O-sh-O Nirvana

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फिर अमृत की बूंद पड़ी (ओशो ध्यान साधना शिविर, ग्वालियर )25 सितंबर शाम 6 बजे से28 सितंबर दोपहर 2 बजे तक स्थान - ओशोग्लिमि...
19/09/2025

फिर अमृत की बूंद पड़ी
(ओशो ध्यान साधना शिविर, ग्वालियर )

25 सितंबर शाम 6 बजे से
28 सितंबर दोपहर 2 बजे तक

स्थान - ओशोग्लिमिप्स ग्वालियर पटेल नगर सिटी सेंटर ग्वालियर ।

संचालक – स्वामी सागर
(ओशो निर्वाण, भगवानपुर, उत्तराखंड)

नोट - मैरून और सफेद रौब ध्यान में सहयोगी होगा)
संपर्क - स्वामी प्रेम संतोष +919926646118

#ध्यान

Glimpse of Meditation: Art of balancing (Three days meditation camp)21 to 24 August 2025At Osho Gangadham, Rishikesh Fac...
03/09/2025

Glimpse of
Meditation: Art of balancing
(Three days meditation camp)
21 to 24 August 2025

At Osho Gangadham, Rishikesh

Facilitated by
Swami Sagar
(Osho Nirvana, Bhagwanpur, Uttarakhand)

24/07/2025

Welcome 💃🕺💞🌹
Meditation: art of balancing
(3 Days Osho meditation Camp)

21 to 24 August 2025

At
Osho Gangadham, Rishikesh

Facilitated by
Swami Sagar
(Osho Nirvana, Bhagwanpur, Uttarakhand)

For pre-booking kindly contact on given no.
9149323698,9258160729

for more update please visit our website-oshogangadham.in

हिमालय की सुरमई वादियों में आप सभी का स्वागत है। 💞🌹🙏OSHO Guru poornima celebration 10 to 13 July 2025Facilitated by Swam...
03/07/2025

हिमालय की सुरमई वादियों में आप सभी का स्वागत है। 💞🌹🙏

OSHO Guru poornima celebration

10 to 13 July 2025

Facilitated by Swami Sagar
(Osho Nirvana, Bhagwanpur, Uttarakhand)

At Osho Gram, pandar, sundernagar, dist. Mandi, Himachal Pradesh

Book your space in advance

Call -
+91-8278805130
+91-9817933027

ओशो: मृत्यु की कलाOsho on the Art of Dyingमरने की भी एक कला है, जैसे जीने की कला है। मरने की कला है: शांत, मौन, ध्यान मे...
09/06/2025

ओशो: मृत्यु की कला
Osho on the Art of Dying

मरने की भी एक कला है, जैसे जीने की कला है। मरने की कला है: शांत, मौन, ध्यान में मरना। जीने की भी वही कला है: ध्यान से जीओ। जितने दिन शेष हैं, ध्यान में जीओ – शांत, मौन, जागे हुए! ताकि शांत, मौन, जागे हुए मर भी सको। जो शांत, मौन मरने में समर्थ हो जाता है, वह जानता हुआ मरता है कि मैं नहीं मर रहा हूं। वह जागा हुआ मरता है कि देह छूटी, मन छूटा; मगर मैं तो वही का वही हूं। चैतन्य तो वैसा का वैसा है – अछूता!

💐 स्वामी आनंद प्रेम नहीं रहे 🙏स्वामी आनंद प्रेम नहीं रहे, 19.05.25 को दिल्ली में अचानक सिने में दर्द उठा और अगली यात्रा ...
22/05/2025

