Gulal ayurved

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क्या आप जानते हैं डाइलिसिस के दौरान, खून को लाल वाली ट्यूब से बाहर निकाला जाता है , फिर dialysis मशीन से वो खून गुजरता ह...
25/06/2025

क्या आप जानते हैं डाइलिसिस के दौरान, खून को लाल वाली ट्यूब से बाहर निकाला जाता है , फिर dialysis मशीन से वो खून गुजरता है, और फिर नीली ट्यूब से उसे वापस शरीर में डाला जाता है…

इस प्रक्रिया को पूरा होने में चार घंटे लगते हैं और #मरीज़ bed पे immobile रहता है.!

ये प्रोसीजर हफ़्ते में तीन बार होता है, इसका मतलब एक महीने में १२ बार, और हर बार ये चार घंटे लेता है, इसका मतलब अढ़तालीस घंटे…

जो लोग किडनी के किसी रोग से त्रस्त नहीं हैं, और जो स्वस्थ हैं उनके लिए उनकी किडनी ये काम बिना किसी #परेशानी के दिन में छत्तीस बार करती है.

अगर आप इसे पढ़ रहे हैं तो , शराब पीना छोड़िए, प्रोसेस्ड फ़ूड ख़ाना छोड़िए, जंकी फ़्राई ख़ाना छोड़िए, अनावश्यक #मीठा ख़ाना बंद कीजिए और सबसे ज़्यादा जरूरी hit the gym.

मुझे लगता है ये सारे विकल्प आपके लिए काफ़ी सस्ते और आसान होंगे.!

आपका स्वास्थ्य, आपके ही काम आयेगा। अपना ध्यान स्वयं रखिए।
❤️

95% शुगर रोग को रिमूव कर देगी विजयसार की लकड़ीखराब लाइफस्टाइल के चलते डायबिटीज की समस्या आम हो गई है। पहले तो डायबिटीज 5...
03/03/2025

95% शुगर रोग को रिमूव कर देगी विजयसार की लकड़ी

खराब लाइफस्टाइल के चलते डायबिटीज की समस्या आम हो गई है। पहले तो डायबिटीज 50 साल से ज्यादा उम्र के लागों को होती थी, लेकिन जेनेटिक होने के कारण अब कम उम्र के लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं। समय रहते इसे कंट्रोल कर लिया जाए, तो इसके बढ़ने की संभावना को कम किया जा सकता है। वैसे तो डायबिटीज को नियंत्रण में रखने के लिए लोग लौकी, गिलोय जैसे घरेलू नुस्खे अपनाते हैं, मधुमेह और घुटनो के दर्द का रामबाण इलाज है...विजयसार नाम से एक लकड़ी है ये हमारे भारत में मध्य प्रदेश से लेकर पूरे दक्षिण भारत मे पाया जाता है। इसकी लकड़ी के टुकड़े हर जड़ी बूटी बेचने वाले या पन्सारी की दुकान से आसानी से मिल जाते है। इसकी लकड़ी का रंग हल्का लाल रंग से गहरे लाल रंग का होता है। यह दवा नये मधुमेह रोगियों के लिये तो प्रभावी है ही, साथ में उन रोगियों जिन्हें मधुमेह रोधी दवा खाने से कोई लाभ नहीं होता, उनके लिये भी अचूक है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए कई कम्पनिया और कई क्षेत्रों में इसके ग्लास भी बनाकर बेचते हैं। पर वो बहुत मेहँगे पड़ते है और कुछ देर बाद उस ग्लास की उपयोगिता समाप्त हो जाती है।

मधुमेह, प्रमेह (धातु रोग), अस्थियों कि मजबूती के लिए तो यह जाना जाता ही है मेरे जानने वाले बहुत ही लोगों ने इसे 3 मास तक स्वयं प्रयोग किया है और इसके लाभ अनुभव किये है और किसी भी तरह का साइड-एफेक्ट नहीं पाया।

◾औषधीय गुण : -

1. मधुमेह को नियन्त्रित करने में सहायता करता है।
2. उच्च रक्त-चाप को नियन्त्रित करने में सहायता करता है।
3.‌ अम्ल-पित्त में भी लाभ देता है।
4. जोडों के दर्द में लाभ देता है। विजयसार : घुटनो के दर्द का रामबाण इलाज है.
5. हाथ-पैरों के कम्पन में भी बहुत लाभदायक है।
6. शरीर में बधी हुई चर्बी को कम करके, वजन और मोटापे को भी कम करने में सहायक है।
7. त्वचा के कई रोगों, जैसे खाज-खुजली, बार-2 फोडे-फिंसी होते हों, उनमें भी लाभ देता है।
8. प्रमेह (धातु रोग) में भी अचूक है।
9. इसके नियमित सेवन से जोड़ों की कड़- कड़ बंद होती है .अस्थियाँ मजबूत होती है।

