नाद पंथ Music Therapy & Counselling Center

नाद पंथ Music Therapy & Counselling Center Contact information, map and directions, contact form, opening hours, services, ratings, photos, videos and announcements from नाद पंथ Music Therapy & Counselling Center, Therapist, near Electricity office Nehru Nagar, Barabanki.

🕉️ नाद पंथ के पथिक |
🎶 आध्यात्मिक संगीत साधना |
🪔 ब्रह्मांडीय ऊर्जा से आत्मिक उत्थान |
🧘 नाद योग • ध्यान • जीवन जागरण
📿 गुरु परम्परा में दीक्षित |
🌕 गुरु पूर्णिमा दीक्षा समारोह |
📍 भारत की आध्यात्मिक धरोहर को समर्पित

30/07/2025

नाद पंथ आत्मिक साधना का एक विशिष्ट मार्ग है, जो ध्वनि यानी ‘नाद’ के माध्यम से आत्मा से परमात्मा की यात्रा को दर्शाता है।

यह कोई संप्रदाय नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण है, जिसमें ध्वनि को चेतना के विकास और ब्रह्म के साक्षात्कार का माध्यम माना जाता है।

वेदों और उपनिषदों में उल्लेख है कि सम्पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति एक ध्वनि से हुई — जिसे "अनाहत नाद" कहा गया है। यह वह ध्वनि है जो बिना किसी दो वस्तुओं के टकराने के उत्पन्न होती है और भीतर की चेतना में सुनी जाती है। नाद पंथ इसी नाद की अनुभूति और साधना का मार्ग है।

इस पंथ में साधना के चार प्रमुख चरण माने गए हैं:

1. बहिर नाद (बाहरी ध्वनि) – जैसे संगीत, मंत्र, प्रकृति की ध्वनियाँ, जिनसे ध्यान केंद्रित किया जाता है।

2. अंतर्नाद (भीतर की ध्वनि) – जैसे श्वास, नाड़ी, और ह्रदय की ध्वनि।

3. अनाहत नाद – जो ध्यान में स्वतः सुनाई देती है, यह एक दिव्य ध्वनि होती है।

4. परानाद – नाद का सूक्ष्मतम रूप, जहाँ साधक ब्रह्म से एकाकार हो जाता है।

नाद पंथ का मूल अभ्यास श्रवण योग है — अर्थात भीतर और बाहर की ध्वनियों को एकाग्रता से सुनना। यह सुनना केवल कान से नहीं, अपितु मन, ह्रदय और आत्मा से होता है। जब साधक स्वर या वाद्य के माध्यम से अभ्यास करता है, तब वह धीरे-धीरे बाह्य ध्वनियों से सूक्ष्म ध्वनि की ओर अग्रसर होता है। नाद पंथ में संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि साधना का माध्यम होता है।

गायन, वादन, मौन, श्वास और ध्यान – ये सभी नाद पंथ के अंग हैं। साधक को संयमित जीवन, सात्विक आहार, ब्रह्ममुहूर्त की साधना और नियमित अभ्यास की आवश्यकता होती है। यहाँ गुरु का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। नाद का अनुभव केवल ज्ञान से नहीं, बल्कि गुरु की कृपा और साधना से ही संभव होता है।

आज के युग में नाद पंथ संगीत चिकित्सा, मानसिक शांति और आत्मविकास के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकता है। यह बच्चों में एकाग्रता, वृद्धों में शांति, और रोगियों में मानसिक संतुलन उत्पन्न करने में सहायक हो सकता है।

निष्कर्षतः, नाद पंथ एक ऐसा आत्मिक मार्ग है जो साधक को नाद के माध्यम से भीतर के मौन की ओर ले जाता है। जब स्वर मौन हो जाए और चेतना जाग्रत — वहीं से आत्मा का ब्रह्म से मिलन प्रारंभ होता है।

> “स्वर साधना है, मौन समाधि है, और नाद ब्रह्म का स्वरूप है।”

