Himalayan Ayurvedic Products

Himalayan Ayurvedic Products Himalayan Ayurveda Products has perfected the science of Ayurveda with more than 42 Years of accumulated experience.

We have been upholding the authentic principles of Ayurveda to propagate health and well-being worldwide.

18/03/2022
                          हेल्थ को लेकर अक्सर महिलाएं करती हैं यह  गलतियां, जानिएकहते हैं कि इंसान गलतियों का पुतला होता...
16/02/2022



हेल्थ को लेकर अक्सर महिलाएं करती हैं यह गलतियां, जानिए

कहते हैं कि इंसान गलतियों का पुतला होता है- अर्थात् गलतियां करना उसका एक स्वाभाविक नेचर है। कई बार हमारी गलतियां हमें काफी कुछ सिखाती भी हैं और इस तरह हम एक बेहतर इंसान बनते हैं। लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि छोटी-छोटी गलतियों का हमें काफी भारी हर्जाना भी भरना पड़ता है। खासतौर से, बात जब सेहत की हो तो जरा सी भी कोताही आपके लिए एक बड़ी परेशानी का सबब बन सकती हैं।
हालांकि, जब बात महिलाओं की हो तो यह देखने में आता है कि महिलाएं परिवार के हर सदस्य का बखूबी ख्याल रखती हैं। लेकिन जब बात खुद उनकी सेहत की हो तो वह उसे इग्नोर कर देती हैं। शायद यही कारण है कि महिलाओं को कम उम्र में ही कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तो चलिए आज इस लेख में सेंट्रल गवर्नमेंट हॉस्पिटल के ईएसआईसी अस्पताल की डायटीशियन रितु पुरी आपको कुछ ऐसी ही हेल्थ मिसटेक्स के बारे में बता रही हैं, जिनसे आपको वास्तव में बचना चाहिए-
चीनी की जगह बहुत अधिक शुगर फ्री या गुड़ खाना
कुछ महिलाएं खुद को फिट और हेल्दी रखने के चक्कर में चीनी की जगह शुगर फ्री, गुड़ व शहद का सेवन करती हैं। उन्हें लगता है कि यह उन्हें हेल्दी रखता है। लेकिन यहां आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए कि इन सभी चीजों में कैलोरी होती है। यह सच है कि गुड़ व शहद में कुछ पोषक तत्व होते हैं। लेकिन वह इतने अधिक नहीं होते हैं, जितना कि आपको किसी मील से मिलते हैं। इसलिए आप गुड़ व शहद का सेवन करें, लेकिन उसे सीमित मात्रा में ही लें। ऐसा ना हो कि जब भी आपको मीठा खाने की तलब हो तो आप गुड़ व शहद खाना शुरू कर दें।
सिर्फ ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करना
ऑलिव ऑयल को एक हेल्दी ऑयल माना जाता है और इसलिए अधिकतर महिलाएं केवल ऑलिव ऑयल को ही अपनी किचन में इस्तेमाल करती हैं। लेकिन अगर आप केवल एक ही तरह के ऑयल को यूज करती हैं तो इससे आपको पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाते हैं। इसलिए आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप हर महीने में अपने ऑयल को बदल-बदलकर इस्तेमाल करें ताकि आपको हर बार अलग-अलग पोषक तत्व मिलते रहें। इसके अलावा, ऑयल इस्तेमाल करते समय आपको उसकी क्वांटिटी का भी ध्यान रखना चाहिए। एक व्यक्ति के लिए दिन में तीन से चार चम्मच ऑयल का इस्तेमाल करना पर्याप्त है।
चावल को डाइट से बाहर कर देना
कुछ महिलाओं का यह भी मानना होता है कि चावल फैट को बढ़ा सकते हैं और इसलिए वह उसे अपनी डाइट से बाहर कर देते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। जरूरी है कि आप उसकी क्वांटिटी पर ध्यान दें। यकीनन चावलों में कार्ब्स अधिक होते हैं, लेकिन आप उसे एक हेल्दी मील में बदल सकती हैं। मसलन, आप चावल के साथ कुछ फाइबर एड कर सकते हैं। इसके लिए आप चावलों के साथ कुछ सब्जियों को भी उसमें डालें या फिर दाल आदि को इसके साथ खाएं। इतना ही नहीं, आप चावलों के साथ सब्जियों को सलाद के रूप में भी खा सकती हैं। ध्यान दें कि एक हेल्दी मील भी आपको मोटा बना सकता है, अगर आप उसकी मात्रा का ध्यान ना दें।
अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें

किडनी को सेहतमंद रखने के लिए ये टिप्स आएंगी आपके कामहमारा शरीर एक मशीन की तरह है और इसके हर अंग का एक अहम रोल है। किडनी ...
03/02/2022

