09/11/2024
सभी पुरुष एक दूसरे से गज़ब का भाईचारा निभाते हैं। मैने आज तक किसी अन्य पुरुष को उसके पहनावे से जज करते नहीं देखा।
पुरुषों ने जब पहनकर देखा कि जींस और पैंट्स, T shirt वगैरह पहनने में बहुत आराम और सुविधा है। दौड़ भागकर काम किए जा सकते हैं, पहनने, उठने बैठने में आराम और आसानी है तो पूरी दुनिया के पुरुषों ने अपनी पारंपरिक पोशाकों को छोड़कर शर्ट, पैंट, जींस T shirt, शॉर्ट्स, पोलो शर्ट वगैरह अपना लिए। किसी पुरुष ने दूसरे पुरुष को ये नहीं कहा कि मैं धोती पहनता हूं देख मै हूं संस्कारी, और तू बेहया बेशर्म जींस पहनता है? किसी ससुर ने दामाद को ये उपदेश नहीं दिया कि मैं तो धोती पहनता था, तुम क्यों नहीं पहन रहे?
किसी धर्माचार्य, मौलवी, बाबा ने नहीं कहा कि पुरुषों के लिए, कि जींस पहनने से वे हिन्दू या मुस्लिम या ईसाई, जैन, बौद्ध, सिख आदि नहीं रहेंगे।
पुरुष धोती पहनकर जितने हिन्दू रहते हैं, अरबी ड्रेस पहनकर जितने मुसलमान रहते हैं, उतने ही हिन्दू मुस्लिम आदि वे जींस पैंट्स पहनकर भी रहते हैं। किसी धर्माचार्य की हिम्मत और चाहत दोनों ही नहीं है पुरुषों के खिलाफ फतवा देने की। क्योंकि पता है ना कि पकड़कर कूटे जायेंगे जबरदस्त, और जान भी जा सकती है।
लेकिन चूंकि महिलाएं सॉफ्ट टारगेट हैं इसलिए सारे उपदेश, कायदे कानून महिलाओं पर।
और हम सामाजिक कंडीशनिंग की मारी, बेवकूफ महिलाएं एक दूसरे को जज करती रहती हैं कि मेरी साड़ी तेरे सलवार कुर्ते से ज्यादा संस्कारी। मेरा चूड़ीदार कुर्ता तेरी जींस से ज्यादा संस्कारी।
हम महिलाएं क्या इतनी मूर्ख हैं कि हमें ये समझ में नहीं आता कि कौनसे कपड़े पहनकर आसानी से भाग दौड़ कर काम किया जा सकता है? किन्हें पहनकर अधिक आराम मिलता है? नहीं हम तो साड़ी में मैराथन दौड़ेंगी, मजहबी ड्रेस में जिम्नास्टिक करके दिखाएंगी कि देखो ये सब काम इन कपड़ों में भी किए जा सकते हैं।
पुरुष कभी धोती मैराथन या अरबी ड्रेस जिम्नास्टिक का आयोजन नहीं करते हैं।
ये सारी # # # # # हम महिलाएं ही करती हैं।
मेरे पास एक मरीज़ आई थी वो बता रही थी कि अपनी नन्द के जींस कोट आदि पहनने पर उसने बोल दिया कि हमारे ये संस्कार नहीं हैं आदि आदि (वही भाषा जो कभी उसकी सासु मां ने उसे बोली थी, सेम कॉइन में जवाब)
तो मैने उसे कहा कि तेरे पति को देख कि वो क्या पहनकर बैठा है? उसको जज नहीं करती तुम और तुम्हारी सास?
बाहर निकलो महिलाओं इस जजमेंटल मानसिकता से। और पुरुषों से ज़रा सीखो कि जहां उनकी भलाई की, उनके आराम की बात होती है तो बड़ी ही सहजता से आम सहमती, बिना कुछ कहे सुने, एकदम खामोशी से उनमें आपस में बन जाती है।
सीखो मेरी बहनों, कुछ सीखो।
😊😊😊
एडिट नोट= जो महानुभाव इस पोस्ट पर मिनी स्कर्ट आदि की दुहाई दे रहे हैं, वे दोबारा ये पोस्ट पढ़ें, जींस T shirt, पैंट शर्ट, स्पोर्ट शूज , वेजेस जैसे कंफर्टेबल पहनावे के लिए है। मिनी स्कर्ट जैसे असहज करते पहनावे हेतु नहीं। वो अलग तरह का objectification का जाल है।
फेमिनिज्म की चौथी लहर इन असहज करते पहनावे जो कि कई इंडस्ट्री में महिलाओं पर थोपे जाते हैं। Stiletoes, पेंसिल 👠 पेंसिल हील के जूतों, मिनी स्कर्ट आदि को पहनना कंपलसरी करना के विरोध में आई है। No objectification by force,
वो भी एक महीन जाल है।
🟥नोट= महिलाओं आपने पहले जो भी कहा, समझा, किया वो अब हो चुका। लेकिन at least अब जिन्हें स्वतंत्रता है वो इस महीन जाल से निकले। ये कंडीशनिंग का जाल इतनी सफाई से बुना गया है कि स्वतंत्र और पावरफुल महिलाओं का दिमाग भी इससे घिरा रहता है। आसान नहीं है इस जाल से निकलना। मै खुद भी बहुत धीरे धीरे इस कंडीशनिंग से बाहर निकल सकी हूं/ निकल रही हूं। इसलिए समझ सकती हूं कि कैसे महिलाओं के मस्तिष्क की कंडीशनिंग की जाती है। लेकिन अब बाहर निकलिए, समझिए इसे।
इस पोस्ट को पढ़िए, गुनिए और फिर इसे अपनाने का भी प्रयत्न कीजिए।🟥
👉नोट 2= इस पोस्ट को कॉपी पेस्ट करके कहीं भी पोस्ट कर सकते हैं। मुझे मेरे नाम से क्रेडिट देना हो दीजिए। नहीं देना हो तो मत दीजिए। अपने नाम से ही पोस्ट कीजिए FB पर, इंस्टा पर, व्हाट्सएप पर, टेलीग्राम पर। लेकिन इस पोस्ट को स्प्रेड कीजिए। ये प्रार्थना है आप सभी से। 🙏🙏🙏