29/07/2025

स्वर से साक्षात्कार

हमारा जीवन शोर से भर गया है – मोबाइल की घंटी, वाहनों की आवाजें, और विचारों का अंतहीन प्रवाह। पर कभी क्या आपने उस भीतर के स्वर को सुना है जो किसी साज के बिना भी बजता है?
यह स्वर कोई आम ध्वनि नहीं, बल्कि नाद है। यह न कोई गीत है, न कोई शब्द — यह आत्मा की बिना बोले गूंज है। नाद वह स्पंदन है जो जीवन के हर क्षण में मौजूद है, बस हमें सुनने की कला नहीं रही।
नाद पंथ उसी कला की ओर एक आह्वान है — ध्यान दो अपने भीतर उठती उस कंपन पर, जो तुम्हें बाहरी संसार से खींचकर स्वयं के पास लाती है।
स्वर से साधना करो, मौन से संवाद करो, और नाद से साक्षात्कार करो।

🌸 जब भीतर संगीत जागता है, तब ही जीवन में सच्ची लय आती है।
🌸 नाद है आत्मा का आरंभिक स्पंदन।

29/07/2025
29/07/2025

"संतुलन, आनंद और उत्साह: नाद पंथ के दृष्टिकोण से जीवन की त्रिवेणी"

नाद पंथ के अनुसार, सम्पूर्ण सृष्टि एक दिव्य ध्वनि की तरंग है, जिसे 'नाद' कहा जाता है। यह नाद न केवल ब्रह्मांड का मूल कंपन है, बल्कि हमारे भीतर की चेतना का आधार भी है। जब यह नाद संतुलित होता है, तो मनुष्य का जीवन भी संतुलित, आनंदमय और उत्साहपूर्ण हो जाता है। जीवन की इन तीन अवस्थाओं—संतुलन, आनंद और उत्साह—को नाद पंथ त्रिवेणी रूप में देखता है। जिस प्रकार प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है, वैसे ही ये तीन जीवन ऊर्जा की धाराएं मिलकर एक दिव्य जीवन का निर्माण करती हैं।

यह लेख इसी त्रिवेणी को समझने और अपने जीवन में उतारने का एक प्रयास है। नाद पंथ के गहरे आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोणों के माध्यम से हम जानेंगे कि कैसे हम अपने जीवन को संतुलित, आनंदमय और उत्साहपूर्ण बना सकते हैं।

1. संतुलन (Balance): जीवन की लय

नाद में संतुलन क्या है?

नाद पंथ मानता है कि जब दो स्वर एक दूसरे के साथ संतुलित रूप में गुंजते हैं, तो वे एक मधुर रचना का निर्माण करते हैं। यही नियम जीवन पर भी लागू होता है। जीवन में विचारों, भावनाओं, कार्यों और संबंधों का संतुलन होना नितांत आवश्यक है।

संतुलन के चार स्तर:

1. शारीरिक संतुलन:

भोजन, नींद और व्यायाम का समुचित तालमेल

नियमित जीवनचर्या, जिससे शरीर के भीतर की ध्वनि (बायोलॉजिकल रिद्म) नियंत्रित रहे

2. मानसिक संतुलन:

अत्यधिक विचारों से मुक्ति

ध्यान, संगीत और मौन से मानसिक तरंगों का संतुलन

3. भावनात्मक संतुलन:

क्रोध, ईर्ष्या, भय आदि का नाद योग द्वारा नियमन

प्रेम, करुणा और समर्पण की ध्वनियों को भीतर जागृत करना

4. आध्यात्मिक संतुलन:

आत्मा और परमात्मा के बीच की ध्वनि को सुनना (अनाहत नाद)

साधना, जप और भक्ति से इस संतुलन की अनुभूति

नाद साधना द्वारा संतुलन का अभ्यास:

प्रतिदिन प्रातःकाल 'ओम' ध्वनि का उच्चारण करें। यह ध्वनि शारीरिक, मानसिक और आत्मिक संतुलन का सबसे बड़ा साधन है।

