25/09/2025
AWGP- LITERATURE GURUDEV
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्!
*घेरण्ड संहिता में ध्यान:*
1. स्थूल ध्यान
स्थूल ध्यान की दो विधियों का वर्णन महर्षि घेरण्ड ने किया है। पहली विधि है - हृदय स्थान या अनाहत चक्र पर घ्यावा दूसरी विधि है ब्रह्मरन्ध्र या सहस्रार चक्र पर ध्यान।
अ. हृदय में 'गुरु' के स्थूल रूप पर ध्यान
स्वकीयहृदये..अर्थ : अपने हृदय पर ध्यान कीजिए। कल्पना कीजिए कि वहाँ एक बड़ा सागर अमृत से भरा हुआ है। उसके बीच में एक द्वीप है, जो रत्नों से भरा हुआ है और वहाँ की बालू भी रत्न चूणा को है। इस द्वीप में फलों से लदे अनेक वृक्ष हैं, जो द्वीप की शोमा बड़ा रहे हैं। ये पुष्प द्वीप की खाइयों की भाँति प्रतीत होतोच अनेकानेक सुगन्धित पुष्प, मालती, मल्लिका, चमेली, केशर, चम्पा, पारिजात, स्थल पद्म आदि बिखरे हुए हैं। द्वीप के झोने-कोने में इन पुष्पों की सुगन्धि फैली हुई है।
इस द्वीप के मध्य में कल्पवृक्ष नामक पेड़ है, इसकी चार शाखाएँ दों वेदों का प्रतिनिधित्व करती हैं। यह वृक्ष सुन्दर फल-फूलों से ना हुआ है। सम्पूर्ण द्वीप में कोयल पक्षी की मधुर बोली एवं भ्रमर के इन की ध्वनि सुनाई दे रही है। इस द्वीप में एक चबूतरा है। यह चबूतरा हीरे, नीलम आदि अनेक प्रकार के रत्नों से सजा हुआ है। पुनः कल्पना कीजिए कि उस चबूतरे पर आपके इष्टदेव बैठे हुए हैं। गुरु दा बताई गई विधि के अनुसार इष्ट पर ध्यान कीजिए। इष्टदेव यदि गुरु है तो उनके स्वरूप को देखिए। उन्होने गोर में जो वस्तुएँ धारण की हुई है, जैसे- वस्त्र, माला, इत्यादि स पर अपनी एकाग्रता को केन्द्रित कीजिए। इस विधि से विद्वान् संक्ति अपने गुरु के स्थूल रूप पर ध्यान करते हैं।
*क्रमशः* *........*
पुस्तक का नाम -अंतर्जगत के झरोखे
-LITERATUREGURUDEV .
https://www.awgp.org/en/literature/book/Super_Science_of_Gayatri/v2
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भूमिका - भूमिका - गायत्री महाविज्ञान - Gayatri MahavigyanNone