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26/08/2024

पेपर नहीं तो बिहार सरकार की हो जाएगी जमीन:मौखिक बंटवारे को नहीं मानेंगे सर्वे अधिकारी, एग्रिमेंट का रजिस्टर्ड दस्तावेज जरूरी
पटना58 मिनट पहले

बिहार में 185 साल बाद 20 अगस्त से जमीन सर्वे की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। राज्य के 45 हजार से अधिक गांवों में सर्वे होगा। गांव से बाहर रहने वाले लोग अपनी जमीन का सर्वे कराने के लिए ऑनलाइन आवेदन दे सकते हैं। जमीन की जांच के दौरान उपस्थित रहना होगा।

ऐसी जमीन जो आपके जोत में है, लेकिन पेपर नहीं है। ऐसी स्थिति में जमीन के मूल मालिक की खोज होगी। मूल मालिक के नहीं मिलने पर जमीन बिहार सरकार की हो जाएगी। इसलिए जमीन के दस्तावेज तैयार रखें। प्रपत्र-2 में स्वघोषणा करनी है। प्रपत्र-3 में वंशावली देना है। वंशावली तभी देना होगा, जब जमीन के मालिक का नाम है, लेकिन वह जीवित नहीं है।

इस सर्वेक्षण में जमीन पर बने मकानों और दूसरी चीजों की भी जानकारी देनी होगी। सर्वे के दौरान जमीन का खेसरा नंबर बदल जाएगा। सर्वे अधिकारी जमीन बदलने के मौखिक एग्रीमेंट को नहीं मानेंगे। एग्रिमेंट का रजिस्टर्ड दस्तावेज जरूरी है। अगर आपके पास जमीन बदलने का रजिस्टर्ड डाक्यूमेंट्स है, तभी आपके नाम से खतियान बनेगा। रजिस्टर्ड नहीं होने पर मूल मालिक के नाम से ही खतियान बनेगा।

फैमिली बंटवारे का रजिस्टर्ड दस्तावेज देना होगा

इसी तरह फैमिली बंटवारे का रजिस्टर्ड दस्तावेज जरूरी है। बंटवारा मौखिक हुआ तो संयुक्त खतियान बनेगा। सर्वे अधिकारियों के मुताबिक स्वघोषणा के समय अपनी जमीन का रकबा, चौहदी, खेसरा की जानकारी, जमाबंदी यानी मालगुजारी रसीद का फोटो कॉपी, खतियान का नकल आदि दस्तावेज देना है।

एरियल सर्वे में बगीचों के पास वाले कई प्लॉट्स का एक नक्शा

सरकार ने जमीन का एरियल सर्वे भी कराया है। इसमें बगीचों के पास वाले कई प्लॉट्स का एक नक्शा बना है। सर्वे के दौरान अमीन स्थल पर नापी के समय नक्शे को अलग-अलग करेंगे। इस दौरान जमीन मालिक को जमीन पर रहना होगा।

जमीन की नापी की जिम्मेदारी रैयतों की है। स्वघोषणा के बाद अमीन जमीन की नापी करेंगे। जमीन मालिक को दखल-कब्जा की जानकारी देनी होगी। ऐसे में जमीन पर सही दखल-कब्जा मिलने के साथ सही खतियान बनाने में मदद मिलेगी।

तीन अपील का मिलेगा मौका

संपत्ति की घोषणा फॉर्म-2 में करनी होगी। कागज की जांच-नापी के बाद फॉर्म-7 में नया दस्तावेज मिलेगा। इसमें खतियान होगा। खेसरा नंबर बदला रहेगा। प्लॉट का नक्शा होगा। गड़बड़ी है तो फॉर्म-8 में अपील करें। सुधार के बाद अधिकारी फॉर्म-12 जारी करेंगे। इसमें भी गड़बड़ी है तो फॉर्म-14 से फिर अपील करें। अब भी सुधार ना हो तो फॉर्म-21 से अपील करनी होगी।

26/08/2024

_*सरकार-नामा उर्फ सरकार की खोज*_

_डॉ. अरविंद दुबे की कलम से: -_
_जीवन के 12 वर्ष हमने उस दुर्गति-विधि में गुज़ारे जिसे आप सरकारी नौकरी कहते हैं।_
_शुरूआत में तो लगा कि जैसे कुवांरी लड़की पराये घर में रह रही हो, न जाने कौन कब दबो ले पर आपका यह खिद़मतगार कम छिछोरा नहीं है।

_जल्दी ही हमने जान लिया कहां पल्लू गिराकर उकसाना है, कहां छुपाकर तरसाना है और कहां से बचकर निकल जाना है।_

_बस ये हुनर एक बार आ जाये तो मक्कारी, मगरूरी, और मसखरी के लिये सरकारी नौकरी से अच्छी कोई जगह नहीं।_

_हां अवकाश शास्त्र का ज्ञान आवश्यक है।_
_हमने प्रारंभिक दिनों में ही गहन अध्ययन कर इस शास्त्र पर पांडित्यपूर्ण अधिकार जमा लिया था।_
_कैजुअल लीव, मेडीकल लीव, अर्जित लीव, हाफ डे लीव, हाफ पे लीव, रेस्ट्रीक्टेड लीव, फेस्टीवल लीव, और कई अन्य किस्म की लीव, के इतने समीकरण हमने बना लिये थे, कि आप मेरा यकीन करें बड़े-बड़े गणितज्ञ और वैज्ञानिक जिनमें वाणभट्ट और आइंस्टाईन, प्रमुख हैं, हमसे पिछले दरवाजे से ट्यूशन लेने आते थे।_