किडनी को सेहतमंद रखने के लिए ये टिप्स आएंगी आपके काम

हमारा शरीर एक मशीन की तरह है और इसके हर अंग का एक अहम रोल है। किडनी शरीर के बहुत जरूरी अंगों में से एक है जो शरीर से पानी को फिल्टर करने और वेस्ट प्रोडक्ट्स निकालने का काम करती है। किडनी की समस्या अगर होने लगे तो परेशानी बढ़ जाती है। किडनी फेलियर और डायलिसिस तक की नौबत आने लगती है। पर किडनी को ठीक रखने के लिए किस तरह के टिप्स फॉलो किए जा सकते हैं?
डायटीशियन और होलिस्टिक न्यूट्रिशनिस्ट और डाइट पोडियम की फाउंडर शिखा महाजन से हमने बात की और इस बारे में और जानने की कोशिश की। शिखा जी ने हमें ठीक तरह से इसके बारे में बताया कि आखिर किडनी की बीमारी शुरू होती है तो कैसे लक्षण दिखते हैं और कैसे किडनी को हेल्दी रखने के लिए कुछ टिप्स फॉलो की जा सकती हैं।
किडनी की बीमारी के लक्षण-
अगर किडनी की बीमारी शुरू हो रही है तो हमारा शरीर हमें कई तरह के लक्षण दिखाता है। जैसे-

- किडनी की बीमारी शुरू होते ही स्किन पर असर दिखने लगता है। स्किन बहुत ड्राई, खुजली वाली, क्रैक्स और स्केल्स वाली बन जाती है।
- खुजली वाले स्ट्रेच मार्क्स हो सकते हैं।
- स्किन का रंग ज्यादा सफेद दिखने लगता है।
- शरीर में कई तरह के मिनरल्स और विटामिन की कमी होने लगेगी।
- नाखूनों में सफेद बैंड्स या स्पॉट्स दिखने लगते हैं।
- नाखून काफी कमजोर और कच्चे होने लगते हैं।
- हाथों और पैरों के तलवों में ज्यादा सूजन दिखने लगती है।
- आपको पेट के निचले हिस्से और कमर में काफी ज्यादा दर्द होने लगेगा।
- यूरिन करने में जलन और परेशानी हो सकती है।
अब बात करते हैं उन टिप्स की जो आपकी परेशानी को थोड़ा कम कर सकते हैं।

इसे जरूर पढ़ें- किडनी से जुड़ी बीमारियों के इलाज में बैलेंस डाइट के साथ ये 1 फॉर्मूला भी है कारगर

सर्दियों में कैसे मैनेज करें अस्थमा और एलर्जी, जानें डॉक्टर की रायअगर आपको अस्थमा की समस्या है या फिर सर्दियों में होने ...
21/12/2021

सर्दियों में कैसे मैनेज करें अस्थमा और एलर्जी, जानें डॉक्टर की राय

अगर आपको अस्थमा की समस्या है या फिर सर्दियों में होने वाली एलर्जी परेशान करती है तो ये सारे टिप्स काम आ सकते हैं।
सर्दियों के महीने में कफ, कोल्ड और फ्लू जैसे लक्षण दिखना आम बात है। इस समय समस्या सांस से जुड़ी बीमारियां भी बहुत बढ़ जाती हैं। ये समय अस्थमा इन्फेक्शन के लिए भी बहुत हानिकारक समय होता है। अगर किसी को अस्थमा है और वो ठंडी हवा इनहेल कर लेता है तो उसके लंग्स में स्पैज़म होने लगता है और हवा बाहर निकालने के लिए मुश्किल होती है। इसकी वजह से लंग्स को और तकलीफ होती है और ये समस्या बढ़ती चली जाती है। इसी कारण कफ आना, छींकना, सांस फूलना आदि होता है।
जितना ज्यादा अस्थमा होगा उतना ही ज्यादा सर्दियों के समय सांस लेने में दिक्कत महसूस होगी। अगर आपको अस्थमा नहीं भी है तो कई बार विंटर एलर्जी के चलते इसमें समस्या हो जाती है।

हमने इस बारे में एस्टर आरवी हॉस्पिटल के डॉक्टर पवन यादव से बात की और ये जाना कि आखिर इस मौसम में कैसे हम विंटर एलर्जी और अस्थमा की समस्या से निजात पा सकते हैं। डॉक्टर पवन यादव इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी, स्लीप मेडिसिन और लंग ट्रांसप्लांटेशन की फील्ड में काम करते हैं और इस विषय में अच्छी परख रखते हैं।
सर्दियों के दौरान अस्थमा मैनेज करने के टिप्स-
सर्दी को तो कंट्रोल नहीं किया जा सकता है, लेकिन उसकी जगह आप अपने अस्थमा को कंट्रोल करने के लिए कुछ स्टेप्स को जरूर ध्यान रखें-

1. डॉक्टर से संपर्क करें-
इसके पहले की सर्दी में आपको समस्या शुरू हो आप पहले ही डॉक्टर से बात कर लें। एक अस्थमा एक्शन प्लान पहले से तैयार रहेगा तो इमरजेंसी में आपको परेशानी नहीं होगी। आप पहले से ही एक मेडिकल किट भी तैयार कर सकते हैं।

