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प्यारे दोस्तों!
आज के इस भौतिक और प्रतिस्पर्धात्मक युग में प्रत्येक व्यक्ति पैसे के पीछे भगा जा रहा है और वो पैसे से ही संसार के समस्त सुख सुविधाओं एवम् आनंद
को भी खरीदना चाह्ता है। कुछ हद तक ये ठीक भी है किन्तु जब व्यक्ति पैसे को ही सबकुछ समझ ले तो वह जीवन के असली मूल्यों से चूक जाता है। क्योंकि धन साधन है साध्य नहीं। और जो धन को ही साध्य समझ ले वो दिन रात इस पागलपन की दौड़ में दौड़ते दौड़ते धन कमा भी ले, लेकिन ऐसा बहोत कुछ है, जिससे वह चूकता जा रहा है, खोता जा रहा है। धन तो कमा लिया पर ध्यान से चूक गए। सुख के साधन तो बटोर लिए पर शांति से चूक गए। भीड़ तो जमा कर ली अपने आस पास चाटुकारों की पर मित्रता और भाईचारे से चूक गए। ध्यान, प्रेम, शांति, आपसी भाईचारा ये सब बातें अब किताबी लगने लगी हैं।
आज लोगों के पास पैसा तो बहोत आ गया है, किन्तु उनके जीवन से आनंद खो सा गया है। अधिकतम लोग अपने जीवन से संतुष्ट नहीं हैं, एक गहरे अवसाद ने उन्हें भीतर से खोखला कर रखा है और समझ नहीं आता की किया क्या जाए। प्रयास प्रत्येक का सुख के लिए है किन्तु परिणाम कुछ और ही दर्शा रहा है कि जीवन की धारा किसी गलत दिशा की और अग्रसर है।
जीवन में धन और ध्यान का संतुलन आवश्यक है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। ओशो कहते हैं- धन और ध्यान मनुष्य के दो पंख हैं, अगर इनमे से एक भी कमज़ोर होगा तो उड़ना नामुमकिन है। एक ध्यानी व्यक्ति ही धन का सही उपयोग कर सकता है और जीवन के समस्त आनंद का ठीक से उपभोग कर सकता है।
ओशो ने एक नए मनुष्य की परिकल्पना की है, जिसे वे "zorbathebudha" कहते हैं। अर्थात भीतर एवम् बाहर दोनों से सम्पन्न व्यक्ति। ऐसा व्यक्ति जो भौतिक रूप से तो संपन्न हो ही साथ ही उसे स्वयं की भीतरी सम्पदा का भी ज्ञान हो।
हममे से अधिकतर बाहरी सम्पदा बटोरते बटोरते ही इस संसार से विदा हो जाते हैं और मजे की बात यह है कि जिस सम्पदा के लिए हम जीवन भर झूट सच,छल कपट एन केन प्रकारेण अपनी तिजोरियाँ भरते रहे, उसमें से कुछ भी हम साथ नहीं ले जाते। सिकंदर भी यहाँ से खली हाथ ही विदा होते हैं एवम् विश्वविजय करने के पश्चात् भी अपने आपको ठगा सा महसूस करते हैं।
तो प्यारे मित्रों अब समय आ गया है जागने का...हम आपके लिए एक ऐसा अवसर लेकर आए हैं जहाँ आप धन और ध्यान दोनों सम्पदाओं को एक साथ पा सकते हैं और धन कमाने के साथ साथ आप ध्यान, प्रेम एवम् शांति जो की आपकी मूलभूत आवश्यकता है, उसे पा सकते हैं।
आज मल्टी लेवल मार्केटिंग यानि MLM उद्योग पूरे विश्व में अपनी पहचान बना चुका है। विश्व में प्रथम बार हम उसी पद्वति पे आधारित Meditation और MLM को संयुक्त रूप से लेकर आए हैं।
भारत के मध्य प्रदेश में स्थित खजुराहो विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है,जहाँ करीब 100 करोड़ की लागत से एक अंतर्राष्ट्रीय ध्यान केंद्र का निर्माण किया जा रहा है,जहाँ आप ध्यान के साथ साथ योग एवम् आयुर्वेद का भी लाभ ले सकेंगे। इस ध्यान केंद्र में आपको और भी बहोत सी सुविधाएं मिलेंगी जैसे स्विमिंगपुल, सोना बाथ, जकूज़ी, आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित रेस्टोरेंट, अत्याधुनिक ज़िम, इंटरनेट कैफ़े, प्राकृतिक वातावरण में एक 100 बच्चों का स्कूल,जहाँ विश्व के कोने कोने से सिलेक्टेड बच्चे पढ़ सकेंगे एवम् ध्यान के साथ विकास करते हुए ये बच्चे बहुमुखी प्रतिभा के धनी होंगे।
कहने को तो अभी बहोत कुछ है मित्रों किन्तु चलते चलते बस इतना ही कहूँगा की आइये ओशो के इस zorbathebudha mission में हमसे हाथ मिलाकर ओशो के स्वप्न को चरितार्थ करें।
एवम अपने मित्रों संभन्दियों एवम समाज को "हसिबा खेलिबा करिबा ध्यानम्" का मेसेज देते हुए जीवन को एक नई दिशा दे।
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