02/10/2023
सफलता और असफलता दोनों ऐसे शब्द हैं जो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन को झकझोरते रहते हैं। हर व्यक्ति जीवन में सदैव सफलताओं की चाह रखता है और दुनिया का कोई भी व्यक्ति कभी भी किसी भी काम को असफल नहीं होना चाहता। इसका मूल कारण यह है कि दुनिया सफल व्यक्तियों की जय-जयकार करती है, जबकि किसी कार्य में असफल हुए व्यक्ति को उपेक्षाभाव से देखती है।
हम अपना हर काम परिवार और समाज में सम्मान और महत्व पाने के लिए करते हैं। इस बात को हम स्वीकार करें या न करें किंतु हमारे अवचेतन मस्तिष्क में यह तथ्य गहरी पैठ किया हुआ है और यह बात हमें कठिन परिश्रम के लिए भी प्रेरित करती है। परिश्रम को सफलता का मूल आधार माना जाता है, इसलिए हर कोई कहता है की मेहनत करो, मन लगाकर काम करो तुम्हें सफलता अवश्य मिलेगी। लेकिन जीवन में अनेक बार ऐसा भी समय आता है, जब कठिन परिश्रम के बावजूद अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं होते या सफलता हाथ में आते-आते फिसल जाती है। मेहनत करने के बावजूद सफल न हो पाना निश्चित दु:खद होता है किंतु जीवन में सदैव सफलताओं की अपेक्षा नहीं की जा सकती। यदि उपेक्षणीय अपवादों को छोड़ दें तो सृष्टि में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसे जीवन में कभी असफलता न मिली हो। सफलता-असफलता जीवन का अभिन्न अंग है और किसी एक या कुछ असफलताओं के कारण जीवन के सौंदर्य को तो नष्ट नहीं किया जा सकता। इसके लिए आवश्यक हैं कि हमें जीवन में आने वाली सफलताओं को देखने का अपना नजरिया बदलना होगा। इस संबंध में युग पुरुष स्वामी विवेकानंद ने कहा है- "असफलता की चिंता मत करो ये बिल्कुल स्वाभाविक है, असफलताएं जीवन का सौंदर्य हैं। उनके बिना जीवन का क्या होता, जीवन में यदि संघर्ष न हो तो जीवित रहना ही व्यर्थ हैं- इसी संघर्ष में जीवन का काव्य है।"
किसी भी काम में असफलता मिलने पर उसके लिए शोक बनाने से बेहतर है असफलता के कारणों की तलाश करना, कारणों का निवारण ढूंढकर भविष्य के लिए अपनी सफलता के मार्ग को प्रशस्त करना। यह सदैव स्मरण रखना चाहिए कि जीवन गतिमान है, और उसे किसी भी कारण से किसी के लिए भी रोका नहीं जा सकता। यदि कभी असफलता का सामना करना भी पड़े तो निराश ना हो, हरिवंश राय बच्चन जी की अग्रांकित पंक्तियों को अपने हृदय में धारण कर उसके मर्म को अपने व्यवहार में उतारकर जीवन के भावी लक्ष्यों को साधने के लिए आगे बढ़ो-
"असफलता एक चुनौती हैं, स्वीकार करो।
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो।।
जब तक न हो सफल, नींद चैन को त्यागो तुम।
संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम।।
कुछ किए बिना जय-जयकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।।"
उपरोक्त पंक्तियो वस्तुत: व्यक्ति के हौसलों को मजबूत बनाती है, उसके अंदर never say Die एटीट्यूड का निर्माण करती हैं, दूसरे शब्दों में कहें तो जीवन में सकारात्मकता का संचार करती हैं और सकारात्मकता जीवन में धनात्मक परिवर्तन लाने में महती भूमिका निभाती है। यह वह दृष्टिकोण है जो व्यक्तियों के अंदर इस भाव का संसार करता है कि उनके लिए इस दुनिया में कुछ भी पाना असंभव नहीं है। इस प्रकार सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्ति को अनंत शक्ति प्रदान करता है, विपरीत परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाने का कौशल विकसित करने में सहायक होता है इसके साथ ही सकारात्मक सोच तनाव प्रबंधन में मदद करती है उसके अंदर जीतने के हौसलों को और मजबूत प्रदान करती है। हमें यह याद रखना चाहिए कि मैदान में हारा हुआ इंसान तो फिर से जीत सकता है लेकिन मन से हारा हुआ इंसान कभी नहीं जीत सकता। इसलिए मन से कभी हार मत मानो, स्वयं को कभी हतोत्साहित मत होने दो।
अस्तु जीवन में आने वाली छोटी-छोटी विफलताओं से विचलित ना हो, नए संकल्प, नए हौसलों के साथ सफलता की ऊंचाइयों को चूमने का खुद को एक मौका अवश्य दें क्योंकि अपने भाग्य के निर्माता हम स्वयं हैं और इन पंक्तियों के साथ अपने हौसलों को सदैव बुलंद रखें-
धरा हिला, गगन गूंजा, नदी बहा, पवन चला।
विजय तेरी हो जय तेरी तू ज्योति-सी जला जला।।
रुके न तू , थके न तू , झुके न तू थमे न तू
सदा चले, थके न तू, रुके न तू , झुके न तू ।।
कर्मभूमि सेवा संस्थान गुड़ामालानी (बाड़मेर)
बाबूलाल चौधरी
9413489025