आशीर्वाद औषधालय

आशीर्वाद औषधालय Dr A N Mishra Medicinal Consultant

25/11/2024

Jai Mahakal, har har Mahadev 🙏

Jai shri hari vishnu
03/11/2024

Jai shri hari vishnu

हनुमान द्वादशनाम स्तोत्रहनुमानंजनासूनुः वायुपुत्रो महाबलः ।रामेष्टः फल्गुणसखः पिंगाक्षोऽमितविक्रमः ॥ उदधिक्रमणश्चैव सीता...
01/10/2024

हनुमान द्वादशनाम स्तोत्र

हनुमानंजनासूनुः वायुपुत्रो महाबलः ।
रामेष्टः फल्गुणसखः पिंगाक्षोऽमितविक्रमः ॥
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशकः ।
लक्ष्मण प्राणदाताच दशग्रीवस्य दर्पहा ॥

फलश्रुति-

द्वादशैतानि नामानि कपींद्रस्य महात्मनः ।
स्वापकाले पठेन्नित्यं यात्राकाले विशेषतः ।
तस्यमृत्यु भयंनास्ति सर्वत्र विजयी भवेत् ॥

29/09/2024

"खुशी"
बहुत दिन बाद पकड़ में आई...
थोड़ी सी खुशी...तो पूछ लिया,
"कहाँ रहती हो आजकल....ज्यादा मिलती नही?",
"यही तो हूँ" जवाब मिला।

"बहुत भाव खाती हो...कुछ सीखो अपनी बहन से.....हर दूसरे दिन आती है मिलने हमसे .....परेशानी"।
आती तो मैं भी हूं...लेकिन आप ध्यान नही देते"।

"अच्छा?.... कहाँ थी तुम जब पड़ोसी ने नई गाड़ी ली?"
"आपकी बेटी की टेस्ट रिपोर्ट पढ़ रही थी...
जिस बीमारी का डर था वो नही निकली...वहीं खड़ी चैन की सांस ले रही थी"।

कुछ शर्मसार तो हुए हम
लेकिन हार नही मानी
"और तब कहाँ थी जब रिश्तेदार ने बड़ा घर बनाया?"तब आपके बेटे की जेब में थी...उसकी पहली कमाई बन कर"।

"और तब कहाँ थी..."
अगली शिकायत होंठो पे थी जब उसने टोक दिया बीच मे।

"मैं रहती हूँ..…

कभी रास्ते मे मिल जाती हूं एक बिछड़े दोस्त के रूप में,
कभी एक अच्छी फिल्म देखते हुए,
कभी गुम कर मिली हुई बालियों में,
कभी घरवालों की तालियों में,
कभी मानसून की पहली बारिश में,
कभी रेडियो पे पुराने गाने में,
दरअसल...थोड़ा थोड़ा बांट देती हूँ, खुद को
छोटे छोटे पलों में....उनके अहसासों में
लगता है चश्मे का नंबर बढ़ गया है आपके
सिर्फ बड़ी चीज़ो में ही ढूंढते हो मुझे
वहाँ भी आती हूं मैं...लेकिन कभी कभी
खैर...अब तो पता मालूम हो गया ना मेरा
अब ढूंढ लेना मुझे
लेकिन हाँ...चश्मे का नंबर बदलवा के"..😊😊

29/09/2024
ॐ मृत्युंजय महादेव त्राहिमां शरणागतमजन्म मृत्यु जरा व्याधि पीड़ितं कर्म बंधनः 'कर-चरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वाश्रवणनयनजं ...
27/09/2024

ॐ मृत्युंजय महादेव त्राहिमां शरणागतम
जन्म मृत्यु जरा व्याधि पीड़ितं कर्म बंधनः
'कर-चरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम,
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व,
जय-जय करुणाब्धे, श्री महादेव शम्भो॥'

हर हर महादेव

भगवान विष्णु की कृपा हम सब पर बनी रहे।।
26/09/2024

भगवान विष्णु की कृपा हम सब पर बनी रहे।।

" वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ ।   निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ||"       🌺जय श्री गणेश🌺
25/09/2024

" वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ||"

🌺जय श्री गणेश🌺

22/09/2024

टके का भात

"सीमा, वो तुम्हारे भैया पूछ रहे थे कि तुम्हारी बिटिया की शादी में अब तो महीना भर भी बाकी नहीं रहा, तुम भात का न्योता देने कब आ थी हो? जरा बता देती तो हम भी सब तैयारी करके रखें।" फोन पर सीमा से उसकी भाभी ने पूछा।

