Dr. Rahul Borkar

Dr. Rahul Borkar MBBS, MD(PEDIATRICS), Fellow in echocardiography

20/01/2021
12/06/2020

700gm का नवजात शिशु जो 7 महीने से भी कम समय मे जन्मा था, उसे अत्यंत गंभीर अवस्था मे जिला चिकित्सालय बालाघाट मे भर्ती कराया गया था, 65 दिनों तक उपचार के बाद उसे छुट्टी दे दी गयी।।
एक नवजात जो जीत गया ज़िंदगी की जंग 🙏🙏🙏🙏

07/05/2020

हेल्थ अपडेट (1)
बच्‍चे के गंभीर रूप से बीमार होने के संकेत निम्‍नलिखित हैं, जिन पर माता-पिता को ध्‍यान देना चाहिए और उपयुक्‍त कार्रवाई करनी चाहिए:-

1.सुस्‍ती और उनींदापन
नवजात शिशु अपना अधिकतर समय सोने में व्‍यतीत करते हैं। तथापि, आपके बच्‍चे को प्रत्‍येक कुछ घंटों के बाद जाग जाना चाहिए, जागने पर अच्‍छी तरह से आहार लेना चाहिए और संतुष्‍ट और सजग दिखाई देना चाहिए। आपको उसकी नियमित दिनचर्या में आने वाले परिवर्तन के बारे में विशेष रूप से सजग रहना चाहिए – ये किसी गंभीर बीमारी के लक्ष्‍ण हो सकते हैं। यदि वह बहुत अधिक थका हुआ अथवा उनींदा नज़र आए, बहुत कम सजग दिखाई दे और आहार लेने के लिए न जागे, तो आपको अपने बच्‍चे को डॉक्‍टर के पास ले जाना चाहिए।

2.सांस ले‍ने में कठिनाई
नवजात शिशु को सांस लेने के सामान्‍य तरीके पर स्थिर होने के लिए अर्थात् प्रति मिनट 20-40 सांस लेना शुरू करने के लिए आमतौर पर कुछ घंटे का समय लगता है। अक्सर, जब वह सो रहा होता है तो वह सबसे अधिक नियमित रूप से सांस लेता है। कभी-कभी जब वह जागता है, तो बहुत थोड़ी देर के लिए तेज़ी से सांस ले सकता है और उसके बाद सामान्‍य तरीके पर लौट सकता है।

यदि आपको निम्‍नलिखित में से कुछ नज़र आए, तो आपको अपने बच्‍चे को डॉक्‍टर के पास ले जाना चाहिए:

(A) लगातार तेज सांस लेना अर्थात्‍ यदि उसकी आयु दो माह से कम है, तो प्रति मिनट साठ से अधिक सांस लेना अथवा यदि उसकी आयु 2-3 माह है, तो प्रति मिनट पचास से अधिक सांस लेना
(B)सांस लेने के लिए प्रयास करना पड़ रहा हो और निगलने में कठिनाई हो रही हो
(C)सांस लेते समय नथुने चौड़े दिखाई देते हों
त्‍वचा और होठों का रंग सावला अथवा नीला दिखाई देता हो
3.रक्‍त संचार संबंधी समस्‍या
नवजात शिशु को ठंडे वातावरण में ले जाने पर कभी-कभी उसके हाथ और पैर नीले दिखाई दे सकते हैं, लेकिन गर्म वातावरण में आने पर ये वापिस गुलाबी हो जाने चाहिए। कभी-कभार ज़ोर से रोने के लिए अपनी सांस को कुछ क्षण के लिए रोकने पर उसका चेहरा, जीभ और होंठ थोड़े नीले हो जाने चाहिए। यदि उसके शांत हो जाने पर इनका रंग तेज़ी से सामान्‍य हो जाता है, तो आपको चिंता करनेकी ज़रूरत नहीं है। तथापि, यदि आपका बच्‍चा अचानक और लगातार पीला पड़ रहा है अथवा उसका पूरा शरीर नीला हो जाता है, तो उसे हृदय अथवा फेफड़ों संबंधी समस्‍याएं हो सकती हैं। ऐसे में तत्‍काल चिकित्‍सीय सहायता की आवश्‍यकता होती है।

