Panchgavy and Ayurved Anusandhan Kendra

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संसार में मॉ, माता, मैया जैसे शब्द ममता और करूणा से भरा है। यह तीन नाम ऐसा नाम है जिसके मुख पर आते ही व्यक्ति असीम सुख क...
26/04/2023

संसार में मॉ, माता, मैया जैसे शब्द ममता और करूणा से भरा है। यह तीन नाम ऐसा नाम है जिसके मुख पर आते ही व्यक्ति असीम सुख का अनुभव करता है। क्योंकि मॉ ही इस जगत में बेटे के हर कष्ट को सबसे अधिक समझती है और उसे दूर भी करती है। जन्म देने वाली मॉ, धरती का सुख का अनुभव कराने वाली धरती मॉ के अलोव गौ माता ऐसी मां है, जिसके स्पर्श मात्र से सारे दुखों का नाश होता है। कहा जाता है कि गौ माता में 36 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। यानि केवल गौ माता की पूजा अर्चन से 36 करोड़ देवी-देवताओं की एक साथ पूजा हो जाती है।
देवी-देवताओं को लगाए जाने वाले छप्पन भोग की तर्ज पर बिहार के बेगूसराय जिले के नागदह स्थित गौ मंदिर में गौ माता के लिए छप्पन भोग लगाया गया। बेगूसराय में यह पहला अवसर है जब किसी गौशाला में गौ माता के लिए छप्पन भोग लगाया गया। छप्पन भोग में गाय के खाने के लिए हरा चारा, भूसा चोकर, अनाज, फल, सब्जी, फूल, मेवा, मिष्ठान के कुल 56 प्रकार के खाने का व्यंजन तैयार किया था।
कार्यक्रम में जिसमें संस्था से जुड़ी कई महिलाओं ने मिलकर उक्त कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें 60 से अधिक गौ माता और उनके बछड़े अपने हाथों से छप्पन भोग लगाया। ज्ञात हो कि सबसे पहले गो मंदिर परिसर में एक साथ महिलाओं ने अपने हाथों में आरती की थाली लेकर गौ माता की सामूहिक आरती की। इसके बाद उनकी पूजा-अर्चना की गई। पूजा समाप्त होने के बाद वह मंदिर परिसर में सभी गौ माता को सामूहिक रूप से छप्पन भोग कराया गया ।

 #संसार में मॉ, माता, मैया जैसे शब्द ममता और करूणा से भरा है। यह तीन नाम ऐसा नाम है जिसके मुख पर आते ही व्यक्ति असीम सुख...
26/04/2023

#संसार में मॉ, माता, मैया जैसे शब्द ममता और करूणा से भरा है। यह तीन नाम ऐसा नाम है जिसके मुख पर आते ही व्यक्ति असीम सुख का अनुभव करता है। क्योंकि मॉ ही इस जगत में बेटे के हर कष्ट को सबसे अधिक समझती है और उसे दूर भी करती है। जन्म देने वाली मॉ, धरती का सुख का अनुभव कराने वाली धरती मॉ के अलोव गौ माता ऐसी मां है, जिसके स्पर्श मात्र से सारे दुखों का नाश होता है। कहा जाता है कि गौ माता में 36 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है। यानि केवल गौ माता की पूजा अर्चन से 36 करोड़ देवी-देवताओं की एक साथ पूजा हो जाती है।
#देवी-देवताओं को लगाए जाने वाले छप्पन भोग की तर्ज पर बिहार के बेगूसराय जिले के नागदह स्थित गौ मंदिर में गौ माता के लिए छप्पन भोग लगाया गया। #बेगूसराय में यह पहला अवसर है जब #नागदाह स्थित गौ मंदिर में गौ माता के लिए #छप्पन #भोग लगाया गया। #छप्पन भोग में गाय के खाने के लिए हरा चारा, भूसा चोकर, अनाज, फल, सब्जी, फूल, मेवा, मिष्ठान के कुल 56 प्रकार के खाने का व्यंजन तैयार किया था।
कार्यक्रम में जिसमें संस्था से जुड़ी कई महिलाओं ने मिलकर उक्त कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें 60 से अधिक गौ माता और उनके बछड़े अपने हाथों से छप्पन भोग लगाया। ज्ञात हो कि सबसे पहले गो मंदिर परिसर में एक साथ महिलाओं ने अपने हाथों में आरती की थाली लेकर गौ माता की सामूहिक आरती की। इसके बाद उनकी पूजा-अर्चना की गई। पूजा समाप्त होने के बाद वह मंदिर परिसर में सभी गौ माता को सामूहिक रूप से छप्पन भोग कराया गया ।

