27/03/2024
स्वर्णक्षिरी:
अनेक भाषाओं में सत्यानाशी के नाम (Satyanashi Called in Different Languages)
सत्यानाशी का वानस्पतिक नाम Argemone mexicana Linn. (आर्जेमोनि मेक्सिकाना) Syn-Argemone spinosa Gaterau है और यह Papaveraceae (पैपैवरेसी) कुल की है। सत्यानाशी को अनेक नामों से जाना जाता है, जो ये हैं-
Satyanashi in –
Hindi – सत्यानाशी, उजर कांटा, सियाल कांटा
English – प्रिकली पॉपी, (Prickly poppy), मैक्सिकन पॉपी (Mexican poppy), Yellow thistle (येलो थिसल)
Sanskrit – कटुपर्णी
Oriya – कांटा–कुशम (Kanta-kusham)
Urdu – बरमदंडी (Baramdandi)
Kannada – अरसिन-उन्मत्ता (Arasina-unmatta)
Gujarati – दारूडी (Darudi)
Tamil – पोन्नुम्मटाई (Ponnummattai), कुडियोट्टि (Kudiyotti), कुरुक्कुमचेडि (Kurukkum-chedi)
Telugu – पिची कुसामा चेट्टु (Pichy kusama chettu)
Bengali – स्वर्णक्षीरी (Swarnakhiri), शियाल कांटा (Shial-kanta), बड़ो सियाल कांटा (Baro shialkanta)
Nepali – सत्यानाशी (Satyanashi)
Punjabi – कण्डियारी (Kandiari), स्यालकांटा (Sialkanta), भटमिल (Bhatmil), सत्यनाशा (Satyanasa), भेरबण्ड (Bherband), भटकटेता (bhatkateta), भटकटैया (Bhatkateya)
Marathi – कांटेधोत्रा (Kantedhotra), दारुरी (Daruri), फिरंगिधोत्रा (Firangidhotra)
Malayalam – पोन्नुम्मत्तुम् (Ponnunmattum)
Arabic – बागेल (Bagel)
सत्यानाशी के औषधीय गुण (Satyanashi Benefits and Uses )
सत्यानाशी के औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
रतौंधी में सत्यानाशी से लाभ (Benefits of Satyanashi Plant in Night Blind Problem )
सत्यानाशी पंचांग से दूध निकाल लें। 1 बूंद (पीले दूध) में तीन बूंद घी मिलाकर आंखों में काजल की तरह लगाने से मोतियाबिंद और रतौंधी में लाभ होता है।
आंखों के रोग में सत्यानाशी से फायदा (Benefits of Prickly Poppy in Cure Eye Disease )
1 ग्राम सत्यानाशी दूध को 50 मिली गुलाब जल में मिला लें। इसे रोजाना दो बार दो-दो बूंद आंखों में डालें। इससे आंखों की सूजन, आंखों के लाल होने आदि नेत्र विकारों में फायदा होता है।
2-2 बूंद सत्यानाशी के पत्ते के रस को आंखों में डालने से सभी प्रकार के नेत्र रोग में लाभ होता है।
सांसों के रोग और खांसी में सत्यानाशी का उपयोग लाभदायक (Prickly Poppy Benefits to Treat Respiratory and Cough Disease )
500 मिग्रा से 1 ग्राम सत्यानाशी जड़ के चूर्ण को गर्म जल या गर्म दूध के साथ सुबह-शाम पिलाने से कफ बाहर निकल जाता है। इससे
सांसों के रोग और खांसी में लाभ होता है।
इसका पीला दूध 4-5 बूंद बतासे में डालकर खाने से लाभ होता है।
दमे की बीमारी में सत्यानाशी का प्रयोग फायदेमंद (Benefits of Prickly Poppy in Fighting with Asthma )
सत्यानाशी पंचांग का रस निकालकर उसको आग पर उबालें। जब वह रबड़ी के समान गाढ़ा हो जाय तब 500 मिली रस, 60 ग्राम पुराना गुड़ और 20 ग्राम राल मिलाकर, खरल कर लें। इसकी 250 मिग्रा की गोलियां बना लें। 1-1 गोली दिन में तीन बार गर्म पानी के साथ लेने से दमे में बहुत लाभ होता है।
