25/07/2023
कंजंक्टिवाइटिस क्या है?
कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) आंखों की एक बीमारी है, जिसे आंख आना, आंखों का गुलाबी होना या पिंक आई भी कहते हैं। कंजंक्टिवाइटिस होने पर आंखें लाल होने के साथ ही उसमें सूजन आ जाती है। यह बीमारी तब होती है, जब आंख के एक भाग कंजंक्टिवा (Conjunctiva) में एलर्जी या संक्रमण के कारण सूजन हो जाता है। कंजंक्टिवा पारदर्शी (Transparent) और पतली टिशू होती है, जो आंख के सफेद भाग (Sclera) के बाहरी सतह और पलकों के अंदरूनी सतह को कवर करती है। यह पलकों और आईबॉल को नम रखने में भी मदद करती है। कंजंक्टिवाइटिस एक या दोनों आंखों में हो सकता है। आंखों की यह समस्या छोटे बच्चों में बहुत आम है। हालांकि, यह किशोरों और वयस्कों को भी हो सकती है। कंजंक्टिवाइटिस के प्रकार (Types of Conjunctivitis) के आधार पर आंखों की ये बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकती है। हालांकि, कुछ ही दिनों में यह समस्या अपने आप ठीक हो जाती है, फिर भी कुछ प्रकार के कंजंक्टिवाइटिस के उपचार में डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत होती है।
कंजंक्टिवाइटिस के प्रकार
कंजक्टिवाइटिस के तीन मुख्य प्रकार होते हैं, जो कि इस प्रकार हैंः
1-एलर्जी कंजक्टिवाइटिस (allergic conjunctivitis) (ये भी दो प्रकार के होती है)
1.1-एलर्जी कंजक्टिवाइटिस: ये स्थिति तब होती है, जब किसी प्रकार का प्रदूषक तत्व, जानवर से एलर्जी या फिर किसी दूसरे प्रकार का पदार्थ आपकी आंख में चला जाता है, जिससे दिक्कत हो जाती है।
1.2- जाइंट पैपिलरी कंजक्टिवाइटिस: यह स्थिति आमतौर पर आंख में किसी बाहरी पदार्थ या तत्व के बहुत ज्यादा दिनों तक पड़े रहने के कारण होती है।
2-केमिकल कंजक्टिवाइटिस (Chemical conjunctivitis): यह स्थिति तब पैदा होती है जब कोई केमिकल या फिर प्रदूषक तत्व आपकी आंख में चला जाता है।
3-इंफेक्शियस कंजक्टिवाइटिस (Infectious conjunctivitis)(ये भी तीन प्रकार की होती हैं)
3.1 वायरल कंजक्टिवाइटिस: ये स्थिति सर्दी या फिर ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण से जुड़े वायरस के संपर्क में आने के कारण होती है।
3.2- बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस: ये स्थिति तब पैदा होती है जब आपकी स्किन, श्वसन पथ में मौजूद बैक्टीरिया या फिर गंदे फेस लोशन, आई-मेकअप का इस्तेमाल करते हैं। यह संक्रमण वयस्कों की तुलना में बच्चों को ज्यादा होता है
3.3-ओफ्थाल्मिया नियोनेटरम: ये एक बहुत ही गंभीर बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो नवजात शिशुओं को प्रभावित करता है। यह बच्चे की आंखों के बर्थ कैनाल में मौजूद बैक्टीरिया के संपर्क में आने के कारण होता है और इसका जल्द से जल्द इलाज किया जाना जरूरी है क्योंकि ये आपकी आंखों को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।
कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण
आप जिस तरह के कंजक्टिवाइटिस के प्रकार से पीड़ित होते हैं लक्षण भी उसके हिसाब से ही दिखाई देते हैं। जानिए लक्षणः
एलर्जी कंजक्टिवाइटिस के लक्षण
1-आंख में हल्का लाल पन
2-आंख से पानी आना
3-आंख में खुजली
वायरल कंजक्टिवाइटिस के लक्षण
1-आंख में लालपन
2-आंख में दर्द
3-आंख में कुछ चला जाना और आंख में किरकिरा पन महसूस होना
4- लाइट से परेशानी होना
बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस के लक्षण
1-आंख में लालपन
2-आंख में दर्द
3-आंख से पीला-पीला पानी आना
4-आंखों में कीचड़ जमा हो जाना
5-पलकों का लाल हो जाना और सूजी हुई पलकें दिखाई देना
6-रोशनी से दिक्कत महसूस होना
