InnoMitra-Companion For Elder Care

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शर्मा जी रोज़ सुबह पार्क में वॉक करते हैं, फिर भी रात होते ही घुटनों और कूल्हों में दर्द बढ़ जाता है। वो सोचते हैं—"मैं ...
15/03/2025

शर्मा जी रोज़ सुबह पार्क में वॉक करते हैं, फिर भी रात होते ही घुटनों और कूल्हों में दर्द बढ़ जाता है। वो सोचते हैं—"मैं तो रोज़ टहलता हूँ, फिर भी दर्द क्यों हो रहा है?"
क्या आपके साथ भी ऐसा होता है?

रात में जोड़ दर्द बढ़ने के 5 कारण:

1. कॉर्टिसोल का कम स्तर – यह एक एंटी-इंफ्लेमेटरी हार्मोन है, जो रात में कम हो जाता है।
2. गलत चलने का तरीका – अगर पैर सही नहीं पड़ते, तो जोड़ों पर गलत दबाव पड़ता है।
3. मांसपेशियों की कमजोरी – सिर्फ़ वॉक करना काफी नहीं, घुटनों को सपोर्ट देने वाली मांसपेशियों को भी मजबूत करना ज़रूरी है।
4. नींद की कमी – अनिद्रा से शरीर में सूजन बढ़ाने वाले प्रोटीन (साइटोकाइन्स) बनते हैं।
5. सर्केडियन रिद्म – शरीर की 24 घंटे की बॉडी क्लॉक भी दर्द को प्रभावित कर सकती है।

तो समाधान क्या है?

1. सोने से पहले हल्का योग या स्ट्रेचिंग करें।
2. सिर्फ़ वॉक नहीं, बल्कि थाई स्ट्रेंथ एक्सरसाइज़ और घुटने की स्ट्रेचिंग भी करें।
3. सही पोषण लें – हल्दी, अलसी, विटामिन D और कैल्शियम से भरपूर भोजन करें।
4.सोने से पहले गहरी साँस लेने के व्यायाम करें

याद रखें – वॉक करना ज़रूरी है, लेकिन मांसपेशियों की मजबूती भी उतनी ही अहम है!

अगर आपको यह जानकारी उपयोगी लगी हो, तो कमेंट में अपना अनुभव शेयर करें और इस पोस्ट को उन लोगों तक पहुँचाएँ जो अक्सर जोड़ दर्द की शिकायत करते हैं।

Happy Holi!
14/03/2025

Happy Holi!

Innomitra Rakhe Aapke Apno Ka Apno Jaisa Khayal!
27/02/2025

Innomitra Rakhe Aapke Apno Ka Apno Jaisa Khayal!






20/02/2025

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हर सुबह जब मैं पार्क में टहलती हूँ, तो बच्चों को झूलों की ओर दौड़ते हुए देखती हूँ। उनकी हँसी हवा में गूंजती है, वे अपने पैरों को ऊपर उठाते हैं, पीछे झुकते हैं और खुद को लय में छोड़ देते हैं—निश्चिंत, आनंद से भरे हुए। अधिकतर बड़े बस देखते हैं, शायद अपने बचपन की यादों में खो जाते हैं।
लेकिन एक फिजियोथेरेपिस्ट होने के नाते, मैं इसमें सिर्फ बचपन की यादें नहीं, बल्कि एक अनमोल थेरेपी देखती हूँ—एक ऐसी थेरेपी, जिसे बड़ों, खासकर बुजुर्गों को अपनाना चाहिए!

🌿 झूला झूलने से उम्र के साथ क्या फायदे होते हैं?

🔹 संतुलन और समन्वय में सुधार – झूले की लयबद्ध गति हमारे वेस्टिबुलर सिस्टम को उत्तेजित करती है, जिससे गिरने का खतरा कम होता है।

🔹 मजबूत कोर और लचीले जोड़ों के लिए बेहतरीन व्यायाम – झूला झूलने से पेट, कूल्हों और पैरों की मांसपेशियाँ सक्रिय होती हैं, जिससे जोड़ों का लचीलापन बना रहता है।

🔹 तनाव कम करता है और मस्तिष्क को तेज करता है – यह मस्तिष्क को शांत करता है, तनाव को कम करता है और याददाश्त को बेहतर बनाता है।

🔹 भीतर के बच्चे को फिर से जाग्रत करें – हवा को महसूस करें, खुद को मुक्त छोड़ें और गति में बह जाएं—आनंद का कोई उम्र नहीं होता!

⭐ तो सिर्फ देखने तक ही क्यों सीमित रहें? खुद भी झूलें!

अगली बार जब आप पार्क में झूला देखें, तो बस मुस्कराकर आगे न बढ़ें। बैठें, लय में झूलें, हवा को महसूस करें और इस हलचल का आनंद लें।

✨ क्योंकि उम्र सिर्फ एक संख्या है, लेकिन गति जीवनभर की सौगात है!

