
09/06/2024
बच्चेदानी में कैंसर होने पर नजर आते हैं ये 6 शुरुआती लक्षण,
90 फीसदी महिलाएं साधारण समझकर करती हैं इग्नोर
Uterine Cancer Symptoms: बच्चेदानी में कैंसर होने पर शरीर में कुछ लक्षण नजर आते हैं। आइए, जानते हैं इसके बारे में विस्तार से –
गर्भाशय या बच्चेदानी महिलाओं की प्रजनन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह वो स्थान है, जहां गर्भधारण के बाद भ्रूण का विकास होता है। ऐसे में, हर महिला के लिए बच्चेदानी का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। लेकिन गलत खानपान, खराब लाइफस्टाइल और तनाव के कारण आजकल महिलाओं में गर्भाशय से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। बच्चेदानी में गांठ, सिस्ट, इन्फेक्शन जैसी समस्याएं होने पर गर्भधारण करने में परेशानी हो सकती है। आजकल महिलाओं में बच्चेदानी के कैंसर के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में महिलाओं की सबसे ज्यादा मौत यूटरस कैंसर के कारण होती है।
बच्चेदानी के कैंसर को एंडोमेट्रियल कैंसर (Endometrial Cancer) व यूटेराइन कैंसर (Uterine Cancer) के नाम से भी जाना जाता है। यह तब होता है जब एंडोमेट्रियम (गर्भाशय की अंदरूनी परत) की कोशिकाएं असामान्य रूप से विभाजित और बढ़ने लगती हैं। ये कोशिकाएं ट्यूमर का रूप ले लेती हैं, जो आगे चलकर कैंसर का रूप ले लेता है। एक्सपर्ट्स की मानें तो बच्चेदानी में कैंसर होने पर शरीर में इसके कई शुरुआती लक्षण देखने को मिलते हैं, जिन्हें समय रहते पहचान लेने पर इलाज संभव हो सकता है। आज इस लेख में हम आपको बच्चेदानी में कैंसर के लक्षणों (Uterine Cancer Symptoms In Hindi) के बारे में बताने जा रहे हैं।
पेट के निचले हिस्से में दर्द
पेट के निचले हिस्से में दर्द और ऐंठन होना बच्चेदानी में कैंसर का संकेत हो सकता है। इसके अलावा, महिलाओं को श्रोणि में ऐंठन का अनुभव भी हो सकता। अगर आपको बार-बार इस तरह की परेशानी महसूस हो रही है, तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाकर एक्सअपना चेकअप करवाना चाहिए।
ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होना
अगर आपको पीरियड्स के अलावा अन्य दिनों में ब्लीडिंग होती है या महीने में कई बार ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होती है, तो इन लक्षणों को भूलकर भी नजरअंदाज न करें। ये बच्चेदानी में कैंसर का लक्षण हो सकता है। अगर आपको लंबे समय से इस तरह के लक्षण दिख रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से मिलकर जांच करवाएं।
ज्यादा दिनों तक पीरियड रहना
अगर आपके पीरियड्स सामान्य से अधिक दिनों तक चलते हैं, तो यह बच्चेदानी में कैंसर होने का संकेत हो सकता है। इसके अलावा, आपको पीरियड्स के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव की परेशानी भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में आपको तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
बार-बार पेशाब आना
बच्चेदानी में कैंसर होने पर आपको बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है। कुछ महिलाओं को पेशाब के दौरान दर्द और जलन जैसी समस्याओं का अनुभव भी हो सकता है। अगर आपको इस तरह के लक्षण दिख रहे हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलकर जांच करवानी चाहिए।
मेनोपॉज के बाद ब्लीडिंग या डिस्चार्ज होना
मेनोपॉज के बाद महिलाओं में व्हाइट डिस्चार्ज या वेजाइनल ब्लीडिंग की समस्या होना भी बच्चेदानी के कैंसर का लक्षण हो सकता है। अगर आपको मेनोपॉज के बाद इस तरह के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर अपना चेकअप करवाएं ताकि आपका समय पर इलाज किया जा सके।
शारीरिक संबंध बनाते समय दर्द होना
बच्चेदानी में कैंसर होने पर महिला को शारीरिक संबंध बनाते समय बहुत ज्यादा दर्द जैसी परेशानी का अनुभव हो सकता है। अगर आपको अपने पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाने के दौरान दर्द या असहजता महसूस हो, तो ऐसे में आपको अपने आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए।
घरेलू उपाय
अदरक
अदरक का नियमित मात्रा में सेवन करने से कई बीमारियों के इलाज में बेहद कारगर है। यह पेट के कैंसर के इलाज में काफी कारगर माना जाता है। इसके गुणों के कारण यह गर्भाशय और कई अन्य प्रकार के कैंसर की रोकथाम में भी कारगर माना जाता है।
हल्दी
पहले से ही कई भारतीय व्यंजनों में एक मुख्य मसाला, कच्चे रूप में एक जड़ी बूटी के रूप में हल्दी और पाउडर के रूप में एक मसाले के रूप में, दुनिया भर में नई चमत्कार जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है। भारत में सदियों से इसका उपयोग पारंपरिक औषधि के रूप में किया जाता रहा है। यह एक बहुत ही प्रभावी एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट माना जाता है। इस प्रकार यह कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में बहुत प्रभावी है।
कैमेलिया साइनेंसिस प्लांट से ग्रीन टी
ग्रीन टी को कई प्रकार के कैंसर के इलाज में, वजन घटाने में सहायता करने और विषहरण की सुविधा के लिए प्रभावी माना जाता है। कैमेलिया साइनेंसिस संयंत्र से हरी चाय की नियमित खपत शरीर के भीतर कैंसर कोशिकाओं के विकास से लड़ने के लिए जानी जाती है। इस प्रकार यह गर्भाशय के कैंसर के उपचार में भी बहुत प्रभावी है।
अश्वगंधा
इस जड़ी बूटी का उपयोग न केवल आयुर्वेद में किया जाता है, बल्कि होम्योपैथी द्वारा अर्क के लिए एक पारंपरिक दवा के रूप में भी अपनाया गया है। अश्वगंधा एक एडाप्टोजेन है, जिसका अर्थ है कि यह शरीर की जरूरतों के अनुकूल हो सकता है। फिर आवश्यक क्षेत्रों को सहायता प्रदान करने के लिए परिवर्तन कर सकते हैं। यह कैंसर कोशिकाओं के विकास को रोकने में भी बहुत अच्छा है।
लहसुन
यह मसाला कई प्रकार के कैंसर के लिए अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें एलिसिन होता है। यह सूजन संबंधी बीमारियों के सबसे अच्छे उपचारकों में से एक माना जाता है। इसमें अन्य प्रकार के फाइटोकेमिकल्स भी होते हैं और इस प्रकार शरीर को विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है। यह कैंसर कोशिकाओं से लड़ने में बहुत प्रभावी है और शरीर के भीतर कैंसर के विकास को रोक सकता है।
डॉक्टर शैयद शहाबुद्दीन अहमद
एम डी (आर्युवेदिक मेडिसीन)
आयुर्वेद एक्सपर्ट एवं सागर आर्युवेदिक हॉस्पिटल के संस्थापक
भागलपुर,बिहार
मोबाइल नंबर 8294779982
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