24/08/2025
🛑डेल्यूजनल डिसऑर्डर: पैथोलॉजिकल जेलसी टाइप🛑 पति/पत्नी/पार्टनर पर बेवफाई का शक करना🛑
ये एक सीरियस मेंटल हेल्थ कंडीशन है, जिसमें पर्सन को एक या एक से ज़्यादा झूठे और स्ट्रॉन्ग बिलीफ्स (डेल्यूज़न्स) पक्के विश्वास होते हैं। ये बिलीफ्स इतने पक्के होते हैं कि कोई भी सबूत, लॉजिक, एविडेंस या रियलिटी इन्हें हिला नहीं पाती। पर्सन की नॉर्मल लाइफ इन डेल्यूज़न्स के इर्द-गिर्द घूमती है, लेकिन इसके अलावा उनका बिहेवियर और थिंकिंग आमतौर पर नॉर्मल होती है।
🛑पैथोलॉजिकल जेलसी🛑
पैथोलॉजिकल जेलसी, या जेलस टाइप डेल्यूजनल डिसऑर्डर (jealous type delusional disorder), इसे डेलुजन ऑफ इन्फिडेलिटी या othello sundrome भी कहते हैं।
ये डेल्यूजनल डिसऑर्डर का एक स्पेशल टाइप है। इसमें पर्सन को यह स्ट्रॉन्ग बिलीफ हो जाता है कि उनका पार्टनर उन्हें चीट कर रहा है। इस बिलीफ को सपोर्ट करने के लिए कोई सॉलिड एविडेंस नहीं होता, लेकिन पर्सन इमेजिनरी साइंस, इवेंट्स या छोटे-मोटे संयोगों को अपने डेल्यूजन का प्रूफ मान लेता है।
सिम्पटम्स और बिहेवियर
👉* लगातार मॉनिटरिंग: पर्सन अपने पार्टनर के हर कदम पर नज़र रखता है। वे उनके फोन, ईमेल, सोशल मीडिया और एक्टिविटीज को चेक करते हैं।
👉* इमेजिनरी एविडेंस पर बिलीफ: एक नॉर्मल बातचीत, एक देर से आया मैसेज, या किसी अननोन पर्सन के साथ हुई छोटी सी मीटिंग को वे बेवफ़ाई का सबूत मान लेते हैं।
👉* अग्रेसिव बिहेवियर: इस डेल्यूजन की वजह से पर्सन अपने पार्टनर पर चिल्ला सकता है, उन पर हमला कर सकता है, या उन्हें फिजिकली हर्ट कर सकता है।
👉* आइसोलेशन: वे अपने पार्टनर को फ्रेंड्स और फैमिली से दूर रखने की कोशिश करते हैं, ताकि वे किसी और से न मिल सकें।
👉* बार-बार सवाल करना: पर्सन अपने पार्टनर से बार-बार बेवफ़ाई के बारे में पूछता है, और वे कितनी भी सफाई दें, उस पर यकीन नहीं करते।
👉यह डिसऑर्डर न सिर्फ़ विक्टिम के लिए बल्कि उसके पार्टनर और पूरी फैमिली के लिए भी बहुत पेनफुल होता है। यह रिलेशनशिप पूरी तरह से टूट सकती है और इसका रिजल्ट कभी-कभी वायलेंट भी हो सकता है।
डॉक्टर रश्मि मोघे हिरवे, मनोचिकित्सक तथा काउंसलर, भोपाल 07553138825, 7217211514
🛑एक छोटी स्टोरी: मोहित और प्रिया🛑
मोहित और प्रिया की शादी को अधिक समय नहीं हुआ था, लेकिन मोहित का बिहेवियर अजीब हो गया था।
शुरुआत में, यह छोटी-छोटी बातों से शुरू हुआ। प्रिया जब भी देर से घर आती, तो मोहित उससे घंटों पूछताछ करता कि वह कहाँ थी और किससे मिल रही थी। प्रिया अगर किसी कलीग के साथ काम के सिलसिले में बात करती, तो मोहित उसे शक भरी नज़रों से देखता।
एक शाम, प्रिया के फोन पर एक मैसेज आया, जिसमें लिखा था, "कल की मीटिंग के लिए रेडी रहना।" यह मैसेज प्रिया के बॉस का था। मोहित ने प्रिया के फोन पर यह मैसेज देखा और उसका चेहरा पीला पड़ गया।
"यह कौन है?" मोहित ने शांत, लेकिन तीखी आवाज़ में पूछा।
"यह मेरे बॉस हैं, कल एक इम्पोर्टेंट प्रेजेंटेशन है," प्रिया ने समझाया।
लेकिन मोहित के दिमाग में एक अलग ही स्टोरी चल रही थी। "तुम मुझसे झूठ बोल रही हो। यह तुम्हारा बॉयफ्रेंड है, है ना?"
