04/08/2025
पिछले हप्ते आपने ऑलमोस्ट सारी मीडिया मे टीव्ही न्यूज पेपर सब जगह पुरे भारतभर पढा होगा की एक बच्ची की पेट से आधे किलो का बालो गुच्छा निकाला गया, जिसका आकार अपने पेट के एक अवयव समान था, जिसका नाम है जठर या खाने की थैली|
यहा मे क्यू बता रही हो आपको क्यूकी कई बार किसी भी घर मे बच्चे कुछ मुँह है डालते है, खा लेते है और माता पिता के कभी कभार ध्यान मे आता है तो बच्चे को टोक लेते है|
लेकिन बच्चे समझते नही, आपको समझ मे नही आता क्या किया जाये, बच्चो को कैसा समजाया जाये ? थोडे दिनोके बाद हम वो चीजे भूल जाते है, पर बच्चा अपने आदत से नही चुकता, खाते रहता है|
कभी कभार बच्चे बाल,प्लास्टिक,धागे,कपडो के धागे,नाखून कुछ कपडो के तुकडे और भी कोई चीज है जो पेट मे डायजेस्ट नही होती है, गलती नही है किसी भी चीज से पेटमे पिघलती नही|
तो ऐसी चीजे पेट मे जमा होती रहती है और आपने जो उपर पढा ऐसे गंभीर कॉम्प्लिकेशन्स भी हो सकते है| और ऐसा ना हो इसलिये
1आप आपके बच्चे पे एक तो ध्यान देना जरुरी है|
2 उस पे नजर रख के ये सही मे बार बार हो रहा है की नही
3 देखना है क्या खा रहा है
4 और उसके साथ आप खुद से समझाइये नही समजता है या आपको लगता है कि बच्चा मानसिक रूप से थोडासा अलग लगता है, या अलग है बच्चो के बाकी सारे बच्चो के साथ उसकी घुल नही होता है और अलग से एक जगा बैठके अपने ही खुद मे ही मग्न रहता है|
5 ऐसा कुछ लग रहा तो आप मानसरोग तज्ञ जो रहते है उसमे जरुरी की बडो की रहते है, कुछ बच्चो के भी रहते है और उनके पास एक कौन्सिलर रहता है जो सिर्फ क्वेश्चन पूछने का काम करता है और आपके बच्चे को समझा भी सकता है तो आपको ऐसे तज्ञ के पास जा के अपने बच्चे को दिखाना चाहिये| वो आपको आपसे जादा अच्छा बच्चो को समझा पायेंगे और आप कैसे मुश्किलो का सामना करने मे समर्थ हो जायेंगे|
तो ध्यान रखिए और ऐसा कुछ रहा तो जरूर अपने डॉक्टर को पीडियाट्रीशियन को, या जरुरत पडी तो हमारे जैसे पीडिया ट्रिक सर्जन को या फिर मानसिक रोग तज्ञ और कौन्सिलिंग के बात करना जरुरी रहेगा
यह ऑपरेशन अमरावती के मातृछाया हॉस्पिटल मे डॉक्टर उषा गजभिये यांनी मै ने किया था पिछले 16 तारीख को महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना की निशुल्क किया था|