Dr. Manish Tripathi

Dr. Manish Tripathi surgeon , Social Worker
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CRPF के शहीद जवान प्रवीण यादव जी की द्वितीय पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि स्वरूप आयोजित डे-नाइट कबड्डी प्रतियोगिता में मुख्य ...
09/06/2025

CRPF के शहीद जवान प्रवीण यादव जी की द्वितीय पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि स्वरूप आयोजित डे-नाइट कबड्डी प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि के रूप में मुझे बुलाया गया मेरी तबीयत ठीक न होने के कारण मैं कार्यक्रम में सम्मिलित नहीं हो पाया और कार्यक्रम कराने वाले सभी आयोजकों को मेरी तरफ़ से ढेर सारी शुभकामनाएँ
शहीद प्रवीण यादव जी ने देश की रक्षा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, और आज उनकी स्मृति में यह आयोजन न केवल खेल भावना को प्रोत्साहित करता है, बल्कि हमें उनके अद्वितीय साहस और समर्पण की याद भी दिलाता है।
ऐसे वीर सपूतों को नमन, और आयोजकों को धन्यवाद, जिन्होंने इस पुण्य अवसर को गौरवशाली बनाया।
जय हिंद 🇮🇳

21/05/2025

"मोबाइल का जादू नहीं, बचपन की आज़ादी ज़रूरी है!"हाल ही में मैंने एक बच्चे का ऑपरेशन किया, जो खेलते वक्त गिर गया पेंसिल का टुकड़ा उसके रिब्स में घुस गया , जो सीधा लीवर के पास जाकर अटक गया। बहुत सही समय पर उसका सफलतापूर्वक इलाज़ कर पाया जब की वो अपनी परेशानी नहीं समझा पा रहा था. एक दूसरी घटना में एक माँ ने बताया कि उसका बच्चा ठीक से खाना नहीं खा रहा और उसकी भूख लगातार कम हो रही है। जब मैंने बच्चे से पूछा कि वह क्या खेलता है, तो जवाब फिर से 'फ्री फायर' था।जब मैंने इस गेम का विश्लेषण किया तो समझ आया कि इसमें बच्चों को वर्चुअल जंपिंग और भागने के पैटर्न पर ज़्यादा ध्यान देना पड़ता है, जिससे उनका दिमाग़ असली जीवन की शारीरिक क्रियाओं को नियंत्रित करने में कमजोर पड़ रहा है। विशेष रूप से मल त्याग से जुड़े मानसिक केंद्रों पर इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है।यह इस युग की देंन है की हम मोबाइल में ही अपना ज्यादा समय बिताते हैं. जिससे शरीर की कई भाग इन्फेक्टेड हो जाते हैं. हम सभी माता-पिता को जागरूक होने की ज़रूरत है। मोबाइल मनोरंजन का साधन हो सकता है, लेकिन उसकी लत बच्चों की शारीरिक और मानसिक सेहत को गहरा नुकसान पहुँचा रही है। बच्चों को मैदानों में दौड़ने, खेलने और ज़िंदगी को जीने दीजिए – वही उनका असली विकास है।

18/05/2025

एक नवयुवक मरीज़ जिसका कुल्हा चोट लगने से खराब हो जाने के कारण मरीज़ चलने में असमर्थ था..कूल्हे के प्रत्यारोपण के बाद 2 महीने में अपने सभी कार्य करने में सक्षम हैं,हम सभी की तरफ से इनके उज्जवल भविष्य के लिये शुभकामनायें

लखनऊ के बीच शहर का एक दृश्य..इनको कोई बीमारी हो गयी?या हम इंसानों के भूख का शिकार?अफसोसजनक
18/05/2025

लखनऊ के बीच शहर का एक दृश्य..
इनको कोई बीमारी हो गयी?
या हम इंसानों के भूख का शिकार?
अफसोसजनक