_शुक्रवार का दिन था, शनिवार सरकारी छुट्टी और इतवार, इतवारी छुट्टी। हमने अड़ा दी मेडीकल लीव की एप्लीकेशन।_
_गज़ब का आयटम है मेडीकल लीव।_
_बढ़ा दो, क्या करें बीमारी बिगड़ गई, छोटी कर दो क्या करें जल्दी ठीक हो गये, एकदम लचीली पर बेहद मजबूत और भरोसेमंद होती है मेडीकल लीव।_
_अब हमारे एक दोस्त हुआ करते थे कनुआ परसाद, एक आंख की पुतली सफेद थी, भैया शादी के बड़े शौकीन थे, शहर - शहर जाते थे लड़की देखने और बैरंग वापिस आते थे।_
_हमने समझाया मत करो शादी अभी एक आंख से नहीं देखते हो,फिर दूसरी से भी न देख पाओगे।_
_नहीं माने,तो हमने पुतली बदलने के लिये उनका नाम लिखा दिया_ _अस्पताल के रजिस्टर में_
_शनिवार को किसी सद्आत्मा ने_ _नेत्रदान कर दिये, हमने जाकर भैया का आपरेशन कर दिया।_
_सरकारी नौकरी में एक नियम और है, दफ्तर के हों या विभाग के, लेकिन नम्बर 1 और नम्बर 2 में कभी पटनी नहीं चाहिये ,और हमारे विभाग के जो हेड थे,वे इस नियम का निष्ठा पूर्वक पालन करते थे।_
_हम सोमवार को विभाग में पहुंचे और उन्होनें हमें एक पत्र दिया। जिसका आशय था कि मेडीकल_ _अवकाश पर रहते हुये, बिना फिटनेस सर्टीफिकेट दिये आपने सरकारी अवकाश अर्थात् शनिवार को आकर औपरेशन किया, यह नियम विरूद्ध है *क्यों न आपके विरूद्ध कार्यवाही की जाये।*_
_हमने उस कागज पर जबाव लिखा ‘‘कार्यवाही की जायें’’।_
_दूसरे दिन उन्होने दूसरा पत्र दिया आपका उत्तर वरिष्ठ अधिकारी की अवमानना है, यह कदाचार की श्रेणी में आता है, कृपया पूर्व के आरोपों और अपने व्यवहार का स्पष्टीकरण तीन दिन में प्रस्तुत करें अन्यथा समस्त प्रकरण उच्च अधिकारी को कार्यवाही हेतु प्रेषित किया जायेगा।_
_हमने जबाव लिखा ‘‘प्रेषित करें’’।_
_दो दिन बाद हमारे डीन का हमें फोन आया,_
_डाॅ. दुबे आप तुरंत आईये।_
_हम तुरंत गये उन्होने सारे कागज हमें दिखाकर कहा यह आप क्या कर रहे हैं ?_
_हमने कहा कि ये आपके पास कैसे आ गया, हमारे हेड तो कहते थे उच्च अधिकारी को प्रेषित करेगें।_
_उन्होनें कहा मैं ही उच्च अधिकारी हूँ।हमने कहा माफ करे सर, बाहर_ _आपका चपरासी तो कह रहा था, कि आप बड़े निच्च अधिकारी हैं, लायब्रेरी के_ _अखबार व मेग्जीन घर ले जाते है, डीजल का झूठा बिल बनवाते हैं।_
_उन्होनें हमें कमरे से बाहर धकेल दिया और चिल्लाकर अपने चपरासी को बुलाया।_
_हमने बाहर आकर चपरासी को एक बीस का नोट दिया, यार माफ करना, मैने तुम्हारी_ _शिकायत कर दी है, उसने बीस का नोट जेब में रखा, और मुस्कराकर बोला मैं कौन डीन हूँ, साहब,जो शिकायत से डरूं, मै किसी से नहीं डरता।_
_दो दिन बाद हमे डीन का पत्र मिला_
_तमाम आरोपों को दोहराते हुये उन्होनें लिखा कि यदि आप तीन दिन के अंदर स्पष्टीकरण नहीं देते है तो सारा प्रकरण भोपाल मुख्यालय भेजा जायेगा।_
_हमने संक्षिप्त जबाव लिखा ‘‘भेजा जायें’’।_
_फिर 15 दिन खामोशी रही।_
_15 दिन बाद हमें_ _एक प्रमुख सचिव नामक व्यक्ति का पत्र आया जिन्होनें दोहराया कि हमने अवकाश नियम तोड़े है, वरिष्ठ_ _अधिकारियों का अपमान किया है, और छुट्टी के दिन एक रोगी का औपरेशन करने जैसा जघन्य अपराध किया है, अतः क्यों न आपके विरूद्ध विभागीय जांच की स्थापना की जाये।_
_हमने जबाव दिया ‘‘स्थापना की जाये" । दो हफ्ते बाद फिर उनका पत्र आया कि आपको अंतिम अवसर दिया जाता है,अपना_ _स्पष्टीकरण दें।_
_हमने लिखा कि हम अवसरवादी नहीं है,आप हमारी आदतें न बिगाड़े हम सिद्धांतवादी है आप जांच की स्थापना करें।_
_तीन महीने तक फिर खामोशी, तब तक हमारे अंतर का कुटिल ब्राम्हण पूर्ण रूप से जाग्रत हो गया था।_
