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अगर आप पनीर खाते है, तो सावधान होजायें।।पनीर आधुनिक युग में बीमारियों का सबसे बड़ा कारण...!!!!!*जब गहराई से इसकी पड़ताल की...
30/03/2024

अगर आप पनीर खाते है, तो सावधान होजायें।।

पनीर आधुनिक युग में बीमारियों का सबसे बड़ा कारण...!!!!!

*जब गहराई से इसकी पड़ताल की तो पता चला कि आयुर्वेद में पनीर को निकृष्टतम भोजन के रूप में बताया गया है, बोले तो कचरा और कचरा भी ऐसा वैसा नहीं, ऐसा कचरा जिसे जानवरों को भी खिलाने से मना किया गया है। दूध को फाड़ कर या दूध का रूप विकृत करके पनीर बनता है, जैसे कोई सब्जी सड़ जाए तो क्या उसे खाएंगे ?*

*पनीर भी सड़ा हुआ दूध है, भारतीय इतिहास में कहीं भी पनीर का उल्लेख नहीं है न ही ये भारतीय व्यंजन है, क्योंकि भारत में प्राचीन काल से ही दूध को विकृत करने की मनाही रही है।,*

*आज भी ग्रामीण समाज में घर की महिलाएं अपने हाथ से कभी दूध नहीं फाड़ती! पनीर खाने के नुकसान, आयुर्वेद ने तो शुरू से ही मना किया था कि विकृत दूध लिवर और आंतों को नुकसान पहुंचाता है*,

*लेकिन अब आधुनिक विज्ञान ने भी अपने नए शोध में साबित किया है कि पनीर खाने से आंतों पर अतिरिक्त दबाव आता है जिससे पाचन संबंधित रोग होते हैं, पनीर में पाया जाने वाले प्रोटीन पचाने की क्षमता जानवरों में भी नहीं होती है फिर मनुष्य उसे कैसे पचा सकता है !*नतीजा होता है खतरनाक कब्ज, फैटी लीवर और आगे चल कर शुगर, कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लडप्रेशर और यही पनीर पेट की खतरनाक बीमारी IBS को भी पैदा करता है। ज़्यादा पनीर खाने से खून में थक्के जमने की शिकायत होती है, जो ब्रेन हैमरेज और हार्ट फेलियर का कारण बनता है। वहीं ये पनीर हार्मोनल डिसबैलेंस का कारण बनता है जिससे हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायराइडिज्म पनपता है, महिलाओं में गर्भ धारण करने की क्षमता कम होती है पुरुषों में नपुंसकता आती है।* कुल मिला कर यदि देखा जाए तो ये पनीर लाभ तो केवल जीभ को देता है, लेकिन हानि पूरे शरीर की करता है,

*पर कढ़ाई पनीर, शाही पनीर, मटर पनीर, चिली पनीर और भी न जाने क्या क्या पनीर....समोसे में पनीर, पकौड़ी में पनीर, पिज्जा में पनीर, बर्गर में पनीर, मतलब जहां देखो वहां पनीर, पनीर पनीर* भारत में शायद जितना दूध पैदा नहीं होता उससे ज़्यादा पनीर बनता होगा।

*भारतीय लोग तो पनीर के इतने दीवाने हो चुके हैं कि इन्हें जहां पनीर मिल जाता है बहुत ही मजे से चाप लेते हैं, होटल में गए तो बिना पनीर खाये इनके गले से निवाला नहीं निगलता*

*चिकित्सा विज्ञान में सबसे प्राचीन विधा आयुर्वेद में दूध, दही, घी का जिक्र हर जगह है किन्तु इस नामुराद पनीर का जिक्र कहीं नहीं मिलता, आखिर क्यों ? यदि पनीर इतना ही अच्छा है तो इसके बारे में किसी ऋषि ने कुछ लिखा क्यों नहीं ?*