2. एक्सरसाइज से पहले इनहेलर-
अगर आप ठंड में बाहर एक्सरसाइज के बारे में सोच रहे हैं तो एक्सरसाइज शुरू करने से 15 से 30 मिनट पहले से ही इनहेलर लें। ये आपके एयरवेज को ओपन कर देता है और आप ज्यादा आसानी से सांस ले पाते हैं। अपने साथ इनहेलर हमेशा रखें ताकि अगर अस्थमा अटैक हो तो आपका काम ठीक हो सके। कठिन एक्सरसाइज करने से 15-20 मिनट पहले आप नॉर्मल वार्म अप करें। अपने चेहरे को भी गर्म रखें। नाक ठंडी नहीं होनी चाहिए।
3. घर पर इस्तेमाल करें ह्यूमिडिफायर-
आपके लिए ये सबसे सुविधाजनक ऑप्शन साबित हो सकता है कि आप घर पर ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करते रहें। इन्हें इस्तेमाल करने से पहले इनकी सर्विसिंग और सफाई जरूर कर लें ताकि इसमें डस्ट ना रह जाए। आपके घर के एयर फिल्टर भी हमेशा साफ रहने चाहिए। अगर आप हीटर इस्तेमाल करते हैं तो ये इसका भी ध्यान रखें। ऐसा करने से डस्ट अंदर नहीं आएगी और आपकी सेहत में सुधार होगा। अगर आपके घर की एयर क्वालिटी सही रहेगी तो आपका अस्थमा भी कंट्रोल में रहेगा।

4. पेट्स के साथ समय कम बिताएं-
अगर आपको पेट्स से समस्या होती है और एलर्जी है तो उनके साथ समय कम बिताएं। कम से कम अपने बाथरूम और सोने के कमरे में तो ये बिल्कुल भी ना करें। अगर आपने उन्हें छुआ है तो हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें या साबुन से 20 सेकंड तक हाथ धोएं। पेट्स की एलर्जी कई लोगों को होती है और इसलिए उससे बचें।

इसे जरूर पढ़ें- अनियमित पीरियड्स के लिए घर पर बनाएं ये ड्रिंक्स, डॉक्टर से जानें इसके फायदे

5. अस्थमा एक्शन प्लान की अन्य स्टेप्स-
ऊपर बताए गए सभी स्टेप्स को फॉलो करने के साथ-साथ इनहेलर का समय और दवाओं की उपलब्धता का भी ध्यान रखें।

अपने मेन इनहेलर के साथ रेस्क्यू इनहेलर रखें। 2 से 6 पफ तक आपके काम आ सकते हैं।
नाक का ब्लॉकेज हटाने के लिए नेब्यूलाइजर का इस्तेमाल जरूर करें।
पहला पफ लेने के बाद कम से कम 20 मिनट का इंतज़ार करें दूसरा पफ लेने के लिए।
अगर इसके बाद भी समस्या ठीक नहीं हो रही है तो आप डॉक्टर से जरूर बात करें।
सर्दियों में होने वाली एलर्जी का कैसे रखें ख्याल?
अस्थमा की समस्या के साथ-साथ सर्दियों में एलर्जी की समस्या भी ज्यादा होती है। सीजनल एलर्जी आपको परेशान कर सकती है। हां, पोलन एलर्जी इस दौरान कम हो सकती है, लेकिन अन्य कई तरह की समस्याएं सामने आ जाती हैं। सर्दियों में एलर्जी और कफ-कोल्ड के बीच का अंतर समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। दोनों ही मामलों में छींक आना, नाक बहना, गले में खराश और नाक का बंद होना जैसे लक्षण दिखते हैं।

इस दौरान एलर्जी असल में इम्यून सिस्टम का रिएक्शन होता है जो किसी ट्रिगर के कारण बढ़ता है। सर्दियों में होने वाली एलर्जी में डस्ट माइट्स, पेट्स से होने वाली एलर्जी, फफूंद से होने वाली एलर्जी, घर के अंदर मौजूद किसी चीज़ से होने वाली एलर्जी शामिल होती है।

घर के अंदर फैब्रिक फाइबर, लिंट, माइक्रो ऑर्गेनिज्म, खाने-पीने की चीज़ें, जानवरों की समस्या रहती है जिसके कारण ही एलर्जी बढ़ती है।
इन स्टेप्स से कम करें एलर्जी-
विंटर एलर्जी को कम करने के लिए ये सारे स्टेप्स काम के साबित हो सकते हैं-

ह्यूमिडिफायर के इस्तेमाल से हवा की ड्राइनेस कम करें जिससे डस्ट सांस में ना जा पाए।
घर की फर्श पर अगर पूरा कारपेट बिछा हुआ है तो उसमें डस्ट माइट्स ज्यादा पैदा हो सकते हैं। उसकी जगह एरिया रग्स इस्तेमाल करें।
सफाई करना, डस्टिंग करना, वैक्यूम करना रेगुलर बेस पर होना चाहिए।
अपनी चादर और तकिए का कवर अच्छे से साफ करें।
मैट्रेस को भी डस्टिंग की जरूरत होती है, इसे हमेशा साफ करते रहें।
अपने सोफे के कवर आदि को भी साफ करें और वैक्यूम करें ताकि डस्ट इकट्ठा नहीं हो पाए।
अपने डॉक्टर से संपर्क कर कुछ दवाओं की किट बना लें ताकि अगर समस्या हुई तो आपके पास पहले से ही दवाएं मौजूद रहेंगी।




















शरीर को डिटॉक्स करने के लिए किए जा सकते हैं ये 5 तरह के उपवासअगर आपको अपने शरीर को डिटॉक्स करना है तो उपवास रखना एक अच्छ...
06/12/2021