स्वर-युक्त ध्यान करें, जिसमें किसी राग के आरोह-अवरोह पर एकाग्रता हो। यह मानसिक संतुलन को तीव्र करता है।

प्रकृति की ध्वनियों को सुनना—पक्षियों की चहचहाहट, हवा की सरसराहट, जलधारा की आवाज—ये सभी हमें प्राकृतिक संतुलन से जोड़ती हैं।

2. आनंद (Joy): जीवन की मधुरता

नाद पंथ में आनंद की परिभाषा:

आनंद एक स्थायी स्थिति है जो भीतर के 'नाद' से उत्पन्न होती है। यह बाहरी सुख-सुविधाओं से नहीं, बल्कि भीतर की ध्वनि-लहरियों की समरसता से पैदा होता है। जब मनुष्य अपने स्वरूप, अपनी आत्मा से जुड़ता है, तब वह आनंद की वास्तविक अनुभूति करता है।

आनंद प्राप्त करने के उपाय:

1. संगीत की उपासना:

रागों के माध्यम से भावों को उजागर करना

भजन, कीर्तन और रागात्मक साधना में तल्लीन होना

2. साक्षी भाव अपनाना:

जीवन की घटनाओं को एक दृष्टा की भांति देखना, उससे जुड़कर नहीं बहना

यह दृष्टिकोण हमें हर परिस्थिति में आनंद की स्थिति में रखता है

3. 'स्वर' की आराधना:

स्वर कोई केवल ध्वनि नहीं है, वह ऊर्जा है

जब हम स्वर में डूबते हैं, तो मन एक रस में स्थिर हो जाता है, और वहीं से आनंद का उदय होता है

4. सृजन में आनंद:

लेखन, चित्रकला, वादन, गायन, या कोई भी रचनात्मक कार्य

जब हम कुछ सृजन करते हैं, तब हम ईश्वर की रचना शक्ति से जुड़ते हैं

नाद योग और आनंद:

नाद योग में यह माना गया है कि आनंद मूलतः 'अनाहत नाद' से आता है—वह ध्वनि जो बिना किसी वाद्य या उच्चारण के भीतर सुनाई देती है। यह ध्यान और साधना के द्वारा ही संभव है।

3. उत्साह (Enthusiasm): जीवन की गति

नाद पंथ में उत्साह का महत्व:

उत्साह वह चेतना है जो जीवन को गति देती है। यह ऊर्जा भीतर से आती है, और जब जीवन संगीत से जुड़ जाता है, तब यह ऊर्जा स्वतः प्रवाहित होती है।

उत्साह की कमी के कारण:

लक्ष्यहीन जीवन

बाहरी परिस्थितियों पर अत्यधिक निर्भरता

थकावट, तनाव और अवसाद

उत्साह को जाग्रत करने के उपाय:

1. ध्वनि अभ्यास (सुर साधना):

हर सुबह किसी प्रेरणादायक रचना का गायन करें

यह केवल आवाज़ की क्रिया नहीं, आत्मा की ऊर्जा को जगा देने वाला अभ्यास है

2. उत्सव का निर्माण:

नाद पंथ कहता है कि हर दिन एक उत्सव है

छोटे-छोटे क्षणों में खुशियाँ ढूंढना और उन्हें मनाना उत्साह को बढ़ाता है

3. संगत और संगति:

जैसी संगति, वैसा संगीत

सकारात्मक, सृजनशील और आत्मिक विचारों वाले लोगों के साथ रहना

4. ध्यान और प्राणायाम:

प्राणायाम से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है

ध्यान से उस ऊर्जा की दिशा तय होती है

5. स्वर-चिकित्सा:

विशेष स्वर जैसे 'सा', 'म', 'पा' को सही ढंग से उच्चारित करने से मस्तिष्क में सकारात्मक हार्मोन उत्पन्न होते हैं