💐 स्वामी आनंद प्रेम नहीं रहे 🙏

स्वामी आनंद प्रेम नहीं रहे, 19.05.25 को दिल्ली में अचानक सिने में दर्द उठा और अगली यात्रा पर निकल गए, बेटा पास में था, लेकिन हॉस्पिटल जाने का भी समय नहीं मिला. आज दिल्ली में ही अंतिम संस्कार किया जाएगा.जो मित्र आस पास हैं उनसे आग्रह है कि उनके बेटे से संपर्क कर इस अंतिम यात्रा में शामिल होने का प्रयास करे.
स्वामी आनंद प्रेम बोकारो झारखंड से थे. मेरा और आनंद प्रेम (उमेश सिंह) का संन्यास मा योग नीलम से बोकारो में आयोजित शिविर में 13.10.2002 को हुआ था, तब से वे ओशो जगत को और समृद्ध करने में लगे हुए थे. ओशो की देशना को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए ओशो की किताबें, सीडी, फोटो आदि लेकर गाड़ी से घूमते रहे. उन्होंने ने बक्सर, बिहार में आश्रम की भी स्थापना की और उसको समृद्ध करने में अपना पूरा जीवन लगा दिये. ओशो कहते हैं ' मेरी ध्यान विधियां रूपांतरण की कीमिया (chemistry) है, संन्यास के बाद स्वामी जी संसार का सारा जंजाल छोड़कर पूरी तरह से ध्यान और ओशो के लिए समर्पित हो गये. लाल गोराई, बलिष्ठ शरीर के मालिक उमेश बाबू बोकारो के अच्छे बिजनेस मैन थे और जब ओशो को पढ़कर संन्यास लिए थे , उस समय उनका वजन 110 किलो था, आंख खालिस भूरा, बेहद मृदुभाषी. ध्यान के जगत में आने के 4- 5 साल बाद उनका वजन 70 kg हो गया, शरीर जैसे अपने आप रूपांतरित होकर हलुआ हो गया, इतना हल्का, सहज की विश्वास करना कठिन कि कभी ये शानदार शरीर के मालिक थे. आवाज की मिठास कई गुना बढ़ गई, अंततः वे No Demand की स्थिति में चल रहे थे. मैने बहुत कम संन्यासियों को इस तरह रूपांतरित होते देखा. स्वामी जी आनंद प्रेम हो गये, उमेश सिंह का रौबदार चेहरा कब का बिलिन हो गया था. मुझे सौभाग्य मिला है उनके साथ ध्यान करने का और जीने का, कई ध्यान शिविरों के आयोजन में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई, कितने बदल गए थे उसका एक वाक्या साझा करना चाहूंगा. आसनसोल में एक दिन का शिविर था, जिसमें शामिल होने मैं अपनी पत्नी आनंद निधि के साथ गया, स्वामी जी Book stall लगाए थे, मैरून रोब में hat 🤠 लगाए बैठे थे. मैंने आनंद निधि से कहा कि इनको पहचानती हैं? निधि ने न में सिर हिलाया, हमने स्वामी जी से hat 🤠 हटाने के लिए कहा, फिर भी निधि नहीं पहचान कर पाई. तब मैने कहा कि अब आप एक लाइन कुछ बोलिए, स्वामी जी के बोलते ही आवाज पहचान गई और बदलाव देख आवक रह गई. बोकारो में शिविर आयोजन के सिलसिले में महीनों निधि हमलोगों को साथ खिलाती रहीं थी, कई वर्ष ये सिलसिला चलता रहा था, लेकिन बिल्कुल नहीं पहचान पाई, सही पूछिए तो मुझे भी झटका लगा था, उनकी पहचान को लेकर. कोई व्यक्ति ऐसे transform हो सकता है, यकीन नहीं होता. आप कहां चले गए स्वामी जी. आपकी आगे की यात्रा की मंगल कामना करता हूं.आपने ओशो जगत को समृद्ध किया, आप हमेश यादों में रहेंगे. अलविदा 🙏💐

.                                   ⁂                                                …꧁😂卄ㄩ爪ㄖ尺😂꧂…⭕️ Seriousness has kille...
11/05/2025

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…꧁😂卄ㄩ爪ㄖ尺😂꧂…

⭕️ Seriousness has killed humanity.
It has proved to be the very cancer of the soul.
My only contribution to human evolution is…a sense of humor.
꧁🌟🅾🆂🅷🅾🌟꧂ ☼ 𝚃𝙷𝙴 𝙾𝚂𝙷𝙾 𝚄𝙿𝙰𝙽𝙸𝚂𝙷𝙰𝙳 ☼

⭕️..Seriousness is a kind of disease:
it is the cancer of the soul. It is very destructive; it is suicidal.
🤩Laughter indicates consciousness and its highest growth.
☼ 𝚃𝙷𝙴 𝚁𝙰𝚉𝙾𝚁'𝚂 𝙴𝙳𝙶𝙴 ☼ ꧁🌟🅾🆂🅷🅾🌟꧂

"वे ओशो पर पत्थर फेंकना चाहते थे"शारदा ने 1970 के आसपास की एक घटना को खुशी-खुशी साझा किया।"एक बार हम अमरावती में ओशो के ...
05/05/2025