4.शरीर में पानी की कमी (हाईड्रेशन) संबंधी अवस्‍था
शिशुओं में आसानी से और जल्‍दी ही पानी की कमी हो जाती है। सुनिश्चित करें कि आपका बच्‍चा पर्याप्‍त मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन कर रहा है, विशेषकर जब वह उल्‍टी कर रहा हो अथवा उसे दस्त लग गए हों। पिछले 24 घंटों में उस द्वारा पीए गए दूध की मात्रा की गणना करें और इसकी उसके सामान्‍य आहार से तुलना करें, जो कि पहले महीने के दौरान प्रतिदिन 10-20 आउंस (300-660 मि.ली.) होती है। यदि आप अपने बच्‍चे को स्‍तनपान करा रही हैं, तो उस द्वारा सक्रिय रूप से स्‍तनपान करने की संख्‍या और अवधि को नोट करें। यदि आप सुनिश्चित नहीं है कि आपका बच्‍चा पर्याप्‍त स्‍तनपान कर रहा है अथवा नहीं, तो आपको प्रसव कराने वाले अस्‍पताल अथवा किसी शिशु रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। आप अपने बच्‍चे के पेशाब करने की आवृति और मात्रा को देखकर भी उसकी तरल पदार्थ लेने की मात्रा का पता लगा सकते हैं। यदि आपके बच्‍चे ने पिछले 24 घंटों के दौरान काफी कम मात्रा में पेशाब किया है, उदाहरण के लिए, पहले सप्‍ताह के अंत तक छोटे शिशुओं ने 6 से कम नैपी भिगोई हैं, तो उसमें जल की कमी होने का ख़तरा है। ऐसी स्थिति में आपको अपने बच्‍चे को डॉक्‍टर के पास ले जाना चाहिए।

5.पेट फूलना
कई बच्‍चों का पेट थोड़ा-बहुत फूला रहता है, विशेषकर अधिक खाना खाने के बाद, लेकिन यह दो आहारों के बीच मुलायम महसूस होना चाहिए, विशेषकर जब बच्‍चा सो रहा हो। यदि उसका पेट निरंतर फूला हुआ और कठोर महसूस हो रहा है और साथ ही उसने एक दिन अथवा अधिक समय से मलत्‍याग नहीं किया अथवा पेट की गैस नहीं निकली है अथवा वह बार-बार उल्‍टी कर रहा है, तो आपको उसे तत्‍काल डॉक्‍टर के पास ले जाना चाहिए, क्‍योंकि यह आंतों से संबंधित गंभीर समस्‍या हो सकती है।

6.बुखार
जब कभी भी आपका बच्‍चा असामान्‍य तौर पर चिड़चिड़ा अथवा गर्म महसूस हो, तो उसका तापमान मापें। कांख का तापमान मापना ज्‍यादा सुरक्षित विकल्‍प है और 3 माह से कम आयु के बच्‍चों के लिए ऐसा करने की विशेष सलाह दी जाती है। यदि कांख का तापमान 37.3℃ / 99.1℉ से अधिक है अथवा कान का तापमान 100.4℉ से अधिक है, तो आपको उसे डॉक्‍टर के पास ले जाना चाहिए, क्‍योंकि यह संक्रमण का लक्षण हो सकता है। जल्‍दी चिकित्‍सीय सहायता मुहैया करना आवश्‍यक है, क्‍योंकि छोटे बच्‍चों की स्थिति बहुत जल्‍दी ख़राब हो सकती है।

निम्‍नलिखित स्थिति में अपने बच्‍चे को तत्‍काल डॉक्टर के पास लेकर जाएं

A )पीला, उनींदा दिखाई देने पर और गर्म महसूस होने पर
B) सुस्‍त होने पर अथवा बहुत अधिक रोने पर
C )हरी अथवा रक्‍तयुक्‍त तरल की उल्‍टी करने पर
D)बिल्‍कुल आहार न लेने पर अथवा उसकी भूख में बहुत अधिक बदलाव आने पर
E)मरोड़ होने पर
F)निरंतर बहुत तेज़ी से सांस लेने पर अथवा सांस लेने में कठिनाई होने पर
G)15 सेकण्‍ड अथवा अधिक समय तक सांस लेना बंद कर देने पर ।।
डॉ. राहुल बोरकर (MD)
(शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ)

हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है. यदि कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता है, तो उ...
07/05/2020

हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है. यदि कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता है, तो उसे कष्ट ही मिलता है. यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ बोलता या काम करता है, तो उसकी परछाई की तरह ख़ुशी उसका साथ कभी नहीं छोड़ती
All that we are is the result of what we have thought. If a man speaks or acts with an evil thought, pain follows him. If a man speaks or acts with a pure thought, happiness follows him, like a shadow that never leaves him
( Lord Buddha भगवान बुद्ध)

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