शरीर को डिटॉक्स करने के लिए किए जा सकते हैं ये 5 तरह के उपवास

अगर आपको अपने शरीर को डिटॉक्स करना है तो उपवास रखना एक अच्छा तरीका हो सकता है। जानिए किस तरह से आप रख सकते हैं उपवास।

उपवास को हमेशा भारत में बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है। उपवास करने से ना सिर्फ हमारे खाने-पीने की आदत पर कंट्रोल रहता है बल्कि ये वजन को नियंत्रित करने के लिए भी जरूरी है। बड़े-बड़े योगी और ऋषि मुनि भी उपवास के महत्व को बताते हैं। अगर साइंस और डाइट एक्सपर्ट्स की बात करें तो इंटरमिटेंट फास्टिंग को भी अब ग्लोबली महत्व मिलने लगा है। कई रिसर्च भी इस लिए की गई हैं जो बताती हैं कि उपवास कितना फायदेमंद साबित हो सकता है।
उपवास को करने के नियम और तरीके कई हो सकते हैं। उपवास शरीर को डिटॉक्स करता है और इस कारण आपको कभी ना कभी इसे करना जरूर चाहिए पर लोग उपवास का मतलब ही कुछ और निकाल लेते हैं। यहां उपवास का मतलब साबूदाना वड़ा और कुट्टू के आटे का डोसा खाने से नहीं बल्कि अपने शरीर को डिटॉक्स करने से है।

उपवास रखने के लिए नियम का पालन करना जरूरी होता है। आप अपने शरीर को डिटॉक्स करने के लिए कई तरह से इसे कर सकते हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर दीक्षा भावसार ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर उपवास के बारे में कुछ जरूरी जानकारी शेयर की है। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर बताया है कि वो हर शनिवार उपवास रखती हैं और ये फिजिकल लेवल पर काफी अच्छा होता है।
उपवास के क्या हैं फायदे?
दिक्षा भावसार के मुताबिक ये हमारे डाइजेस्टिव सिस्टम को वो जरूरी राहत देता है जिसकी उसे जरूरत है। ये बिल्कुल वैसा ही है जैसे हम रात में सोते हैं जिससे हमारा शरीर काफी राहत भरा रहे। हमारी आंतों को हमेशा फास्टिंग की जरूरत होती है और ये अच्छा होगा अगर आप हफ्ते या 15 दिन में एक बार उपवास रख लिया करें।

उपवास रखने से शरीर में हीलिंग एक्टिव होती है
ये शरीर को तरोताजा करता है
ये शरीर को डिटॉक्स करता है
उपवास करने से शरीर रिलैक्स होता है
इसके अलावा, अगर सिर्फ हेल्थ से जोड़कर देखा जाए तो हमारी फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए भी उपवास करना बहुत जरूरी है। ये कई सारी हेल्थ से जुड़ी समस्याओं में मदद कर सकता है जैसे -

VDO.AI

पीसीओएस
मोटापा
हाई कोलेस्ट्रॉल
लिवर की समस्याएं
कैंसर
थायराइड
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम
हार्मोनल समस्याएं
ऑटो इम्यून डिसऑर्डर
स्किन से जुड़ी समस्याएं
स्ट्रेस और स्ट्रेस से जुड़ी समस्याएं
एक्ने की समस्या
डल स्किन और बहुत कुछ
कितनी तरह से किए जा सकते हैं उपवास?
अब बात करते हैं अलग-अलग तरह के उपवासों की जिनकी मदद आप ले सकते हैं। आप अपने शरीर की स्थिति के हिसाब से इसे करें।

1. ड्राई फास्ट -

ऐसा उपवास जिसमें ना तो पानी पिया जाता है और ना ही खाना खाया जाता है। ऐसा उपवास एकदम से नहीं ट्राई करना चाहिए बल्कि धीरे-धीरे इसकी आदत डालनी चाहिए और शुरुआत कुछ घंटों से करनी चाहिए। इसी के साथ, ऐसा फास्ट करने के लिए अपने डॉक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए।

2. पानी वाला फास्ट-

जैसा कि नाम बता रहा है ये वो उपवास होता है जिसमें सिर्फ पानी ही पिया जाता है और खाना नहीं खाया जाता। लो बीपी वाले लोगों को ये बिल्कुल नहीं करना चाहिए। इस तरह का उपवास आपको हाइड्रेट रखता है।

3. फलाहार-

ये वो उपवास होता है जिसमें सिर्फ फलों को ही खाया जाता है। ये फलाहार कई लोग नवरात्रि और जन्माष्टमी जैसे धार्मिक दिनों में भी करते हैं। उसमें नमक नहीं लिया जाता है और शरीर को नमक से डिटॉक्स किया जाता है।
4. अन्न न खाने वाला उपवास-

ये उन लोगों के लिए अच्छा है जो भूखे नहीं रह सकते और जिन्हें हेल्थ के हिसाब से थोड़ा सा नमक लेना भी जरूरी होता है। इस तरह के उपवास में सिर्फ अन्न ही खाया जाता है।

5. नमक और शक्कर से उपवास-

ये ऐसा उपवास होता है जिसमें नमक और शक्कर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। आप अन्न भी खा सकते हैं, लेकिन नमक और शक्कर से शरीर को डिटॉक्स किया जाता है।

