Dr Rehan Kazmi

Dr Rehan Kazmi "Your health is our responsibility and our commitment." "आपका स्वास्थ हमारी ज़िम्मेदारी और हमारी प्रतिबद्धता है।"

17/09/2025

11/09/2025

07/09/2025

हर तीसरी मौत की वजह दिल ही क्यों?भारत में मौत के सबसे बड़े कारणों में अब संक्रामक रोग नहीं, बल्कि दिल की बीमारियाँ सबसे ...
07/09/2025

हर तीसरी मौत की वजह दिल ही क्यों?

भारत में मौत के सबसे बड़े कारणों में अब संक्रामक रोग नहीं, बल्कि दिल की बीमारियाँ सबसे ऊपर पहुँच चुकी हैं। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि पिछले तीन वर्षों (2021-2023) में देश में हुई कुल मौतों का लगभग 31% हिस्सा हृदय रोगों से जुड़ा है। यानी हर तीसरी मौत की जड़ दिल की बीमारी है। और यह सिर्फ़ रजिस्टर केसेस है आपको मालूम है हज़ारों केसेस रजिस्टर नही होते?

कई अंतरराष्ट्रीय शोध यह साबित कर चुके हैं कि शहरी जीवनशैली, प्रदूषण, तनाव और असंतुलित आहार भारत में हृदय रोगों को तेजी से बढ़ा रहे हैं।

लांसेट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दिल की बीमारी का बोझ दुनिया के औसत से कहीं अधिक है।

आईसीएमआर (Indian Council of Medical Research) की स्टडी मानती है कि 30 साल से ऊपर की उम्र में यह खतरा अचानक बढ़ जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी चेतावनी देता है कि एशियाई देशों में युवाओं में हार्ट अटैक और स्ट्रोक की दर पश्चिमी देशों से ज्यादा है।

घटनाएँ जो डराती हैं

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हाल ही में 10 साल के बच्चे की खेलते समय दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।

पिछले वर्ष गुजरात में एक शादी समारोह में 18 वर्षीय युवक नाचते-नाचते गिर पड़ा और उसकी मौत हो गई।

दिल्ली में 35 वर्षीय आईटी प्रोफेशनल को मीटिंग के दौरान हार्ट अटैक आया और तुरंत जान चली गई।

ये घटनाएँ बताती हैं कि अब दिल की बीमारी सिर्फ उम्र से नहीं जुड़ी, बल्कि यह हर वर्ग और हर आयु के लिए गंभीर खतरा बन चुकी है।

क्यों बढ़ रहा है खतरा?

लगातार तनाव और अनियमित दिनचर्या

जंक फूड और तैलीय भोजन का बढ़ता चलन

व्यायाम की कमी और स्क्रीन पर अधिक समय

धूम्रपान, शराब और नींद की अनियमितता

डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों की अनदेखी

भारत सरकार ने राष्ट्रीय हृदय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NPCDCS) के तहत जागरूकता और शुरुआती जांच की पहल की है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि सिर्फ सरकारी योजनाएँ काफी नहीं हैं। परिवार और समाज दोनों को मिलकर जीवनशैली सुधारने की ज़रूरत है।

दिल की बीमारी अब “मिडिल एज” की समस्या नहीं रही। यह बच्चों और युवाओं तक पहुँच चुकी है। अगर समय रहते आहार, व्यायाम और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान न दिया गया, तो आने वाले वर्षों में यह बीमारी भारत की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन जाएगी।

26/08/2025
24/08/2025
20/08/2025

वक़्त निकाल के ज़रूर देखे आप सभी की दुआ के इन्तेज़ार में हूँ।

यूरिक एसिड को रखें नियंत्रण मेंयूरिक एसिड क्या है और कितना होना चाहिए?यूरिक एसिड शरीर में प्यूरीन नामक पदार्थ के टूटने स...
05/06/2025

यूरिक एसिड को रखें नियंत्रण में

यूरिक एसिड क्या है और कितना होना चाहिए?

यूरिक एसिड शरीर में प्यूरीन नामक पदार्थ के टूटने से बनता है। जब यह अधिक मात्रा में रक्त में जमा हो जाता है, तो यह जोड़ों में क्रिस्टल बनाकर गठिया (Gout), सूजन और दर्द का कारण बन सकता है।

सामान्य स्तर:

महिलाओं में: 2.6–6.0 mg/dL

पुरुषों में: 3.4–7.0 mg/dL

किन लोगों को होती है समस्या?

