द और गर्भधारण में कठिनाई का कारण बनती है।

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# # # **कारण (Causes)**

गर्भाशय की गाँठ बनने के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

1. **हार्मोनल असंतुलन** – एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का अधिक होना।
2. **आनुवंशिक कारण** – परिवार में यह समस्या होने पर जोखिम अधिक।
3. **अत्यधिक वजन (Obesity)** – अधिक वसा होने से हार्मोनल स्तर प्रभावित होता है।
4. **देर से विवाह या संतान न होना**।
5. **लंबे समय तक तनाव और अस्वस्थ जीवनशैली**।
6. **एंडोक्राइन समस्याएँ** – जैसे थायरॉयड विकार।

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# # # **लक्षण (Symptoms)**

गर्भाशय की गाँठ के लक्षण आकार, संख्या और स्थान के अनुसार बदल सकते हैं:
✔ **मासिक धर्म में अत्यधिक रक्तस्राव (Menorrhagia)**।
✔ **लंबे समय तक पीरियड्स चलना**।
✔ **पेट के निचले हिस्से या पीठ में दर्द**।
✔ **बार-बार पेशाब की इच्छा** (गाँठ के दबाव से)।
✔ **कब्ज**।
✔ **गर्भधारण में कठिनाई या बार-बार गर्भपात**।
✔ **कमर दर्द या पैरों में दर्द**।

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# # # **बचाव के उपाय (Prevention)**

✅ **संतुलित आहार लें** – हरी सब्जियाँ, फल, फाइबर युक्त भोजन।
✅ **वजन नियंत्रित रखें**।
✅ **हार्मोनल संतुलन बनाए रखें** – अत्यधिक तनाव से बचें।
✅ **नियमित व्यायाम करें**।
✅ **जंक फूड और हार्मोन युक्त भोजन कम करें**।

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# # # **होम्योपैथिक उपचार (Homeopathic Treatment)**

होम्योपैथी गर्भाशय की गाँठ को बिना सर्जरी के नियंत्रित करने और लक्षणों को कम करने में प्रभावी साबित होती है। कुछ प्रमुख दवाएँ निम्नलिखित हैं:

1. **Calcarea Carbonica 30**

* **मुख्य लक्षण**: मोटी, मोटापा, अत्यधिक पसीना, मासिक में अत्यधिक रक्तस्राव।

2. **Sepia 30**

* **मुख्य लक्षण**: गर्भाशय में भारीपन, पीठ में दर्द, चिड़चिड़ापन।

3. **Lachesis 30**

* **मुख्य लक्षण**: मासिक धर्म देर से लेकिन अधिक मात्रा में, गर्मी की असहनीयता।

4. **Fraxinus Americana Q**

* **मुख्य लक्षण**: गर्भाशय का बढ़ना, गाँठ के साथ पेट का फूलना।

5. **Thlaspi Bursa Pastoris Q**

* **मुख्य लक्षण**: अत्यधिक रक्तस्राव, थकान, बार-बार मासिक।

6. **Calcarea Fluor 6X**

* **मुख्य लक्षण**: कठोर गाँठ को घोलने में सहायक।

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✅ **महत्वपूर्ण सलाह:**

* दवाओं का चयन लक्षणों के आधार पर होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह से करें।
* अगर गाँठ बहुत बड़ी हो और बार-बार रक्तस्राव हो रहा हो, तो नियमित निगरानी आवश्यक है।

ﺣﻀﺮﺕ ﺣﺴﻦ ﺑﺼﺮﯼ ﺭﺣﻤۃ ﺍﻟﻠﮧ ﻋﻠﯿﮧ ﻓﺮﻣﺎﺗﮯ ﮨﯿﮟ!ﮐﺘﮯ ﮐﮯ ﺍﻧﺪﺭ 10 ﺻﻔﺎﺕ ﺍﯾﺴﯽ ﮨﯿﮟ ﮐﮯ ﺍﻥ ﻣﯿﮟ ﺳﮯ ﺍﯾﮏ ﺻﻔﺖ ﺑﮭﯽ ﺍﻧﺴﺎﻥ ﻣﯿﮟ ﭘﯿﺪﺍ ﮨﻮ ﺟﺎﺋﮯ ﺗﻮ ...
30/08/2025