6. सोशल मीडिया से उपवास-

वैसे से शारीरिक हेल्थ पर कम और मानसिक हेल्थ पर ज्यादा असर डालता है। सोशल मीडिया से दूर रहना ना सिर्फ आपकी आंखों के लिए अच्छा है बल्कि इससे आपको मानसिक शांति भी मिल सकती है।

7. लिक्विड पर फास्टिंग -

ये ऐसा उपवास है जिसमें हर्बल ड्रिंक्स ही पी जाती हैं। आप जीरा पानी, सौंफ का पानी, अन्य हर्बल शरबत आदि पी सकते हैं। ये आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित होती है।

8. नेगेटिविटी से फास्टिंग-

किसी भी तरह की बुराई, गलत सोच, गलत स्टोरी, न्यूज आदि से फास्टिंग को सही माना जा सकता है। मानसिक शांति के लिए ये बहुत जरूरी है। अगर आपको लग रहा है कि आपको बहुत ज्यादा नेगेटिविटी घेर रही है तो उससे दूर रहने की कोशिश करें।

9. इंटरमिटेंट फास्टिंग-

दिन के सिर्फ कुछ घंटे ही खाएं-पिएं बाकी समय खाने-पीने से बचें। जैसे आप 16 घंटे का उपवास रख सकती हैं जिसमें सोना भी शामिल होता है।
10. सर्काडियन रिदम फास्टिंग-

आपके बॉडी क्लॉक को सेट करने के लिए उसी तरह से फास्टिंग करना। इसे बिना एक्सपर्ट के खुद से ट्राई नहीं करना चाहिए और ये करने के लिए हफ्ते में दो या तीन दिन चुन लेने चाहिए। पर इस तरह का उपवास आपके बॉडी क्लॉक को सही तरह से सेट करने के लिए बहुत अच्छा साबित हो सकता है।

11. सर्काडियन इंटरमिटेंट फास्टिंग-

इसके लिए भी आप किसी डाइटीशियन की मदद से अपने लिए फास्टिंग प्लान बना सकते हैं। ये सर्काडियन रिदम को ठीक करने के लिए किया जाता है। आपके बॉडी क्लॉक के हिसाब से ही शरीर डिटॉक्स होता है।




















लंबे समय से हैं कब्ज से परेशान तो ये टिप्स करेंगे आपकी मददअगर आपको कब्ज की समस्या परेशान कर रही है तो ये आपके लिए ये कुछ...
03/12/2021

लंबे समय से हैं कब्ज से परेशान तो ये टिप्स करेंगे आपकी मदद

अगर आपको कब्ज की समस्या परेशान कर रही है तो ये आपके लिए ये कुछ टिप्स बहुत मददगार साबित हो सकती हैं।
आजकल कई लोगों को कब्ज की समस्या होती है और ऐसे में हम कई बार डॉक्टर से बात करते हैं, कई तरह की दवाएं खाते हैं, कुछ लोग चूर्ण पर भरोसा करते हैं, लेकिन ये समस्या ठीक नहीं होती। कब्ज की समस्या काफी हद तक लाइफस्टाइल से जुड़ी होती है और अगर आप अपनी लाइफस्टाइल के कारण ज्यादा परेशान होते हैं। हमारी लाइफस्टाइल कुछ इस तरह से बदल गई है कि अब चलना-फिरना कम हो गया है और यही कारण है कि हमारी परेशानी बढ़ती जा रही है।
कब्ज की समस्या के लिए खाने पीने से जुड़ी कई चीज़ों को बताया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोने का तरीका भी इस समस्या को बढ़ा या घटा सकता है? हमें भले ही ये लगता हो कि हमारे शरीर के लिए किसी भी पोजीशन में सोना एक जैसा ही होता है, लेकिन ये सही नहीं है।
आपको बता दें कि इसे आयुर्वेद में वामकुक्षी (Vamkukshi) कहा जाता है। ये एक ऐसा तरीका है जिसमें ये बताया गया है कि अगर आप बाईं करवट सोते हैं तो ये आपकी सेहत के लिए कितना लाभकारी साबित हो सकता है।

सेलेब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट पूजा मखीजा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर कब्ज से राहत देने के लिए सोने का एक तरीका बताया है। पूजा मखीजा ने बाईं करवट सोने के फायदे बताए हैं।

कब्ज की समस्या से बचाएगा ये हैक-
अगर आपको कब्ज परेशान कर रहा है तो आप बाईं करवट सोना शुरू कर दें। न्यूट्रिशनिस्ट पूजा मखीजा के अनुसार ये क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन में सहायक होता है और अगर आपको स्टूल पास करने में दिक्कत होती है तो उसके लिए भी ये सहायक है।
दरअसल, इसके काम करने के पीछे एक बड़ा कारण ये है कि ऐसी स्थिति में हमारे डाइजेस्टिव जूस पेट के निचले हिस्से में पहुंच जाते हैं और अपना काम तेज़ी से करते हैं। पूजा मखीजा के अनुसार, 'हमें भले ही ये लगता हो कि हमारे शरीर में सब कुछ एक समान है और शरीर सिमेट्रिकल है, लेकिन अंदरूनी अंगों की बात करें तो ऐसा नहीं है। हमारे मुख्य अंग अलग-अलग हिस्सों में स्थित हैं और इसलिए बाईं करवट लेकर सोना शरीर के फीकल मैटर को मूव करने में मदद करता है। इसमें ग्रैविटी का भी असर होता है और ये वेस्ट बड़ी आंत से होते हुए छोटी आंत में जाता है और आखिर में टॉयलेट में निकलता है।'