जो लोग अधिक प्रोटीन और आयरन युक्त आहार लेते हैं।

उच्च ब्लड प्रेशर या थायराइड रोगियों में भी यह आम है।

मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है।

प्रभावी घरेलू उपाय:

1. अजवाइन का पानी:

एक गिलास पानी में एक चम्मच अजवाइन रातभर भिगो दें और सुबह खाली पेट पिएं। हफ्ते में 3-4 बार सेवन करें।

2. आंवला:

आंवले का रस एलोवेरा जूस के साथ लें। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है।

3. कच्चा प्याज पानी:

कटा हुआ प्याज 2 लीटर पानी में उबालें और ठंडा करके पिएं। दिन में 2–3 बार सेवन करें।

4. नारियल पानी:

शरीर को ठंडक देता है और यूरिक एसिड को नियंत्रित करता है।

5. भरपूर पानी पिएं:

यूरिक एसिड को बाहर निकालने के लिए पानी अधिक मात्रा में पिएं।

6. खीरे का जूस:

खीरे, गाजर और टमाटर का जूस सुबह खाली पेट लें।

7. जैतून का तेल (Olive Oil):

खाना पकाने में इसका उपयोग करें। यह एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होता है।

बेकिंग सोडा:

एक गिलास पानी में आधा चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर दिन में दो बार पिएं। इससे यूरिक एसिड में तेजी से राहत मिलती है।

एप्पल साइडर विनेगर:

एक गिलास पानी में 2 चम्मच मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें।

महत्वपूर्ण सुझाव:

फलों और हरी सब्ज़ियों को अपने भोजन में नियमित रूप से शामिल करें।

लाल मांस, शराब, और शक्करयुक्त खाद्य पदार्थों से बचें।

नियमित व्यायाम करें और वजन नियंत्रित रखें।

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28/05/2025

Shout out to my newest followers! Excited to have you onboard! Nisar Fatima Rizvi, মিঁষ্টিঁ মাঁয়েঁর দুঁষ্টুঁ ছেঁলেঁ, Aqeel Ahmad, Raja Khan, Sheru Khan, Gustavo Rubio, Amit Rawat, Israr Ahamad, Pavan Kumar Pavan Kumar, Ujjawal Vishwakarma, Thảo Thor, Kuldeep Verma, Nooruzzama Mohabbat Ali, Atk Atk, Raja Khan, Danish Khan, Amit Kumar, Vinay Yadav, Raj Kumar, IchchhaRam Prajapati, Phynzo J Keeleso, Aashutosh Verma, Ajay Yadav, Ashok Kumar, Abu Iekrahm, Pradeep Kumar, Mohd Firoz, Saimon Gatsi, Sky Fort, Susan Flow, الصديق بلحاج, Muhammad Azam, Jacky Hogson, Neeraj Maurya Neeraj Maurya, Yousra Yousra, Dineo David, Jaafar Ibrahim, Nvl Rico, Niranjan Nag, Ahmad Raja, Parbati Rana, सौरभ वर्मा वर्मा, Aashik Aashik Kumar, Usha Rimal, Sharda Davi, Anurag Rajpoot, Zameer Khan, Kelash Mali, Niraj Kumar, मेनुका तिम्सिना

पैंक्रियाटाइटिस (Pancreatitis) अग्न्याशय (Pancreas) की सूजन को कहते हैं। अग्न्याशय एक महत्वपूर्ण अंग है जो पाचन एंजाइम औ...
23/05/2025

पैंक्रियाटाइटिस (Pancreatitis) अग्न्याशय (Pancreas) की सूजन को कहते हैं। अग्न्याशय एक महत्वपूर्ण अंग है जो पाचन एंजाइम और इंसुलिन जैसे हार्मोन का निर्माण करता है। जब अग्न्याशय में सूजन आ जाती है, तो यह एंजाइम पहले ही सक्रिय हो जाते हैं और अपने ही ऊतक को पचाना शुरू कर देते हैं, जिससे सूजन, दर्द और संभावित जटिलताएँ उत्पन्न होती हैं।

प्रकार (Types of Pancreatitis)