11/05/2025

*जीवन को फिर से महसूस करने का सबसे सुंदर तरीका – एक यात्रा!*

भागदौड़ और तनाव से भरी ज़िंदगी में जब सब कुछ बोझ सा लगने लगे, तब सबसे अच्छा उपाय है—कुछ दिनों का ब्रेक लेकर खुद को फिर से महसूस करना। हाल ही में मुझे असम, मेघालय और चेरापूंजी की एक यादगार यात्रा करने का मौका मिला। इस यात्रा ने न सिर्फ मेरे मन को शांति दी, बल्कि मुझे भारत की सांस्कृतिक विविधता और प्राकृतिक सुंदरता से रूबरू कराया।

असम की हरियाली, ब्रह्मपुत्र का विशाल विस्तार, और चाय बागानों की सादगी ने मन मोह लिया। वहीं मेघालय—जहां बादल ज़मीन से बातें करते हैं—अपने पहाड़ी रास्तों, संगीत, और लोक संस्कृति से मंत्रमुग्ध कर देता है। चेरापूंजी में तो जैसे हर बूंद बारिश की कहानी कहती है। वहाँ का जीवित रूट ब्रिज और बादलों में लिपटी वादियाँ मानो स्वर्ग का हिस्सा हों।

इस यात्रा ने मुझे सिखाया कि जीवन सिर्फ काम और लक्ष्य पाने का नाम नहीं है। यात्रा में जो सुकून और सीख मिलती है, वो किसी किताब या मीटिंग में नहीं मिल सकती।
*मैं सभी से कहना चाहूँगा— "यात्रा में निवेश कीजिए, क्योंकि जीवन छोटा है और सीखने को बहुत कुछ है।"*

01/05/2025

*बेटियां सिर्फ घर नहीं, देश का नाम भी रौशन करती हैं..."*आज समाज में एक लड़की का मैदान में उतरना, खेलना, मेडल जीतना और अपनी पहचान बनाना—सिर्फ जीत की कहानी नहीं होती, ये कहानी होती है हिम्मत की, संघर्ष की और हर उस ताने की, जो उसे रुकने पर मजबूर करना चाहता है।मैं आज जिस बेटी के साथ खड़ा हूँ, उसने टूटी हड्डी से नहीं, अपने इरादों से मुक्का मारा—उस सोच पर जो कहती है कि ये लड़कियों का काम नहीं। जब उसने मेरे इलाज के बाद बॉक्सिंग का मेडल जीता, तो उसकी आंखों की चमक, उसकी जीत से ज़्यादा मेरी आत्मा को सुकून दे गयी।इस तस्वीर में सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं है, एक आंदोलन है—हर उस लड़की के लिए जो सपने देखती है और समाज के सवालों के बावजूद उन्हें पूरा करती है।आइए, हम सब मिलकर नारीशक्ति को सिर्फ सम्मान नहीं, सुरक्षा और समर्थन भी दें।क्योंकि जब एक बेटी आगे बढ़ती है, तब समाज की सोच बदलती है।जय नारी शक्ति।

25/04/2025

*पहलगाम के शहीद हिन्दू नागरिकों को श्रद्धांजलि*आज VSS Hospital के समस्त डॉक्टर्स, स्टाफ और प्रबंधन ने पहलगाम में हुए उस अमानवीय नरसंहार में शहीद हुए निर्दोष हिन्दू नागरिकों के प्रति 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की और पुष्पांजलि से उन्हें नमन किया।पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ने जिस तरह से हमारे निहत्थे और निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाया है, वह सिर्फ क्रूरता नहीं, बल्कि मानवता के विरुद्ध जघन्य अपराध है।ऐसे वीभत्स कृत्य का जवाब दो मिनट का मौन नहीं हो सकता, और न ही ये घाव इतने भर जाएंगे।लेकिन हमें विश्वास है — हमारे देश की सेना, हमारे प्रधानमंत्री जी, और रक्षा मंत्री जी के आह्वान पर इस क्रूरता का प्रतिशोध जरूर लेगी।हर भारतवासी की आंखों में आज आंसू नहीं — आक्रोश है।मैं खुद एक शांत प्रवृत्ति का इंसान हूं, लेकिन इस घटना को जब-जब याद करता हूं, मन भीतर से झुलस उठता है।ऐसा लगता है कि मृत्यु के सारे रूप भी इन आतंकियों के लिए कम हैं।आज हम सभी ने नमन किया उन शहीदों को…पर मन तब शांत होगा जब उनके गुनहगार इस धरती पर चैन से ना जी सकें।