पूजा मखीजा ने बाईं करवट सोने के कई अन्य फायदे भी बताए हैं जो इस प्रकार हैं-

बाईं ओर करवट लेकर सोने से खर्राटे कम आते हैं।
इससे नींद सही आती है।
ये पाचन के लिए बहुत जरूरी साबित हो सकता है।

कब्ज को दूर करने के अन्य तरीके-
कब्ज को दूर करने के लिए अन्य कई तरीके हो सकते हैं जो आपकी डाइट से जुड़े हुए हैं जैसे-

फाइबर से भरपूर खाना खाएं। कई स्टडीज कहती हैं कि अगर आप फाइबर से भरपूर खाना खाते हैं और अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां, फल और होल ग्रेन्स शामिल करते हैं तो कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।
प्रोसेस्ड फूड्स और रिफाइंड शुगर को अपनी डाइट से कम करें। इनमें सोडियम की मात्रा ज्यादा होती है जो कब्ज की समस्या को बढ़ा सकते हैं।
ये बहुत जरूरी है कि आप खुद को हाइड्रेट रखें और अगर आप ऐसा करेंगे तो अपने आप ही कब्ज की समस्या कम होती जाएगी।
एक्सरसाइज और चलने-फिरने से कब्ज की समस्या में राहत मिलती है।
आपको अगर समस्या ज्यादा हो रही है तो डॉक्टर की मदद जरूर लें। अपनी समस्या के बारे में बताने से ही ये समस्या खत्म होगी।





















दुनिया भर में फैलने वाले नए Covid वेरिएंट ओमिक्रोन के बारे में जानेंदुनिया भर में फैलने वाले नए घातक कोविड वेरिएंट ओमिक्...
02/12/2021

दुनिया भर में फैलने वाले नए Covid वेरिएंट ओमिक्रोन के बारे में जानें

दुनिया भर में फैलने वाले नए घातक कोविड वेरिएंट ओमिक्रोन के बारे में विस्‍तार से इस आर्टिकल के माध्‍यम से जानें।
जैसे ही हमने सोचा कि महामारी समाप्त हो रही है, घातक कोरोनावायरस के एक नए रूप ने दुनिया में तूफान मचा दिया है। कोरोना वायरस का लगातार म्यूटेशन हो रहा है और हर बार नए, घातक रूपों के साथ सामने आ रहा है। कोरोना महामारी फैलने के तकरीबन 2 साल बाद भी दुनिया इसके नए-नए वेरिएंट्स से लगातार जूझती नजर आ रही है। डेल्टा वेरिएंट की काफी चर्चा के बाद अब एक नया वेरिएंट चिंता का विषय बन गया है।
ओमिक्रोन क्या है?
वैज्ञानिकों ने बी.1.1.529 को कोरोनवायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के रूप में पहचाना है, जिसमें कोविड-19 स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक म्यूटेशन हैं जो इसके ट्रांसमिशन को और अधिक आसान बनाता है। नए वेरिएंट, ओमिक्रोन वर्तमान में उपलब्ध COVID टीकों के खिलाफ इम्‍यूनिटी रखता है।
ओमिक्रोन की उत्पत्ति कहां से हुई?
माना जाता है कि कोरोनावायरस के इस नए पहचाने गए वेरिएंट की उत्पत्ति दक्षिण अफ्रीका में हुई है। 24 नवंबर 2021 को दक्षिण अफ्रीका से विश्व स्वास्थ्य संगठन को रिपोर्ट किया गया था। पहले मामले के बाद से, इंफेक्‍शन दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्कॉटलैंड सहित अन्य देशों में फैल गया है।
ओमिक्रोन के संभावित लक्षण
इस नए वेरिएंट के कुछ सामान्य लक्षण कोरोनावायरस के पिछले वेरिएंट से काफी मिलते-जुलते हैं।

ओमिक्रोन के सामान्य लक्षण
गले में खराश
सिरदर्द
दस्त
चकत्ते
थकान
आंखों में लाली
हाथों और पैरों की उंगलियों का मलिनकिरण
ओमिक्रोन के गंभीर लक्षण
चेस्‍ट पेन
आवाज का जाना, गतिशीलता
सांसों का कम होना
ओमिक्रोन जोखिम वाले देश
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों ने कुछ देशों को नए COVID-19 वेरिएंट के लिए जोखिम में डाल दिया है। लिस्‍ट में यूके. यूरोप. दक्षिण अफ्रीका, ब्राज़ील, बांग्लादेश, बोत्सवाना, चीन, मॉरीशस, न्यूजीलैंड, जिम्बाब्वे, सिंगापुर, हॉगकॉग, इजराइल शामिल हैं।

भारत में ओमिक्रोन
हाल ही में, दक्षिण अफ्रीका से महाराष्ट्र लौटे एक व्यक्ति का कोरोनावायरस टेस्‍ट पॉजिटिव आया है। यह अभी भी पुष्टि नहीं हुई है कि क्या मरीज में कोरोना वायरस का ओमिक्रोन प्रकार था। देश भर में अभी तक ओमिक्रोन वेरिएंट के किसी अन्य मामले की सुनवाई नहीं हुई है।