ﺣﻀﺮﺕ ﺣﺴﻦ ﺑﺼﺮﯼ ﺭﺣﻤۃ ﺍﻟﻠﮧ ﻋﻠﯿﮧ ﻓﺮﻣﺎﺗﮯ ﮨﯿﮟ!
ﮐﺘﮯ ﮐﮯ ﺍﻧﺪﺭ 10 ﺻﻔﺎﺕ ﺍﯾﺴﯽ ﮨﯿﮟ ﮐﮯ ﺍﻥ ﻣﯿﮟ ﺳﮯ ﺍﯾﮏ ﺻﻔﺖ ﺑﮭﯽ ﺍﻧﺴﺎﻥ ﻣﯿﮟ ﭘﯿﺪﺍ ﮨﻮ ﺟﺎﺋﮯ ﺗﻮ وه بزرگی تک پہنچ جاتا ہے۔

1. ﮐﺘﮯ ﮐﮯ ﺍﻧﺪﺭ ﻗﻨﺎﻋﺖ ﮨﻮﺗﯽ ﮨﮯ، ﺟﻮ ﻣﻞ ﺟﺎﺋﮯ ﺍﺳﯽ ﭘﺮ ﻗﻨﺎﻋﺖ ﮐﺮ ﻟﯿﺘﺎ ﮨﮯ، ﺭﺍﺿﯽ ﮨﻮ ﺟﺎﺗﺎ ﮨﮯ ﯾﮧ ﻗﺎﻧﻌﯿﻦ ﺍﻭﺭ ﺻﺎﺑﺮﯾﻦ ﮐﯽ ﻋﻼﻣﺖ ﮨﮯ .

2. ﮐﺘﺎ ﺍﮐﺜﺮ ﺑﮭﻮﮐﺎ ﺭﮨﺘﺎ ﮨﮯ ﯾﮧ ﺻﺎﻟﺤﯿﻦ ﮐﯽ ﻋﻼﻣﺖ ﮨﮯ .

3. ﮐﻮﺋﯽ ﺩﻭﺳﺮﺍ ﮐﺘﺎ ﺍﺱ ﭘﺮ ﺯﻭﺭ ﮐﯽ ﻭﺟﮧ ﺳﮯ ﻏﺎﻟﺐ ﺁ ﺟﺎﺋﮯ ﺗﻮ ﯾﮧ ﺍﭘﻨﯽ ﺟﮕﮧ ﭼﮭﻮﮌ ﮐﺮ ﺩﻭﺳﺮﯼ ﺟﮕﮧ ﭼﻼ ﺟﺎﺗﺎ ﮨﮯ ﯾﮧ ﺭﺍﺿﻌﯿﻦ ﮐﯽ ﻋﻼﻣﺖ ﮨﮯ .

4. ﺍﺳﮑﺎ ﻣﺎﻟﮏ ﺍﺳﮯ ﻣﺎﺭﮮ ﺑﮭﯽ ﺗﻮ ﺍﺳﮯ ﭼﮭﻮﮌ ﮐﺮ ﻧﮩﯿﮟ ﺟﺎﺗﺎ ﯾﮧ ﺻﺎﺩﻗﯿﻦ ﮐﯽ ﻋﻼﻣﺖ ﮨﮯ .