यह विधा संगीत चिकित्सा में 'स्वर-ऊर्जा चिकित्सा' के रूप में जानी जाती है

नाद पंथ की त्रिवेणी साधना विधि:

नाद पंथ के अनुसार जीवन को संतुलित, आनंदमय और उत्साहपूर्ण बनाने के लिए त्रिवेणी साधना अत्यंत प्रभावशाली पद्धति है। इसमें तीन चरण होते हैं:

1. प्रभात नाद साधना (Morning Resonance):

ओंकार, राग भीमपलासी या अहीर भैरव जैसे शांत रागों की साधना

श्वास के साथ तालमेल बैठाना

2. दैनिक रचना साधना (Creative Expression):

कुछ भी सृजन करें: कविता, संगीत, चित्र

दिन के मध्य इस क्रिया से आनंद का संचार होता है

3. सायंकाल ऊर्जा जागरण (Evening Energization):

राग देश, यमन या दरबारी में स्वरलहरियाँ

गहरी श्वास, धीमी ताल और ध्यान के साथ उत्साह को पुनः जाग्रत करें

नाद पंथ एक ऐसी जीवन दृष्टि है जो संगीत, ध्यान और आत्मचेतना के माध्यम से व्यक्ति को उसकी पूर्णता की ओर ले जाता है। संतुलन से जीवन में स्थिरता आती है, आनंद से मधुरता और उत्साह से ऊर्जा। ये तीनों मिलकर जीवन को न केवल सार्थक बनाते हैं, बल्कि उसे एक दिव्य काव्य बना देते हैं।

यदि हम प्रतिदिन थोड़ी देर भी नाद पंथ की साधनाओं का अभ्यास करें, तो जीवन की ध्वनि विकृत नहीं होगी, बल्कि वह संगीत बन जाएगी। यही नाद पंथ का संदेश है—अपने जीवन को एक सुंदर, संतुलित, आनंदमय और उत्साहपूर्ण गीत

29/07/2025

सावधान! क्या आपके बच्चा डर का शिकार तो नहीं?

नाद पंथ म्यूज़िक थेरेपी एंड काउंसलिंग सेंटर की दृष्टि से एक विश्लेषणात्मक लेख

बचपन वह अवस्था होती है जहां व्यक्तित्व की नींव रखी जाती है। अगर इस समय में डर, चिंता, असुरक्षा या सामाजिक दबाव गहराई से बैठ जाएं, तो यह बच्चों के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
नाद पंथ म्यूज़िक थेरेपी एंड काउंसलिंग सेंटर की विशेषज्ञ दृष्टि के अनुसार बच्चों के डर को केवल एक भावनात्मक प्रतिक्रिया मानकर छोड़ना उचित नहीं है। इसके पीछे अनेक कारक हो सकते हैं जिन्हें समय पर पहचानना और संभालना अत्यंत आवश्यक है।

डर के प्रमुख कारण और उनके नाद पंथ परिप्रेक्ष्य में प्रभाव

1. अनुभव और पर्यावरणीय कारक

नाद पंथ के अनुसार, बच्चों को संगीत और रचनात्मक गतिविधियों के ज़रिए सुरक्षित और सहज वातावरण देना आवश्यक है। जब बच्चा अंधकार, नई जगह या अजनबियों से डरता है, तब स्वर-ध्वनियों द्वारा स्थिरता और आश्वासन दिया जा सकता है।

2. पारिवारिक वातावरण

घर का तनावपूर्ण वातावरण बच्चों की आत्मा पर गहरा प्रभाव डालता है। नाद पंथ में ध्वनि चिकित्सा और संवादात्मक काउंसलिंग के माध्यम से ऐसे बच्चों को संतुलन और भावनात्मक सुरक्षा प्रदान की जाती है।

3. सामाजिक और भावनात्मक कारक

शर्मीले और सामाजिक रूप से असहज बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए राग चिकित्सा, समूह गायन, और ध्यान संगीत का उपयोग अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है।