दुनिया भर में ओमिक्रोन वेरिएंट के प्रसार के मद्देनजर, स्वास्थ्य मंत्रालय ने जोखिम वाले देशों से यात्रा करने वालों के लिए दिशानिर्देशों में संशोधन किया है। जोखिम वाले देशों से आने वालों को भारत पहुंचने पर आरटी-पीसीआर टेस्ट से गुजरना होगा। यात्रियों को एयरपोर्ट से निकलने या कनेक्टिंग फ्लाइट लेने से पहले नतीजों का इंतजार करना होगा।

जिन यात्रियों को टेस्‍ट पॉजिटिव आएगा, उन्‍हें आइसोलेशन के लिए एक मेडिकल स्टेशन ले जाया जाएगा। उन्हें तब तक आइसोलेशन में रहना होगा, जब तक कि उनका टेस्‍ट ओमिक्रोन वेरिएंट के प्रति नेगेटिव आता है। यदि वह किसी अन्य प्रकार से संक्रमित होते हैं, तो डॉक्टर द्वारा उनकी स्थिति के अनुसार सुझाव देने पर उन्हें छोड़ दिया जाएगा।

जो लोग जोखिम वाले देशों से आते हैं और उनका टेस्‍ट नेगेटिव आता है, उन्हें होम क्वारंटाइन करना होगा और 8 वें दिन एक और टेस्‍ट करना होगा। संक्रमित होने पर उन्हें कोविड-19 हेल्पलाइन पर रिपोर्ट करना होगा। भारत आने वाले सभी यात्रियों को पिछले 14 दिनों के लिए अपने यात्रा इतिहास की घोषणा करनी होगी।




















सर्दियों में अपनी नाक को कैसे रखें गर्म?ये टिप्स आएंगे आपके कामअगर आपकी नाक जरूरत से ज्यादा ठंडी रहती है तो जानिए कि उसे...
30/11/2021

सर्दियों में अपनी नाक को कैसे रखें गर्म?
ये टिप्स आएंगे आपके काम
अगर आपकी नाक जरूरत से ज्यादा ठंडी रहती है तो जानिए कि उसे किस तरह से नॉर्मल किया जा सकता है।
सर्दियों के मौसम में हर इंसान के साथ अलग-अलग समस्या होती है। कई लोगों को लगातार साइनस परेशान करता है, कई को डस्ट एलर्जी हो जाती है और सांस लेने में दिक्कत होती है, कुछ के हाथ और पैर रात भर कंबल में रहने के बाद भी गर्म नहीं होते तो कुछ की नाक इतनी ठंडी हो जाती है कि उन्हें ठीक से नींद भी नहीं आती।
नाक अगर ठंडी हो जाए तो ऐसा महसूस होता है कि वो सुन्न हो गई है और इसके कारण सर्दी और नाक का बंद होना आम बात है। पर आखिर ऐसा क्यों होता है और इसे नॉर्मल करने का तरीका क्या हो सकता है?
आखिर क्यों ठंडी होती है नाक?
नाक का ठंडा हो जाना बहुत आम है और इसके पीछे मौसम के साथ-साथ आपकी हेल्थ भी जिम्मेदार हो सकती है। नाक के ठंडे होने के बहुत से कारण होते हैं जैसे-




















अगर आपको भी है ज्यादा सोचने और गुस्सा करने की आदत तो इस तरह से उसे करें कमअगर आपको हमेशा ज्यादा गुस्सा आता है या फिर आप ...
29/11/2021

अगर आपको भी है ज्यादा सोचने और गुस्सा करने की आदत तो इस तरह से उसे करें कम
अगर आपको हमेशा ज्यादा गुस्सा आता है या फिर आप किसी बात को लेकर परेशान रहते हैं और सोचते रहते हैं तो ये टिप्स आपके काम आएंगे।

क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपको अपने गुस्से पर काबू रखने की जरूरत महसूस हुई हो, लेकिन खुद पर से काबू हट गया हो। गुस्सा और ओवरथिंकिंग की समस्या कई लोगों को परेशान कर सकती है। कई बार तो लोगों के मन में इस तरह से नेगेटिव विचार आते हैं कि उन्हें डिप्रेशन होने लगता है।
ऐसा होना नहीं चाहिए, लेकिन कई बार ये समस्या हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी में भी परेशानी पैदा कर देती है।
कई बार खुद को ये समझाया जाता है कि अब इसके बारे में नहीं सोचा जाएगा और अब गुस्सा नहीं किया जाएगा, लेकिन वक्त आने पर खुद पर से काबू हट जाता है। पर क्या कोई ऐसा तरीका हो सकता है जिससे ये नेगेटिव थॉट्स रोके जाएं और गुस्से और ओवरथिंकिंग पर काबू पाया जाए?