"भाभी, आपको पता तो है मैं तो बहुत बचपन से ही इन बातों के खिलाफ रही हूँ, मैं कोई भात-वात न्योतने नहीं आऊँगी। जल्दी ही किसी दिन हम दोनों आपके यहाँ शादी का न्योता देने आएँगे। छोटी मोटी रस्मों के अलावा तीन बड़े प्रोग्राम हैं आप सब अपनी तैयारी करके रखें।"

"तू पागल तो नहीं हो गई है? अब तक तो तेरी इन बातों को हम तेरा बचपना समझते रहे, थोड़ा अक्ल से काम लिया कर। अब तू बच्ची नहीं रह गई है, कुछ दिनों में सास भी बन जाएगी और साल दो साल में नानी भी बन ही जाएगी।" फोन पर ही भाभी भड़क उठी।

"हा हा हा ... भाभी, आप भी ना।" जोर से हँस पड़ी सीमा।

"ये हँसने की बात नहीं है सीरियस होकर सोच, लोग बाग क्या कहेंगे, या हमारी इज़्ज़त का जरा भी ख्याल नहीं तुझे? दुनिया क्या कहेगी कि पाँच-पाँच भाइयों की बहन के भाई भात भरने लायक नहीं रहे क्या?" भाभी ने सवालों की झड़ी लगा दी।

"भाभी, सच बताना क्या पाँचो भाई भात देने की स्थिति में हैं?" बुझी सी आवाज में सीमा ने सवाल किया।

"देख सीमा, किसी की स्थिति हो या ना हो भात में बराबर का हिस्सा तो सभी भाइयों को देना ही होगा। आखिर पिताजी की जायदाद में सभी को बराबर मिला है।" भाभी ने अपना फैसला सुनाया।

"भाभी, माना कि सभी भाइयों को बराबर का हिस्सा मिला है लेकिन वो छोटा भाई, ना जाने जैसे-कैसे उसके घर का खर्च चल रहा है। वो घर की ईंटे फोड़-फोड़कर भात में देगा क्या ?" दुखी सी आवाज में सीमा ने भाभी से सवाल किया।

"अरे ! चलो हम तेरी बात मान भी लें लेकिन हमें परम्पराएँ भी तो निभानी होती हैं। आने वाली पीढ़ियाँ क्या समझेंगी की भात की रस्म क्या होती थी? हमें अपने संस्कार भी बचाये रखने हैं इसलिए सभी रीति-रस्में निभानी चाहिए।" भाभी ने अपनी बात पर जोर दिया।

"भाभी, मैं सोचती थी कि इन सड़े-गले रीति रिवाजों को मैं अपने बच्चों की शादी में खत्म करने की शुरुआत करूँगी लेकिन आपने मुझे सोचने के लिए विवश कर दिया।"

"चलो, मेरी बात का असर तो हुआ तुझ पर, अब बता कब आ रही है भात का न्योता देने? खूब, ठाठ से आना, अपने पूरे कुनबे और अपनी संगी-सहेलियों को भी लाना।" भाभी ने चहकते हुए कहा।

"नहीं , नहीं भाभी, मेरी बेटी की बारात आने से पहले एक बारात हम आपके घर नहीं लेकर आ रहे, बस हम दो तीन लोग आएंगे। वो भी इस शर्त पर जब आप सभी भाई-भाभियाँ मुझसे ये वादा करो कि आप लोग भात की थाली में सिर्फ एक-एक रुपया ही डालेंगे, तब तो मैं भात न्योतने आऊँ वरना नहीं।"

"फिर वही बात, तुमने तो पक्का ही हमारी नाक कटवाने की सोच रखी है।" भाभी की आवाज इस बार बहुत तल्ख थी।

"नहीं भाभी, ऐसा मत सोचो। बस ये सोचो कि ना आपके घर में कोई कमी है और ना ही मेरे घर में । बड़े उँचे परिवारो पर कोई उँगली नहीं उठाता बल्कि इस तरह हम समाज में एक नया संदेश देंगे और कर्ज लेकर बेटी की शादी, छुछक और भात की रस्म निभाने वाले लोगो को एक नई राह दिखाएंगे।"

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