5. ﺍﮔﺮ ﺍﺳﮑﺎ ﻣﺎﻟﮏ ﮐﮭﺎﻧﺎ ﮐﮭﺎ ﺭﮨﺎ ﮨﻮ ﺗﻮ ﯾﮧ ﺑﺎﻭﺟﻮﺩ ﻗﻮﺕ ﺍﻭﺭ ﻃﺎﻗﺖ ﮐﮯ، ﺍﺱ ﺳﮯ ﮐﮭﺎﻧﺎ ﻧﮩﯿﮟ ﭼﮭﯿﻨﺘﺎ، ﺩﻭﺭ ﺳﮯ ﺑﯿﭩﮫ ﮐﺮ ﮨﯽ ﺩﯾﮑﮭﺘﺎ ﺭﮨﺘﺎ ﮨﮯ، ﯾﮧ ﻣﺴﮑﯿﻦ ﮐﯽ ﻋﻼﻣﺖ ﮨﮯ .

6. ﺟﺐ ﻣﺎﻟﮏ ﺍﭘﻨﮯ ﮔﮭﺮ ﻣﯿﮟ ﮨﻮ ﺗﻮ ﯾﮧ ﺩﻭﺭ ﺟﻮﺗﮯ ﮐﮯ ﭘﺎﺱ ﺑﯿﭩﮫ ﺟﺎﺗﺎ ﮨﮯ، ﺍﺩﻧﯽٰ ﺟﮕﮧ ﭘﺮ ﺭﺍﺿﯽ ﮨﻮ ﺟﺎﺗﺎ ﮨﮯ، ﯾﮧ ﻣﺘﻮﻓﻘﯿﻦ ﮐﯽ ﻋﻼﻣﺖ ﮨﮯ .

7. ﺍﮔﺮ ﺍﺳﮑﺎ ﻣﺎﻟﮏ ﺍﺳﮯ ﻣﺎﺭﮮ ﺍﻭﺭ ﯾﮧ ﺗﮭﻮﮌﯼ ﺩﯾﺮ ﮐﮯ ﻟﺌﮯ ﭼﻼ ﺟﺎﺋﮯ، ﭘﮭﺮ ﻣﺎﻟﮏ ﺍﺳﮯ ﺩﻭﺑﺎﺭﮦ ﭨﮑﮍﺍ ﮈﺍﻝ ﺩﮮ، ﺗﻮ ﯾﮧ ﺩﻭﺑﺎﺭﮦ ﺁ ﮐﺮ ﮐﮭﺎ ﻟﯿﺘﺎ ﮨﮯ ﻧﺎﺭﺍﺽ ﻧﮩﯿﮟ ﮨﻮﺗﺎ، ﯾﮧ ﺧﺎﺷﻌﯿﻦ ﮐﯽ ﻋﻼﻣﺖ ﮨﮯ ۸

8. ﺩﻧﯿﺎ ﻣﯿﮟ ﺭﮨﻨﮯ ﮐﮯ ﻟﺌﮯ ﺍﺳﮑﺎ ﺍﭘﻨﺎ ﮐﻮﺋﯽ ﮔﮭﺮ ﻧﮩﯿﮟ ﮨﻮﺗﺎ، ﯾﮧ ﻣﺘﻮﮐﻠﯿﻦ ﮐﯽ ﻋﻼﻣﺖ ﮨﮯ .

9. ﺭﺍﺕ ﮐﻮ ﯾﮧ ﺑﮩﺖ ﮐﻢ ﺳﻮﺗﺎ ﮨﮯ، ﯾﮧ ﻣﺤﺒﯿﻦ ﮐﯽ ﻋﻼﻣﺖ ﮨﮯ .

10. ﺟﺐ ﻣﺮﺗﺎ ﮨﮯ ﺗﻮ ﺍﺳﮑﯽ ﮐﻮﺋﯽ ﻣﯿﺮﺍﺙ ﻧﮩﯿﮟ ﮨﻮﺗﯽ، ﯾﮧ ﺯﺍﮨﺪﯾﻦ ﮐﯽ ﻋﻼﻣﺖ ﮨﮯ ...
اللہ تعالی نیکی کرنے اور نیکی کی تلقین کی توفیق عطا فرمائے آمین ثمہ امین.....