_हमने अपने साथ के चिकित्सकों से भारी भरकम बीमारियों के प्रमाण पत्र लिये।_
_हाईपर ऐसीडिटी, ब्लडप्रेशर, क्रोनिक मेनियक डिप्रेशन, एन्गजाईटी_ _न्यूरोसिस, गेस्ट्रिक अलसर,आदि इत्यादि हम प्रमाण सहित अनेक रोगों से ग्रस्त हो गये।_
_सारे कागज इकट्ठे कर आपका यह सेवक पहुंच गया उच्च न्यायालय में।_
_हमने गुहार लगाई, हुजूर माई बाप मैं पिछले तीन माह से भीषण मानसिक प्रताड़ना और दबाव में शासकीय सेवा कर रहा हूॅं।_
_मुझे लगातार धमकाया जा रहा है कि विभागीय जांच होगी, होगी, होगी, और होती नहीं है, अनिश्चय की स्थिति में मै त्रिशंकु इतने सारे रोगों से घिर गया हूँ।_
_एक वृद्ध सरदार जी जज थे उन्होनें मुझे ध्यान से ऊपर से नीचे तक देखा, खासा पट्ठा था मै बिलकुल फिट।मैने तुरंत पुकार लगाई हुजूर, आपका दायित्व मुझे देखना नहीं, न्यायालय में कागज देखा जाता है, आप कागज देखिये, मैने प्रमाण दिये है कि मैं गंभीरतम बीमारियों से ग्रसित हूँ।_
_दकियानूसी कानून से बंधे जज साहब को सरकार को नोटिस भेजना पड़ा। तारीख लगी, सरकारी वकील ने आकर जबाव के लिये अगली तारीख मांगी। अगली तारीख पर फिर अगली तारीख के लिये आवेदन दिया, मै खड़ा हो गया मैने कहा माई बाप जिस तरह इन्होनें मुझे प्रताड़ना दी है उसी तरह अब यह आपको परेशान करेगें, मुझे डर है कि कहीं आप जैसे देवस्वरूप न्यायमूर्ति को ये भयंकर रोग न हो जायें जो मुझे हुये है। जज साहब ने पूछा आप क्या चाहते हो ?_
_मैने कहा इन तीनो अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति इस न्यायालय में हो ताकि आपकाजो फैसला हो इनके सामने हो।व्यक्तिगत उपस्थिति केनोटिस जारी किये गये।_
_प्रमुख सचिव भोपाल से एक दिन पहले आ गये, हमारे हेड अंगूर का रस एवं काजू की व्यवस्था में लग गये, डीन साहब ने एक मुर्गी को विधवा और उसके बच्चों को अनाथ कर उस परिवार के मुखिया को खाने की टेबल पर सजा दिया। शाम को लगभग 7 बजे हमें फोन आया हमारे डीन महोदय का, हमें ससम्मान उन्होनें अपने बंगले पर भोजन के लिये बुलाया था।_
_हम पहुंचे और अंगूर का रस, जो कि बहुत पुराना और पका हुआ था, हमने गिलास में डाला ही था कि प्रमुख सचिव ने हमसे कहा कि आप सरकार के नौकर है और कैसा व्यवहार करते है?हमने कहा सर ये सरकार कोैन है हम सरकार से मिलना चाहते है।उन्होनें कहा सरकार ......... भई सरकार गर्वनमेंट होती है।_
_हमने कहा सर पहले तो ये बताईये कि ये हिन्दी में होती है या अंग्रेजी में।_
_सचिव महोदय बौखला गये जोर से बोले भाई सरकार गर्वनमेंट होती है, शासन,शासन होता है। हमने कहा सर अब आपने लिंग भी बदल दिया। *पहले थी, होती थी, अब होता है, सर आप हमें कन्फ्यूज कर रहे हैं।*_
_हमें बाहर निकाल दिया गया, बड़े बेआबरू होकर निकले डीन के कूचे से हम। सुबह सब न्यायालय पहुंच गये । जज महोदय कुछ खफा थे तीनो अधिकारियों से बोले आप लोग क्या चाहते है, तारीख पर तारीख लेते है, उनके वकील ने कहा मी लाँर्ड हम कोई कार्यवाही नहीं करेगें, डाॅक्टर साहब के विरूद्ध हम सारी कार्यवाही विलोपित करते है।मैने फिर गुहार लगाई हुजूर माई बाप मेरी बीमारियां कैसे ठीक होगी?_
_जज साहब ने उनकी तरफ देखा,_
_*मैने कहा कि मेरा चिकित्सकीय ज्ञान कहता है अगर ये सरकार के अधिकारी क्षमा याचना कर लें, तो मेरा रोग ठीक हो जायेगा जज साहब ने क्षमा याचना का आदेश दिया, क्षमा याचना के संस्कार को लिपिबद्ध किया गया, हस्ताक्षरित किया गया और हम घर आ गये।_
_कुछ समय बाद हमने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दिया, जो_ _आनन-फानन में मंजूर किया गया।_
_अब सब कुछ ठीक है परंतु एक सवाल परेशान करता है कि,_