हमने इसके लिए क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर पूनम पूनिया से बात की और गुस्सा और ओवरथिंकिंग को कम करने के तरीके जानने की कोशिश की। डॉक्टर पूनम के मुताबिक ये सब कुछ ज्यादातर स्ट्रेस और नेगेटिव थॉट्स की वजह से होता है जो हमें घेरे रहते हैं।






















Expert Tips: बच्चों में नाखून चबाने की आदत हो सकती है खतरनाक, ऐसे पाएं छुटकाराबच्चों में आमतौर पर नाखून चबाने की आदत होत...
25/11/2021

Expert Tips: बच्चों में नाखून चबाने की आदत हो सकती है खतरनाक, ऐसे पाएं छुटकारा
बच्चों में आमतौर पर नाखून चबाने की आदत होती है, लेकिन इससे छुटकारा पाना जरूरी है जिससे से किसी बड़ी समस्या को जन्म न दे सके।

नाखून चबाना एक आम आदत हो सकती है जो स्वाभाविक रूप से बड़े होने तक ठीक हो जाती है। लेकिन कई बार बच्चों की ये आदत किसी समस्या का कारण भी बन सकती है। इस आदत से उनमें कई तरह की समस्याएं जैसे पेट खराब होना, पेट में कीड़े होना, उंगलियों और नाखूनों के आस-पास की स्किन का खराब होना आदि। किसी भी समस्या से बचने के लिए बच्चों में इन आदतों को छुड़ाना जरूरी है। आइए डर्मेटोलॉजिस्ट विप्लव कांबले से जानें बच्चों में नाखून चबाने के कारणों और इससे बचने के उपायों के बारे में।
बच्चों में नाखून चबाने के कारण
चिंता, तनाव और आराम जैसे विभिन्न कारणों से बच्चे अपने नाखून चबाने लगते हैं। कुछ आम कारण जैसे पढ़ाई में ध्यान न दे पाना या फिर टीवी देखने में ध्यान केंद्रित करना जैसे कारणों से भी बच्चे नाखून चबाने लगते हैं। आइए जानें बच्चों में नाखून चबाने के मुख्य कारणों के बारे में बचपन में नवजात शिशु और बच्चे एक आत्म-सुखदायक क्रिया के रूप में अपना अंगूठा चूसते हैं जो कि एक स्वाभाविक बात है। जब वे खेल रहे होते हैं या अकेले होते हैं तो यह क्रिया उन्हें आराम प्रदान करती है। नाखून चबाना अंगूठा चूसने का एक रूप है जो बच्चों के बड़े होने पर विकसित होता है। इसलिए बच्चे और यहां तक कि किशोर भी अपने नाखूनों को दांतों से काटते हैं क्योंकि इससे उन्हें आराम मिलता है।

When the season is changing and winter breeze is setting in… Take care of your Body, Mind & Lifestyle Beat the winter bl...
25/11/2021

When the season is changing and winter breeze is setting in… Take care of your Body, Mind & Lifestyle
Beat the winter blues, those chilly mornings and breezy evenings with the daily dose of immunity, strength and stamina
Upakarma Ayurveda Pure Shilajit Tea, Pure Shilajit Resin and Ashwagandha Capsules is an ultimate combo to wipe out winter tiredness and protect you against the seasonal infections. Formulated with 100% natural ingredients by leading Ayurveda experts with no added harmful substances and just the pure ingredients to take your health game a notch up... This all-natural trio offers a range of health benefits while taking care of your energy levels, mood and health

24/11/2021

वायरल फीवर से बचाव के उपाय (Prevention for Viral Fever in Hindi)
अब तक आपने वायरल फीवर होने के लक्षण और कारणों के बारे में जाना। लेकिन कुछ सावधानियां बरतने पर यानि जीवनशैली में और खान-पान में थोड़ा बदलाव लाने पर इस रोग को होने से रोक सकते हैं।

खाने में उबली हुई सब्जियां, हरी सब्जियां खाना चाहिए।
दूषित पानी एवं भोजन से बचें।
पानी को पहले उबाल कर थोड़ा गुनगुना ही पिएँ।
वायरल बुखार से ग्रस्त रोगी के सम्पर्क में आने से बचें।
मौसम में बदलाव के समय उचित आहार-विहार का पालन करें।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनायें रखने के लिए आयुर्वेदिक उपचार एवं अच्छी जीवन शैली को अपनायें।


वायरल बुखार से छुटकारा पाने के घरेलू नुस्ख़े (Home remedies for Viral Fever Treatment in Hindi)
आम तौर पर वायरल फीवर राहत पाने के लिए घरेलू नुस्ख़ो को ही अपनाया जाता है। इनमें वह चीजें होती हैं जो आसानी से घर में मिला जायें या उसको इस्तेमाल करने का तरीका आसान हो। चलिये इनके बारे में विस्तृत से जानते हैं।

वायरल बुखार एक वायरस से संक्रमित समस्या है अत इसमें एंटीबायोटिक नहीं देनी चाहिए। यह बुखार कस से कम 3-4 दिन तथा ज्यादा से ज्यादा दो सप्ताह तक रह सकता है। वायरल बुखार के लिए आयुर्वेदीय चिकित्सा श्रेष्ठ है, यह कूपित दोषों को समावस्था में लेकर आती है।

Address

Green Avenue Park
Amritsar
143001

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when Himalayan Ayurvedic Products posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Contact The Practice

Send a message to Himalayan Ayurvedic Products:

Share

Share on Facebook Share on Twitter Share on LinkedIn
Share on Pinterest Share on Reddit Share via Email
Share on WhatsApp Share on Instagram Share on Telegram