22/09/2024
टके का भात
"सीमा, वो तुम्हारे भैया पूछ रहे थे कि तुम्हारी बिटिया की शादी में अब तो महीना भर भी बाकी नहीं रहा, तुम भात का न्योता देने कब आ थी हो? जरा बता देती तो हम भी सब तैयारी करके रखें।" फोन पर सीमा से उसकी भाभी ने पूछा।
"भाभी, आपको पता तो है मैं तो बहुत बचपन से ही इन बातों के खिलाफ रही हूँ, मैं कोई भात-वात न्योतने नहीं आऊँगी। जल्दी ही किसी दिन हम दोनों आपके यहाँ शादी का न्योता देने आएँगे। छोटी मोटी रस्मों के अलावा तीन बड़े प्रोग्राम हैं आप सब अपनी तैयारी करके रखें।"
"तू पागल तो नहीं हो गई है? अब तक तो तेरी इन बातों को हम तेरा बचपना समझते रहे, थोड़ा अक्ल से काम लिया कर। अब तू बच्ची नहीं रह गई है, कुछ दिनों में सास भी बन जाएगी और साल दो साल में नानी भी बन ही जाएगी।" फोन पर ही भाभी भड़क उठी।
"हा हा हा ... भाभी, आप भी ना।" जोर से हँस पड़ी सीमा।
"ये हँसने की बात नहीं है सीरियस होकर सोच, लोग बाग क्या कहेंगे, या हमारी इज़्ज़त का जरा भी ख्याल नहीं तुझे? दुनिया क्या कहेगी कि पाँच-पाँच भाइयों की बहन के भाई भात भरने लायक नहीं रहे क्या?" भाभी ने सवालों की झड़ी लगा दी।
"भाभी, सच बताना क्या पाँचो भाई भात देने की स्थिति में हैं?" बुझी सी आवाज में सीमा ने सवाल किया।
"देख सीमा, किसी की स्थिति हो या ना हो भात में बराबर का हिस्सा तो सभी भाइयों को देना ही होगा। आखिर पिताजी की जायदाद में सभी को बराबर मिला है।" भाभी ने अपना फैसला सुनाया।
"भाभी, माना कि सभी भाइयों को बराबर का हिस्सा मिला है लेकिन वो छोटा भाई, ना जाने जैसे-कैसे उसके घर का खर्च चल रहा है। वो घर की ईंटे फोड़-फोड़कर भात में देगा क्या ?" दुखी सी आवाज में सीमा ने भाभी से सवाल किया।
"अरे ! चलो हम तेरी बात मान भी लें लेकिन हमें परम्पराएँ भी तो निभानी होती हैं। आने वाली पीढ़ियाँ क्या समझेंगी की भात की रस्म क्या होती थी? हमें अपने संस्कार भी बचाये रखने हैं इसलिए सभी रीति-रस्में निभानी चाहिए।" भाभी ने अपनी बात पर जोर दिया।
"भाभी, मैं सोचती थी कि इन सड़े-गले रीति रिवाजों को मैं अपने बच्चों की शादी में खत्म करने की शुरुआत करूँगी लेकिन आपने मुझे सोचने के लिए विवश कर दिया।"
"चलो, मेरी बात का असर तो हुआ तुझ पर, अब बता कब आ रही है भात का न्योता देने? खूब, ठाठ से आना, अपने पूरे कुनबे और अपनी संगी-सहेलियों को भी लाना।" भाभी ने चहकते हुए कहा।
"नहीं , नहीं भाभी, मेरी बेटी की बारात आने से पहले एक बारात हम आपके घर नहीं लेकर आ रहे, बस हम दो तीन लोग आएंगे। वो भी इस शर्त पर जब आप सभी भाई-भाभियाँ मुझसे ये वादा करो कि आप लोग भात की थाली में सिर्फ एक-एक रुपया ही डालेंगे, तब तो मैं भात न्योतने आऊँ वरना नहीं।"
"फिर वही बात, तुमने तो पक्का ही हमारी नाक कटवाने की सोच रखी है।" भाभी की आवाज इस बार बहुत तल्ख थी।
"नहीं भाभी, ऐसा मत सोचो। बस ये सोचो कि ना आपके घर में कोई कमी है और ना ही मेरे घर में । बड़े उँचे परिवारो पर कोई उँगली नहीं उठाता बल्कि इस तरह हम समाज में एक नया संदेश देंगे और कर्ज लेकर बेटी की शादी, छुछक और भात की रस्म निभाने वाले लोगो को एक नई राह दिखाएंगे।"