_*बारह वर्ष जिस सरकार की नौकरी की उससे मिल ही नहीं पाये, ये सरकार है क्या, क्या करती है, कुछ करती है या बैठे बैठे खाती है, स्त्री है या पुरूष है?*_
_मुझे लगता है ये बीच की है, न स्त्री न पुरूष तभी छिपकर रहती है और सामने नहीं आती।_
☝🏻☝🏻
_जब एक ईमानदार डॉक्टर को सरकारी नौकरी में परेशान किया जाता है, एक व्यंगात्मक रचना एवं प्रतिक्रिया।_
*

25/08/2024

*नए अछूत*

हमको देखो हम सवर्ण हैं
भारत माँ के पूत हैं,
लेकिन दुःख है अब भारत में,
हम सब 'नए अछूत' हैं;

सारे नियम और कानूनों ने,
हमको ही मारा है;
भारत का निर्माता देखो,
अपने घर में हारा है;
नहीं हमारे लिए नौकरी,
नहीं सीट विद्यालय में;
ना अपनी कोई सुनवाई,
संसद में, न्यायालय में;
हम भविष्य थे भारत माँ के,
आज बने हम भूत हैं;
बेहद दुःख है अब भारत में;
हम सब 'नए अछूत' हैं;

'दलित' महज़ आरोप लगा दे,
हमें जेल में जाना है;
हम-निर्दोष, नहीं हैं दोषी,
यह सबूत भी लाना है;
हम जिनको सत्ता में लाये,
छुरा उन्हीं ने भोंका है,
काले कानूनों की भट्ठी,
में हम सब को यूं झोंका है;
किसको चुनें, किन्हें हम मत दें?
सारे ही यमदूत हैं;
बेहद दुःख है अब भारत में;
हम सब 'नए अछूत' हैं;

प्राण त्यागते हैं सीमा पर,
लड़ कर मरते हम ही हैं;
अपनी मेधा से भारत की,
सेवा करते हम ही हैं;
हर सवर्ण इस भारत माँ का,
एक अनमोल नगीना है;
अपने तो बच्चे बच्चे का,
छप्पन इंची सीना है;
भस्म हमारी महाकाल से,
लिपटी हुई भभूत है;
लेकिन दुःख है अब भारत में,
हम सब 'नए अछूत' हैं..

देकर खून पसीना अपना,
इस गुलशन को सींचा है;
डूबा देश रसातल में जब,
हमने बाहर खींचा है;
हमने ही भारत भूमि में,
धर्म-ध्वजा लहराई है;
सोच हमारी नभ को चूमे
बातों में गहराई है;
हम हैं त्यागी, हम बैरागी,
हम ही तो अवधूत हैं;
बेहद दुःख है अब भारत में,
हम सब 'नए अछूत' हैं।।
*संकल्नकर्ता- आर.के.ए. बी.एल.डी. (सी.जी.) 9907363460*
*समस्त सवर्ण समाज के सभ्य बंधुओ को समर्पित, कृपया इस कविता को बिना परिवर्तित किये अपने सभी लोगों को पोस्ट जरूर करें*।।🙏🚩🌞🚩🙏

25/08/2024

मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर ज़िला के गाडरवारा में जन्मे दिग्गज अभिनेता आशुतोष राणा का पूरा नाम आशुतोष रामनारायण नीखरा है। आशुतोष के माता पिता प्यार से उन्हें राणा कह के बुलाते थे। आशुतोष की शुरुआती शिक्षा गाडरवारा के ही विद्यालय में हुई थी। बाद में उन्होंने डॉ॰ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, मध्यप्रदेश से स्नातक किया।

आशुतोष की पढ़ाई सेे जुड़ा एक बहुत दिलचस्प क़िस्सा है जिस का ज़िक्र उन्होंने ख़ुद कई बार किया है। आशुतोष ने बताया कि उनके पिताजी ने बेहतर शिक्षा के लिए आशुतोष और उनके भाई का दाखिला गाडरवारा से जबलपुर के क्राइस्ट चर्च स्कूल में करवा दिया जहाँ आशुतोष के ऊपर अंग्रेजी शिक्षा का प्रभाव इतना ज़्यादा पड़ा कि एक दिन जब उनके माता-पिता उनसे मिलने उनके स्कूल पहुंचे तो आशुतोष ने उनको प्रभावित करने के लिये उनके पैर छूने की बजाय गुड ईवनिंग कह कर उनका अभिवादन किया और जिस माँ से वो हर वक़्त लिपटे रहते थे उनके पास भी नहीं गये और माँ कि मुस्कुराहट से उन्हें लगा कि सबलोग उनके इस आत्मविश्वास से बहुत प्रभावित हो गये हैं लेकिन हुआ बिल्कुल उल्टा थोड़ी ही देर बाद उनके पिता ने कहा कि अपना सामान पैक करो तुम लोगों को गाडरवारा वापस चलना है आगे की पढ़ाई अब वहीं होगी।

