Ayurvedic Physician Dr sms Ahmed

Ayurvedic Physician Dr sms Ahmed DR SYED SHAHABUDDIN AHMAD
(MD) AYURVEDIC MEDICINE
general physician and HIJAMA THERAPIST 'Panchkerma THERAPIST . contacts for online proscription

बच्चेदानी में कैंसर होने पर नजर आते हैं ये 6 शुरुआती लक्षण, 90 फीसदी महिलाएं साधारण समझकर करती हैं इग्नोरUterine Cancer ...
09/06/2024

बच्चेदानी में कैंसर होने पर नजर आते हैं ये 6 शुरुआती लक्षण,

90 फीसदी महिलाएं साधारण समझकर करती हैं इग्नोर

Uterine Cancer Symptoms: बच्चेदानी में कैंसर होने पर शरीर में कुछ लक्षण नजर आते हैं। आइए, जानते हैं इसके बारे में विस्तार से –

गर्भाशय या बच्चेदानी महिलाओं की प्रजनन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह वो स्थान है, जहां गर्भधारण के बाद भ्रूण का विकास होता है। ऐसे में, हर महिला के लिए बच्चेदानी का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। लेकिन गलत खानपान, खराब लाइफस्टाइल और तनाव के कारण आजकल महिलाओं में गर्भाशय से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। बच्चेदानी में गांठ, सिस्ट, इन्फेक्शन जैसी समस्याएं होने पर गर्भधारण करने में परेशानी हो सकती है। आजकल महिलाओं में बच्चेदानी के कैंसर के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में महिलाओं की सबसे ज्यादा मौत यूटरस कैंसर के कारण होती है।

बच्चेदानी के कैंसर को एंडोमेट्रियल कैंसर (Endometrial Cancer) व यूटेराइन कैंसर (Uterine Cancer) के नाम से भी जाना जाता है। यह तब होता है जब एंडोमेट्रियम (गर्भाशय की अंदरूनी परत) की कोशिकाएं असामान्य रूप से विभाजित और बढ़ने लगती हैं। ये कोशिकाएं ट्यूमर का रूप ले लेती हैं, जो आगे चलकर कैंसर का रूप ले लेता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो बच्चेदानी में कैंसर होने पर शरीर में इसके कई शुरुआती लक्षण देखने को मिलते हैं, जिन्हें समय रहते पहचान लेने पर इलाज संभव हो सकता है। आज इस लेख में हम आपको बच्चेदानी में कैंसर के लक्षणों (Uterine Cancer Symptoms In Hindi) के बारे में बताने जा रहे हैं।

पेट के निचले हिस्से में दर्द

पेट के निचले हिस्से में दर्द और ऐंठन होना बच्चेदानी में कैंसर का संकेत हो सकता है। इसके अलावा, महिलाओं को श्रोणि में ऐंठन का अनुभव भी हो सकता। अगर आपको बार-बार इस तरह की परेशानी महसूस हो रही है, तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाकर एक्सअपना चेकअप करवाना चाहिए।

ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होना

अगर आपको पीरियड्स के अलावा अन्य दिनों में ब्लीडिंग होती है या महीने में कई बार ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होती है, तो इन लक्षणों को भूलकर भी नजरअंदाज न करें। ये बच्चेदानी में कैंसर का लक्षण हो सकता है। अगर आपको लंबे समय से इस तरह के लक्षण दिख रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर जांच करवाएं।

ज्यादा दिनों तक पीरियड रहना

अगर आपके पीरियड्स सामान्य से अधिक दिनों तक चलते हैं, तो यह बच्चेदानी में कैंसर होने का संकेत हो सकता है। इसके अलावा, आपको पीरियड्स के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव की परेशानी भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में आपको तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।

बार-बार पेशाब आना
बच्चेदानी में कैंसर होने पर आपको बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है। कुछ महिलाओं को पेशाब के दौरान दर्द और जलन जैसी समस्याओं का अनुभव भी हो सकता है। अगर आपको इस तरह के लक्षण दिख रहे हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलकर जांच करवानी चाहिए।

मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग या डिस्चार्ज होना
मेनोपॉज के बाद महिलाओं में व्हाइट डिस्चार्ज या वेजाइनल ब्लीडिंग की समस्या होना भी बच्चेदानी के कैंसर का लक्षण हो सकता है। अगर आपको मेनोपॉज के बाद इस तरह के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर अपना चेकअप करवाएं ताकि आपका समय पर इलाज किया जा सके।

शारीरिक संबंध बनाते समय दर्द होना

बच्चेदानी में कैंसर होने पर महिला को शारीरिक संबंध बनाते समय बहुत ज्यादा दर्द जैसी परेशानी का अनुभव हो सकता है। अगर आपको अपने पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाने के दौरान दर्द या असहजता महसूस हो, तो ऐसे में आपको अपने आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए।

घरेलू उपाय

अदरक

अदरक का नियमित मात्रा में सेवन करने से कई बीमारियों के इलाज में बेहद कारगर है। यह पेट के कैंसर के इलाज में काफी कारगर माना जाता है। इसके गुणों के कारण यह गर्भाशय और कई अन्य प्रकार के कैंसर की रोकथाम में भी कारगर माना जाता है।

हल्दी
पहले से ही कई भारतीय व्यंजनों में एक मुख्य मसाला, कच्चे रूप में एक जड़ी बूटी के रूप में हल्दी और पाउडर के रूप में एक मसाले के रूप में, दुनिया भर में नई चमत्कार जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है। भारत में सदियों से इसका उपयोग पारंपरिक औषधि के रूप में किया जाता रहा है। यह एक बहुत ही प्रभावी एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट माना जाता है। इस प्रकार यह कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में बहुत प्रभावी है।

कैमेलिया साइनेंसिस प्लांट से ग्रीन टी
ग्रीन टी को कई प्रकार के कैंसर के इलाज में, वजन घटाने में सहायता करने और विषहरण की सुविधा के लिए प्रभावी माना जाता है। कैमेलिया साइनेंसिस संयंत्र से हरी चाय की नियमित खपत शरीर के भीतर कैंसर कोशिकाओं के विकास से लड़ने के लिए जानी जाती है। इस प्रकार यह गर्भाशय के कैंसर के उपचार में भी बहुत प्रभावी है।

अश्वगंधा
इस जड़ी बूटी का उपयोग न केवल आयुर्वेद में किया जाता है, बल्कि होम्योपैथी द्वारा अर्क के लिए एक पारंपरिक दवा के रूप में भी अपनाया गया है। अश्वगंधा एक एडाप्टोजेन है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर की जरूरतों के अनुकूल हो सकता है। फिर आवश्यक क्षेत्रों को सहायता प्रदान करने के लिए परिवर्तन कर सकते हैं। यह कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में भी बहुत अच्छा है।

लहसुन
यह मसाला कई प्रकार के कैंसर के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें एलिसिन होता है। यह सूजन संबंधी बीमारियों के सबसे अच्छे उपचारकों में से एक माना जाता है। इसमें अन्य प्रकार के फाइटोकेमिकल्स भी होते हैं और इस प्रकार शरीर को विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है। यह कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में बहुत प्रभावी है और शरीर के भीतर कैंसर के विकास को रोक सकता है।

डॉक्टर शैयद शहाबुद्दीन अहमद
एम डी (आर्युवेदिक मेडिसीन)
आयुर्वेद एक्सपर्ट एवं सागर आर्युवेदिक हॉस्पिटल के संस्थापक
भागलपुर,बिहार
मोबाइल नंबर 8294779982
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Diabetes Reversal Expert

सरसाें क्‍यों हो रही बदनाम! अमेरिका-यूरोप में सरसों तेल पर बैन, किसान बेचैनअमेरिका-यूरोप में सरसों तेल पर बैन लगा है तो ...
19/03/2024

सरसाें क्‍यों हो रही बदनाम! अमेरिका-यूरोप में सरसों तेल पर बैन, किसान बेचैन
अमेरिका-यूरोप में सरसों तेल पर बैन लगा है तो वहीं देश की खाद्य तेल इंपोर्ट पॉलिसी ने भारतीय सरसों किसानों को बैचेन किया है. आइए इस कड़ी में जानते हैं तेल के खेल की ये पूरी कहानी, जिसमें सरसों के हिस्‍से बदनामी आई है और भारतीय सरसों किसानों के हिस्‍से परेशानी आई हैं.