 #अमली,  #अम्बली या खमीर वाला दलिया,,,,, भारत पौराणिक समय से खानपान को लेकर काफी समृद्ध देश रहा है। यहां पर पैदा होने वा...
20/04/2023

#अमली, #अम्बली या खमीर वाला दलिया,,,,, भारत पौराणिक समय से खानपान को लेकर काफी समृद्ध देश रहा है। यहां पर पैदा होने वाले अनाज फल और सब्जियां ना सिर्फ सेहतमंद होती है बल्कि यह ऊर्जा का प्रमुख भंडार भी है। हरित क्रांति से पहले भारत में मोटे अनाज का ही प्रचलन था। मोटे अनाज में ज्वार, बाजरा, रागी, कुट्टु, चीना, सांवा, कोदो आदि शामिल हैं। भारत ही नहीं एशिया के लाखों छोटे किसान इन्हें आवश्यक मुख्य अनाज की फसलों के रूप में उगाते थे। मोटे अनाज को गरीबों का अनाज भी कहा जाता है। इसके कई कारण हैं जैसे कि इसका इस्तेमाल भोजन, चारा और जैव ईंधन बनाने के लिए होता है।
लेकिन हरित क्रांति के बाद देश जनसंख्या के हिसाब से खानपान की डिमांड बढ़ी और अधिक उपज वाले अनाज जैसे गेहूं और कई प्रकार के चावल की हाइब्रिड वैरायटी भारत में प्रमुखता से अपने पांव पसारे। इससे यह हुआ कि भारत के लाखों लोगों का पेट तो जरूर भर गया लेकिन पोषण अधूरा रह गया। सुंदर और अधिक उपज देने वाले अनाज के प्रति किसान आकर्षित होते चले गए नतीजा यह हुआ कि भारत ब्लड प्रेश, डायबिटीज, टीवी और अब कैंसर जैसी बीमारियों का देश बनते चला गया। अधिक उपज के लिए हाइब्रिड बीज और अत्यधिक कीटनाशक और उर्वरक के इस्तेमाल से अब मनुष्य के अलावा हमारी धरती भी बंजर और प्रदूषित हो गई है।

लेकिन भारत एक बार फिर से अपनी पुरानी सभ्यता की ओर लौटने को अग्रसर है। यही कारण है कि वर्ष 2023 को मिलेट वर्ष के रूप में पूरे विश्व में मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी समेत देश के कई राज्यों में मिलेट यानी मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

#दरअसल मिलेट यानी मोटे अनाज कई मायने में हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है यह ना सिर्फ मिनरल विटामिंस और फाइबर से समृद्धा अनाज होता है। बल्कि यह खाने में भी काफी किफायती साबित होता है।

#मोटे अनाज की रेसिपी में आज हम अमली के बारे में चर्चा करेंगे। अमली, अम्बली या खमीर वाला दलिया अलग-अलग जगहों में यह अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसकी खासियत यह है कि इसके बनाने से पूर्व इसमें #प्रीबायोटिक #बैक्टीरिया जो हमारे पाचन तंत्र को मजबूत करता है की वृद्धि होती है। मिट्टी के बर्तन में बनाने के कारण इसमें ऑक्सीकरण की प्रक्रिया होती है जिससे इसमें कई लाभदायक बैक्टीरिया पैदा होते हैं।

