25/09/2025
लाइपोमा का आयुर्वेदिक इलाज (Lipoma Ayurvedic Treatment in Hindi)
लाइपोमा एक प्रकार की सौम्य गांठ (benign tumor) होती है जो वसा (fat cells) से बनती है। यह आमतौर पर मुलायम, बिना दर्द की गांठ के रूप में शरीर पर उभरती है। आयुर्वेद में इसे मेडोरोग (चर्बी से जुड़ी समस्या) माना गया है। इसका मुख्य कारण असंतुलित आहार-विहार, अधिक तैलीय भोजन, कम पाचन शक्ति व कफ दोष की वृद्धि है।
आयुर्वेदिक उपचार व उपाय:
1. आहार (Diet)
तैलीय, तला-भुना और जंक फूड से परहेज़ करें।
हल्का, सुपाच्य भोजन लें।
हरी सब्ज़ियाँ, गिलोय, नीम, करेला और लौकी का सेवन करें।
अदरक, लहसुन और हल्दी का नियमित सेवन फायदेमंद है।
2. घरेलू नुस्खे
हल्दी और शहद: हल्दी पाउडर को शहद में मिलाकर गांठ पर लगाने से लाभ होता है।
त्रिफला चूर्ण: रात को गुनगुने पानी के साथ लेने से शरीर की अतिरिक्त चर्बी व विषाक्त तत्व बाहर निकलते हैं।
लहसुन: लहसुन की कली सुबह खाली पेट खाने से शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम होती है।
3. आयुर्वेदिक औषधियाँ (वैद्य की सलाह से)
कांचनार गुग्गुल – गांठ व ट्यूमर जैसी समस्याओं में बहुत उपयोगी।
त्रिफला गुग्गुल – शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकालने में मददगार।
वरणादि क्वाथ – ग्रंथि (गांठ) को गलाने में सहायक।
4. तेल और लेप
कैसर तेल से हल्की मालिश करने से गांठ धीरे-धीरे नरम होती है।
गंधक रसायण और हरिद्रा (हल्दी) का लेप भी लाभकारी माना गया है।
5. योग व प्राणायाम
कपालभाति व अनुलोम-विलोम – शरीर की चर्बी को संतुलित करते हैं।
सूर्य नमस्कार – मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर वसा को कम करता है।
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👉 ध्यान दें:
लाइपोमा सामान्यतः हानिकारक नहीं होता, लेकिन यदि गांठ तेजी से बढ़े, दर्द करे या रंग बदल ले तो तुरंत डॉक्टर या वैद्य से परामर्श करें।