किस वजह से अमेरिका-यूरोप में सरसों तेल पर बैन
अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में सरसों तेल के खाद्य प्रयोग पर बीते सालों में बैन लगाया है. असल में 1950 के दशक में किए गए एक शोध में सरसों के तेल में इरुसिक एसिड और ग्‍लूकोसाइनोलेट्स पाया गया था, जो इसके स्‍वाद में तेजी का प्रमुख गुण है. बीते कुछ सालों में हुए चूहों पर किए एक शोध में ये पाया गया है कि ये दोनों की तत्‍वों की अधिकता की वजह से चूहों में दिल की बीमारियां हो सकती हैं. हालांकि मुनष्‍य पर इसका क्‍या प्रभाव होगा, इस पर अभी स्‍पष्‍टता नहीं है, लेकिन अमेरिका के शीर्ष खाद्य संंस्‍थान FDA ने सरसों के तेल पर बैन लगा दिया है, जिसके तहत सरसों के तेल का त्‍वचा पर बाहरी प्रयोग तो किया जा सकता है, लेकिन सरसों तेल का प्रयोग खाद्य तेल के तौर पर प्रतिबंधित किया गया है. इसी तरह कनाड़ा समेत यूरोप के कई देशों में सरसों के तेल पर बैन लगाया गया है. हालांकि अभी कम इरुसिक एसिड वाले सरसों के बीज को मंंजूरी दिलाने के प्रयास जारी हैं.

सरसों के साथ साजिश की तरफ इशारा कर रही ये बातें
FDA की तरफ से सरसों के तेल पर बैन का फैसला कई तरह के सवाल खड़ा करती हैं, जिसमें कुछ बातें सरसों के साथ किसी साजिश का कर रही है. असल में अमेरिका समेत यूरोप के देशों में सरसों के तेल का प्रयोग कुकिंंग में नहीं किया जाता है,जबकि अमेरिका समेत यूरोपियन यूनियन के देशों की मुख्‍य फसल सरसों है और ना ही ये देश किसी देश से सरसों का इंपोर्ट करते हैं. मतलब, साफ है कि अमेरिका और यूरोप के देशों और निवासियों का सरसों के तेल से कोई संबंध नहीं है. ऐसे में सरसों के तेल पर बैन लगाने के फैसले की मंशा को शक की नजर से देखना लाजिमी बनता है.

तेल का खेल... ये शब्‍द बीते दशकों में बेहद ही लोकप्रिय हुआ था, जिसका सीधे-शाब्‍दिक मायने खाड़ी देशों की पेट्रो पॉलिटिक्‍स और डिप्‍लोमेसी थी, लेकिन बीते कुछ सालों में तेल का खेल अपनी परिभाषा बदलने में सफल रहा है. बीते दशक में तेल के खेल के सीधे-शाब्‍दिक मायने पॉम-सोयाबीन, कैनोला ऑयल पॉलिटिक्‍स और डिप्‍लोमेसी में बदलते ह अमेरिका-यूरोप में सरसों तेल पर बैन लगा है तो वहीं देश की खाद्य तेल इंपोर्ट पॉलिसी ने भारतीय सरसों किसानों को बैचेन किया है. आइए इस कड़ी में जानते हैं तेल के खेल की ये पूरी कहानी, जिसमें सरसों के हिस्‍से बदनामी आई है और भारतीय सरसों किसानों के हिस्‍से परेशानी आई हैं.