एक सच्ची कहानी मेरे dog के ऊपर लिखने का मन किया, लिखने के बाद मुझे अच्छा लगा इस लिए शेयर कर दिया मेरे और रॉकी की कहानी।ज...
24/04/2025

एक सच्ची कहानी मेरे dog के ऊपर लिखने का मन किया, लिखने के बाद मुझे अच्छा लगा इस लिए शेयर कर दिया मेरे और रॉकी की कहानी।

जब मैं पढ़ाई पूरी कर के अपने घर लौटा, तो लॉन में गाड़ी से उतरते ही मेरी पहली नज़र एक साल के जर्मन शेफर्ड पर पड़ी। वो शांत खड़ा था और मुझे सीधे देख रहा था — एक ऐसी नजर से जो किसी अजनबी को नहीं, बल्कि जैसे मुझे जानता हो |
शुरुआत में रॉकी बेहद गंभीर स्वभाव का था। लेकिन जैसे-जैसे हम दोनों का साथ बढ़ा, वैसे-वैसे एक अनकहा रिश्ता बनता गया। शाम को जब मैं कामकाज से लौटता, तो रॉकी दरवाज़े तक आता, मुझे अंदर तक छोड़ता। उस वक़्त मेरा कोई दोस्त नहीं था, कोई साथ नहीं था — बस एक लॉन था और उसमें मैं रॉकी के साथ खेलता, साथ ही 1-2 घंटे लॉन में जॉगिंग करता, और रॉकी मेरे साथ चुपचाप चलता। वो सिक्योरिटी देता, बिना माँगे। किसी अनजान के पास आने पर उसकी निगाहें सतर्क हो जातीं। अगर कोई मुझे टच करने की कोशिश करता, तो रॉकी तुरंत अलर्ट मोड में आ जाता।
एक बार तो मेरे कज़िन भाई ने मज़ाक में मुझे मारने की एक्टिंग की, रॉकी ने इसे गंभीरता से लिया। और फिर ज़िन्दगी भर उसे घर के अंदर घुसने नहीं दिया। उसके लिए मैं ही उसकी पूरी दुनिया था।

फिर एक दिन... रॉकी को पैरालिसिस अटैक हुआ।
अब वो चल नहीं सकता था, गर्दन भी नहीं हिला पाता था। लेकिन उसका प्यार और सुरक्षा की भावना ज्यों की त्यों बनी रही।कोई मेरे पास आता था तो garrrr garrrrr करने लगता|
हर सुबह-शाम उसकी पोज़िशन बदलता, इंजेक्शन देता, syringe से खाना खिलाता। मेरे पास उस समय स्टाफ नहीं हुआ करते थे, सब खुद करता था।

धीरे-धीरे उसकी हालत और बिगड़ती गयी। शरीर पर घाव और कीड़े पड़ने लगे।एक दिन मैं ऑपरेशन में देर से लौटा, सीधा उसके पास गया तो देखा, उसे किसी ने ढक दिया था। मैंने जल्दी से साफ-सफाई की, पोजिशन बदली। और बोल बैठा — “अब चले जाओ…” ऐसा लगा जैसे वो मेरे आदेश के लिये रुका था, उसने मेरे आदेश का पालन किया। अगली सुबह खबर आई — रॉकी अब नहीं रहा।

मैं बहुत रोया… शायद किसी इंसान के जाने पर भी इतना नहीं रोया था।
आज भी जब ये कहानी लिख रहा हूँ तो उसकी हरकते याद कर मन खुश भी हुआ, आंखे नम भी..

रॉकी सिर्फ एक जानवर नहीं था, मेरा दोस्त था, मेरा परिवार था।

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