विजयसार की लकड़ी के टुकड़े बाजार से ले आए, जिसमे घुन ना लगा हो। इसे सूखे कपड़े से साफ कर ले। अगर टुकड़े बड़े है तो उन्हे तोड़ कर छोटे- छोटे- 1/4 -1/2 सेंटीमीटर या और भी छोटे टुकड़े बना ले।फिर आप एक मिट्टी का बर्तन ले और इस लकड़ी के छोटे छोटे टुकड़े लगभग पच्चीस ग्राम रात को दो कप या एक गिलास पानी में डाल दे । सुबह तक पानी का रंग लाल गहरा हो जाएगा ये पानी आप खाली पेट छानकर पी ले और दुबारा आप उसी लकड़ी को उतने ही पानी में डाल दे शाम को इस पानी को उबाल कर छान ले। फिर इसे ठंडा होने पर पी ले।

इसकी मात्रा रोग के अनुसार घटा या बढ़ा भी सकते है अगर आप अग्रेजी दवा का प्रयोग कर रहे है तो एक दम न बंद करे बस धीरे -धीरे कम करते जाए अगर आप इंस्युलीन के इंजेक्शन प्रयोग करते है वह 1 सप्ताह बाद इंजेक्शन की मात्रा कम कर दे। हर सप्ताह मे इंस्युलीन की मात्रा 2-3 यूनिट कम कर दे। विजयसार की लकड़ी में पाये जाने वाले तत्व रक्त में इन्सुलिन के स्राव को बढ़ाने में सहायता करते हैं.

नोट : 1) यदि आप साथ में एलोपेथिक दवा भी ले रहे हैं, तो रक्त में शर्करा की मात्रा नियमित रूप से चेक करते रहें। यह केवल विजयसार पर ही लागू नहीं - आप कोई और भी आयुर्वेदिक दवा एलोपेथिक दवा के साथ में लेते हैं तो यह ध्यान रखना आवश्यक है।
मैने आगे भी कई बार बताया है की बढ़ी हुई शुगर या शर्करा की मात्रा हानि पहुंचने में कुछ सप्ताह या मास ले सकती है, जबकि अगर यह एकदम काम हो जाये, तो चंद मिनटों में ही घातक हो सकती है।
- मिट्टी का बर्तन तो ही लें, अगर मिट्टी अच्छी तरह से पकी हुई हो और उसे अच्छी तरह साफ करके ही प्रयोग करें। वर्ना आप शीशे या चीनी मिट्टी का बर्तन भी प्रयोग में ला सकते हैं।
- मधुमेह के रोगी को जेब मे कुछ टाफिया या मीठे बिस्कुट हमेशा रखने चाहिए। यदि चक्कर आए तो 1-2 टॉफी या बिस्कुट तत्काल खा ले।

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*भोजन करते समय अक्सर हम सबने तेजपत्ते को थाली से बाहर कर दिया होगा....**पर जब आप इसके औषधीय मूल्य को जानेंगे तो इसको थाल...
17/01/2025

*भोजन करते समय अक्सर हम सबने तेजपत्ते को थाली से बाहर कर दिया होगा....*
*पर जब आप इसके औषधीय मूल्य को जानेंगे तो इसको थाली से बाहर न करके बड़े चाव से इसका सेवन शुरू कर देंगे..!*

*तेजपत्ता को तेजपत्र, तेजपान, तमालका, तमालपत्र, तेजपात, इन्डियन केसिया आदि आदि नामों से जाना जाता है।*

*तेजपत्ता की खेती हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू- कश्मीर, सिक्कम और अरुणाचल प्रदेश में की जाती है।*

*ये हमेशा हरा रहने वाले तमाल वृक्ष के पत्ते हैं जो कई सालों तक लगातार उपज देता रहता है।*

*इस पेड़ को यदि एक बार लगाया गया तो यह 50 से 100 सालों तक उपज देकर सेवा करता रहता है।*

*रोपण करने के 6 साल बाद जब इसका पेड़ पूरी तरह से विकसित हो जाता है तो इसकी पत्तियों को इक्कठा कर लिया जाता है।*

*पत्तियों को इक्कठा करने के बाद इन्हें छाया में सुखाया जाता है।*

*तब ये पत्तियां उपयोग करने के लिए तैयार हो जाती है। फसल की कटाई करने का बाद, इसकी पत्तियों को छाया में सुखाया जाता है।*