"वे ओशो पर पत्थर फेंकना चाहते थे"

शारदा ने 1970 के आसपास की एक घटना को खुशी-खुशी साझा किया।

"एक बार हम अमरावती में ओशो के साथ थे। एक लंबा और मजबूत व्यक्ति एक मोटी छड़ी से ज़मीन पर जोर से मारते हुए घर में घुसा, और पूछा, “राजनीश कहाँ है?” वह लगातार छड़ी मारते हुए इतनी ज़ोर से चिल्ला रहा था। हम सभी डर गए थे। ओशो की बहन रसा (मा योग भक्ति) हमारे साथ थीं। मैंने उनसे पूछा कि यह व्यक्ति कौन है, लेकिन उन्हें भी पता नहीं था।

ओशो अखबार पढ़ रहे थे। उन्होंने अपना सिर उठाकर यह देखने की भी ज़रूरत नहीं समझी कि वह व्यक्ति कौन है।

वह व्यक्ति फिर से चिल्लाया, “राजनीश कहाँ है?” हम बहुत डर गए और ओशो की तरफ इशारा किया।

उसने ज़ोर से कहा कि आज कोई प्रवचन नहीं होगा।

ओशो ने बिना सिर उठाए कहा, “प्रवचन होगा।”

वह आदमी बोला, “अगर तुम्हें अपनी जान प्यारी है, तो आज प्रवचन नहीं होगा। तुम्हें अपनी जान प्यारी है या नहीं!? आज प्रवचन नहीं होगा!”

ओशो ने बस इतना कहा, “प्रवचन होगा।”

गुस्से में वह आदमी चला गया।

मैंने ओशो से पूछा, “आप अपनी जान को खतरे में क्यों डाल रहे हैं? लोग सुधरने वाले नहीं हैं। वह बहुत गुस्से में है और कुछ भी कर सकता है।”

ओशो ने उत्तर दिया, “कुछ नहीं होगा।”

शाम को वह प्रवचन देने के लिए निकल पड़े। हम हमेशा ओशो के मंच के सामने बैठते थे, जब भी उन्हें सुनने जाते थे, लेकिन उस दिन हम बहुत डरे हुए थे और उनके पीछे मंच पर बैठ गए।

यह देखकर ओशो हँसे और पूछा, “तुम लोग डरे हुए क्यों हो? क्या तुम बेवकूफ हो? डरो मत!”

मैंने उनसे कहा कि मुझे अपनी जान प्यारी है और मैं इसे खोना नहीं चाहती। मैंने उनसे निवेदन किया, “ये लोग पत्थर फेंक सकते हैं, गोली चला सकते हैं। वे कुछ भी कर सकते हैं, कौन जानता है। कृपया आज का प्रवचन छोड़ दीजिए।”

ओशो ने कहा, “प्रवचन मेरे कहने से नहीं रुकेगा।”

ओशो ने एक घंटे तक प्रवचन दिया और कुछ भी नहीं हुआ।

जैसे ही वह उठे, अचानक 25 से 30 लोग आगे आ गए। उनके हाथों में पत्थरों से भरी थैलियाँ थीं, जिन्हें उन्होंने ओशो के सामने खाली कर दिया। उन्होंने कहा, “आपकी अपील क्या है? हम पूरे प्रवचन के दौरान एक भी पत्थर नहीं फेंक पाए! हमारे हाथ एक भी पत्थर उठाने के लिए नहीं हिले!”

मुझे वह दृश्य बहुत डरावना लगा। फिर भी, ओशो बस उठे और बिना कुछ कहे उनके पास से निकल गए; शायद उन्होंने उन पर नज़र भी नहीं डाली।"

~ शारदा, आनंदमयी की सबसे बड़ी बेटी.

12/04/2025

Every Sunday welcome for
Work & Meditation program

2 hour meditation & 2 hour work

Meditation - 6:30 a.m. to 8:30 a.m.

Breakfast - 8:30 a.m. to 9:00 a.m.

Work - 9 a.m. to 11 a.m.

Contribution - 100/- for breakfast

More information
call- +919837378070

At Osho Nirvana, Bhagwanpur, Uttarakhand 💖🙏🙏

Maroon Robes compulsory

Address

Bhagwanpur

Opening Hours

Monday 10am - 5pm
Tuesday 10am - 5pm
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