कैमिकल कंजक्टिवाइटिस के लक्षण
1-आंखों से पानी आना
2-आंखों से कीचड़ आना
कंजंक्टिवाइटिस के कारण और जोखिम
आंख आना या कंजंक्टिवाइटिस होने के कारण इसके विभिन्न प्रकारों पर निर्भर करता है। सभी प्रकार के कंजंक्टिवाइटिस से जुड़े मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
कारण
एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस: जानवरों के शरीर से निकलने वाली रूसी, धूल के कण, रैगवीड पराग (Ragweed Pollen) और घास आदि से एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस होता है।
जायंट पैपिलरी कंजंक्टिवाइटिस: कॉन्टैक्ट लेंस का लंबे समय तक उपयोग (उन्हें नियमित रूप से नहीं निकालना), आंखों में लगा प्रोस्थेटिक (आर्टिफिशियल बॉडी पार्ट) और टांके में आई समस्या।
कैमिकल कंजंक्टिवाइटिस: हानिकारक रसायन, स्विमिंग पूल में मौजूद क्लोरीन, वायु प्रदूषण आदि केमिकल कंजंक्टिवाइटिस के होने की संभावनाओं को बढ़ाते हैं।
वायरल कंजंक्टिवाइटिस : एडेनोवायरस और कई अन्य प्रकार के वायरस के कारण इंफेक्शियस कंजंक्टिवाइटिस होता है।
बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस : स्ट्रेप्टोकोकी और स्टेफिलोकोकी बैक्टीरिया या यौन संचारित रोगों जैसे क्लैमाइडिया और गोनोरिया को बढ़ाने वाले जीवों के कारण बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस होता है।
ऑफ्थैल्मिया कंजंक्टिवाइटिस : बर्थ कैनाल (Birth canal) में बैक्टीरिया जैसे गोनोरिया या क्लैमाइडिया के मौजूद होने से शिशु को संक्रमित कर सकते हैं।
कंजंक्टिवाइटिस के जोखिम
निम्नलिखित कारकों से संक्रामक प्रकार के कंजंक्टिवाइटिस होने का जोखिम बढ़ जाता है-
1. संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से
2. दूषित सतहों को छूने या संपर्क में आने से
3. पुराने, दूषित, गंदे कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स जैसे आई मेकअप का उपयोग करना
4. दूषित (contaminated) तौलिये का इस्तेमाल करना
5. दूषित स्विमिंग पूल में तैरना
6. संक्रमित मां से योनि से प्रसव (vaginal delivery) के दौरान नवजात बच्चों को कंजंक्टिवाइटिस होने का खतरा होता है।
कंजंक्टिवाइटिस से बचाव
कंजंक्टिवाइटिस से बचाव के लिए कोई खास तरीका नहीं है, क्योंकि आंखों में होने वाली यह समस्या कई अलग-अलग स्रोतों के जरिए होती है। हालांकि, बार-बार हाथों को धोना, आंखों को छूने या रगड़ने से बचना आदि कुछ सावधानियों को अपनाकर इस स्थिति से काफी हद तक बचा जा सकता है। जिन लोगों में एलर्जी की समस्या होती है, उन्हें एलर्जिक रिएक्शन को बढ़ाने वाले पदार्थों से दूर रहना चाहिए। इसके अलावा, जो लोग धूल भरे वातावरण या आंखों में जलन पैदा करने वाली जगहों पर काम करते हैं, उन्हें आंखों को सुरक्षित रखने के उपाय अपनाने चाहिए।
कंजंक्टिवाइटिस का निदान
कंजंक्टिवाइटिस का निदान करने के लिए सबसे पहले डॉक्टर आंखों की जांच करता है। इसके जरिए ये पता लगाया जाता है कि आपको जो लक्षण नजर आ रहे हैं, वह कंजंक्टिवाइटिस होने के कारण हैं या फिर आंखों से संबंधित कोई और समस्या है। लक्षणों का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपकी हेल्थ हिस्ट्री के बारे में भी पूछ सकता है। इसके लिए निम्न टेस्ट किए जा सकते हैं-
विजुअल एक्विटी मेजरमेंट (दृष्टि की जांच करने के लिए)।
आंखों की आंतरिक संरचना का मूल्यांकन करना।
चमकदार रोशनी और मैग्निफिकेशन के जरिए कंजंक्टिवा और आंखों की टिशू का मूल्यांकन करना।
इसके अलावा, लॉन्ग-टर्म कंजंक्टिवाइटिस या इस समस्या के प्रति इलाज का असर ना होने पर डॉक्टर आंखों से निकलने वाले डिस्चार्ज का सैंपल ले सकता है, ताकि माइक्रोस्कोप के जरिए इसके बारे में अध्ययन कर सके और स्थिति के ठीक न होने की सही वजह को जान सके।