पेट के दर्द में सत्यानाशी के प्रयोग से लाभ (Benefits of Satyanashi Plant in Cure Abdominal Pain )
सत्यानाशी के 3-5 मिली पीले दूध को 10 ग्राम घी के साथ मिलाकर पिलाने से पेट का दर्द ठीक होता है।
जलोदर में सत्यानाशी के उपयोग से फायदा (Benefits of Argemone oil in Cure Ascites)
5-10 मिली सत्यानाशी पंचांग रस को दिन में 3-4 बार पिलाने से पेशाब खुलकर आता है तथा जलोदर रोग में लाभ होता है।
2-3 ग्राम बनाएं में सत्यानाशी तेल की 4-5 बूंदें डालकर सेवन करने से भी लाभ होता है।
पीलिया रोग में सत्यानाशी से लाभ (Benefits of Argemone Oil in Jaundice Treatment )
10 मिली गिलोय के रस में सत्यानाशी तेल की 8-10 बूंद डाल लें। इसे सुबह और शाम पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
मूत्र-विकार में सत्यानाशी से फायदा (Benefits of Prickly Poppy in Cure Urinary Disease )
पेशाब में जलन हो तो सत्यानाशी के 20 ग्राम पंचांग को 200 मिली पानी में भिगो लें। इसका काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पिलाएं। इससे मूत्र विकारों में लाभ होता है।
सिफलिस रोग में सत्यानाशी का उपयोग फायदेमंद (Prickly Poppy Benefits in Cure Syphilis )
5 मिली सत्यानाशी पंचांग रस में दूध मिला लें। इसे दिन में 3 बार पिलाने से सिफलिस रोग में लाभ होता है।
सुजाक में सत्यानाशी का प्रयोग लाभदायक (Benefits of Satyanashi Plant in Cure Gonorrhea )
सुजाक में सत्यानाशी फायदा पहुंचाती है। सुजाक में 2-5 मिली पीले दूध को मक्खन के साथ लें।
इसके अलावा आप इसके पत्तों के 5 मिली रस को 10 ग्राम घी में मिला भी ले सकते हैं। दिन में दो-तीन बार देने से सुजाक में लाभ होता है।
कुष्ठ रोग में सत्यानाशी के प्रयोग से लाभ (Argemone oil Benefits in Cure Leprosy Disease )
कुष्ठ रोग और रक्तपित्त (नाक-कान अंगों से खून बहने की समस्या) में सत्यानाशी के बीजों के तेल से शरीर पर मालिश करें। इसके साथ ही 5-10 मिली पत्ते के रस में 250 मिली दूध मिलाकर सुबह और शाम पिलाने से लाभ होता है।
सत्यानाशी के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Satyanashi)
पंचांग
पत्ते
फूल
जड़
तने की छाल
दूध
सत्यानाशी के प्रयोग की मात्रा (How Much to Consume Satyanashi?)
चूर्ण – 1-3 ग्राम
दूध- 5-10 बूंद
तेल – 10-30 बूंद
रस – 5-10 मिली
अधिक लाभ के लिए सत्यानाशी का प्रयोग चिकित्सक के परामर्शानुसार करें।
सत्यानाशी से नुकसान (Side Effect of Satyanashi)
सत्यानाशी का उपयोग करते समय ये सावधानियां रखनी चाहिएः-
सत्यानााशी के बीजों का केवल शरीर के बाहरी अंगों पर ही प्रयोग ही करना चाहिए, क्योंकि यह अत्यधिक विषैले होते हैं।
इसके बीज की मिलावट सरसों के तेल में करते हैं जिसके प्रयोग से मृत्यु तक हो सकती है।
इसलिए सत्यानाशी का प्रयोग करते समय विशेष सावधानी बरतें।
उपयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
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