25/10/2022
दमा, फेफड़ों से उत्तपन श्वसन अव्यवस्था की वजह से होता है । दमा सामान्य श्वास को प्रभावित करता है; दमा के रोगी के लिए नियमित शारीरिक गतिविधियाँ कठिन या असंभव हो जाती हैं। अगर सही इलाज में देरी हो जाए तो दमा जानलेवा हो सकता है। बढ़ते प्रदूषण जैसे कारकों के कारण,दमा जैसे श्वसन रोग चिंताजनक रूप से फैलते जा रहें हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि भारत में लगभग 20 मिलियन दमा रोगी हैं। दमा का प्रहार आम व्यस्कों और बुजुर्गों और स्मोकर्स पर ज्यादा होता है पर परंतु 5 से 11 साल के बीच के बच्चों में भी होता है। श्वसन के दौरान, जिस हवा में हम सांस लेते हैं वह नाक, गले और फेफड़ों में जाती है। दमा तब होता है जब वायुपथ फेफड़ों तक बढ़ जाता है और आसपास की मांसपेशियों को आसपास की मांसपेशियों को कसने लगता है। इससे बलगम बनता है जिससे वायुमार्ग अवरुद्ध हो जाता है जो आगे फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति को रोकता है।श्वसन संबंधी बीमारियां जैसे संक्रामक ज़ुकाम और फेफड़ों की सूजन का होना।
बढ़ी हुई कार्यकलाप श्वसन को अधिक कठिन बना सकती है।
दमा के रोगी रासायनिक धुएं, मजबूत गंध, धुएं और इसी तरह के उत्तेजक पदार्थ के प्रति संवेदनशील होते हैं।
मुश्किल मौसम की स्थिति जैसे उच्च आर्द्रता या ठंड का मौसम होना। जोर से हंसना, चिल्लाना और कोई भी भावनात्मक विस्फोट जो सांस लेने की दर को बढ़ाता है।
मिठाइयां, उत्साह और आनंद के पर्व दीपावली का सभी को पूरे साल इंतजार रहता है। पटाखे और जगमगाती रोशनी, इस त्योहार को काफी खास बनाते हैं। हालांकि इस उत्साव के बीच सभी लोगों को अपनी सेहत को लेकर भी विशेष सतर्कता बरतते रहने की आवश्यकता होती है। विशेषकर जिन लोगों को पहले से ही सांस की बीमारी-अस्थमा की शिकायत हो उनके लिए सावधानियां और भी जरूरी हो जाती हैं। पटाखों को जलाने से होने वाला धुआं अस्थमा, लंग फाइब्रोसिस, एलर्जिक राइनाइटिस और ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की बीमारियों को ट्रिगर कर सकता है। अगर आपको भी इस तरह की कोई भी दिक्कत है तो दीपावली में विशेष सतर्कता बरतते रहें।
Dr F Rahman
Consultant Physician