*इसलिए अगली बार पनीर खाने से पहले सोचिएगा अवश्य।*

*धन्यवाद*
🙏🙏

07/03/2024

*LEMONGRASS TEA*
(Enriched with Vitamin-C)
गर्मी के दिन में , शरीर के तापमान को संतुलित रखना आवश्यक होता है। हममें से , कई लोगों को तेज़ धूप के कारण पसीना भी खूब आता है। कुछ लोगों की पाचन प्रक्रिया भी प्रभावित होने लगती है। ऐसी स्थिति में दूध वाली चाय या ब्लैक टी से , न सिर्फ पसीना अधिक आने लगता है। बल्कि, पाचनतंत्र में भी गडबडी होने लगती है। आइसक्रीम या डिब्बाबंद ठंडे पेय, स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने की बजाय हानि पहुंचाते हैं। इसलिए, हम ऐसी चाय लेना चाहते हैं, जिनका ठंडा प्रभाव होता है। इससे स्वयं को , ठंडा रखना आसान हो जाता है। कुछ वनस्पति चाय, शरीर को ठंडा रखने में सहायता कर सकती हैं।
अमेरिका के नेशनल हेल्थ इंस्टिट्यूट के अनुसार, लेमन ग्रास विटामिन 'सी' से भरपूर होती हैं। यह शरीर के तापमान को, कम करने में सहायता कर सकता है। यह शरीर को, मॉइस्चराइज़ और ऑक्सीजनेट भी कर सकता है। इससे शरीर की ऊर्जा संतुलित होती है और ग्रीष्म ऋतु में, ताज़ा अनुभव करने में सहायता मिलती है। यदि, आप एक कप लेमनग्रास पीती हैं, तो पेट ख़राब होने पर, स्टमक क्रेम्प्स और पाचन संबंधी समस्याओं के लिए, यह कारगर हो सकता है।
1- एंटीऑक्सीडेंट गुण --------
लेमनग्रास टी में क्लोरोजेनिक एसिड, आइसोरिएंटिन और स्वर्टियाजापोनिन सहित कई एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो आपके शरीर में, फ्री रेडिकल्स को खत्म करने में सहायता कर सकते हैं, जो रोगों का कारण बन सकते हैं।
2. एंटी बैक्टीरियल ---------
लेमनग्रास टी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, जो कई बीमारियों और संक्रमणों से बचाकर, इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में सहायता करती है। लेमनग्रास टी में रोगाणुरोधी गुण होते हैं , जो ओरल इंफेक्शन और कैविटी की चिकित्सा में सहायता कर सकते हैं। लेमनग्रास में , एंटी बैक्टीरियल प्रोपर्टीज होती हैं, जो इसे कई प्रकार के बैक्टीरिया और कवक के विरूद्ध प्रभावी बनाते हैं. लेमनग्रास टी का निरंतर सेवन इंफेक्शन से बचाने में सहायता कर सकता है।
3. सूजन रोधी गुण ----------
लेमनग्रास में स्थित सिट्रल और जेरेनियम यौगिकों को, इसके सूजनरोधी लाभों के लिए, जिम्मेदार माना जाता है, जो आपके शरीर में सूजन को कम करने में सहायता कर सकते हैं। लेमनग्रास टी में, ऐसे यौगिक होते हैं, जिनमें सूजन-रोधी प्रभाव होते हैं, जो गठिया जैसी स्थितियों से जुड़ी सूजन और दर्द को कम करने में सहायता कर सकते हैं।
4. कैंसर का खतरा कम ----------
ऐसा माना जाता है कि, लेमनग्रास में स्थित सिट्रल में , कुछ कैंसर सेल्स के विरूद्ध शक्तिशाली कैंसररोधी क्षमताएं होती हैं। लेमनग्रास टी, एक नेचुरल ड्यूरेटिक का काम करती है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों और एक्स्ट्रा लिक्विड को बाहर निकालकर, डिटॉक्सीफिकेशन में सहायता करती है।
5. पाचन में सुधार ---------
लेमनग्रास टी का उपयोग पारंपरिक रूप से अपच, सूजन और कब्ज जैसी पाचन समस्याओं को शांत करने के लिए किया जाता है। ये मल त्याग को उत्तेजित करने और पाचन में सुधार करने में सहायता करता है। लेमनग्रास टी पेट की खराबी, क्रैम्प्स और अन्य पाचन समस्याओं के लिए, एक वैकल्पिक उपाय है। ये गैस्ट्रिक अल्सर के विरूद्ध भी प्रभावी हो सकता है ।

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