80 करोड़ की संपत्ति के मालिक की वृद्धाश्रम में हुई मौत पूत कपूत का धन संचय, पूत सपूत तो का धन संचय, ये सच कर देने वाली क...
24/08/2025

80 करोड़ की संपत्ति के मालिक की वृद्धाश्रम में हुई मौत
पूत कपूत का धन संचय,
पूत सपूत तो का धन संचय,
ये सच कर देने वाली कहावत पूरी तरह चरितार्थ किया है। क्योंकि इस आधुनिक भरे जमाने में परिवार के साथ कोई नहीं रहना चाहता है, चाहे वो अपने मां-बाप ही क्यों न हों।

संतान अपने स्वार्थ के चलते मां-बाप के प्यार को भी दरकिनार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इसका जीता-जागता उदाहरण आप वृद्धाश्रम में रह रहे लोगों के बीच देख सकते हैं। ऐसा ही दिल दहला देने वाला मामला दिसंबर 24 में वाराणसी में देखने को मिला है।

जिसमें पद्मश्री से सम्मानित आध्यात्मिक साहित्यकार, ( #आयुर्वेद पर भी ग्रंथ लिखे है) श्रीनाथ खंडेलवाल, जो 80 करोड़ संपत्ति के मालिक थे, लेकिन इसके बावजूद उनके बेटे-बच्चों ने उन्हें वृद्धाश्रम में रहने के लिए मजबूर कर दिया। और 80 वर्ष की आयु में उनकी वृद्धाश्रम में मौत हो गई। हद तो तब हुई जब अपने पिता के आखिरी दर्शन करने के लिए और उन्हें कंधा देने के लिए उनका कोई भी परिजन उनके पास नहीं पहुंचा।

2023 में #पद्मश्री से सम्मानित काशी के रहने वाले श्रीनाथ खंडेलवाल ने सौ से अधिक किताबें लिखी हैं। जिसके चलते उन्हें 2023 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। परिवार में उनके दो बेटे और एक बेटी है। उनका बेटा बिजनेमैन है और बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील है। वे साहित्यकार होने के साथ एक आध्यात्मिक पुरुष भी थे। बेटे-बेटी ने हड़प ली सारी जायदाद श्रीनाथ खंडेलवाल के पास करोड़ों की संपत्ति थी।

वह दिन-रात अपने साहित्य और अध्यात्म में डूबे रहते थे। और इसी बात का फायदा उठा कर उनके बेटे और बेटी ने उनकी सारी जायदाद हड़पकर उन्हें बीमार अवस्था में बेसहारा सड़क पर छोड़ दिया। इसके बाद समाजसेवी लोग उन्हें काशी कुष्ठ वृद्धाश्रम में ले आए। जहां उनकी निशुल्क सेवा होती रही और वह काफी खुश थे, लेकिन एक बार भी कोई परिजन वहां उनका हाल लेने नहीं आया।

चंदा लेकर हुआ अंतिम संस्कार वृद्धाश्रम में ही उनका स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद उन्हें आईसीयू में एडमिट किया गया और अंत में वह दुनिया को अलविदा कह गए। सबसे बड़ी विडंबना तो यह थी कि श्रीनाथ खंडेलवाल जी के मृत्यु की खबर जब उनके बच्चों को दी गई, तो व्यस्तता का हवाला देकर बेटों ने अंतिम दर्शन तक करने से इनकार कर दिया, और बेटी ने भी मुंह फेर लिया। अंत में समाजसेवी अमन ने चंदा इकट्ठा कर श्रीनाथ खंडेलवाल जी का पूरे विधि विधान से अंतिम संस्कार किया|
साभार: https://www.bhaskar.com/local/uttar-pradesh/varanasi/news/varanasi-news-millionaire-writer-shrinath-khandelwal-living-in-an-old-age-home-passed-away-134198025.html