दरअसल अमली बनाने के लिए हमें कोई भी एक मोटे अनाज को धोकर साफ करना होता है। फिर उसमें अनाज के तुलना में 10 गुना पानी में रात भर भिगोना होता है सुबह उसी पानी में उसे पकाना होता है फिर उसे 6 से 8 घंटे के लिए उसी तरह छोड़ दिया जाता है इस दौरान उसमें ऑक्सीकरण की प्रक्रिया के कारण उसमें प्रोबायोटिक बैक्टीरिया उत्पन्न होते हैं। बाद में से छाछ के साथ सेवन किया जाता है। अमली पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण या शक्तिवर्धक होता है वही कुछ लाभदायक बैक्टीरिया के कारण यह पचने में भी बहुत ही आसान होता है। 3 महीने तक सेवन करने से पाचन से संबंधित लगभग सभी प्रकार की समस्या का समाधान इससे संभव है।

15/12/2022
15/12/2022

आज के आधुनिक युग में जब सबकुछ प्रदूषित हो चुका है। हमारा खान-पान से लेकर आहार-विहार और जीवन शैली सब कुछ आधुनिक हो चुका है। ऐसी स्थिति में शुद्ध वस्तु मिलना किसी भी अनमोल खजाने से कम नहीं है। ऐसी ही विषम परिस्थितियों के बीच हमने एक अमृत रूपी शहद को उसके मूल रूप में प्राप्त करने की कोशिश की है।

बंगाल के दुर्गापुर से करीब 100 किलोमीटर आगे सुदूर जंगल जहां इंसानी बस्ती बहुत ही नग्नय मिलती है। थोड़ी बहुत आबादी है जिनका जीवन यापन आज भी परंपरागत है। सुबह उठकर गाय को लेकर जंगलों में चराना दूर से पानी लाना और सुबह शाम के भोजन के लिए जंगलों से लकड़ी काटना वहां के लोगों का मुख्य पेशा है।

ऐसे जंगलों में भले ही इंसान जीने के लिए काफी जद्दोजहद करती है । लेकिन यह जंगल मधुमक्खियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। यहां छोटे बड़े सभी पेड़ो पर मधुमक्खियां अपना डेरा बनाए हुए हैं और जंगलों से भरपूर फूलों का रस इकट्ठा कर हम लोगों के लिए जीवनदायिनी शहद तैयार करती है।
आश्चर्य की बात यह है कि मधुमक्खियों का बेड़ा यहां इतनी संख्या में है कि एक पीपल के पेड़ पर करीब 200 छाते है। गो मंदिर इन्हीं जंगलों में उतर कर वहां से आपके लिए शुद्ध शहद इकट्ठा कर बेगूसराय तक लाई है। वाइल्ड हनी के नाम पर इन दिनों हम ऑनलाइन मार्केट में काफी अधिक कीमत अदा कर रहे हैं लेकिन गौ मंदिर में आपको 100% शुद्ध वही वाइल्ड हनी मिलेगा जो आप ऑनलाइन मार्केट में अधिक दाम देकर खरीदते हैं।

हमारे यहां के शहद की शुद्धता की पहचान यह है कि आप जितने दिन तक रख सको यह कभी जमेगा नहीं।

विशेषता।
हमारे पास दो प्रकार के शहद मौजूद हैं पहला प्रोसेस शहद दूसरा अनप्रोसैस्ड यानी पूर्णता जंगली शहद

04/10/2022

हमारे अस्पताल में क्या कुछ और कैसे इलाज करते हैं हम उसकी एक विस्तृत झलक देखने मिलेगी आपको, बिहार के मीडिया हाउस जनता जंक्शन की इस खास कवरऐज में!

#जनताजंक्शनबिहार

शुभ नवमी 🙏दुर्गा माँ से यही कामना है की आपका स्वास्थ्य सदैव अच्छा रहे, और किसी भी कष्ट में यदि आप हैं तो उससे लड़ने की मा...
04/10/2022

शुभ नवमी 🙏

दुर्गा माँ से यही कामना है की आपका स्वास्थ्य सदैव अच्छा रहे, और किसी भी कष्ट में यदि आप हैं तो उससे लड़ने की माँ आपको शक्ति और हिम्मत दें, दिशा देने के लिए अग्रसेन नैचुरोपथी हमेशा आपके साथ है!

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