1. तीव्र पैंक्रियाटाइटिस (Acute Pancreatitis)

यह अचानक होता है और कुछ दिनों में सही हो सकता है।

कारण: पित्त पथरी, अत्यधिक शराब सेवन, चोट, दवा आदि।

2. दीर्घकालिक पैंक्रियाटाइटिस (Chronic Pancreatitis)

यह एक दीर्घकालिक अवस्था है जिसमें अग्न्याशय स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाता है।

कारण: लम्बे समय तक शराब पीना, अनुवांशिक कारण, ऑटोइम्यून रोग आदि।

मुख्य कारण (Causes)

पित्त पथरी (Gallstones)

अत्यधिक शराब का सेवन

ऊपरी पेट पर चोट या सर्जरी

बिना डॉक्टर की सलाह के दवाएं खाने से

उच्च ट्राइग्लिसराइड्स या कैल्शियम

अनुवांशिक विकार (Hereditary pancreatitis)

वायरल संक्रमण (जैसे मम्प्स)

ऑटोइम्यून पैंक्रियाटाइटिस

लक्षण (Symptoms)

तीव्र पैंक्रियाटाइटिस में:

पेट के ऊपरी हिस्से में तेज दर्द जो पीठ तक जा सकता है

उल्टी और मितली

बुखार

तेज़ नाड़ी

पेट में सूजन या संवेदनशीलता

क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस में:

लगातार पेट दर्द

वजन घटना

फैटी स्टूल (चिकना और दुर्गंधयुक्त मल)

मधुमेह का विकास

निदान (Diagnosis)

1. रक्त परीक्षण:

अमाइलेज और लाइपेज़ एंजाइम की मात्रा बढ़ी हुई होती है।

2. इमेजिंग टेस्ट्स:

अल्ट्रासाउंड

CT स्कैन

MRI

एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड (EUS)

3. स्टूल टेस्ट:

पाचन एंजाइम की कमी का पता चलता है।

तीव्र पैंक्रियाटाइटिस:

उपवास (NPO – Nothing by mouth)

नसों के माध्यम से तरल और पोषण

दर्दनिवारक दवाएँ

यदि पित्त पथरी कारण हो, तो ERCP या सर्जरी

क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस:

शराब और धूम्रपान से पूरी तरह बचाव

कम वसा वाला आहार

पाचन एंजाइम की पूर्ति हेतु सप्लीमेंट्स

यूनानी या आयुर्वेदिव उपचार में सम्पूर्ण इलाज संभव

इंसुलिन थेरेपी (यदि मधुमेह हो जाए)

एंडोस्कोपिक या सर्जिकल उपचार (यदि नली ब्लॉक हो)

जीवनशैली और आहार संबंधी सुझाव (Lifestyle & Diet Tips)

शराब और धूम्रपान से बचें

हल्का सुपाच्य भोजन लें

तले-भुने और वसायुक्त पदार्थ न लें

ज्यादा पानी पिएँ

शारीरिक व्यायाम करें

तनाव कम करें

नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराते रहें

जटिलताएँ (Complications)

अग्नाशय में सिस्ट या फोड़ा

संक्रमण

मधुमेह

कुपोषण

अग्नाशय का कैंसर (लंबे समय में)

पैंक्रियाटाइटिस एक गंभीर लेकिन प्रबंधनीय रोग है। यदि समय पर उचित चिकित्सा, आहार और जीवनशैली में सुधार किया जाए, तो रोगी सामान्य जीवन जी सकता है।



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फैटी लिवर (Fatty Liver) क्या है?फैटी लिवर एक सामान्य लेकिन गंभीर स्थिति है जिसमें लीवर (यकृत) की कोशिकाओं में वसा (Fat) ...
21/05/2025

फैटी लिवर (Fatty Liver) क्या है?