15 جولائی سے 15 ستمبر تک مِیل اور فی مِیل سانپوں کے ملاپ ے مہینے ہوتے ہیں، اور سانپوں کی تقریباً تمام اقسام ہی اِن مہینو...
19/07/2025

15 جولائی سے 15 ستمبر تک مِیل اور فی مِیل سانپوں کے ملاپ ے مہینے ہوتے ہیں، اور سانپوں کی تقریباً تمام اقسام ہی اِن مہینوں میں اپنے سامنے آنے والی کسی بھی انسان، جانور پر حملہ کر دیتی ہیں، ان دو ماہ میں شام سے لیکر اگلے روز صبح تک سانپ باہر نکلتے ہیں، سانپ زیادہ تر نمی والی جگہ یا ایسی جگہ جہاں پانی کھڑا ہو اُسکے کنارے پر موجود ہوتے ہیں، گاؤں کے لوگ ان دو ماہ میں خاص احتیاط کریں، رات کے وقت ٹارچ اپنے ہاتھ میں رکھیں اور نظریں زمین پر رکھیں
یاد رکھیں ان دو ماہ میں سانپ انسانوں پر باقاعدہ حملہ آور ہوتے ہیں لہٰذا خود بھی احتیاط کریں اور اپنے بچوں کا خاص خیال رکھیں، رات کو ہر صورت بچوں کو زمین پر نہ کھیلنے دیں, یہ معلومات تمام لوگوں تک پہنچائیں...شکریہ #

15 जुलाई से 15 सितंबर तक का समय सांपों के निकलने का महीना होता है।इन महीनों में लगभग सभी प्रकार के सांप अपने बिलों से बा...
09/07/2025

15 जुलाई से 15 सितंबर तक का समय सांपों के निकलने का महीना होता है।
इन महीनों में लगभग सभी प्रकार के सांप अपने बिलों से बाहर निकलते हैं। ये सांप इंसानों और जानवरों पर भी हमला कर सकते हैं।
इन दो महीनों में शाम से लेकर अगली सुबह तक सांप ज्यादा सक्रिय रहते हैं।

सांप ज़्यादातर नमी वाली जगहों पर, झाड़ियों में, गड्ढों में या वहाँ पर पाए जाते हैं जहाँ पानी खड़ा हो या कोई जल स्रोत हो।
गाँव के लोगों को इन दो महीनों में विशेष सावधानी रखनी चाहिए।
रात को सोते समय अपने हाथ-पैर कम्बल या चादर में रखें और ज़मीन पर न लटकाएं।
ज़मीन पर ध्यान रखें।

ध्यान दें: इन दो महीनों में सांप इंसानों पर बार-बार हमला करते हैं।
इसलिए खुद भी सावधानी रखें और अपने बच्चों का खास ख्याल रखें।
रात को बच्चों को ज़मीन पर न सुलाएं।

यह जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाएं। धन्यवाद।

09/07/2025

आयुर्वेद में सफेद दाग को "श्वित्र" या "किलास" कहा गया है। यह एक त्वचा विकार है जिसमें त्वचा पर सफेद रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। यह रोग तब होता है जब त्वचा में मेलेनिन (रंग बनाने वाला तत्व) बनना बंद हो जाता है। आधुनिक चिकित्सा में इसे विटिलिगो (Vitiligo) कहा जाता है।

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🔍 सफेद दाग के कारण

आयुर्वेद के अनुसार यह त्रिदोषज (वात, पित्त और कफ) विकार होता है, लेकिन प्रायः पित्त दोष का इसमें मुख्य योगदान होता है।

प्रमुख कारण:

1. अहितकर आहार-विहार:

दूध और मछली का एक साथ सेवन

खटाई के साथ दूध, दही या अन्य विपरीत आहार

अधिक तेलीय, तले हुए और गरिष्ठ भोजन का सेवन

2. अजीर्ण या मंदाग्नि (पाचन शक्ति की कमजोरी)

3. मानसिक तनाव और क्रोध

4. आनुवंशिक कारण (वंशानुगत दोष)

5. रासायनिक या विषैले पदार्थों का संपर्क

6. अत्यधिक धूप में रहना या त्वचा पर चोट लगना

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⚠️ लक्षण (Symptoms)

1. त्वचा पर दूधिया सफेद या हल्के रंग के चकत्ते

2. चकत्तों का धीरे-धीरे बढ़ना

3. बालों का सफेद हो जाना (यदि चकत्ता बालों वाली जगह पर है)

4. आमतौर पर खुजली नहीं होती

5. कुछ मामलों में चकत्ते पर संवेदनशीलता कम हो सकती है

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🧘‍♂️ आयुर्वेदिक उपचार और उपाय

1. शोधन चिकित्सा (Detoxification Therapies)

पंचकर्म के अंतर्गत वमन, विरेचन और बस्ती चिकित्सा की जाती है, ताकि दोषों का शुद्धिकरण हो।

2. संशोधन औषधियाँ (Internal Medicines)

प्रमुख आयुर्वेदिक औषधियाँ:

खादिरारिष्ट

आरोग्यवर्धिनी वटी

गंधक रसायन

महामंजिष्ठादि काढ़ा

पंचतिक्त घृत गुग्गुलु

👉 इन्हें किसी वैद्य की सलाह से ही सेवन करें।

3. संप्राप्ति-विघटन औषधियाँ (विशेष योग)

बखुची चूर्ण (Psoralea corylifolia): यह सफेद दाग में प्रमुख औषधि मानी जाती है। इसे अंदरूनी रूप से लेने और बाहरी रूप से लगाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

प्रयोग:

बखुची चूर्ण को गोमूत्र या तिल तेल में मिलाकर प्रभावित स्थान पर लगाया जाता है।

अंदरूनी उपयोग के लिए – 1 से 3 ग्राम प्रतिदिन (वैद्य के निर्देश अनुसार)

4. बाह्य चिकित्सा (External Application)

बखुची तेल, अर्क तेल या ताम्र भस्म युक्त मरहम

सूरज की हल्की किरणों में बैठना (UV प्रभाव के लिए)

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🍲 आहार-विहार (Diet and Lifestyle)

क्या करें:

सादा, सुपाच्य और हल्का भोजन करें

त्रिफला का नियमित सेवन करें

मौसमी फल, हरी सब्जियाँ, अंकुरित अनाज लें

सुबह सूर्योदय के समय ध्यान और योग करें

क्या न करें:

दूध और नमक, दूध और मछली का एक साथ सेवन न करें

अधिक खट्टी, तीखी और तली-भुनी चीज़ें न लें

मानसिक तनाव और क्रोध से बचें

रासायनिक सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग न करें

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🌞 योग और प्राणायाम

1. अनुलोम-विलोम प्राणायाम – त्वचा रोगों में अत्यंत लाभकारी

2. कपालभाति – पाचन और त्वचा के लिए उत्तम

3. सूर्य नमस्कार – रक्तसंचार बेहतर करता है

आयुर्वेद के अनुसार, सफेद दाग केवल त्वचा का रोग नहीं है बल्कि यह शरीर के अंदर पाचन और त्रिदोषों के असंतुलन का परिणाम है। इसके उपचार में शुद्ध आहार, जीवनशैली, औषधियाँ, योग और मन की शांति अत्यंत आवश्यक हैं।

नियमित आयुर्वेदिक चिकित्सा, अनुशासित दिनचर्या और धैर्य के साथ यह रोग काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।कोई भी उपाय अपने चिकित्सक की सलाह अनुसार ही करें!!
#सफ़ेद #दाग

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