
21/09/2025
#शारदीय नवरात्री 2025: 21 सितंबर शारदीय नवरात्र प्रारम्भ
जानें घटस्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त, महत्व
VK Jyotishi
, Numerology & Vastu Consultant
#7891629107
हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्र का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा की मूर्ति घर या मंदिरों में स्थापित की जाती है और 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।शारदीय नवरात्र आश्विन माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है और नवमी तिथि तक मनाई जाती है।
#नवरात्र साल में चार बार आती है
#चार बार माघ (जनवरी के आस-पास), चैत्र (अप्रैल के आस-पास), आषाढ़ (जुलाई के आस-पास) और आश्विन (अक्टूबर के आस-पास) महीने में पड़ती है. इसमें से चैत्र वाली नवरात्र को वासंतिक नवरात्र और आश्विन वाली नवरात्र को शारदीय नवरात्र हम सबसे ज्यादा जानते है। नवरात्र का मतलब होता है नौ रातें, जब हम मां दुर्गा की पूजा करते हैं।
#नवरात्र में जो सकारात्मकता आती है, वो हमारे वातावरण से बुराई को दूर कर देती है. इस समय में अच्छाई, शांति और खुशी का माहौल बनता है। साथ ही, हमारे मन में उत्साह और उमंग बढ़ती है।इस बार शारदीय नवरात्र का पर्व 22 सितंबर, सोमवार से शुरू होने जा रहे हैं और मां दुर्गा के इन शुभ दिनों का समापन 1 अक्टूबर, महानवमी के दिन होगा।
#इस साल शारदीय नवरात्र की शुरुआत 22 सितंबर, सोमवार से होने जा रही है। नवरात्र की अष्टमी 30 सितंबर को और महानवमी 1 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
#शारदीय नवरात्र को सबसे बड़ी नवरात्र में से एक माना जाता है।जिसकी शुरुआत पहले दिन की कलशस्थापना से होती है और जो कि शुभ मुहूर्त में स्थापित किया जाता है।
#पंचांग के मुताबिक, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 22 सितंबर की रात 1 बजकर 23 मिनट से होगी और तिथि का समापन 23 सितंबर को अर्धरात्रि 2 बजकर 55 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्र इस बार 22 सितंबर को ही मनाई जाएगी।
#शारदीय नवरात्र घटस्थापना का मुहूर्त:
#घटस्थापना का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 09 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 06 मिनट तक रहेगा
#अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 49 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा
#इस बार किस वाहन पर सवार होंगी मां दुर्गा :
#हर बार नवरात्र में देवी अलग-अलग वाहन पर आती हैं, और उस वाहन के हिसाब से अगले छह महीने की स्थिति का अंदाजा लगाया जाता है। इस बार मां दुर्गा हाथी पर विराजमान होंगी। हाथी धन, समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक होता है। हाथी बृहस्पति देव का वाहन है, जो ज्ञान और समृद्धि देता है।
इसलिए, इस बार अगर आप मां की पूजा करेंगे, तो आपको धन और ज्ञान दोनों की प्राप्ति होगी. यह आने वाला समय लोगों के लिए खुशहाली और समृद्धि लेकर आने वाला है. हाथी पर देवी का आगमन हमारे लिए बहुत शुभ है। इससे जीवन में धैर्य, आनंद और सुख-शांति बढ़ेगी।
#शारदीय नवरात्र का महत्व:
#दुनिया की सारी शक्ति महिलाएं या नारी रूप में ही है, इसलिए नवरात्र में देवी की पूजा होती है। देवी खुद ही शक्ति की मूरत हैं, इसलिए नवरात्र को शक्ति की नवरात्र भी कहते हैं। नवरात्र के नौ दिन नौ अलग-अलग रूपों में मां दुर्गा की पूजा होती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। हर एक रूप से हमें अलग- अलग आशीर्वाद और वरदान मिलता है। साथ ही जो ग्रहों की बाधाएं होती हैं, वे भी दूर होती हैं।
#नवरात्रि के पहले दिन क्यों की जाती है मां शैलपुत्री की पूजा:
#नवरात्र के पहले दिन हम मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं। शैलपुत्री का मतलब है पहाड़ की बेटी, जो हिमालय की पुत्री हैं। इन्हें पार्वती भी कहा जाता है। इनकी पूजा से अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही अगर जीवन में कोई सूर्य से जुड़ी परेशानी है तो वो भी दूर हो सकती है।
VK Jyotishi
, Numerolo
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