सरसों के साथ साजिश की तरफ इशारा कर रही ये बातें
FDA की तरफ से सरसों के तेल पर बैन का फैसला कई तरह के सवाल खड़ा करती हैं, जिसमें कुछ बातें सरसों के साथ किसी साजिश का कर रही है. असल में अमेरिका समेत यूरोप के देशों में सरसों के तेल का प्रयोग कुकिंंग में नहीं किया जाता है,जबकि अमेरिका समेत यूरोपियन यूनियन के देशों की मुख्‍य फसल सरसों है और ना ही ये देश किसी देश से सरसों का इंपोर्ट करते हैं. मतलब, साफ है कि अमेरिका और यूरोप के देशों और निवासियों का सरसों के तेल से कोई संबंध नहीं है. ऐसे में सरसों के तेल पर बैन लगाने के फैसले की मंशा को शक की नजर से देखना लाजिमी बनता है.

बीते दशकों में सरसों के प्रयोग से ड्राप्‍सी बीमारी होने का झूठ फैलाया गया. जिसके बाद सरसों तेल भारत में ही बदनाम हो गया. उसकी बिक्री पर विपरीत (ऑपरेशन ग्‍लोडन फ्लो की कहानी )असर पड़ा. इस वजह से कई सरसों मिलें बंद हुई, किसानों के कम दाम मिले और सरसों का रकबा कम हुआ.
अमेरिका में सोयाबीन की खेती होती है और दुनियाभर में सोयाबीन के तेल की खपत बढ़ाने की नीतियां अमेरिका की रही हैं. अमेरिकी की नीतियां उनके उत्‍पादन के खपत के आधार पर बनती है.

सरसों तेल का प्रयोग भारत में प्राचीन समय से हो रहा है. उत्‍तर भारत से लेकर पूर्वोत्‍तर तक सरसों तेल का प्रयोग बड़ी मात्रा में करते हैं. पूर्व में हुई कई रिसर्च ये स्‍पष्‍ट कर चुकी हैं कि सरसों में कैंसर से लड़ने वाले गुण मौजूद हैं. वहीं मौजूदा वक्‍त में भारत अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए खाद्य तेल इंपोर्ट करता है. ऐसे में अगर अमेरिका और यूरोप की तरफ से सरसाें के तेल पर जो बैन लगाया गया है, उसका भारत के किसानों पर कुछ असर नहीं पड़ेगा, क्‍योंकि भारत से सरसों एक्‍सपोर्ट नहीं होता है, लेकिन जिस तरीके से अमेरिका और यूरोप में प्रयोग ना होने के बाद भी सरसों तेल के प्रयाेग पर बैन लगाया है. ऐसे में जरूरी है कि भारतीय कृषि वैज्ञानिक आगे आएं और सरसों के खिलाफ जो इंटरनेशल माहौल बनता हुआ दिख रहा है उसका खंडन करें.

भारत के लिए चिंता क्‍या है
भारत के कई राज्‍यों में पारंपरिक तौर पर सरसों तेल का प्रयोग खाना बनाने के लिए होता है, जिसे शुद्ध तेल के तौर पर रेखांकित किया जाता है. कोरोना काल के बाद सरसों के तेल ने एक बार विश्‍वसनीयता पाई है, लेकिन ग्‍लोबल होती दुनिया में जिस तरीके से भारतीय आम जन के बीच अमेरिकी स्‍टैंडर्ड की स्‍वीकार्यता बढ़ी है. अमेरिका की मुख्‍य तिलहनी फसल सोयाबीन ने अपनी पैठ बनाई है, उससे इस बात को नाकारा नहीं जा सकता है कि अमेरिका और यूरोप के देशों में लगाया गया सरसों तेल पर बैन आने वाले दिनों में आम भारतीय के मन में कई तरह के शक और सवालों को जन्‍म देगा. ऐसे में जरूरी है कि इस पर स्‍पष्‍टता के लिए कोशिशें की जाएं.

डॉक्टर शैयद शहाबुद्दीन अहमद
एम डी (आर्युवेदिक मेडिसीन)
आयुर्वेद एक्सपर्ट एवं सागर आर्युवेदिक हॉस्पिटल के संस्थापक
भागलपुर,बिहार
मोबाइल नंबर 8294779982
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