4. मीडिया और कहानियों का प्रभाव

नाद पंथ यह मानता है कि जब बच्चे हिंसक या डरावनी सामग्री देख लेते हैं, तो उनके चित्त में गहराई तक भय बैठ सकता है। ऐसे में सकारात्मक और शांतिपूर्ण संगीत, रचनात्मक कहानी गायन और कल्पनाशील गतिविधियाँ बच्चों को डर से बाहर लाने में सहायक हो सकती हैं।

5. शारीरिक और स्वास्थ्य संबंधी कारण

बच्चों में नींद, बुरे सपने, या संवेदनात्मक असहजता जैसे लक्षण पाए जाने पर संगीत-आधारित विश्राम विधियाँ, जैसे बांसुरी संगीत, लोरी जैसी थेराप्यूटिक ध्वनियाँ बच्चों के मस्तिष्क को शांत करती हैं।

6. शिक्षण और अनुशासन के तरीके

नाद पंथ यह सुझाव देता है कि डर के स्थान पर प्रेम और समझ के साथ अनुशासन सिखाना चाहिए। यहाँ भावनात्मक अभिव्यक्ति की तकनीकों, जैसे रचनात्मक लेखन, स्वर-अभिनय, और शुद्ध रागों का अभ्यास शामिल किया जाता है।

7. जेनेटिक और जैविक कारक

यदि बच्चा जन्म से ही डर या चिंता जैसी प्रवृत्तियों से जूझ रहा है, तो म्यूज़िक ब्रेन स्टीमुलशन तकनीक द्वारा मस्तिष्क की तंत्रिकाओं को संतुलित किया जाता है।

8. सामाजिक तुलना और दबाव

नाद पंथ का मानना है कि हर बच्चा अद्वितीय है। समूह काउंसलिंग, स्वीकृति आधारित गतिविधियाँ, और स्वर-साधना के अभ्यास से बच्चों को स्वयं पर गर्व करना सिखाया जाता है।

नाद पंथ के संगीत-आधारित समाधान:

राग थेरपी: विशेष रागों जैसे राग भैरव, राग यमन और राग कल्याण का उपयोग मानसिक संतुलन के लिए किया जाता है।

साउंड बाथ: शांत स्वर-ध्वनियों द्वारा बच्चे के मानसिक अवरोधों को दूर करना।

आर्ट एंड साउंड एक्सप्रेशन: डर को चित्रकला और संगीत के माध्यम से व्यक्त करने देना।

संवादात्मक सत्र: व्यक्तिगत और समूह काउंसलिंग, जहां बच्चे खुलकर अपने डर को साझा करते हैं।

पेरेंटिंग वर्कशॉप: माता-पिता को सकारात्मक संचार और सुरक्षा-संवर्धन के तरीकों की ट्रेनिंग देना।

निष्कर्ष:

यदि आप पाते हैं कि आपका बच्चा छोटी-छोटी बातों में डरता है, सामाजिक वातावरण में असहज होता है, या हमेशा चिंता में रहता है, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें। नाद पंथ म्यूज़िक थेरेपी एंड काउंसलिंग सेंटर आपके बच्चे की अंतरात्मा की उस गहराई तक पहुंचने का माध्यम है जहाँ डर पलता है — और संगीत वह साधन है जिससे उस डर को प्रेम, समझ और शक्ति में बदला जा सकता है।

👉 हमसे संपर्क करें और अपने बच्चे को भयमुक्त, आत्मविश्वासी और आनंदमयी जीवन की ओर बढ़ने में सहयोग दें।

29/07/2025

🕉️"नाद – मौन में छिपा संगीत"

मौन केवल शब्दों की अनुपस्थिति नहीं है — वह एक द्वार है, जहाँ नाद जन्म लेता है।
जब मन शांत होता है, तब भीतर एक मधुर कंपन सुनाई देता है — यह कोई बाहरी आवाज़ नहीं, बल्कि आत्मा का संगीत है। यही नाद है।