उस रात, मोहित ने प्रिया को सोने नहीं दिया। वह घंटों तक उस एक मैसेज के बारे में पूछताछ करता रहा और अपनी जेलसी की वजह से प्रिया पर कई आरोप लगाता रहा। प्रिया थक चुकी थी। उसने कई बार समझाने की कोशिश की, कि ये सब उसके दिमाग का वहम है, लेकिन मोहित को उस पर यकीन नहीं हुआ।
धीरे-धीरे, मोहित की जेलसी पागलपन में बदल गई। वह प्रिया के पीछे-पीछे ऑफिस तक जाने लगा। उसने प्रिया के फ़ोन में जासूसी करने वाला ऐप डाल दिया और उसके फ्रेंड्स से भी मिलने पर रोक लगा दी। एक दिन, प्रिया अपने बचपन के दोस्त राहुल से मिली और उसे देखकर मोहित अपना आपा खो बैठा। वह राहुल से झगड़ने लगा और उन दोनों के बीच हाथापाई भी हुई।
अब प्रिया समझ चुकी थी कि मोहित को कोई मेंटल प्रॉब्लम है। उसने मोहित की फैमिली से बात की और उन्हें एक साइकेट्रिस्ट से मिलने की सलाह दी। स्टार्टिंग में मना करने के बाद, मोहित फाइनली ट्रीटमेंट के लिए रेडी हुआ। साइकेट्रिस्ट ने डायग्नोस किया कि मोहित को पैथोलॉजिकल जेलसी का डेल्यूजनल डिसऑर्डर है।
मोहित का ट्रीटमेंट शुरू हुआ, जिसमें मेडिसिन और थेरेपी दोनों शामिल थीं। यह एक लंबी और मुश्किल प्रोसेस थी, लेकिन प्रिया के पेशेंस और मोहित की कोशिशों से, धीरे-धीरे मोहित के डेल्यूज़न्स कम होने लगे। उसे समझ आने लगा था कि उसकी जेलसी ने उनके रिश्ते को कितना नुकसान पहुँचाया था।
ट्रीटमेंट और हेल्प
पैथोलॉजिकल जेलसी का ट्रीटमेंट पॉसिबल है। इसमें मेनली साइकोथेरेपी (psychotherapy) और मेडिसिन (medication) शामिल होती हैं।
* साइकोथेरेपी: इसमें कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) का यूज़ किया जाता है, जो पर्सन को अपने झूठे बिलीफ्स को पहचानना और उनसे लड़ना सिखाती है।
* मेडिसिन: साथ में कुछ एंटी-साइकोटिक ड्रग्स (antipsychotic drugs) भी दी जाती हैं, जो पर्सन के डेल्यूज़न्स को कम करने में हेल्प करती हैं।
यह समझना ज़रूरी है कि यह सिर्फ़ "जेलसी" नहीं है, बल्कि एक सीरियस मेंटल इलनेस है जिसके लिए प्रोफेशनल हेल्प की ज़रूरत होती है। अगर आप या आपका कोई जानने वाला इस तरह के बिहेवियर से जूझ रहा है, तो तुरंत एक मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल (mental health professional) से कॉन्टैक्ट करना ज़रूरी है।
डॉक्टर रश्मि मोघे हिरवे, मनोचिकित्सक तथा काउंसलर
भोपाल 07553138825, 7217211514
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