फैटी लिवर एक सामान्य लेकिन गंभीर स्थिति है जिसमें लीवर (यकृत) की कोशिकाओं में वसा (Fat) सामान्य से अधिक मात्रा में जमा हो जाती है। यदि यह चर्बी लीवर वजन का 5% से अधिक हो जाए, तो उसे फैटी लिवर कहा जाता है। यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो लीवर की कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है और यह गंभीर बीमारियों जैसे कि लीवर सिरोसिस, लीवर कैंसर, और लिवर फेल्योर का कारण बन सकती है।

फैटी लिवर के प्रकार (Types of Fatty Liver):

1. NAFLD (Non-Alcoholic Fatty Liver Disease)

यह तब होता है जब व्यक्ति शराब का सेवन नहीं करता, फिर भी लीवर में चर्बी जमा हो जाती है। इसके मुख्य कारण मोटापा, अनियमित जीवनशैली, डायबिटीज, और गलत खानपान होते हैं। यह आगे चलकर NASH (Non-Alcoholic Steatohepatitis) में बदल सकता है, जिसमें लीवर में सूजन और नुकसान शुरू हो जाता है।

2. Alcoholic Fatty Liver Disease

यह शराब के अधिक सेवन के कारण होता है। शराब लीवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है और वसा के जमा होने की प्रक्रिया को तेज कर देती है। यदि समय पर रोका न जाए तो यह सिरोसिस और लीवर फेल्योर का रूप ले सकता है।

फैटी लिवर के लक्षण (Symptoms of Fatty Liver):

शुरुआत में यह रोग silent हो सकता है, यानी कोई विशेष लक्षण नहीं दिखाई देते। जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:

पेट के ऊपरी दाएँ भाग में भारीपन या दर्द

लगातार थकान और कमजोरी

भूख की कमी

मतली या उल्टी

वज़न घटना

पेट फूलना या गैस

आंखों या त्वचा का पीला होना (पीलिया – उन्नत अवस्था में)

मुख्य कारण (Causes):

मोटापा (विशेषकर पेट की चर्बी)

टाइप 2 डायबिटीज और इंसुलिन रेज़िस्टेंस

उच्च कोलेस्ट्रॉल या ट्राइग्लिसराइड्स

अत्यधिक मीठा, तला हुआ या प्रोसेस्ड फूड

शारीरिक गतिविधियों की कमी

तेजी से वजन घटाने की कोशिशें या क्रैश डाइटिंग

कुछ दवाएं (जैसे स्टेरॉयड, टेट्रासाइक्लिन)

हार्मोनल असंतुलन

अनुवांशिक कारण

जांच (Diagnosis):

फैटी लिवर की पुष्टि निम्न तरीकों से की जा सकती है:

अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) – सबसे आम जांच

LFT (Liver Function Test) – लीवर एंजाइम्स की स्थिति देखने हेतु

FibroScan – लीवर की कठोरता और फैट की मात्रा मापने के लिए

CT Scan या MRI – गहराई से जांच हेतु

लीवर बायोप्सी (जरूरत पर) – अंतिम पुष्टि के लिए

प्रबंधन (Management):

फैटी लिवर का कोई विशेष "एक गोली वाला इलाज" नहीं है, लेकिन सही जीवनशैली अपनाकर इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। यह उपाय करें:

1. वजन घटाएं:

धीरे-धीरे और सुरक्षित तरीके से वजन कम करें। 7–10% वजन घटाने से लीवर की चर्बी में काफी सुधार हो सकता है।

2. नियमित व्यायाम करें:

हर दिन कम से कम 30 मिनट तेज चाल से चलना, योग, प्राणायाम और हल्का व्यायाम बहुत लाभदायक होता है।

3. संतुलित आहार लें:

मीठा, फ्राइड फूड, सफेद आटा, चीनी और पैकेट वाले खाद्य पदार्थ बंद करें

फल, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, साबुत अनाज, दालें, ओट्स, ब्रोकली, गाजर, मूली, लहसुन आदि का सेवन करें

पर्याप्त पानी पिएँ

4. शराब पूरी तरह बंद करें:

यदि शराब सेवन करते हैं तो तुरंत बंद करें – यह सबसे जरूरी कदम है।

5. डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करें

इंसुलिन रेजिस्टेंस और मेटाबॉलिक सिंड्रोम फैटी लिवर का मूल कारण हैं, इन्हें नियंत्रण में रखना ज़रूरी है।

फैटी लिवर से बचाव के उपाय (Preventive Tips):

नाश्ते को कभी न छोड़ें

रात को देर से खाना न खाएं

नींद पूरी लें (7-8 घंटे)

रोज़ाना किसी न किसी रूप में सक्रिय रहें

तनाव को कम करें – मेडिटेशन करें












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