नाद केवल संगीत नहीं, यह एक साधना है। यह ध्यान का माध्यम है, जो हमें हमारी चेतना की गहराई से जोड़ता है।
हमारे ऋषियों ने कहा कि
"नाद से ही ब्रह्म की अनुभूति होती है।"

हर सुबह कुछ पल नाद में डूब जाना,
भीतर की यात्रा पर चलना है।
वहाँ कोई भाषा नहीं, बस कंपन है —
जो आत्मा को छूता है और शांति से भर देता है।

आज मौन में उतरें, नाद को सुनें — और स्वयं को पाएं।
यही है नाद पंथ।

ा_विचार ादाय_नमः

28/07/2025

"नाद पंथ"
आज का विचार
भीतर उठता नाद ही आत्मा की सच्ची पुकार है।

26/07/2025
बाल दिवस (Children's Day) भारत में हर साल 14 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन बच्चों के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाने, उन...
14/11/2024

बाल दिवस (Children's Day) भारत में हर साल 14 नवंबर को मनाया जाता है। यह दिन बच्चों के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाने, उनके अधिकारों, देखभाल, और शिक्षा के महत्व को समझाने के लिए मनाया जाता है। इस दिन को विशेष रूप से भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर मनाया जाता है, क्योंकि नेहरू जी बच्चों से बहुत स्नेह करते थे और उन्हें देश का भविष्य मानते थे।

पंडित नेहरू को बच्चों के बीच "चाचा नेहरू" के नाम से जाना जाता था। उनके अनुसार, बच्चे देश की सबसे महत्वपूर्ण पूंजी होते हैं और उनका सही दिशा में विकास ही एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकता है।

इसलिए, उनके सम्मान में और बच्चों के प्रति उनके प्रेम को याद करते हुए, उनकी जयंती को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि समाज बच्चों की शिक्षा, उनके अधिकारों और उनके भविष्य को लेकर सजग हो और उन्हें एक स्वस्थ, सुरक्षित और खुशहाल बचपन प्रदान कर सके।

बाल दिवस पर स्कूलों, संस्थाओं, और कई सामाजिक संगठनों द्वारा बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रम, खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियाँ और मनोरंजक आयोजन किए जाते हैं।

06/11/2024

शिशुओं के लिए संगीत थेरपी

क्‍या आपको यह जानकारी थी कि आपके शिशु में शुरुआत से ही ध्‍वनि, वाणी और संगीत को ग्रहण करने की क्षमता होती है? जब वे लगभग 24 दिन के होते हैं, तभी से वे लय में थोड़े से बदलाव को भी पहचान सकते हैं और यहां तक कि परिवार के अलग-अलग सदस्‍यों की आवाज को भी पहचान सकते हैं। यह सचमुच अद्भुत है – यदि एक पांच माह का शिशु प्रतिदिन किसी गीत को सुनता है, तो वह उसे सुनते ही उसकी संगीत रचना को पहचान सकता है!

प्रत्‍येक परिवार (अथवा माता-पिता) अपने बच्‍चे को दिलासा देने के लिए कोई तराना अथवा गीत सुनाते हैं। जब आप कोई मधुर गीत बजाकर अपने बच्‍चे को गोद में लेकर इधर-उधर घूमते हैं, तो यह काफी आनन्‍ददायक और आसान होता है। संगीत कुछ नहीं करता है बल्कि काम की तरह कम और आराम की तरह अधिक बच्‍चे को शांति प्रदान करता है। शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि शिशु भी संगीत के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं।