बड़ी ही हैरानी के साथ जब उन्होंने इसका कारण पूछा तो उनके पिता ने जवाब दिया कि "राणाजी मैं तुम्हें मात्र अच्छा विद्यार्थी नहीं एक अच्छा व्यक्ति बनाना चाहता हूँ। तुम लोगों को यहाँ नया सीखने भेजा था पुराना भूलने नहीं। कोई नया यदि पुराने को भुला दे तो उस नए की शुभता संदेह के दायरे में आ जाती है, हमारे घर में हर छोटा अपने से बड़े परिजन, परिचित,अपरिचित जो भी उसके सम्पर्क में आता है उसके चरण स्पर्श कर अपना सम्मान निवेदित करता है लेकिन देखा कि इस नए वातावरण ने मात्र सात दिनों में ही मेरे बच्चों को परिचित छोड़ो अपने माता पिता से ही चरण स्पर्श की जगह गुड ईवनिंग कहना सिखा दिया। मैं नहीं कहता की इस अभिवादन में सम्मान नहीं है, किंतु चरण स्पर्श करने में सम्मान होता है यह मैं विश्वास से कह सकता हूँ। विद्या व्यक्ति को संवेदनशील बनाने के लिए होती है संवेदनहीन बनाने के लिए नहीं होती। मैंने देखा तुम अपनी माँ से लिपटना चाहते थे लेकिन तुम दूर ही खड़े रहे, विद्या दूर खड़े व्यक्ति के पास जाने का हुनर देती है ना कि अपने से जुड़े हुए से दूर करने का काम करती है।"

उन्होंने कहा "आज मुझे विद्यालय और स्कूल का अंतर समझ आया, व्यक्ति को जो शिक्षा दे वह विद्यालय जो उसे सिर्फ साक्षर बनाए वह स्कूल, मैं नहीं चाहता कि मेरे बच्चे सिर्फ साक्षर हो के डिग्रियोंं के बोझ से दब जाएँ मैं अपने बच्चों को शिक्षित कर दर्द को समझने उसके बोझ को हल्का करने की महारत देना चाहता हूँ। मैंने तुम्हें अंग्रेज़ी भाषा सीखने के लिए भेजा था आत्मीय भाव भूलने के लिए नहीं। संवेदनहीन साक्षर होने से कहीं अच्छा संवेदनशील निरक्षर होना है। इसलिए बिस्तर बाँधो और घर चलो।"

आशुतोष और उनके भाई तुरंत अपने माता पिता के चरणों में गिर गए उनके पिता ने उन्हें उठा कर गले से लगा लिया और कहा कि किसी और के जैसे नहीं स्वयं के जैसे बनो। पिता की ये बातें आशुतोष ने उनके आशीर्वाद की तरह गाँठ बाँधकर रख ली और उन बातों को यादकर वो आज भी आत्मविश्वास से भर जाते हैं।
साभार

आखिर क्यों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान को अब इस्लाम ऑक्यूपाइड एरिया (IOA)बोलना चाहिए......
25/08/2024

आखिर क्यों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान को अब इस्लाम ऑक्यूपाइड एरिया (IOA)बोलना चाहिए......

24/08/2024

*आपके जितने ग्रुप है कृपया उनमें भेजें अपने साथियों को प्रेरित करें* *भारतीय सेना अग्निपथ भर्ती*

* रिक्तियां : 46,000 पद
* Job Role : Agniveer
* योग्यता : 8वीं, 10वीं, 12वीं
* आयु : 17 से 23
* वेतन : रु.30,000 - 40,000/-
* स्थान : सम्पूर्ण भारत
* चयन : शारीरिक, चिकित्सा
* आवेदन मोड: ऑनलाइन

यह संदेश नौकरी चाहने वालों के लिए बहुत उपयोगी है। कृपया इस जानकारी को कम से कम एक समूह के साथ साझा करें, अग्निपथ के लाभ

प्रथम वर्ष: रु.21000 × 12 = रु.2,52,000
दूसरा वर्ष: रु.23100 × 12 = रु.2,77,200
तीसरा वर्ष: रा.25580 × 12 = रु. 3,06,960
चौथा वर्षः 28000 रु. × 12 = 3,36,000 रु.
4 वर्ष का कुल = रु.11,72,160

चौथे वर्ष के बाद सेवानिवृत्ति का समय: रु.11,71,000

चौथे वर्ष के बाद कुल योग = रु. 23,43,160

प्लस:
1. उत्कृष्ट सेना प्रशिक्षण,
2. 4 वर्षों तक सेना रेजिमेंटल जीवन में भोजन, कपड़े, बोर्डिंग और आवास।
3. अनुशासित जीवनशैली और
4. परिपक्व मानसिकता.