*तेज पत्ते का तेल निकालने के लिए आसवन यंत्र का प्रयोग किया जाता है।*

*इसकी पत्तियों से हमे 0.6% खुशबूदार तेल की प्राप्ति होती है।*

*इसका तेल भी एक बहुआयामी बहुकीमती औषधि है।*

*औषधीय गुण* 🍾👌

*तेजपत्ता मधुमेह, अल्ज़ाइमर्स, बांझपन, गर्भस्त्राव, स्तनवर्धक, खांसी जुकाम, जोड़ो का दर्द, रक्तपित्त, रक्तस्त्राव, दाँतो की सफाई, सर्दी जैसे अनेक रोगो में अत्यंत उपयोगी है।*

*तेजपत्ता में दर्दनाशक, एंटी ऑक्सीडेंट गुण होते हैं। आयुर्वेद में अनेक गंभीर रोगो में इसके उपयोग किये जाते रहे हैं।*

*चाय-पत्ती की जगह तेजपात के चूर्ण की चाय पीने से सर्दी-जुकाम, छींकें आना, बुखार, नाक बहना, जलन, सिरदर्द आदि में शीघ्र लाभ मिलता है।*

*तेजपात के पत्तों का बारीक चूर्ण सुबह शाम दांतों पर मलने से दांतों पर चमक आ जाती है।*

*तेजपात के पत्रों को नियमित रूप से चूंसते रहने से हकलाहट में लाभ होता है।*

*एक चम्मच तेजपात चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से खांसी में आराम मिलता है।*

*तेजपात के पत्तों का क्वाथ (काढ़ा) बनाकर पीने से पेट का फूलना व अतिसार आदि में लाभ होता है।*

*कपड़ों के बीच में तेजपात के पत्ते रख दीजिये, ऊनी, सूती, रेशमी कपडे कीड़ों से बचे रहेंगे।*

*अनाजों के बीच में 4-5 पत्ते डाल दीजिए तो अनाज में भी कीड़े नहीं लगेंगे लेकिन उनमें एक दिव्य सुगंध जरूर बस जायेगी।*

*अनेक लोगों के मोजों से दुर्गन्ध आती है, वे लोग तेजपात का चूर्ण पैर के तलुवों में मल कर मोज़े पहना करें। पर इसका मतलब ये नहीं कि आप महीनों तक मोज़े धुलें ही न.!*

*तेजपात का अपने भोजन में लगातार प्रयोग कीजिए, आपका ह्रदय मजबूत बना रहेगा, कभी हृदय रोग नहीं होंगे।*

*इसके पत्ते को जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।*

*इसका धुँआ मिर्गी रोगी के लिए काफी लाभदायक होता है।*
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गृध्रसी= साइटिका का आयुर्वेद से सफल चमत्कारी इलाज...🧵◾लक्षण-: एक पैर मे पंजे से लेकर कमर तक दर्द होना गृध्रसी या रिंगण ब...
16/01/2025

गृध्रसी= साइटिका का आयुर्वेद से सफल चमत्कारी इलाज...🧵
◾लक्षण-: एक पैर मे पंजे से लेकर कमर तक दर्द होना गृध्रसी या रिंगण बाय कहलाता है। प्रायः पैर के पंजे से लेकर कूल्हे तक दर्द होता है जो लगातार होता रहता है। मुख्य लक्षण यह है कि दर्द केवल एक पैर मे होता है। दर्द इतना अधिक होता है कि रोगी सो भी नहीं पाता।

हारसिंगार = पारिजात के 10-15 कोमल पत्ते को कटे फटे न हों तोड़ लाएँ। पत्ते को धो कर मिक्सी मे या कैसे ही थोड़ा सा कूट ले या पीस ले। बहुत अधिक बारीक पीसने कि जरूरत नहीं है। लगभग 200-300 ग्राम पानी (2 कप) मे धीमी आंच पर उबालें। तेज आग पर मत पकाए... चाय की तरह पकाए। चाय कि तरह छान कर गरम गरम पानी (काढ़ा) पी ले।

पहली बार मे ही 10% फायदा होगा।
प्रतिदिन 2 बार पिए...यदि आप ऑफिस जाते हैं तो दोगुना पानी उबाले। थर्मस मे भरकर ले जाएँ। इस हरसिंगार के पत्तों के काढ़े से 15 मिनट पहले और बाद तक ठंडा पानी न पीए...दही लस्सी और आचार न खाएं।।

12/01/2025





क्या है HMPV? ये वायरस कैसे फैलता है? क्या हैं इसके लक्षण? किन लोगों को है ज़्यादा ख़तरा और क्या हैं बचाव के उपाय? जानिए...
06/01/2025