कंजंक्टिवाइटिस का इलाज
इसके हल्के मामलों में अक्सर उपचार की जरूरत नहीं होती है। यह कंजंक्टिवाइटिस के विभिन्न प्रकार के आधार पर लगभग दो सप्ताह के अंदर अपने आप ठीक हो जाता है। अलग-अलग प्रकार के कंजंक्टिवाइटिस होने पर इलाज भी अलग तरीके से ही किया जाता है, जो इस प्रकार हैं-
1. एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस
हल्के मामलों में आर्टिफिशियल टीयर आई ड्रॉप और कोल्ड कंप्रेस इस समस्या से राहत प्रदान कर सकते हैं। गंभीर मामलों में डॉक्टर एलर्जी (एंटीहिस्टामाइन), सूजन (नॉन-स्टेरॉएडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं) या टॉपिकल स्टेरॉएड आई ड्रॉप आदि दवाएं लिख सकते हैं।
2. कैमिकल कंजंक्टिवाइटिस
खारे या नमकीन घोल (Saline solution) से आंखों का बेहतर उपचार किया जा सकता है। आंखों में केमिकल फैल जाते हैं, तो इस स्थिति में आंखों को स्थायी नुकसान से बचाने के लिए इन्हें कुछ देर तक पानी से धोएं। टॉपिकल स्टेरॉएड से भी इसका इलाज संभव है।
3. इंफेक्शियस कंजंक्टिवाइटिस
बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस होने पर डॉक्टर एंटीबायोटिक आई ड्रॉप या मलहम लिख सकता है। वायरल कंजंक्टिवाइटिस होने पर डॉक्टर कोई खास ट्रीटमेंट नहीं देता, क्योंकि वायरस पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं होता है। वायरल कंजंक्टिवाइटिस होने पर उपचार की जरूरत तब होती है, जब यह यौन संचारित रोगों (sexually transmitted diseases), वैरीसेला-ज़ोस्टर वायरस, हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस आदि के कारण होता है। इसके अलावा, डॉक्टर लक्षणों से राहत प्रदान करने के लिए मरीज को आई ड्रॉप और कोल्ड कंप्रेस के इस्तेमाल की सलाह दे सकता है। वायरल कंजंक्टिवाइटिस के गंभीर मामलों में डॉक्टर असुविधा को कम करने के लिए टॉपिकल स्टेरॉएड ड्रॉप्स लिख सकता है।
कंजंक्टिवाइटिस के लक्षणों को कम करने के उपाय
1 जलन जैसे लक्षणों से राहत पाने के लिए आंखों पर कोल्ड कंप्रेस लगाएं।
2 आंखों में जलन और खुजली होने पर आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करें।
3 रूई को पानी में भिगोकर दिन में दो बार पलकों पर जमे हुए चिपचिपे आई डिस्चार्ज को साफ करें।
4 यदि एक आंख संक्रमित नहीं है, तो दोनों आंखों के लिए एक ही आई ड्रॉप बॉटल का इस्तेमाल करने से बचें।
5 कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग तब तक बंद कर दें, जब तक कि आंखें पूरी तरह से ठीक ना हो जाएं।
6 पलकों और चेहरे को माइल्ड साबुन से धोएं। बाहरी कणों को बाहर निकालने के लिए पानी से आंखों को साफ करें।
7 आंखों को रगड़ें नहीं, क्योंकि इससे लक्षण और गंभीर हो सकते हैं।
8 आंखों में आई ड्रॉप डालने से पहले अपने हाथों को धो लें।
इंफेक्शियस कंजंक्टिवाइटिस दोबारा से हो सकता है। ऐसे में आप निम्नलिखित सावधानियां बरत कर इसे दोबारा होने से रोक सकते हैं-
1 आंखों के मेकअप (Eye make-up) को दोबारा उपयोग में लाने से बचें, खासकर उसे जिसका इस्तेमाल आपने कंजंक्टिवाइटिस होने के दौरान किया था।
2 जो लोग कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग करते हैं, उन्हें निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए:
लेंस की बजाय चश्मा पहनें।
लेंस हटाने या लगाने से पहले हाथ धो लें।
स्टेराइल कॉन्टैक्ट सॉल्युशन से लेंस को अच्छी तरह से साफ करें।
आईवियर केस भी साफ करें।
3 तौलिया, बेडशीट, तकिया को गर्म पानी और डिटर्जेंट में धोएं, उन्हें नियमित रूप से बदलते रहें।