24/01/2024
ब्रॉलर फ़ार्मिंग का भूत वाइरल:-
Kindly see the video
https://m.youtube.com/watch?reload=9&feature=youtu.be&v=5rcXhAviLdE
फ़ार्मर भाइयों पोल्ट्री से जुड़ा हर शख़्स वाइरल से भली भाँति वाक़िफ़ है ओर शायद सबसे ज़्यादा डर फ़ार्मर के मन में अगर किसी चीज़ का बैठा हुआ है ,तो वो है *वाइरल* । तो आइए इस लेख के माध्यम से वाइरल के बारे में समझने की कोशिश करते है।
:-वाइरल इन्फ़ेक्शंज़ - वो रोग या बीमारी। जिनका कारण वाइरस होता है उन्हें वाइरल इन्फ़ेक्शंज़ कहा जाता है ।जैसे की:- रानीखेत ,गुंबारो, इनफ़्लुएंज़ा इत्यादि। विभिन तरह की वाइरल बीमारियों में से फ़ार्मर के लिए सबसे बड़ा व मिस गाइडेड विषय है रेस्प्रिटॉरी (साँस नली का वाइरल)
क्योंकि बाक़ी ज़्यादातर गम्भीर वाइरल बीमारियों के लिए वैक्सींज़ उपलब्ध है ,जिनसे सफलतापूर्वक इन बीमारियों से निजात पाई जा सकती है। जैसे की आप Nd ओर Ibd का vaccine करते है इनसे एक specific वाइरस के प्रति बर्ड में इम्यूनिटी विकसित हो जाती है।
लेकिन जो साँस नली के वाइरल है ,इनकी कारगर वैक्सीन मार्केट में उपलब्ध नहीं है।
ओर एक बार इन वाइरल के बर्ड्ज़ पर हमला करने के बाद इन्हें ख़त्म नहीं किया जा सकता ,केवल बर्ड्ज़ की रोग प्रतिरोधक क्षमता हीं इन वाइरस से लड़ती है ओर बर्ड्ज़ का बचाव करती है।क्योंकीं आज तक कोई भी दवा ऐसी नहि बनी जो वाइरस को ख़त्म कर सके क्योंकि वाइरस की अपनी सेल वाल नहि होती ये (Host) मेज़बान की कोशिका पर हमला करता है। ओर ख़ुद को बढ़ाता है। सिर्फ़ बर्ड की रोग प्रतिरोधक क्षमत ही इससे लड़ने में सहायक होती है ओर कुछ समय के बाद वाइरस स्वयं इनैक्टिव हो जाता है।
इसलिए वाइरल के दौरान केवल बर्ड्ज़ की इम्यूनिटी बढ़ाने पर ध्यान दे। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए ADIMMONE दें व साँस नली को साफ़ करने के लिए CRD PLUS दें ।ताकीं बर्ड्ज़ को साँस लेने में तकलीफ़ न हो ओर साँस नली में ज़ुकाम(म्यूकस) जमने के कारण मॉर्टैलिटी ना हो।
ADIMMONE 150-200 ml/1000birds
CRD plus 150-200 ml/1000 birds
Ads plus 1ml/ ltr
(4-5 घंटे के पानी में दिन में एक बार )
इसके इलावा वाइरल के दौरान साफ़ सफ़ाई ,स्प्रे का खास तौर पर ध्यान रखे ओर पानी साफ़ करने के लिए पानी में ADS PLUS मिलायें । ताकि वाइरल के साथ में बर्ड्ज़ दूसरे बैक्टीरीअ (ई॰ कोलाई॰) इत्यादि की चपेट में ना आए।क्योंकि ज़्यादा नुक़सान तभी होता है जब वाइरल के साथ बर्ड दूसरे बैक्टीरीअ की चपेट में आ जाता है ओर बर्ड्ज़ में CCRD बन जाती है।
लेकिन बहुत से फ़ार्मर भाई बर्ड्ज़ में (खच-खच) की आवाज़ होते ही ,बिना कुछ सोचे समझें ऐंटीबायआटिक देना शुरू कर देते है।
ऐंटीबायआटिक के इस्तेमाल के साथ बहुत बड़ी समस्या ये है कि वाइरस के दौरान हीं इसका इस्तेमाल करने पर अच्छें बैक्टीरीअ मरने से इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) टूट जाती है ओर मॉर्टैलिटी एकाएक बढ़ जाती है।
नोट:- ज़रूरत से ज़्यादा दवाइयाँ देकर ,ये मत सोचिए की आप एक दम से वाइरल से निजात पा लेंगे ,उलटा बर्ड्ज़ स्ट्रेस(तनाव ) में चले जायेंगे ओर नुक़सान उतना ही ज़्यादा होगा।
अगर आप इन सब चीज़ों का ध्यान रखेंगे , तो वाइरल के साथ CCRD कम से कम बनेगी ओर आप नुक़सान से बच पाएँगे।
Antibiotics का इस्तेमाल इसके फ़ायदे ओर नुक़सान का आकलन करने के बाद हीं करें ।
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