4 वर्ष बाद नौकरी के प्रस्ताव:

1. त्रि-सेना (थलसेना, नौसेना, वायुसेना)
2. सीआरपीएफ
3. रेलवे सुरक्षा बल
3. जीआरपी
5. सीआईएसएफ
6. बीएसएफ
7. सीमा शुल्क एवं केंद्रीय उत्पाद शुल्क
8. वन विभाग
9. ओएनजीसी
10. आईओसीएल
11. एचपीसीएल
12. भारतीय रेलवे
13. राज्य पुलिस
14. बैंक
15. हवाई अड्डे
16. बंदरगाह
17. यातायात पुलिस विभाग
18. टोल प्लाजा
19. एटीएम
20. एनएमडीसी
21. सेल
22. सभी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम
23. सभी राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम।
24. टास्क फोर्स
25. टाटा, विप्रो, महिन्द्रा जैसी कंपनियां।
26. निजी सुरक्षा एजेंसियां
27. लॉजिस्टिक्स कंपनियां
28. कार्गो कंपनियां
29. वेयरहाउसिंग कंपनियां
30. सड़क परिवहन कोर (आरटीसी)
31. निजी परिवहन कंपनियाँ
32. एयरलाइनर (इंडिगो, स्पाइसजेट, टाटा विस्तारा आदि आदि)
33. सामुदायिक पुलिसिंग.
और भी कई...

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तो, प्यारे युवाओं, कृपया जल्दी से जल्दी सीख लें कि अग्निपथ आपके जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है और एक महान उपहार है। इसमें कोई संदेह नहीं है।

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1. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल के सभी 38 डिवीजन/यूनिट और एचएएल जेवी कंपनियां)
2. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सभी 10 इकाइयां)
3. भारत डायनेमिक्स लिमिटेड
4. बीईएमएल लिमिटेड
5. मिश्र धातु निगम लिमिटेड (मिधानि)
6. मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल)
7. गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई)
8. गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल)
9. हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड
10. एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड
11. ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड
12. ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड
13. बख्तरबंद वाहन निगम लिमिटेड (एवीएनएल)
14. म्यूनिशंस इंडिया लिमिटेड (एमआईएल)
15. यंत्र इंडिया लिमिटेड (YIL)
16. इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड (आईओएल)
17. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) प्रयोगशालाएं/इकाइयां
18. उन्नत ऊर्जा सामग्री केंद्र (एसीईएम)
19. उन्नत संख्यात्मक अनुसंधान एवं विश्लेषण समूह (अनुराग)
20. उन्नत प्रणाली प्रयोगशाला (एएसएल)
21. एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एडीआरडीई)
22.वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई)
23. आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (ARDE)
24. एयर बोर्न सिस्टम सेंटर (सीएबीएस)
25. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स केंद्र (सीएआईआर)
26. उन्नत प्रणाली केंद्र (सीएएस)
27. सामरिक प्रणालियों का एकीकरण
28. सैन्य उड़ान योग्यता एवं प्रमाणन केंद्र (CEMILAC)
29. कार्मिक प्रतिभा प्रबंधन केंद्र (सेप्टम)
30. अग्नि, विस्फोटक एवं पर्यावरण सुरक्षा केंद्र (सीएफईईएस)
31. उच्च ऊर्जा प्रणाली और विज्ञान केंद्र (CHESS)
32. मिलीमीटर वेव सेमीकंडक्टर डिवाइसेस एवं सिस्टम्स केंद्र (सीएमएसडीएस)
33. लड़ाकू वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (सीवीआरडीई)
34. रक्षा वैमानिकी अनुसंधान प्रतिष्ठान (डीएआरई)
35. रक्षा जैव-इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रोमेडिकल प्रयोगशाला (डीईबीईएल)
36. रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स अनुप्रयोग प्रयोगशाला (डीईएल)
37. रक्षा वैज्ञानिक सूचना एवं प्रलेखन केंद्र
38. रक्षा खाद्य अनुसंधान प्रयोगशाला (डीएफआरएल)
39. रक्षा जैव ऊर्जा अनुसंधान संस्थान (डीआईबीईआर)
40. डीआरडीओ एकीकरण केंद्र (डीआईसी)
41. सामरिक प्रणाली का एकीकरण
42. रक्षा उच्च उन्नतांश अनुसंधान संस्थान (43. उच्च उन्नतांश कृषि-पशु अनुसंधान)
44. रक्षा फिजियोलॉजी और संबद्ध विज्ञान संस्थान (डीआईपीएएस)
45. रक्षा मनोवैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान (डीआईपीआर)

कृपया इसे अधिक से अधिक फैलाएँ। इससे गलत धारणाएँ दूर होंगी और भारत के बेरोजगार युवाओं की मदद होगी।
🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🙏
। सभी भारतीयों को अग्निवीर से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करें।

20/08/2024

एक "सुंदर कविता", जिसके एक-एक शब्द को, बार-बार "पढ़ने" को "मन करता" है-_*

ख्वाहिश नहीं, मुझे
मशहूर होने की,"

