27/06/2019
विशाल साम्राज्य के महाराजा , शेर ए हिन्द महाराजा रणजीत सिंह जी संधावलिया जिनके राज्य की सीमा पूर्व में दिल्ली को छूती थी तो पश्चिम मे ईराक -ईरान उन्होने गुजरात को भी जीत लिया तो अफगान पर भी अधिकार कर लिया इसलिए ही कहते कि
- काबुल अबतक चिल्ला रही हैं दरवाजा बंद करो वो जाट आ रहा है ,वो रणजीत सिंह आ रहा है
ऐसे महान महाराजा की पुण्य तिथि पर उन्हे सत सत नमन
महाराजा रणजीत सिंह का जन्म सन 1780 मे जाट राज घराने गुजरावाला (पश्चिमी पंजाब )मे महाराजा महा सिंह जी के घर हुआ ,बचपन मे चेचक से उनकी एक आँख खराब हो गयी महाराजा महा सिंह जी के स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्हे 10साल की उम्र मे रणभूमि मे उतरना पड़ा किंतु उन्होने ऐसी विषम परिस्थिती मे भी ना अपने राज्य को बचा रखा बल्कि अपने राज्य का विस्तार कर एक विशाल सम्राजय की स्थापना की
1803 मे उन्होने अकालगढ पर विजय प्राप्त की
1804मे उन्होने डांग तथा कसूर पर विजय प्राप्त की
1805 मे उन्होने अमृतसर पर विजय प्राप्त की
1806 लूधियाना जीता
1807मे जीरा वदनी ,नारायण गढ पर और फिरोजपुर पर जीत हासिल की
1813 मे कटक को अपने अधिकार मे किया
1818मे मुलतान को जीता
1819मे कश्मीर पर विजय प्राप्त की
1820-21मे डेराजात पर विजय प्राप्त की
1823-24 मे पेशावर पर विजय कर सम्राजय का विस्तार किया
1836 मे लद्दाख को जीता
वो वीर होने के साथ साथ कलाप्रेमी ,दयालू और सभी जाति ,धर्म और पंथो का आदर करते थे
उन्होने स्वर्ण मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर को सोने से मंडवाया
वो हिंदुस्तान के अंतिम शाषक थे जिनके पास कोहीनूर हीरा था
1839 ईश्वी को इस महान सम्राट ने दुनिया को अलविदा कह दिया |