🚨 सावधानी:

✅ आरामदायक गति से शुरू करें – बहुत तेज़ झूलने से चक्कर आ सकता है।
✅ मज़बूत और स्थिर झूले का चुनाव करें – जर्जर झूले का उपयोग न करें।
✅ अगर चक्कर, उच्च रक्तचाप या जोड़ों में दर्द की समस्या हो, तो पहले डॉक्टर से सलाह लें।
✅ सही बैठने की मुद्रा अपनाएं – बहुत आगे या पीछे न झुकें ताकि पीठ और गर्दन पर दबाव न पड़े।
✅ अगर चक्कर महसूस हो, तुरंत झूला रोकें और स्थिर होकर बैठें।

🎡 सुरक्षित झूलें, आनंद लें और स्वस्थ रहें! 😊

💬 क्या आप इसे आजमाएंगे? कमेंट में बताएं! 👇

Thank you for giving us an opportunity to serve you 🙏🙏
19/02/2025

Thank you for giving us an opportunity to serve you 🙏🙏










फिजियोथेरेपी: मशीनों से परे, एक सक्रिय जीवन की कुंजीअक्सर लोग फिजियोथेरेपी को केवल मशीनों और इलेक्ट्रिकल मॉडालिटीज (जैसे...
18/02/2025

फिजियोथेरेपी: मशीनों से परे, एक सक्रिय जीवन की कुंजी

अक्सर लोग फिजियोथेरेपी को केवल मशीनों और इलेक्ट्रिकल मॉडालिटीज (जैसे, अल्ट्रासाउंड, टीईएनएस, आईएफटी) से जोड़कर देखते हैं। लेकिन सच पूछिए तो फिजियोथेरेपी महज मशीनों का उपयोग नहीं, बल्कि शरीर के प्राकृतिक गतिशीलता को पुनः सक्रिय करने की कला और विज्ञान है। खासकर वृद्धावस्था में, जब शरीर की गति सीमित होने लगती है, फिजियोथेरेपी सिर्फ दर्द कम करने तक सीमित नहीं रहती, बल्कि स्वतंत्रता, आत्मनिर्भरता और सक्रिय जीवनशैली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बन जाती है।

फिजियोथेरेपी: एक असली 'गेम-चेंजर'

सोचिए, अगर कोई बुजुर्ग यह मान लें कि अब उम्र हो गई है, अब चलना-फिरना मुश्किल है, या फिर अब हमेशा किसी सहारे की जरूरत पड़ेगी, तो क्या यह सही होगा?
बिल्कुल नहीं!

फिजियोथेरेपी न केवल दर्द और जकड़न को दूर करती है, बल्कि यह शरीर की मांसपेशियों को दोबारा मजबूत करने, संतुलन को सुधारने और गिरने से बचाने में भी मदद करती है। यह सिर्फ उपचार नहीं, बल्कि शरीर को दोबारा सशक्त बनाने की प्रक्रिया है।
अब सवाल यह उठता है – क्या केवल मशीनों से ही यह सब संभव है?
जवाब है नहीं!

फिजियोथेरेपी मशीनों से आगे क्यों है?

मशीनें अस्थायी राहत जरूर देती हैं, लेकिन लंबे समय तक चलने वाले सुधार के लिए शरीर को खुद से काम करने देना ज़रूरी होता है।
फिजियोथेरेपी में शामिल होता है:
व्यायाम (Exercise Therapy) – जोड़ों और मांसपेशियों को मजबूत बनाना

संतुलन और चाल सुधार (Balance & Gait Training) – गिरने के जोखिम को कम करना

मैनुअल थेरेपी (Manual Therapy) – जकड़न दूर कर लचीलेपन को बढ़ाना

श्वसन एवं हृदय व्यायाम

🌸श्रद्धांजलि 🌸इनोमित्रा के प्रेरणा स्तोत्र स्व. श्री शिव कुमार सूद जी की 76वीं जयंती पर सादर नमन 🙏🙏"संस्कार ही सबसे बड़ी...
06/02/2025

🌸श्रद्धांजलि 🌸

इनोमित्रा के प्रेरणा स्तोत्र स्व. श्री शिव कुमार सूद जी की 76वीं जयंती पर सादर नमन 🙏🙏

"संस्कार ही सबसे बड़ी विरासत है,
सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।
प्रेरणा वही जो दूसरों के जीवन में उजाला करे,
और आदर्श वही जो पीढ़ियों तक जीवित रहे।"

आपके विचार, आदर्श और सादगी हमारे जीवन की अमूल्य धरोहर हैं। आपने जो संस्कार और मूल्य हमें दिए, वे आज भी हमारी सोच और कार्यों में जीवित हैं।
आपका स्नेहिल मार्गदर्शन और प्रेरणा हमारे साथ हमेशा बनी रहेगी।

आपके आदर्श हमें Elder Care की इस यात्रा में सदैव प्रेरित करते रहेंगे।

Gratitude and Kudos to our CareMitras for providing best care round the clock 👏👏
05/02/2025

Gratitude and Kudos to our CareMitras for providing best care round the clock 👏👏










17/01/2025

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