Shree Hari Ayurveda_

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"श्री विश्वहरी आयुर्वेदिक चिकित्सालय में स्वास्थ्य, जीवनशैली और प्राकृतिक उपचार का केंद्र है। अनुभवी वैद्य की देखरेख में यहाँ पंचकर्म, नाड़ी परीक्षण, हर्बल औषधियाँ, दर्द प्रबंधन, क्रॉनिक बीमारियों एवं महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान उपलब्ध है।

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28/10/2025

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प्रियजन,श्री विश्व हरि आयुर्वेदिक चिकित्सालय परिवार की ओर से,आपको एवं आपके पूरे परिवार को *दीपावली की ढेर सारी मंगलमय शु...
20/10/2025

प्रियजन,
श्री विश्व हरि आयुर्वेदिक चिकित्सालय परिवार की ओर से,
आपको एवं आपके पूरे परिवार को *दीपावली की ढेर सारी मंगलमय शुभकामनाएँ।*✨🎆🎇✨

भगवान धन्वंतरि एवं माँ लक्ष्मी के आशीर्वाद से यह दीपावली आपके जीवन में *उत्तम स्वास्थ्य, समृद्धि एवं खुशहाली लाए।*

🪔🪔 शुभ दीपावली 🪔🪔

वैद्य पवन कुमार वर्मा
श्री विश्वहरी आयुर्वेदिक चिकिसलाय
व पंचकर्म केंद्र
पारस टावर पानी टंकी चौराहा बहराइच
Mob. 9451786976📞

19/10/2025

नवरात्रि और आयुर्वेद दोनों का गहरा संबंध है, जिसमें नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले व्रत और आहार को आयुर्वेदिक सिद्धांतों के अनुसार शरीर और मानस की शुद्धि, पुनरुद्धार, और स्वास्थ्य सुधार के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

नवरात्रि व्रत और आयुर्वेद
पाचन तंत्र का आराम: नवरात्रि व्रत से पाचन तंत्र को विश्राम मिलता है, जिससे अग्नि (पाचन अग्नि) पुनः सशक्त होता है और पाचन शक्ति बढ़ती है। इससे शरीर के अंदर जमा विष (अम) बाहर निकलते हैं और शरीर की स्वच्छता होती है .

शरीर की शुद्धि और डिटॉक्स: व्रत के दौरान हल्का और सत्त्विक आहार लिया जाता है, जो शरीर को शुद्ध करता है, विषाक्त पदार्थों को निकालता है और शरीर के विभिन्न अंगों को साफ करता है। यह प्रक्रिया दीर्घकालीन बीमारियों के जोखिम को घटाने में मदद करती है .

दोषों का संतुलन: मौसम के बदलाव यानी ऋतु संक्रमण (रितुसंधि) के दौरान शरीर में वात, पित्त, और कफ दोष असंतुलित हो सकते हैं। नवरात्रि व्रत इन दोषों को संतुलित करता है जिससे शरीर स्वस्थ रहता है .

मानसिक और आध्यात्मिक लाभ: आयुर्वेद के अनुसार नवरात्रि के दौरान व्रत और ध्यान, साधना के माध्यम से मन को शुद्ध करता है, मानसिक स्पष्टता बढ़ाता है और आध्यात्मिक उन्नति में मदद करता है .

व्रत के प्रकार: आयुर्वेद विशेषतः व्यक्ति की प्रकृति (प्रकृति - पित्त, वात, कफ) के अनुसार व्रत के प्रकार चुनने का सुझाव देता है, जैसे द्रव उपवास, आंशिक उपवास, या सख्त व्रत, जिससे शरीर को उचित पोषण और ऊर्जा मिलती रहे .

नवरात्रि में सत्त्विक आहार
फलों, हल्के अनाज जैसे राजगिरा, कुट्टू, सिंघाड़ा आटा, सब्जियों और दूध, दही जैसे पदार्थों का सेवन करवाया जाता है। यह आहार पाचन में सहायक होते हुए ओज बढ़ाते हैं और मन को प्रसन्न रखते हैं .

तला-भुना, ज्यादा मसालेदार, भारी और प्रोसेस्ड फूड से बचना चाहिए क्योंकि वे पाचन को कमजोर करते हैं और शरीर में विष बढ़ाते हैं .

नवरात्रि का उपवास और आहार केवल आध्यात्मिक अभ्यास नहीं, बल्कि आयुर्वेद के अनुसार शरीर और मन के संतुलन, स्वस्थ रहने का प्राकृतिक तरीका भी है। यह व्रत इंद्रियों को शांत करता है, अग्नि को तीव्र करता है और शरीर को ऋतु के अनुसार तैयार करता है।

शुभ दीपावली
18/10/2025

शुभ दीपावली

*S*x Rog यानि गुप्त रोगों संबंधी जानकारी* गुप्त रोग की मुख्य समस्याएँ-•शीघ्रपतन (Premature Ej*******on)- सेक्स के दौरान ...
13/10/2025

*S*x Rog यानि गुप्त रोगों संबंधी जानकारी*
गुप्त रोग की मुख्य समस्याएँ-
•शीघ्रपतन (Premature Ej*******on)-
सेक्स के दौरान शीघ्र वीर्यपात या अनचाहे समय पर वीर्य निकल जाना।
•नपुंसकता (Impotence/Erectile Dysfunction)-
उत्तेजना के बावजूद लिंग में पर्याप्त कठोरता न आना या रख पाना।
•धातु रोग (Dhat Syndrome)-
पेशाब के साथ या निद्रा में वीर्य का निकलना, जिससे कमजोरी महसूस होती है।
•यौन इच्छा में कमी (Low Libido)-
सेक्स करने की इच्छा कम होना या न होना।
•अन्य यौन समस्याएँ-
दर्द, जलन, खुजली, गुप्तांगों की असामान्य स्थितियाँ, पार्टनर से अनबन या असंतुष्टि, आदि।