बच्चों के लिए गायन कई लोगों के लिए स्वाभाविक रूप से आते हैं। यहां तक की जब हम अपने शिशुओं से बात करते हैं तो अपनी आवाज को अधिक संगीतमय बनाने के लिए उसे बदलते हैं! हम अपनी आवाज को अधिक लयबद्ध बनाते हैं और दोहराते हैं, और कुछ पिच काउंटर पर विशेष जोर देते हैं। संगीतमय आवाज को भावनात्‍मक रूप से अधिक अभिव्यक्तिपूर्ण बनाती है और शिशु इसके प्रति प्रतिक्रिया करते हैं। जब आप रिकार्ड किए गए संगीत पर गाते हैं, तो इसका एक फायदा है – व्‍यक्तिगत लगाव। यह आपके लगाव को न केवल और अधिक मजबूत बनाता है बल्कि आपके बच्‍चे को शांत बनाता है और उसके विकास को बढ़ावा देता है।गुनगुनाना और लोरी सुनाना नि:संदेह महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि ये शिशु को आनंद देते हैं और सुरक्षा की भावना प्रदान करते हैं। इसके अलावा, वे आपके शिशु के सीखने की लंबी यात्रा में पहले कदम हैं और वे बोलने और आवाज को समझने में शिशु की मदद करते हैं। आपने देखा होगा कि जब आप अपने शिशु के पास गुनगुनाते हैं अथवा गाना गाते हैं तो उसका चेहरा चमक उठता है; वे खिलखिलाते हैं और प्‍यार से आवाज निकालते हैं क्‍योंकि उन्‍हें आपकी आवाज की ध्‍वनि अच्‍छी लगती है! अपने बच्‍चे के लिए गाना उससे जुड़ने का एक जैविक तरीका है।

अपने बच्‍चे के लिए गाना गाने के कुछ फायदे नीचे दिए गए हैं:

शब्‍दावली:जब आप गाते हैं, तो आप अपने बच्‍चे की दुनिया में नए शब्‍द जोड़ते हैं जिससे उन्हें उनकी शब्‍दावली में मदद मिलती है। आप संबंधों का भी इस्‍तेमाल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, किसी पक्षी के बारे में गीत गाते समय आप उस पक्षी की तरह का खिलौना अथवा तस्‍वीर हाथ में ले सकते हैं ताकि आपका शिशु समझ सके कि पक्षी क्‍या होता है।
सुनने के कौशल: गाना एक दूसरा तरीका है जिसके माध्‍यम से आपका बच्‍चा भाषा को और भाषा एवं गीत के माध्‍यम से व्‍यक्‍त की गई भावनाओं को समझना सीखता है, साथ ही साथ उसके सुनने के कौशलों में सुधार होता है।
लगाव: जब आप अपने बच्‍चे के लिए गाना गाते हैं, तो आप दोनों के बीच लगाव और अधिक मजबूत होता है। यह अपने शिशु के लिए प्‍यार और स्‍नेह व्‍यक्‍त करने का एक तरीका है।
दिनचर्या: यदि आप बच्‍चे के कपड़े बदलते समय अथवा उन्हें खाना खिलाते समय अथवा उन्हें सुलाते समय प्रतिदिन गाना गाते हैं, तो बच्‍चे अपनी दिनचर्या को समझने लगते हैं और जान जाते हैं कि अब क्‍या उम्मीद की जा रही सकती है! इससे उन्हें अतिरिक्‍त सुरक्षा मिलती है।
लेकिन यदि आप बहुत अच्‍छे गायक नहीं है, तो क्‍या होगा? इसके बारे में चिंता न करें। शिशु ही ऐसे श्रोता होते हैं जो कभी भी बिना किसी आलोचन के आपका गाना सुनते हैं! आप जैसा हैं वे वैसे ही पसंद करते हैं और बहुत से माता-पिता को पाते हैं कि अपने शिशु के सामने वे बिना किसी आत्म-समझ के गा सकते हैं।

Address

Near Electricity Office Nehru Nagar
Barabanki
225001

Opening Hours

Monday 11am - 5pm
Tuesday 11am - 5pm
Wednesday 11am - 5pm
Thursday 11am - 5pm
Friday 11am - 5pm

Telephone

+919450193509

Website

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when नाद पंथ Music Therapy & Counselling Center posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share

Category