_आप मुझे "पहचानते" हो,_
_बस इतना ही "काफी" है।_😇

_अच्छे ने अच्छा और_
_बुरे ने बुरा "जाना" मुझे,_

_जिसकी जितनी "जरूरत" थी_
_उसने उतना ही "पहचाना "मुझे!_

_जिन्दगी का "फलसफा" भी_
_कितना अजीब है,_

_"शामें "कटती नहीं और_
-"साल" गुजरते चले जा रहे हैं!_

_एक अजीब सी_
_'दौड़' है ये जिन्दगी,_

-"जीत" जाओ तो कई_
-अपने "पीछे छूट" जाते हैं और_

_हार जाओ तो,_
_अपने ही "पीछे छोड़ "जाते हैं!_😥

_बैठ जाता हूँ_
_मिट्टी पे अक्सर,_

_मुझे अपनी_
_"औकात" अच्छी लगती है।_

_मैंने समंदर से_
_"सीखा "है जीने का तरीका,_

_चुपचाप से "बहना "और_
_अपनी "मौज" में रहना।_

_ऐसा नहीं कि मुझमें_
_कोई "ऐब "नहीं है,_

_पर सच कहता हूँ_
_मुझमें कोई "फरेब" नहीं है।_

_जल जाते हैं मेरे "अंदाज" से_,
_मेरे "दुश्मन",_

-एक मुद्दत से मैंने_
_न तो "मोहब्बत बदली"_
_और न ही "दोस्त बदले "हैं।_

_एक "घड़ी" खरीदकर_,
_हाथ में क्या बाँध ली,_

_"वक्त" पीछे ही_
_पड़ गया मेरे!_😓

_सोचा था घर बनाकर_
_बैठूँगा "सुकून" से,_

-पर घर की जरूरतों ने_
_"मुसाफिर" बना डाला मुझे!_

_"सुकून" की बात मत कर-
-बचपन वाला, "इतवार" अब नहीं आता!_😓😥

_जीवन की "भागदौड़" में_
_क्यूँ वक्त के साथ, "रंगत "खो जाती है ?_

-हँसती-खेलती जिन्दगी भी_
_आम हो जाती है!_😢

_एक सबेरा था_
_जब "हँसकर "उठते थे हम,_😊

-और आज कई बार, बिना मुस्कुराए_
_ही "शाम" हो जाती है!_😓

_कितने "दूर" निकल गए_
_रिश्तों को निभाते-निभाते,_😘

_खुद को "खो" दिया हमने_
_अपनों को "पाते-पाते"।_😥

_लोग कहते हैं_
_हम "मुस्कुराते "बहुत हैं,_😊

_और हम थक गए_,
_"दर्द छुपाते-छुपाते"!😥😥

_खुश हूँ और सबको_
_"खुश "रखता हूँ,_

_ *"लापरवाह" हूँ ख़ुद के लिए_*
*-मगर सबकी "परवाह" करता हूँ।_😇🙏*

*_मालूम है_*
*कोई मोल नहीं है "मेरा" फिर भी_*

*कुछ "अनमोल" लोगों से_*
*-"रिश्ते" रखता हूँ।*🙏🏻🙏🏻

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19/08/2024

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18/08/2024

एक मुस्लिम लेखिका ने हिन्दू समाज के लोगों के गालों पर कैसा करारा थप्पड़ मारा है, जरा पढिये ...,

{1} आपकी विवाहित महिलाओं ने माथे पर पल्लू तो छोड़िये, साड़ी पहनना तक छोड़ दिया, दुपट्टा भी गायब ...?
किसने रोका है उन्हें ...?
हमने तो तुम्हारा अधोपतन नहीं किया ...?
हम मुसलमान तो इसके जिम्मेदार नहीं हैं ...?

{2} तिलक बिंदी तो आपकी पहचान हुआ करती थी न ...?
तुम लोग कोरा मस्तक और सूने कपाल को तो अशुभ, अमंगल और शोकाकुल होने का चिह्न मानते थे न ...?
आप लोगों ने घर से निकलने से पहले तिलक लगाना तो छोड़ा ही, आपकी महिलाओं ने भी आधुनिकता और फैशन के चक्कर में और फॉरवर्ड दिखने की होड़ में माथे पर बिंदी लगाना तक छोड़ दिया, यहाँ मुसलमान कहाँ दोषी हैं ...?

{3} आप लोग विवाह-सगाई जैसे संस्कारों में पारंपरिक परिधान छोड़कर लज्जाविहीन प्री-वेडिंग जैसी फूहड़ रस्में करने लगे, और जन्मदिवस, वर्षगांठ जैसे अवसरों को ईसाई बर्थ-डे और एनिवर्सरी में बदल दिया तो क्या यह हमारी त्रुटि है ...?

{4} हमारे यँहा बच्चा जब चलना सीखता है, तो बाप की उंगलियां पकड़ कर इबादत/नमाज के लिए मस्जिद जाता है, और जीवन भर इबादत/नमाज को अपना फर्ज़ समझता है, आप लोगों ने तो स्वयं ही मंदिरों में जाना 🛕 छोड़ दिया, जाते भी हैं तो केवल पाँच दस मिनट के लिए तब, जब भगवान से कुछ मांगना हो, अथवा किसी संकट से छुटकारा पाना हो, अब यदि आपके बच्चे ये सब नहीं जानते - करते कि मंदिर में क्यों जाना है ...?
वहाँ जाकर क्या करना है ...?
और ईश्वर की उपासना उनका कर्तव्य है ...?
तो क्या ये सब हमारा दोष है ...❓

{5} आपके बच्चे कान्वेंट ✝️ से पढ़ने के बाद पोयम सुनाते हैं, तो आपका सर गर्व से ऊंचा होता है, जबकि होना तो यह चाहिये कि वे बच्चे नवकार मंत्र या कोई श्लोक याद कर सुनाते तो आपको गर्व होता ...!