क्या है HMPV? ये वायरस कैसे फैलता है? क्या हैं इसके लक्षण? किन लोगों को है ज़्यादा ख़तरा और क्या हैं बचाव के उपाय? जानिए इन सवालों के जवाब।

 #आयुर्वेदिक  Gulal ayurved
04/01/2025

#आयुर्वेदिक


Gulal ayurved

 #आयुर्वेदिक गुलाल आयुर्वेद (begusarai)
04/01/2025

#आयुर्वेदिक
गुलाल आयुर्वेद (begusarai)

11/09/2024

15/03/2024

🌞 गुड़ और चना खाने से सेहत को मिलते हैं जबरदस्त फायदे
Health Tips ऊर्जावान रहने के लिए अक्सर बड़े-बुजुर्ग चना और गुड़ खाने की सलाह देते हैं। इसे खाने से शरीर में आयरन की कमी दूर होती है साथ ही आप कई बीमारियों से बच सकते हैं। आइए जानते हैं चना और गुड़ खाने के फायदे।
❣️ गुलाल आयुर्वेद ❣️
❣️Begusarai❣️

यह पौधा पेट की लटकती चर्बी, सड़े हुए दाँत, गठिया, आस्थमा, बवासीर, मोटापा, गंजापन, किडनी आदि 20 रोगों के लिए किसी वरदान स...
09/03/2024

यह पौधा पेट की लटकती चर्बी, सड़े हुए दाँत, गठिया, आस्थमा, बवासीर, मोटापा, गंजापन, किडनी आदि 20 रोगों के लिए किसी वरदान से कम नही…!!

आज हम आपको ऐसे पौधे के बारे में बताएँगे जिसका तना, पत्ती, बीज, फूल, और जड़ पौधे का हर हिस्सा औषधि है, इस पौधे को अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree), लटजीरा कहते है...!!

अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree) का पौधा भारत के सभी सूखे क्षेत्रों में उत्पन्न होता है यह गांवों में अधिक मिलता है खेतों के आसपास घास के साथ आमतौर पाया जाता है इसे बोलचाल की भाषा में आंधीझाड़ा या चिरचिटा (Chaff Tree) भी कहते हैं-अपामार्ग की ऊंचाई लगभग 60 से 120 सेमी होती है आमतौर पर लाल और सफेद दो प्रकार के अपामार्ग देखने को मिलते हैं-सफेद अपामार्ग के डंठल व पत्ते हरे रंग के, भूरे और सफेद रंग के दाग युक्त होते हैं इसके अलावा फल चपटे होते हैं जबकि लाल अपामार्ग (RedChaff Tree) का डंठल लाल रंग का और पत्तों पर लाल-लाल रंग के दाग होते हैं...!!

इस पर बीज नुकीले कांटे के समान लगते है इसके फल चपटे और कुछ गोल होते हैं दोनों प्रकार के अपामार्ग के गुणों में समानता होती है फिर भी सफेद अपामार्ग(White chaff tree) श्रेष्ठ माना जाता है इनके पत्ते गोलाई लिए हुए 1 से 5 इंच लंबे होते हैं चौड़ाई आधे इंच से ढाई इंच तक होती है- पुष्प मंजरी की लंबाई लगभग एक फुट होती है, जिस पर फूल लगते हैं, फल शीतकाल में लगते हैं और गर्मी में पककर सूख जाते हैं इनमें से चावल के दानों के समान बीज निकलते हैं इसका पौधा वर्षा ऋतु में पैदा होकर गर्मी में सूख जाता है...!!

अपामार्ग तीखा, कडुवा तथा प्रकृति में गर्म होता है। यह पाचनशक्तिवर्द्धक, दस्तावर (दस्त लाने वाला), रुचिकारक, दर्द-निवारक, विष, कृमि व पथरी नाशक, रक्तशोधक (खून को साफ करने वाला), बुखारनाशक, श्वास रोग नाशक, भूख को नियंत्रित करने वाला होता है तथा सुखपूर्वक प्रसव हेतु एवं गर्भधारण में उपयोगी है...!!

चिरचिटा या अपामार्ग (Chaff Tree) के 20 अद्भुत फ़ायदे :
1. गठिया रोग :

अपामार्ग (चिचड़ा) के पत्ते को पीसकर, गर्म करके गठिया में बांधने से दर्द व सूजन दूर होती है...!!

2. पित्त की पथरी :

पित्त की पथरी में चिरचिटा की जड़ आधा से 10 ग्राम कालीमिर्च के साथ या जड़ का काढ़ा कालीमिर्च के साथ 15 ग्राम से 50 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से पूरा लाभ होता है.

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Ganeshdatnagar Ward 20
Begusarai
851101

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