आम लक्षण-
•गुप्तांगों में खुजली, दर्द या असामान्य डिस्चार्ज।
•पेशाब या संभोग के समय जलन।
•वीर्य का अनावश्यक या बार-बार निकलना।
•यौन संबंध के दौरान संतुष्टि का अभाव।
•मानसिक तनाव, चिंता, शर्म, आत्मग्लानि।
•पार्टनर के साथ संबंधों में समस्याएँ।

इलाज व उपचारयोग्य✓
- S*xologist या Ayurvedic Doctor से सम्पर्क करें।
- सही जांच व इलाज, जिसमें जड़ी-बूटियों, दवाओं, थैरेपी, या लाइफस्टाइल बदलाव की सलाह दी जाती है।
- गोपनीयता एवं मानसिक समर्थन बहुत जरूरी।
- तुरंत इलाज शुरू करें ताकि जटिलताएं न बढ़ें।

👉"अगर आपको बार-बार शीघ्रपतन, गुप्तांगों में दर्द/खुजली, या मानसिक तनाव महसूस हो रहा है, तो इसे नजरअंदाज न करें। ये S*x Rog या Gupt Rog के लक्षण हो सकते हैं। समय रहते आयुर्वेदिक विशेषज्ञ या S*xologist से परामर्श लें और मानसिक तनाव से बचें। सही जानकारी और इलाज से सेक्स जीवन स्वस्थ और खुशहाल बनाया जा सकता है।"

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें -
वैद्य पवन कुमार वर्मा
श्री विश्वहरी आयुर्वेदिक चिकिसलाय व पंचकर्म केंद्र
पारस टावर पानी टंकी चौराहा बहराइच
Mob. 9451786976📞
नोट- कृपया अपॉइंटमेंट/फोन करके आए |
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एरंड (Ricinus communis) आयुर्वेद में एक अत्यंत महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है, जिसकी ऊंचाई लगभग 5 मीटर तक होती है| और इसकी पत्...
04/10/2025

एरंड (Ricinus communis) आयुर्वेद में एक अत्यंत महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है, जिसकी ऊंचाई लगभग 5 मीटर तक होती है|
और इसकी पत्तियां हरी से बैगनी रंग की, 5 से 11 कट वाले भागों वाली होती हैं।
इसके बीज जहरीले होते हैं क्योंकि उनमें रिकिन नामक विष मौजूद होता है, लेकिन बीज से निकाला गया तैल आयुर्वेद में बहुत उपयोगी औषधि है|
प्रकार -
1)श्वेत एरंड (White Eranda)
2)रक्त एरंड (Red Eranda)
दोनों ही वात और कफ दोषों को संतुलित करते हैं।
आयुर्वेदिक द्रव्यगुणहै -
•रस (Rasa): मधुर, कटु, कषाय
•गुण (Guna): स्निग्ध, तीव्र, सूक्ष्म
•वीर्य (Virya): उष्ण
•विपाक (Vipaka): मधुर
औषधीय उपयोग-
•बीज: वात दोष निवारण, पुरगता (पाचन सुधार), कब्ज, वात विकार, अस्थमा, खांसी, त्वचा रोग आदि में उपयोगी। बीज का तैल वात और कफ दोष को शांत करता है, पाचन शक्ति बढ़ाता है, सूजन और दर्द में प्रभावी है।
•पत्तियां: वात शमन, कृमि नाशक, मूत्र विकारों में लाभकारी। आंखों में जलन, सूजन कम करने और नेत्र रोगों में भी प्रयोग होती हैं।
•मूल (जड़): कफ और वात दोषों को शमन, सूजन, दर्द और अमावस्था दोष में सहायक।
•फूल: मूत्र विकारों के लिए सहायक।
लाभकारी प्रभाव -
वात और कफ दोषों के विकारों को शांत करता है।वात, पेट की बीमारियां, कब्ज, अस्थमा, खांसी, त्वचा रोग और विषाक्त प्रभावों में प्रभावी।तैलीय अनुभूति के कारण वात और कफ दोषों को कम करता है।त्वचा रोग, सिरदर्द, साइटिका, दर्दनिवारक के रूप में उपयोगी।
सावधानियां-
बीज जहरीले होते हैं, इसलिए इसका सेवन और उपयोग केवल आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की देखरेख में ही किया जाना चाहिए।अत्यधिक सेवन से विषाक्तता हो सकती है, जो शारीरिक विकारों का कारण बन सकती है।
सारांश-
एरंड एक बहुमुखी और शक्तिशाली औषधीय पौधा है जो वात और कफ दोषों के संतुलन तथा विभिन्न रोगों के उपचार में अत्यंत प्रभावी है। इसका तैल वात शमन, विरेचन और सूजन नाशक के रूप में उपयोगी है। विभिन्न रोगों जैसे गठिया, पीठ दर्द, कब्ज, त्वचा रोगों आदि में इसका व्यापक आयुर्वेदिक उपयोग किया जाता है। विशेषज्ञ की परामर्श के बिना इसके बीज का सेवन न करें।

26/09/2025

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