इसके उलट, जब आज वे नहीं सुना पाते तो न तो आपके मन में इस बात की कोई ग्लानि है, और न ही इस बात पर आपको कोई खेद है ...!

हमारे घरों में किसी बाप का सिर तब शर्म से झुक जाता है, जब उसका बच्चा रिश्तेदारों के सामने कोई दुआ नहीं सुना पाता, हमारे घरों में बच्चा बोलना सीखता है, तो हम सिखाते हैं कि बड़ों से सलाम करना सीखो, और आप लोगों ने प्रणाम और नमस्कार को हैलो हाय से बदल दिया, तो इसके दोषी क्या हम हैं ...?

{6} हमारे मजहब का लड़का कॉन्वेंट से आकर भी उर्दू अरबी सीख लेता है, और हमारी धार्मिक पुस्तक पढ़ने बैठ जाता है, और आपका बच्चा न हिन्दू पाठशाला में पढ़ता है, और संस्कृत तो छोड़िये, शुद्ध हिंदी भी उसे ठीक से नहीं आती, क्या यह भी हमारी त्रुटि है ...?

{7} आपके पास तो सब कुछ था, संस्कृति, इतिहास, परंपराएं ...!

आपने उन सब को तथाकथित आधुनिकता की अंधी दौड़ में त्याग दिया, और हमने नहीं त्यागा बस इतना ही भेद है, आप लोग ही तो पीछा छुड़ाएं बैठे हैं अपनी जड़ों से, हमने अपनी जड़ें न तो कल छोड़ी थीं और न ही आज छोड़ने को राजी हैं ...!

{8} आप लोगों को तो स्वयं ही तिलक, शिखा आदि से और आपकी महिलाओं को भी माथे पर बिंदी, हाथ में चूड़ी और गले में मंगलसूत्र इन्हें धारण करना अनावश्यक लगने लगा ...?

{9} अपनी पहचान के संरक्षण हेतु जागृत रहने की भावना किसी भी सजीव समाज के लोगों के मन में स्वत:स्फूर्त होनी चाहिये, उसके लिये आपको अपने ही लोगों को कहना पड़ रहा है ...!

{10} जरा विचार कीजिये कि यह कितनी बड़ी विडंबना है, यह भी विचार कीजिये कि अपनी संस्कृति के लुप्त हो जाने का भय आता कँहा से है ...?
और असुरक्षा की भावना का वास्तविक कारण क्या है ...?
हम हैं क्या ...❓

{11} आपकी समस्या यह है कि आप अपने समाज को तो जागा हुआ देखना चाहते हैं, किंतु ऐसा चाहते समय, आप स्वयं आगे बढ़कर उदाहरण प्रस्तुत करने वाला आचरण नहीं करते ...!

जैसे बन गए हैं, वैसे ही बने रहते हैं, आप स्वयं अपनी जड़ों से जुड़े हुए हो, ऐसा दूसरों को आप में दिखता नहीं है, और इसीलिये आपके अपने समाज में तो छोड़िये, आपके परिवार में भी कोई आपकी धार्मिक बाते सुनता नहीं, ठीक इसी प्रकार आपके समाज में अन्य सब लोग भी ऐसा ही आपके जैसा डबल स्टैंडर्ड वाला हाइपोक्रिटिकल व्यवहार (शाब्दिक पाखंड) करते हैं, इसीलिये आपके समाज में कोई भी किसी की नहीं सुनता, क्या यह हमारी त्रुटि है ...?

{12} आपने अपनी दिनचर्या बदली, एक समय था, जब आपकी वेशभूषा से कोई भी बता देता था कि ये मारवाड़ी/वैश्य परिवार से है, आप लोगों ने अपनी वेशभूषा छोड़ी, आपने अपना खान-पान बदला, लहसुन प्याज आलू खाना आपके लिए आम बात हो गई, शराब व मांसाहार भी आदतें हो गईं ...?

कृपया इस बारे में जरा गहन चिंतन करें ...!
भारतीय संस्कृति को शिक्षा में शामिल कर भारत को पुनः विश्वगुरु बनाएं ...!💐💐

*पूरी दुनिया को मुसलमान बनाने के लिए 143 संगठन काम कर रहे हैं।**हिंदुओं को हिंदू बने रहने के लिए सिर्फ एक संगठन काम कर र...
15/08/2024

*पूरी दुनिया को मुसलमान बनाने के लिए 143 संगठन काम कर रहे हैं।*

*हिंदुओं को हिंदू बने रहने के लिए सिर्फ एक संगठन काम कर रहा है,*

*उसका नाम है -*

*"राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ"*

*जिसका अनुशांगिक पार्टी है*

*"भारतीय जनता पार्टी"*

*उसका घोर विरोध*
*हिंदू ही करते हैं।*

*और इसीलिए मैं कहता हूं कि*

*हिन्दुओं का दुश्मन*
*मुस्लिम और ईसाई बाद में है*

*पहले दुश्मन धर्मनिरपेक्ष ‌हिन्दु है*

😳🙄🥵😡

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